Post Viewership from Post Date to 27-Feb-2024 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2498 143 2641

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

भारत में आधुनिक वज़न प्रणाली का इतिहास एवं उसका विकास

मेरठ

 27-01-2024 09:57 AM
सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

जब भी आप अपने दैनिक जीवन की कोई भी वस्तु खरीदते हैं तो उसको खरीदने से पहले उसका वज़न अथवा माप अवश्य जांचते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि भारत में आधुनिक वज़न प्रणाली कब और कैसे विकसित हुई? आइए भारत में आधुनिक वज़न प्रणाली के इतिहास एवं उसके विकास के विषय में जानते हैं।
वज़न और माप के लिए अब तक ज्ञात सबसे पुरानी मापन प्रणालियाँ तीसरी और चौथी शताब्दी ईसा पूर्व से संबंधित हैं। इसका अर्थ यह है कि सबसे प्राचीन सभ्यताओं, उदाहरण के लिए, मिस्र (Egypt), मेसोपोटामिया (Mesopotamia) और सिंधु घाटी (Indus Valley) में भी कृषि निर्माण और व्यापार के लिए मापन की आवश्यकता के अनुरूप प्रारंभिक मापन इकाइयाँ उपलब्ध थीं। यह अवश्य संभव है कि एक विशिष्ट मापन प्रणाली केवल किसी एक छोटे समुदाय या क्षेत्र तक ही सीमित थी और कोई एक ऐसी मापन प्रणाली उपलब्ध नहीं थी जो सर्वसम्मति से सब जगह स्वीकृत हो। अक्सर इस प्रकार की प्रणालियाँ केवल उस विशिष्ट क्षेत्र के लिए ही उपयोगी होती थीं और दूसरे क्षेत्र में उनका कोई उपयोग नहीं होता था। लेकिन विनिर्माण प्रौद्योगिकियों के विकास और वैश्विक स्तर पर बढ़ते व्यापार के साथ मानकीकृत वज़न और माप प्रणाली की आवश्यकता महसूस की जाने लगी। जिसके कारण 18वीं शताब्दी की शुरुआत में, अधिक सटीक तरीकों से परिभाषित और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लागू मानकीकृत मूलभूत इकाइयों के साथ, वजन और माप की आधुनिक, सरलीकृत और समान प्रणाली विकसित की गई। अगर भारत की बात की जाए तो हमारे देश में मापन प्रणाली वैदिक काल से ही विद्यमान थी। हालांकि भारत में मौजूद आधुनिक ‘बाट प्रणाली’ 500-600 साल पहले मुगलों ने शुरू की थी । जबकि हमारे देश में बाटों या वज़न प्रणाली के मानकीकरण के शुरू होने से पहले रत्ती के बीजों का उपयोग किया जाता था। 'रत्ती' भारत में वजन मापने की सबसे पुरानी इकाइयों में से एक है। रत्ती वास्तव में एक पौधे का बीज है जिसका वजन लगभग मानक माना जाता था। हालांकि अब रत्ती प्रणाली का मानक 0.1215 ग्राम के बराबर निश्चित कर दिया गया है। भारत में मुगलों के आक्रमण से पहले वजन मापने के तरीके निश्चित नहीं थे। मुगलों ने भारत में रत्ती प्रणाली के स्थान पर बाट प्रणाली की शुरुआत की जो आज के किलोग्राम बाट के समान ही था। हालांकि प्रत्येक प्रांत में इसका अपना एक अलग संस्करण था। जिससे भ्रम की स्थिति पैदा होने पर इसे 'सेर' कहा जाने लगा। मुगल सम्राट अकबर के काल में लंबाई मापने की इकाई के रूप में गज का प्रयोग किया जाता था। प्रत्येक गज 24 बराबर भागों में विभाजित होता था और प्रत्येक भाग को तस्सुज कहा जाता था।
ब्रिटिश शासनकाल के दौरान प्रारंभ में अंग्रेजों द्वारा गेहूं के दाने को वज़न के एक मानक के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। अकबर के समान ही सोना तौलने के लिए अंग्रेजों द्वारा जौ के दाने का उपयोग किया गया। धीरे धीरे अंग्रेजों ने मुगलों के शासन काल से चले आ रहे बाट और माप में एकरूपता लाने का प्रयास किया। ब्रिटिश शासक भारत में भी ग्रेट ब्रिटेन (Great Britain) में मौजूद वज़न प्रणाली को शुरू करना चाहते थे, जिसके चलते उन्होंने ‘1833 का विनियमन VII’ पारित किया, जिसके अनुसार फर्रुखाबाद रुपये का मूल्य मद्रास (वर्तमान चेन्नई) और बॉम्बे (वर्तमान मुंबई) रुपये के अनुरूप 180 गेहूं के दानों के बराबर निर्धारित कर दिया गया। इस रुपये का वजन एक 'तोला' निर्धारित किया गया था जो उस समय एक प्रसिद्ध देशी मूल्य था और एक तोले को 180 गेहूं के दानों के बराबर निर्धारित किया गया था। हालांकि इस व्यवस्था में भारतीय शब्दावली का उपयोग किया गया था, किंतु यह पूरी तरह से ब्रिटिश व्यवस्था पर आधारित थी। इसके बाद 10 अक्टूबर 1913 को नियुक्त एक समिति ने फिर से भारतीय और ब्रिटिश प्रणालियों के संयोजन पर आधारित एक नई प्रणाली की सिफारिश की, जिसमें एक तोले को ब्रिटिश वज़न के 180 दानों के बराबर माना गया। इस प्रकार अंततः अंग्रेजों ने भारत में अपनी स्वयं की वज़न प्रणाली की शुरुआत की, जो पिछली प्रणालियाँ की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक मानकीकृत थी।
इस प्रणाली के तहत अंग्रेजों ने विभिन्न प्रकार के वज़न मानक शुरू किए, जिनमें से कुछ निम्न प्रकार हैं:
एक ट्रॉय औंस (troy ounce) = 480 जौ के दाने
1 ट्रॉय औंस = 120 कैरेट = 31.1034768 ग्राम
1 ट्रॉय पौंड = 12 ट्रॉय औंस
3.75 ट्रॉय औंस = 10 तोला
1 जौ के दाने का वजन = 64.79891 मिलीग्राम
1 गेहूं के दाने का वजन = 45.561732 मिलीग्राम
ऐसे ही एक महत्वपूर्ण वजन मानक पर किंग जॉर्ज पंचम (King George V) का प्रतीक अंकित था। इसी प्रणाली के तहत उन्होंने भारत में पॉन्ड (pound) की शुरुआत की। इस समय तक ब्रिटिश भारत की तीन प्रेसीडेंसियों (Presidencies of British India) ने पहले ही वजन और माप के मानकीकरण का काफी हद तक काम शुरू कर दिया था। मद्रास प्रेसीडेंसी में, एक मन का वज़न 25 पौंड (11.340 किलोग्राम) निर्धारित किया गया था, जिससे कैंडी का वज़न 500 पौंड (226.796 किलोग्राम) के बराबर हो गया। बॉम्बे प्रेसीडेंसी में, एक मन का वज़न 28 पौंड (12.701 किलोग्राम) तय किया गया, जिससे कैंडी का वज़न 560 पौंड, (254.012 किलोग्राम) के बराबर हो गया। बंगाल प्रेसीडेंसी में, जहां पारंपरिक रूप से कैंडी का उपयोग नहीं किया जाता था, एक मन का वजन 100 ट्रॉय पाउंड (37.324 किलोग्राम के बराबर) निश्चित किया गया। आपको बता दें कि उस समय कैंडी द्रव्यमान की एक पारंपरिक दक्षिण एशियाई इकाई थी जिसका वजन 20 मन के बराबर और लगभग 500 पाउंड (227 किलोग्राम) के बराबर था। दक्षिणी भारत में इसका सबसे अधिक उपयोग किया जाता था।br> इसी बीच 'भारत सरकार अधिनियम 1935' अस्तित्व में आया। 1939 में केंद्रीय विधायिका ने पूरे ब्रिटिश भारत पर वज़न अधिनियम (1939 का अधिनियम IX) के मानकों को पारित किया। जिसके द्वारा फिर से 180 दानों का एक मानक तोला, 80 तोले का 1 सेर, 40 सेर का एक मन, 7000 दानों का एक पौंड, एक पौंड के सोलहवें भाग के बराबर एक औंस निर्धारित किया गया।
1947 में भारत की आजादी के बाद वज़न प्रणाली भी अंग्रेजों से विरासत में मिली अन्य व्यवस्थाओं की भांति जारी रही। हालांकि1958 में, भारत की आजादी के 11 साल बाद, तत्कालीन भारत सरकार द्वारा एक मानकीकृत वज़न प्रणाली की शुरुआत की गई, जिसके तहत किलोग्राम पर आधारित आधुनिक वज़न प्रणाली अस्तित्व में आई। हालांकि आधुनिक युग में वज़न मापन इकाइयाँ और पैमाने अत्यधिक उच्च तकनीक से युक्त उपकरण बन गए हैं। जिनकी सहायता से केवल कुछ ही क्षणों में सटीक माप प्राप्त होता है। आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक पैमानों के द्वारा शरीर में वसा और द्रव के द्रव्यमान के अनुपात की गणना तक की जा सकती है। माप पैमाने की सतह पर एक बहुत छोटी विद्युत धारा उत्पन्न करके और शरीर के द्वारा इस विद्युत धारा के प्रतिरोध को मापकर यह गणना की जाती है। द्रव द्रव्यमान वसा द्रव्यमान की तुलना में बेहतर संवाहक होता है, इसलिए शरीर में दोनों का अनुपात निकालना संभव है।


संदर्भ 
https://shorturl.at/luwIW
https://shorturl.at/fkxPT
https://shorturl.at/cfjzS
https://shorturl.at/bnEFG
https://shorturl.at/altR3

चित्र संदर्भ 
1. सिंधु घाटी मानक इकाई को संदर्भित करता एक चित्रण (picryl)
2. विविध वजन इकाइयों को दर्शाता एक चित्रण (picryl)
3. हड़प्पाकालीन वजन इकाई को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. प्रारंभिक सैक्सन वजन इकाई को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. तोला (सोने को तौलने के लिए पारंपरिक माप बाट) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. किलों में वजन इकाइयों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. वजन मापने वाली आधुनिक मशीन को दर्शाता चित्रण (wikimedia)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • लोगो बनाते समय, अपने ग्राहकों की संस्कृति जैसे पहलुओं की समझ होना क्यों ज़रूरी है ?
    संचार एवं संचार यन्त्र

     30-12-2024 09:25 AM


  • आइए देखें, विभिन्न खेलों के कुछ नाटकीय अंतिम क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     29-12-2024 09:21 AM


  • आधुनिक हिंदी और उर्दू की आधार भाषा है खड़ी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:28 AM


  • नीली अर्थव्यवस्था क्या है और कैसे ये, भारत की प्रगति में योगदान दे रही है ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:29 AM


  • काइज़ेन को अपनाकर सफलता के शिखर पर पहुंची हैं, दुनिया की ये कुछ सबसे बड़ी कंपनियां
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:33 AM


  • क्रिसमस पर लगाएं, यीशु मसीह के जीवन विवरणों व यूरोप में ईसाई धर्म की लोकप्रियता का पता
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:31 AM


  • अपने परिसर में गौरवपूर्ण इतिहास को संजोए हुए हैं, मेरठ के धार्मिक स्थल
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, क्या है ज़ीरो टिलेज खेती और क्यों है यह, पारंपरिक खेती से बेहतर
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:30 AM


  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id