Post Viewership from Post Date to 30-Mar-2024 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2204 171 2375

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

जानकी अम्माल से लेकर कल्पना चावला तक इन महिला वैज्ञानिकों ने बढ़ाया है भारत का मान

लखनऊ

 28-02-2024 09:31 AM
सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान

हर साल 28 फरवरी को भारत में ‘राष्ट्रीय विज्ञान दिवस’ मनाया जाता है। सन् 1928 में इसी दिन भारतीय भौतिक विज्ञानी सर चन्द्रशेखर वेंकट रमन, जिन्हें सर सी.वी. रमन के नाम से भी जाना जाता है, द्वारा रमन प्रभाव (Raman Effect) की खोज की घोषणा की गई थी, जिसके लिए 1930 में उन्हें भौतिकी में नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया, जिससे वह वैज्ञानिक क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले भारतीय बन गए। यह दिन भारतीय विज्ञान के इतिहास में एक ऐसा स्वर्णिम दिन है जिसके माध्यम से भारतीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ने पूरे विश्व में अपनी एक अमिट छाप छोड़ कर हमारे देश को गौरवान्वित किया।
वास्तव में हमारे देश भारत का इतिहास कई अनगिनत वैज्ञानिकों के उदाहरणों से भरा पड़ा है, जिन्होंने नासा जैसी विश्व की सर्वोच्च वैज्ञानिक संस्थानों में शीर्ष पदों पर कार्य किया है, उनका नेतृत्व किया है, जिनमें से कई ने नोबेल पुरस्कार भी जीता है; नवप्रवर्तन किया है और अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का नेतृत्व किया है। भारत में न केवल पुरुष वैज्ञानिक, बल्कि महिला वैज्ञानिकों ने भी विज्ञान और प्रौद्योगिकी के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देकर देश को सदैव गौरवान्वित किया है।
अंतरिक्ष से लेकर जानलेवा बीमारियों की रोकथाम के लिए टीकों के निर्माण तक, पौधों के प्रजनन से लेकर चंद्रयान मिशन तक, भारतीय वैज्ञानिक महिलाएं पूरे विश्व में अपनी छाप छोड़ रही हैं और दूसरों के लिए अनुसरण करने का मार्ग प्रशस्त कर रही हैं। अनुसंधान और विकास क्षेत्रों में महिला वैज्ञानिकों की भागीदारी साल दर साल 4% की वृद्धि दर के साथ बढ़ रही है। तो आइए आज भारत की कुछ महानतम महिला वैज्ञानिकों के योगदान के बारे में जानते हैं और साथ ही यह भी जानते हैं कि महिलाएं हमारे देश को कैसे आकार दे रही हैं: आनंदीबाई गोपालराव जोशी (1865 - 1887): आनंदीबाई गोपालराव जोशी पहली भारतीय महिला चिकित्सक थीं। उन्होंने 1886 में संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) में पेंसिल्वेनिया (Pennsylvania) के ‘महिला मेडिकल कॉलेज’ (Women’s Medical College) से पश्चिमी चिकित्सा में दो साल की स्नातक उपाधि प्राप्त की थी। यह दुनिया भर में महिलाओं का पहला चिकित्सा कार्यक्रम था। उनके व्यक्तिगत जीवन ने उन्हें एक चिकित्सक बनने के लिए प्रेरित किया। 14 वर्ष की उम्र में माँ बनने के बाद उन्होंने अपने नवजात शिशु को पर्याप्त चिकित्सा सुविधाओं के अभाव में खो दिया। अपने नवजात शिशु की मृत्यु के बाद उन्होंने एक चिकित्सक बनने का निर्णय लिया। जानकी अम्माल (1897 – 1984): अम्माल 1977 में पद्म श्री पुरस्कार पाने वाली पहली भारतीय वैज्ञानिक थीं, जो भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण (Botanical Survey of India) के महानिदेशक के प्रतिष्ठित पद पर आसीन हुईं। 1900 के दशक में, अम्माल ने उच्च शिक्षा के लिये वनस्पति विज्ञान विषय चुना, जो उस समय महिलाओं के लिए एक असामान्य विकल्प था। उन्होंने 1921 में प्रेसीडेंसी कॉलेज (Presidency College) से वनस्पति विज्ञान में ऑनर्स (Honours) की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने कोशिका आनुवंशिकी में वैज्ञानिक अनुसंधान किया। अम्माल द्वारा सबसे प्रसिद्ध खोज गन्ना और बैंगन पर की गई। कमला सोहोनी (1912 - 1998): सोहोनी पहली भारतीय महिला थीं जिन्होंने वैज्ञानिक विषय में पीएचडी (PhD) की उपाधि हासिल की थी। उन्होंने अनुसंधान अनुदान के लिए ‘भारतीय विज्ञान संस्थान’ (Indian Institute of Science (IISc) में आवेदन किया था और उन्हें केवल इसलिए अस्वीकार कर दिया गया क्योंकि वह एक महिला थीं। वह प्रोफेसर सीवी रमन की पहली महिला छात्रा थीं, जो तत्कालीन IISc निदेशक थे। उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के कारण, रमन ने उन्हें आगे शोध करने की अनुमति दे दी। उन्होंने खोज की कि पौधे के ऊतकों की प्रत्येक कोशिका में एंजाइम 'साइटोक्रोम सी' (cytochrome C) होता है जो सभी पौधों की कोशिकाओं के ऑक्सीकरण में शामिल होता है। असीमा चटर्जी (1917 - 2006): असीमा चटर्जी एक भारतीय रसायनज्ञ हैं, जो कार्बनिक रसायन विज्ञान और पादपरसायन के क्षेत्र में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने 1936 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के 'स्कॉटिश चर्च कॉलेज' (Scottish Church College) से रसायन विज्ञान में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और फिर अनुसंधान किया। उनके सबसे उल्लेखनीय कार्यों में विंका अल्कलॉइड्स (vinca alkaloids) पर शोध और मिर्गी-रोधी और मलेरिया-रोधी दवाओं का विकास शामिल है। राजेश्वरी चटर्जी (1922 – 2010): राजेश्वरी चटर्जी कर्नाटक राज्य की पहली महिला अभियंता हैं, जिन्हें 1946 में विदेश में अध्ययन करने के लिए सरकारी छात्रवृत्ति प्राप्त हुई। उन्होंने मिशिगन विश्वविद्यालय (University of Michigan) में अध्ययन किया, जहां उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग (Electrical Engineering) विभाग से स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की। डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने के बाद, वह भारत लौट आईं और एक संकाय सदस्य के रूप में IISc में इलेक्ट्रिकल कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (Electrical Communication Engineering) विभाग में शामिल हो गईं, जहां उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर एक माइक्रोवेव (microwave) अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना की। उन्होंने माइक्रोवेव इंजीनियरिंग पर अग्रणी काम किया। कल्पना चावला (1962 – 2003): कल्पना चावला अंतरिक्ष में कदम रखने वाली भारतीय मूल की पहली अंतरिक्ष यात्री हैं। उन्होंने 1984 में अर्लिंगटन (Arlington) में टेक्सास विश्वविद्यालय (University of Texas) से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग (Aerospace Engineering) में विज्ञान की स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की और इसके बाद 1986 में दूसरी और 1988 में कोलोराडो बोल्डर विश्वविद्यालय (University of Colorado Boulder) से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। उन्होंने पहली बार 1997 में एक मिशन विशेषज्ञ और प्राथमिक रोबोटिक आर्म संचालक (robotic arm operator) के रूप में स्पेस शटल कोलंबिया (Columbia) में उड़ान भरी थी। 1 फरवरी, 2003 को पृथ्वी के वायुमंडल में लौटते समय अंतरिक्ष यान कोलंबिया के दुर्घटनाग्रस्त होने में उनकी मृत्यु हो गई थी। डॉ. इंदिरा हिंदुजा: डॉ. इंदिरा हिंदुजा एक भारतीय स्त्री रोग विशेषज्ञ, प्रसूति रोग विशेषज्ञ और बांझपन विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने बॉम्बे यूनिवर्सिटी (Bombay University) से 'ह्यूमन इन विट्रो फर्टिलाइजेशन एंड एम्ब्रियो ट्रांसफर' (Human In Vitro Fertilisation and Embryo Transfer) में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है। डॉ. हिंदुजा ने गैमेटे इंट्राफैलोपियन ट्रांसफर (Gamete intrafallopian transfer (GIFT)) तकनीक की शुरुआत की, जिसके परिणामस्वरूप 4 जनवरी 1988 को भारत के पहले गिफ्ट (GIFT) बच्चे का जन्म हुआ। इससे पहले उन्होंने 6 अगस्त, 1986 को KEM अस्पताल में भारत के पहले टेस्ट-ट्यूब (test-tube) बच्चे का जन्म कराया था। उन्हें रजोनिवृत्ति और समय से पहले डिम्बग्रंथि विफलता वाले रोगियों के लिए एक ओसीट दान तकनीक (oocyte donation technique) विकसित करने का श्रेय भी दिया जाता है, जिससे 24 जनवरी, 1991 में इस तकनीक से देश का पहला बच्चा जन्मा था। डॉ. टेसी थॉमस: डॉ. टेसी थॉमस (Dr Tessy Thomas) रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (Defence Research and Development Organization (DRDO) की एक प्रमुख वैज्ञानिक हैं, जिन्हें "भारत की मिसाइल महिला" (The Missile Woman of India) के नाम से भी जाना जाता है। डॉ. टेसी ने लंबी दूरी की मिसाइल प्रणालियों के लिए नेविगेशन योजना तैयार की, जिसका उपयोग सभी अग्नि मिसाइलों में किया जाता है। उन्हें स्व-सहायता के लिए 'अग्नि आत्मनिर्भरता पुरस्कार' भी मिला है और पिछले कुछ वर्षों में उन्हें कई छात्रवृत्तियाँ और मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त हुई है।
इनके अलावा चंद्रयान -2 मिशन की निदेशक रितु करिधर, जिन्हें ‘भारत की रॉकेट महिला’ के नाम से जाना जाता है, ने भारत की सबसे महत्वाकांक्षी चंद्र परियोजनाओं में से एक का नेतृत्व किया, जिसके लिए उन्हें सम्मानित भी किया गया था। मंगला मणि जिन्हें ‘इसरो (ISRO) की ध्रुवीय महिला’ कहा जाता है, अंटार्कटिका (Antarctica) में एक वर्ष से अधिक समय बिताने वाली इसरो की पहली महिला वैज्ञानिक थीं। हालांकि अपने अभूतपूर्व योगदान के बावजूद महिलाओं को विज्ञान तथा तकनीक के क्षेत्र में अपना करियर बनाते समय कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। अधिकांशतः महिलाओं को खुद को साबित करने के लिए रूढि़वादी सोच और पूर्वाग्रहों से निपटने के लिए पुरुषों की तुलना में अधिक मेहनत करनी पड़ती है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें महिलाओं को अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में तकनीकी रूप से कम सक्षम माना जाता है, भले ही उनके पास समान स्तर की विशेषज्ञता हो। इसके अलावा महिलाओं को इन क्षेत्रों में आगे बढ़ने के लिए उचित सलाह प्रदान करने वाले लोगों की भी कमी होती है। करियर के विकास के लिए नेटवर्किंग महत्वपूर्ण है, और तकनीकी उद्योग में ज़्यादातर महिलाओं के पास नेटवर्किंग के सीमित अवसर हो सकते हैं। तकनीकी कार्यक्रम और सम्मेलन अक्सर पुरुष-प्रधान होते हैं, जिससे महिलाओं के लिए साथियों और उद्योग जगत के नेताओं से जुड़ना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
महिलाओं को अपने कार्यक्षेत्र के कठिन कार्यभार के साथ साथ पारिवारिक जिम्मेदारियों का तालमेल बिठाना होता है जिससे ऐसा करना उनके लिए अत्यधिक कठिन हो जाता है। कई बार महिलाओं को अपनी नौकरी और अपने निजी जीवन के बीच किसी एक का चयन करना पड़ता है जिससे उनमें आत्मविश्वास कम हो जाता है और उन्हें अपनी क्षमताओं एवं योग्यताओं के प्रति संदेह उत्पन्न हो जाता है। कई बार महिलाएं इस कारण मानसिक रोगों से भी पीड़ित हो जाती हैं। इसलिए यह समाज एवं उद्योगों की जिम्मेदारी है कि वह महिलाओं को आगे बढ़ने में मदद करें जिससे अधिक से अधिक महिलाएं ऊपर दी गई महिलाओं के समान ही विज्ञान एवं तकनीक के क्षेत्र में अपना करियर बनाकर देश का नाम रोशन कर सकें।

संदर्भ
https://shorturl.at/bCGHQ
https://shorturl.at/CDMP0
https://shorturl.at/BCFK4

चित्र संदर्भ

1.जानकी अम्माल और कल्पना चावला को संदर्भित करता एक चित्रण (garystockbridge617, wikimedia)
2.आनंदीबाई गोपालराव जोशी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. जानकी अम्माल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. कमला सोहोनी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. असीमा चटर्जी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. राजेश्वरी चटर्जी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. कल्पना चावला को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
8. डॉ. इंदिरा हिंदुजा को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
9. डॉ. टेसी थॉमस को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
10. चंद्रयान -2 मिशन की निदेशक रितु करिधर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • समय की कसौटी पर खरी उतरी है लखनऊ की अवधी पाक कला
    स्वाद- खाद्य का इतिहास

     19-09-2024 09:28 AM


  • नदियों के संरक्षण में, लखनऊ का इतिहास गौरवपूर्ण लेकिन वर्तमान लज्जापूर्ण है
    नदियाँ

     18-09-2024 09:20 AM


  • कई रंगों और बनावटों के फूल खिल सकते हैं एक ही पौधे पर
    कोशिका के आधार पर

     17-09-2024 09:18 AM


  • क्या हमारी पृथ्वी से दूर, बर्फ़ीले ग्रहों पर जीवन संभव है?
    पर्वत, चोटी व पठार

     16-09-2024 09:36 AM


  • आइए, देखें, महासागरों में मौजूद अनोखे और अजीब जीवों के कुछ चलचित्र
    समुद्र

     15-09-2024 09:28 AM


  • जाने कैसे, भविष्य में, सामान्य आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, पार कर सकता है मानवीय कौशल को
    संचार एवं संचार यन्त्र

     14-09-2024 09:23 AM


  • भारतीय वज़न और माप की पारंपरिक इकाइयाँ, इंग्लैंड और वेल्स से कितनी अलग थीं ?
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     13-09-2024 09:16 AM


  • कालिदास के महाकाव्य – मेघदूत, से जानें, भारत में विभिन्न ऋतुओं का महत्त्व
    जलवायु व ऋतु

     12-09-2024 09:27 AM


  • विभिन्न अनुप्रयोगों में, खाद्य उद्योग के लिए, सुगंध व स्वाद का अद्भुत संयोजन है आवश्यक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     11-09-2024 09:19 AM


  • लखनऊ से लेकर वैश्विक बाज़ार तक, कैसा रहा भारतीय वस्त्र उद्योग का सफ़र?
    मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक

     10-09-2024 09:35 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id