City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
2232 | 169 | 2401 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
उत्तरी भारत के कुछ विकासशील वाणिज्यिक केंद्रों में से एक, के रूप में, हमारा शहर रामपुर एक व्यस्त शहर है। रामपुर शहर को विभिन्न उद्योगों के लिए जाना जाता है, जिनमें से अधिकांश कृषि आधारित हैं। यह चीनी रिफाइनरियां(Sugar refineries), कपड़ा बुनाई, कपास मिलें और कृषि उपकरणों के निर्माण के लिए प्रसिद्ध हैं। इसके साथ ही, पतंग निर्माण भी रामपुर में एक प्रसिद्ध और प्रमुख उद्योग है।
माना जाता है कि, पतंगें और इसके निर्माण के लिए सामग्री जैसे कि, पाल के लिए रेशमी कपड़े सबसे पहले चीन(China) में लगभग 3,000 साल पहले लोकप्रिय हुईं थी। तब, इन्हें उड़ाने के लिए प्रयुक्त किए जाने वाले धागे के लिए महीन, उच्च तन्यता ताकत वाला रेशम; और मजबूत तथा हल्के ढांचे के लिए लचीला बांस आसानी से उपलब्ध था। इसके पश्चात पतंग दुनिया के विभिन्न हिस्सों में प्रसिद्ध हो गई, और इसका एक प्राचीन डिजाइन – लड़ाकू पतंग पूरे एशिया(Asia) खंड में लोकप्रिय हो गया।
पतंग उड़ान प्रतियोगिताओं में, पतंगें बिना पूंछ के उड़ाई जाती हैं, क्योंकि, इससे उनकी चपलता में बाधा आती है। इसके बजाय, इन्हें काटने का धागा, जिसे पारंपरिक रूप से मांझा कहा जाता है, एक अपघर्षक पदार्थ से लेपित होता है, जो प्रतिद्वंद्वी के धागे को काट देता है। 2000 से अधिक वर्षों से, मांझा चावल के गोंद, पेड़ के गोंद और इसी तरह की प्राकृतिक सामग्री तथा बारीक पाउडर वाले कांच के मिश्रण से लेपित महीन शुद्ध सूती धागे से बनाया जाता था। कुछ स्थानों पर, व्यक्तियों के पास अपनी निजी ‘गुप्त’ पद्धति होती थीं, लेकिन, अधिकांश मांझे किसी विशेषज्ञ कारीगर द्वारा बनाए जाते थे।
हालांकि आज, पतंगें अक्सर “रासायनिक” या “चीनी” मांझे से उड़ाई जाती हैं। यह स्थानीय रूप से निर्मित होता है, लेकिन इसे “चीनी मांझा” कहा जाता है। क्योंकि, इसका मुख्य घटक –सिंथेटिक पॉलीप्रोपाइलीन (Synthetic polypropylene) चीन से आता है। धातु के महीन कणों से लेपित, इस मांझे की कीमत पारंपरिक मांझे के मुकाबले केवल एक तिहाई ही है। जबकि, पारंपरिक मांजा खतरनाक होता था, यह सिंथेटिक मांजा इससे भी अधिक खतरनाक है। क्योंकि, इसकी धातु प्रकृति के कारण इसे तोड़ना कठिन होता है।
आप में से कई लोगों ने पतंगें उड़ाई होंगी और इसका भरपूर आनंद भी लिया होगा। लेकिन, क्या आप जानते हैं कि, पतंग उड़ाना एक उत्सव भी है! प्रत्येक वर्ष, गुजरात में 200 से अधिक त्यौहार मनाए जाते है। अंतर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव (उत्तरायण), यहां मनाए जाने वाले सबसे बड़े त्योहारों में से एक है। इसके लिए पहले से ही, गुजरात के घरों में इस त्योहार के लिए विशेष पतंगों का निर्माण शुरू हो जाता है।
भारतीय कैलेंडर के अनुसार, उत्तरायण का त्योहार, उस दिन को दर्शाता है, जब सर्दी गर्मियों में बदलने लगती है। यह मकर संक्रांति या महासंक्रांति और फसल के मौसम की शुरुआत का संकेत भी होता है। इस मौके पर, गुजरात के कई शहर अपने नागरिकों के बीच पतंग प्रतियोगिताएं आयोजित करते हैं। गुजरात के इस क्षेत्र और कई अन्य राज्यों में, उत्तरायण इतना बड़ा उत्सव है कि, यह भारत में दो दिनों तक चलने वाला सार्वजनिक अवकाश बन गया है।
2012 में, गुजरात पर्यटन निगम ने उल्लेख किया था कि, गुजरात में अंतर्राष्ट्रीय पतंग महोत्सव उस वर्ष 42 देशों की भागीदारी के कारण गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स बुक(Guinness World Records book) में प्रवेश करने का प्रयास कर रहा था।
पतंगों के इसी महत्त्व को दर्शाने के लिए, अहमदाबाद के पालडी में स्थित एक सांस्कृतिक केंद्र – संस्कार केंद्र में एक पतंग संग्रहालय स्थित है। यह संग्रहालय श्री. भानु शाह के निजी संग्रह से पतंगों की एक स्थायी प्रदर्शनी है। श्री शाह ने वर्ष 1984 में अहमदाबाद नगर निगम को अपना संग्रह दान दिया था। संस्कार केंद्र की संरचना, 1954 में प्रसिद्ध वास्तुकार ले कॉर्बुसियर (Le Corbusier) द्वारा एक बड़ी विकास परियोजना के एक भाग के रूप में डिजाइन और निर्मित की गई थी, जिसमें वर्तमान में पतंग संग्रहालय और संस्कार केंद्र शहर संग्रहालय शामिल हैं।
पतंग संग्रहालय अपनी तरह का पहला संग्रहालय है, जो विभिन्न सामग्रियों और डिज़ाइनों से बनी 100 से अधिक पतंगों को प्रदर्शित करता है। इसमें विशेष विषयगत और त्योहार पर आधारित प्रदर्शन भी होते हैं। इनमें दर्पण के काम, गरबा नृत्य और ब्लॉक प्रिंट(Block Print) के दृश्यों के साथ तैयार की गई पतंगें शामिल हैं।
कागज के 400 टुकड़ों से बनी रोकोकू(Rokoku) नामक षट्कोणीय जापानी(Japan) पतंगें तथा श्री कृष्ण एवं राधा की लघु पेंटिंग वाली पतंगें, यहां के सबसे आकर्षक प्रदर्शनों में से कुछ हैं।
यह संग्रहालय 200 ईसा पूर्व से शुरू होने वाले पतंगों के इतिहास को भी प्रदर्शित करता है, जब ह्वेन त्सांग(Hiuen Tsang) ने 1752 में चीन में हान राजवंश(Han dynasty) के लियू पैंग(Liu Pang) की सेना को छोड़ने के लिए रात में पतंग उड़ाई थी। साथ ही, बेंजामिन फ्रैंकलिन(Benjamin Franklin) ने पतंग उड़ाकर दुनिया को दिखाया था कि, आकाश से गिरने वाली किसी बिजली में, कैसे विद्युतीय शक्ति होती है। अंततः 1902 में, पतंगबाजी के कारण राइट बंधुओं(Wright brothers) ने हवाई जहाज का विकास किया और आधुनिक पतंगों का आगमन हुआ।
संदर्भ
http://tinyurl.com/ztvv6td6
http://tinyurl.com/ym2dbv3r
http://tinyurl.com/hnahp5p5
http://tinyurl.com/43f8c3nr
चित्र संदर्भ
1. उत्तरायण उत्सव और पतंग निर्माता को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. पतंग निर्माता को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. उत्तरायण उत्सव के लिए तैयार रंगीन पतंगों के ढेर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. पतंग महोत्सव को संदर्भित करता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
5. तिरंगे रंग की पतंग को संदर्भित करता एक चित्रण (pxhere)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.