आज के समय में भारत, परमाणु ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ाने पर अधिक ध्यान दे रहा है। परमाणु ऊर्जा पर निर्भरता बढ़ाने का मुख्य उद्देश्य देश की बढ़ती ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करना और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करना है। परमाणु ऊर्जा को कुशल और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों में से एक माना जाता है।
परमाणु ऊर्जा, बिजली की कमी को दूर करने का भरोसेमंद तरीका साबित हो सकती है। यह कम कार्बन उत्सर्जन करती है, जिससे जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद मिलती है। नई तकनीकों और बेहतर सुरक्षा उपायों के कारण, भारत में परमाणु ऊर्जा का भविष्य भी उज्जवल दिख रहा है। इससे न केवल ऊर्जा सुरक्षा मज़बूत होगी, बल्कि हमारे आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा।
आज के इस लेख में हम भारत में परमाणु ऊर्जा के भविष्य पर चर्चा करेंगे। इसके बाद, हम विभिन्न प्रकार के परमाणु ऊर्जा संयंत्रों और उनकी खासियतों के बारे में समझेंगे। अंत में, हम चिकित्सा, कृषि और उद्योग में उपयुक्त परमाणु तकनीकों के बारे में भी जानेंगे।
भारत में परमाणु ऊर्जा क्षेत्र तेज़ी के साथ बदल रहा है। आज निजी कंपनियों को भी परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश के लिए आमंत्रित किया जा रहा है। टाटा पावर, रिलायंस इंडस्ट्रीज़ , अडानी पावर और वेदांता लिमिटेड जैसी कंपनियां इन परियोजनाओं में हिस्सा ले रही हैं। इस क्षेत्र में प्रत्येक कंपनी लगभग 5.3 बिलियन डॉलर का निवेश कर रही है। सरकार का लक्ष्य इस क्षेत्र में 26 बिलियन डॉलर के निजी निवेश को आकर्षित करना है। पहले यह क्षेत्र ज़्यादातर सरकारी कंपनियों के ही नियंत्रण में था।
परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का निर्माण और संचालन भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम द्वारा किया जाएगा। निवेश करने वाली कंपनियां इन संयंत्रों से बिजली बेचकर लाभ कमाएंगी। एन टी पी सी (NTPC) ने अपनी परमाणु सहायक कंपनी बनाने का निर्णय लिया है। इससे एन टी पी सी भारत के परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में एक प्रमुख भूमिका निभाने के लिए तैयार हो गई है।
एन टी पी सी के पास बिजली उत्पादन का पुराना अनुभव और संसाधन दोनों उपलब्ध हैं। अब परमाणु ऊर्जा को अपने ऊर्जा स्रोतों में शामिल करके, एन टी पी सी भारत के स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को पूरा करने में योगदान देगा। एन पी सी आईएल और एन टी पी सी ने मिलकर अश्विनी (ASHVINI) नामक एक संयुक्त उद्यम बनाया है। यह परमाणु, ऊर्जा क्षेत्र में भारत की प्रगति को तेज़ करेगा।
एन पी सी आईएल और एन टी पी सी की साझेदारी
सितंबर 2024 में, एन पी सी आईएल और एन टी पी सी ने मिलकर अणुशक्ति विद्युत निगम लिमिटेड (अश्विनी) नामक एक संयुक्त उद्यम बनाया। इसमें एन पी सी आईएल की 51% और एन टी पी सी की 49% हिस्सेदारी है। अश्विनी पूरे देश में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण, स्वामित्व, और संचालन में अग्रणी भूमिका निभाएगा।
इस साझेदारी की एक महत्वपूर्ण परियोजना राजस्थान के माही बांसवाड़ा में स्थित परमाणु ऊर्जा संयंत्र है। इस परियोजना में 700 मेगावाट की चार इकाइयाँ हैं। ये इकाइयाँ स्वदेशी प्रेशराइज़्ड प्रेशराइज़्ड हैवी वाटर रिएक्टर (Pressurized Heavy Water Reactor) तकनीक का उपयोग करती हैं। एन पी सी आईएल और एनटीपीसी ने मई 2023 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें परमाणु ऊर्जा के बुनियादी ढांचे को मज़बूत करने पर जोर दिया गया था। इस साझेदारी के तहत मध्य प्रदेश की चुटका परियोजना और राजस्थान की माही बांसवाड़ा परियोजना जैसी योजनाएं शामिल हैं।
अश्विनी दो नई प्रेशराइज़्ड हैवी वाटर रिएक्टर सुविधाओं का भी निर्माण करेगी। ये परियोजनाएं भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने और स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को पूरा करने के लिए बहुत जरूरी हैं।
भारत का परमाणु ऊर्जा क्षेत्र नई तकनीकों, निजी निवेश और सरकारी समर्थन के बलबूते तेज़ गति के साथ आगे बढ़ रहा है। इससे ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
आइए, अब परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के बारे में जानते हैं:
परमाणु ऊर्जा संयंत्र कई प्रकार के होते हैं। इनमें से प्रेशराइज़्ड वाटर रिएक्टर (PWR) और बॉइलिंग वाटर रिएक्टर (BWR) सबसे आम हैं।
प्रेशराइज़्ड वाटर रिएक्टर (PWR) : दुनिया में करीब 70% परमाणु रिएक्टर पी डब्लू आर तकनीक का उपयोग करते हैं। चीन के सैनमेन परमाणु ऊर्जा स्टेशन को नए पी डब्लू आर का एक अच्छा उदाहरण माना जाता है। पी डब्लू आर में मुख्य शीतलक के रूप में पानी का उपयोग किया जाता है। इस पानी को दबाव में रखकर रिएक्टर कोर में पंप किया जाता है। रिएक्टर कोर के अंदर परमाणु विखंडन से निकलने वाली ऊर्जा से पानी गर्म होता है।
यह गर्म, दबाव वाला पानी भाप जनरेटर में जाता है। भाप जनरेटर में पानी अपनी गर्मी दूसरे सिस्टम के पानी को देता है। इससे भाप बनती है, जो टरबाइन को चलाती है। यह टरबाइन बिजली बनाने के लिए जनरेटर को घुमाती है। पी डब्लू आर में पानी को उबलने से रोकने के लिए प्राथमिक शीतलक लूप में उच्च दबाव बनाया जाता है। पी डब्लू आर में आमतौर पर 2 से 4 स्टीम जनरेटर होते हैं। इस तकनीक को शुरुआत में परमाणु पनडुब्बियों के लिए विकसित किया गया था।
बॉयलिंग वॉटर रिएक्टर (BWR): बॉयलिंग वाटर रिएक्टर (BWR) दूसरा सबसे आम रिएक्टर है। यह दुनिया के लगभग 15% परमाणु रिएक्टरों में उपयोग होता है। यह भी एक हल्का पानी वाला रिएक्टर है। बीडब्ल्यूआर में परमाणु विखंडन से पानी को गर्म किया जाता है। यह पानी सीधे भाप में बदल जाता है, जो टरबाइन को चलाने के लिए उपयोग होती है।
बी डब्ल्यू आर में ईंधन की छड़ें रिएक्टर कोर में लगाई जाती हैं। कोर से बहने वाला पानी गर्म होकर उबलता है और भाप बनाता है। यह भाप टरबाइन को घुमाकर बिजली पैदा करने के लिए जनरेटर को शक्ति देती है। बाद में, यह भाप ठंडी होकर फिर से पानी बन जाती है। यह पानी कोर में वापस भेजा जाता है।
प्रेशराइज़्ड हैवी वॉटर रिएक्टर (PHWR): प्रेशराइज़्ड हैवी वॉटर रिएक्टर (PHWR) के तहत भारी पानी का उपयोग किया जाता है। भारी पानी में ड्यूटेरियम (Deuterium) नाम का आइसोटोप मौजूद होता है, जो न्यूट्रॉन को धीमा करने में मदद करता है। इससे परमाणु विखंडन आसानी से हो सकता है।
पी एच डब्ल्यू आर में भारी पानी को दबाव में रखा जाता है ताकि यह उबलने से बचा रहे। यह शीतलक को उच्च तापमान तक पहुंचने में मदद करता है। पी एच डब्ल्यू आर में ईंधन के रूप में प्राकृतिक यूरेनियम डाइऑक्साइड का उपयोग किया जाता है। ईंधन बंडलों को रिएक्टर कोर के अंदर व्यवस्थित किया जाता है। भारी पानी न्यूट्रॉन को धीमा करता है ताकि वे यूरेनियम परमाणुओं से टकरा सकें और श्रृंखला प्रतिक्रिया को बनाए रखें। यह भारी पानी रिएक्टर कोर की गर्मी को भी दूर करता है। यह गर्मी भाप में बदलती है और टरबाइन को घुमाने के लिए इस्तेमाल होती है। इससे बिजली का उत्पादन होता है।
परमाणु प्रौद्योगिकी का उपयोग केवल बिजली बनाने तक सीमित नहीं है। इसे कृषि, चिकित्सा, अंतरिक्ष अन्वेषण और जल शोधन जैसे क्षेत्रों में भी काम में लिया जाता है।
कृषि और खाद्य सुरक्षा परमाणु प्रौद्योगिकी का उपयोग: परमाणु प्रौद्योगिकी का उपयोग किसान हानिकारक कीटों की संख्या कम करने के लिए करते हैं। विकिरण का उपयोग करके कीड़ों को प्रजनन करने से रोका जाता है। इससे उनकी संख्या घटती है, और फ़सलों की सुरक्षा बढ़ती है। इस तकनीक से दुनिया भर में खाद्य आपूर्ति को बेहतर बनाया जा सकता है।
विकिरण का उपयोग भोजन में मौजूद बैक्टीरिया और हानिकारक जीवों को मारने के लिए भी किया जाता है। यह प्रक्रिया भोजन को रेडियोधर्मी नहीं बनाती और उसके पोषण में ज़्यादा बदलाव भी नहीं करती। कच्चे और जमे हुए खाद्य पदार्थों में बैक्टीरिया हटाने का यह एकमात्र प्रभावी तरीका है।
चिकित्सा में उपयोग: परमाणु प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल शरीर के अंदर की तस्वीरें लेने और बीमारियों का इलाज करने में किया जाता है। उदाहरण के लिए, डॉक्टर कैंसर के इलाज में ट्यूमर को नष्ट करने के लिए विकिरण की सही मात्रा का उपयोग करते हैं। इस तकनीक से स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान नहीं पहुंचता। अस्पताल चिकित्सा उपकरणों को सुरक्षित और किफ़ायती तरीके से साफ करने के लिए गामा किरणों का उपयोग करते हैं। सिरिंज, सर्जिकल दस्ताने, बर्न ड्रेसिंग और हृदय वाल्व जैसी चीजें विकिरण के ज़रिए निष्फल की जाती हैं।
अंतरिक्ष अन्वेषण: परमाणु प्रौद्योगिकी ने गहरे अंतरिक्ष में खोज करना संभव बनाया है। अंतरिक्ष यान में जनरेटर लगाए जाते हैं, जो प्लूटोनियम से गर्मी लेकर उसे बिजली में बदलते हैं। ये जनरेटर कई वर्षों तक बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के काम कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, 1977 में लॉन्च किया गया वॉयजर 1 अंतरिक्ष यान, प्लूटोनियम (Plutonium) जनरेटर की मदद से आज भी बाहरी सौर मंडल से डेटा भेज रहा है।
जल शोधन (जल विलवणीकरण): विश्व में हर पांच में से एक व्यक्ति के पास सुरक्षित पेयजल नहीं है। यह समस्या लगातार बढ़ रही है। परमाणु प्रौद्योगिकी इस समस्या को हल करने में मदद कर सकती है।
जल विलवणीकरण की प्रक्रिया में समुद्री जल से नमक को हटाकर उसे पीने योग्य बनाया जाता है। यह प्रक्रिया बहुत अधिक ऊर्जा की मांग करती है। परमाणु ऊर्जा संयंत्र, बड़ी मात्रा में ऊर्जा प्रदान कर सकते हैं, जिससे जल शोधन संयंत्र अधिक ताजा पानी तैयार कर सकते हैं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/24bemrl9
https://tinyurl.com/2bqo4jtr
https://tinyurl.com/y69m4zca
चित्र संदर्भ
1. परमाणु ऊर्जा संयंत्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. स्विट्ज़रलैंड में स्थित लीबस्टैड परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Leibstadt Nuclear Power Plant) के हवाई दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3.एन टी पी सी के लोगो को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. प्रेशराइज़्ड वाटर रिएक्टर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. बॉयलिंग वॉटर रिएक्टर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. ब्राज़ील के रियो डी जनेरियो में अंगरा परमाणु ऊर्जा संयंत्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)