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मानव सभ्यता में तीर्थयात्राएं वास्तव में मध्य युग में ही शुरू और विकसित हुई हैं। प्रोटेस्टेंट सुधार(Protestant Reformation) के दौरान इसे काफी हद तक दबा दिया गया था, लेकिन, उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में इसे फिर से खोजकर, नवीनीकृत किया गया। यहां आपको बता दें कि, प्रोटेस्टेंट सुधार एक धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक आंदोलन था, जो यूरोप(Europe) में सोलहवीं सदी के दौरान व्याप्त था। अन्य सभी धर्मों की तरह ही, तीर्थयात्राएं ईसाई अभ्यास का भी एक महत्वपूर्ण तत्व है।
हमारे देश भारत में ईसाई तीसरा सबसे बड़ा धर्म है और इसका भारत के साथ दीर्घकालिक और गौरवशाली संबंध रहा है। क्या आप जानते हैं कि, भारत ईसाई धर्म को पश्चिमी देशों से बहुत पहले से ही जानता था। किंवदंतियों (legends)के अनुसार, ईसा मसीह के शिष्य– एपोस्टल सेंट थॉमस(Apostle St. Thomas), 52 ईस्वी में भारत आए थे। दक्षिण एशिया में ईसाई धर्म की शुरुआत कोडुंगल्लूर में सेंट थॉमस के आगमन से ही हुई है। तब उन्होंने केरल के ब्राह्मण परिवारों में सुसमाचार(Gospel) का प्रचार किया। साथ ही, उन्होंने सात चर्चों की स्थापना भी की। इसके बाद एक बढ़ई के रूप में उन्होंने एक इंडो-पार्थियन राजा गोंडोफेरेस(Indo-Parthian king Gondophares) के लिए, एक महल बनाने की पेशकश की थी। जबकि बाद में, 72 ईस्वी में मायलापुर, चेन्नई लौटने से पहले, उन्होंने राजा की बेटी और उसके नवविवाहित दूल्हे का धर्म परिवर्तन किया। भारत में ईसाई धर्म के आगमन पर जानकारी के अधिकांश स्रोत एक्ट्स ऑफ थॉमस (Acts of Thomas) और इसके बाद की कुछ शताब्दियों में दस्तावेजों पर दर्ज है, जबकि, कुछ और स्त्रोत मौखिक परंपराओं में मौजूद हैं।
आज, भारत में लगभग 25 मिलियन ईसाई लोग हैं, जिनकी अधिकांश आबादी मुख्य रूप से उत्तर-पूर्वी राज्यों, केरल और गोवा में केंद्रित है। ये लोग भी हमारी तरह तीर्थयात्रा करते हैं। भारत में कुछ सबसे महत्वपूर्ण ईसाई तीर्थ स्थल नीचे सूचीबद्ध हैं।
1.बेसिलिका ऑफ बॉम जीसस(Basilica of Bom Jesus), गोवा:
भारत के सबसे प्रसिद्ध चर्चों में से एक, बेसिलिका ऑफ बॉम जीसस गोवा के एक समुद्र तट पर स्थित है। इसका निर्माण वर्ष 1695 में हुआ था। कहा जाता है कि, इस चर्च में सेंट फ्रांसिस जेवियर(St. Francis Xavier) के अवशेष रखे हुए हैं। वर्ष के एक विशेष समय में इनके शरीर को सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए खोला जाता है, और इस दौरान दुनिया भर से अनगिनत तीर्थयात्री इस चर्च में आते हैं। बेसिलिका ऑफ बॉम जीसस चर्च को विश्व धरोहर स्थल भी घोषित किया गया है।
2.सेंट फ्रांसिस चर्च (St. Francis Church), कोच्चि, केरल:
सेंट फ्रांसिस चर्च, केरल के बंदरगाह शहर– कोच्चि में स्थित है। यह भारत के सबसे पुराने यूरोपीय चर्च में से एक है। वर्ष 1503 में निर्मित, यह चर्च हमारे देश में ईसाई धर्म के इतिहास और विकास के प्रमाण के रूप में खड़ा है। वर्ष 1524 में, जब एक पुर्तगाली(Portuguese) खोजकर्ता वास्को डी गामा(Vasco da Gama) की भारत की अपनी तीसरी यात्रा पर, इस शहर में मृत्यु हो गई तब उनके शरीर को इस चर्च में दफनाया गया था। हालांकि, बाद में उनके शरीर के अवशेषों को पुर्तगाल में वापस ले जाया गया। वर्ष 1923 में यह चर्च एक संरक्षित स्मारक बन गया। इस चर्च में दुनिया के विभिन्न हिस्सों से लोग आते हैं।
3.से कैथेड्रल(Sé Cathedral), गोवा:
गोवा राज्य में स्थित से कैथेड्रल भारत के सबसे बड़े चर्चों में से एक है। कैथरीन ऑफ अलेक्जेंड्रिया(Catherine of Alexandria) को समर्पित, यह चर्च, मुस्लिम सेना के खिलाफ लड़ी गई, लड़ाई में पुर्तगालियों की जीत का सम्मान करने के लिए बनाया गया था। इसका वास्तविक निर्माण 1562 में शुरू हुआ था, जो वर्ष 1619 में पूरा हुआ। इस चर्च को क्रॉस ऑफ मिरेकल्स(Cross of Miracles) के रूप में भी जाना जाता है, और मान्यता है कि, इस कैथेड्रल में ईसा मसीह के दर्शन हुए थे।
4.वेलंकन्नी चर्च(Velankanni Church), तमिलनाडु:
वेलंकन्नी चर्च भारत में सबसे प्रतिष्ठित ईसाई तीर्थ स्थलों में से एक है। यह चर्च बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित, वेलंकन्नी गांव में मौजूद है। ‘लेडी ऑफ हेल्थ(Lady of Health)’ को समर्पित यह चर्च, बहुसांस्कृतिक, अंतरराष्ट्रीय और धार्मिक सद्भाव का एक बड़ा मिश्रण प्रदर्शित करता है। वेलंकन्नी शहर को विश्वव्यापी कैथोलिक चर्च के प्रमुख– पोप(Pope) द्वारा एक पवित्र शहर घोषित किया गया है। माना जाता है कि, जब भक्त लेडी ऑफ हेल्थ को मोमबत्तियां चढ़ाते हैं, तो उनकी बीमारियां ठीक हो जाती हैं। साथ ही, जो मोमबत्तियां यहां चढ़ाई जाती हैं, वे बीमारी के आधार पर, हृदय, फेफड़े आदि अलग-अलग आकार की होती हैं।
5.सांता क्रूज़ बेसिलिका(Santa Cruz Basilica), कोच्चि, केरल:
भारत के सबसे पुराने चर्चों में से एक, सांता क्रूज़ बेसिलिका का निर्माण 1505 में पुर्तगालियों द्वारा किया गया था। कोच्चि में स्थित इस चर्च को, तत्कालीन पोप, पोप पॉल चतुर्थ(Pope Paul IV) द्वारा एक गिरजाघर में बदल दिया गया था। जबकि, वर्ष 1984 में पोप जॉन पॉल द्वितीय(John Paul II) द्वारा कैथेड्रल को बेसिलिका यह नाम दिया गया था।
6.मलयतूर चर्च(Malayatoor Church), केरल:
मलयतूर चर्च केरल के एर्नाकुलम जिले में स्थित, प्रसिद्ध ईसाई तीर्थ स्थानों में से एक है। सेंट थॉमस द एपोस्टल(जिनका जिक्र हमनें ऊपर किया है) ने 52 ईस्वी के दौरान इसे बनाया था। इसे एक अंतरराष्ट्रीय तीर्थ स्थान भी घोषित किया गया है।
7.वल्लारपदम चर्च(Vallarpadam Church), कोच्चि, केरल:
भारत का एक अन्य प्रसिद्ध ईसाई तीर्थ स्थान वल्लारपदम चर्च है। मदर मैरी(Mother Mary) को समर्पित इस चर्च को, ‘द चर्च ऑफ आवर लेडी ऑफ रैनसम(The Church of Our Lady of Ransom)’ के नाम से भी जाना जाता है। मूल रूप से इस चर्च का निर्माण वर्ष 1524 में पुर्तगालियों द्वारा किया गया था, जिसे बाद में डचों(Dutch) ने ध्वस्त कर दिया था। अतः वर्ष 1676 में इसका पुनर्निर्माण किया गया और इसका नाम मदर मैरी के नाम पर रखा गया। मदर मैरी को स्थानीय रूप से वल्लारपदथम्मा कहा जाता है। वर्ष 1951 में, भारत सरकार द्वारा वल्लारपदम चर्च को ईसाइयों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल घोषित किया गया है।
संदर्भ
http://tinyurl.com/yzzt6h5s
http://tinyurl.com/mussvxda
http://tinyurl.com/3faay5n6
चित्र संदर्भ
1. रोमन केथोलिक चर्च मेरठ और एक पादरी को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह, wikimedia)
2. गोवा में फ्रांसिस जेवियर का पर्व मानते कैथोलिक लोगों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. एक पुरानी पेंटिंग में प्राचीन काल के सेंट थॉमस ईसाई या सीरियाई ईसाई को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. बेसिलिका ऑफ बॉम जीसस को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. सेंट फ्रांसिस चर्च को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. से कैथेड्रल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. वेलंकन्नी चर्च को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
8. सांता क्रूज़ बेसिलिका को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
9. मलयतूर चर्च को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
10. वल्लारपदम चर्चको संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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