Post Viewership from Post Date to 15-Dec-2023 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2699 163 2862

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

भाई दूज और रक्षा बंधन के ये छोटे-छोटे अंतर आपको पता होने चाहिए!

मेरठ

 14-11-2023 10:07 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

आपके मन में भी एक न एक बार यह प्रश्न जरूर उठा होगा कि आखिर "भैया दूज और रक्षाबंधन में क्या अंतर है?" इन दोनों उत्सवों में असमंजस इसलिए बना रहता है, क्यों कि ये दोनों त्यौहार कई मायनों में एक दूसरे के समान हैं, लेकिन इनमें कई मूलभूत अंतर् भी हैं, जिनके बारे में हम सभी को जरूर पता होना चाहिए। रक्षा बंधन की उत्पत्ति की पहली कहानी देवी इंद्राणी की प्राचीन कथा से जुड़ी हुई है, जिसमें एक पवित्र धागे की शक्ति का वर्णन मिलता है।इस धागे को देवराज इंद्र के हाथों में बांधा जाता है। इस धागे को बांधने के बाद, उन्हें राक्षसों पर विजय प्राप्त होती थी। रक्षाबंधन की उत्पत्ति की एक और कहानी महाभारत की घटनाओं में भी पाई जाती है। किंवदंती के अनुसार एक बार भगवान श्री कृष्ण ने गलती से 'सुदर्शन चक्र' से अपनी ही उंगली काट ली थी। यह देखकर राजकुमारी द्रौपदी ने उंगली से हो रहे रक्तस्राव को रोकने के लिए अपनी साड़ी का एक टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर बांध दिया था। भगवान कृष्ण इस भाव से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने हमेशा उनकी रक्षा करने का प्रण ले लिया। अपने इस प्रण को उन्होंने उस समय द्रौपदी की रक्षा करके निभाया, जब कौरवों और पांडवों की भरी सभा में द्रौपदी का चीर हरण हो रहा था।
दूसरी ओर भाई दूज की कथा मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन “यमी (यमुना)” से जुड़ी हुई है। कहानी के अनुसार एक बार मृत्यु के देवता यमराज अपनी बहन यमी से मिलने गये। इस भेंट के दौरान यमी ने अपने भाई यम के माथे पर तिलक लगाया था और उन्हें स्वादिष्ट व्यंजन भी खिलाए। इस स्नेह और प्यार से अभिभूत होकर यमराज ने अपनी बहन से मनचाहा वरदान मांगने को कहा। इसके बाद यमी, यमराज से कहती है, कि में चाहती हूँ कि आप प्रत्येक वर्ष मेरे घर में पधारें। इसके अलावा, उसने कहा कि आज के दिन जो भी बहन अनुष्ठान करेगी और तिलक लगाएगी उसे मृत्यु का डर नहीं होना चाहिए। इस आग्रह से प्रसन्न होकर यमराज ने उनकी इच्छा पूरी कर दी। तब से हर साल यह दिन भाई दूज के रूप में मनाया जाता है। देश के दक्षिणी भाग में इसे यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। भाई दूज से जुड़ी एक अन्य किवदंती के अनुसार एक बार राक्षस नरकासुर का वध करने के बाद, भगवान कृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए, जिन्होंने उनके माथे पर तिलक लगाकर उनका स्वागत किया। तभी से इस दिन को भाई दूज के रूप में मनाया जाता है। रक्षा बंधन और भाई दूज कई मायनों में सामान हैं, लेकिन इनमें कुछ छोटे-छोटे किंतु मूलभूत अंतर भी हैं। जैसे रक्षा बंधन के शुभ दिन पर बहन द्वारा भाई की कलाई पर राखी (पवित्र धागा) बांधने की परंपरा है। प्रतीकात्मक रूप से राखी बांधने की परंपरा, भाई द्वारा अपनी बहन को सभी बुरी ताकतों से बचाने के वादे का प्रतीक है। राखी बांधने की परंपरा केवल भाई-बहनों तक ही सीमित नहीं है। राखी कभी-कभी बड़ी बहनों, दोस्तों या दूर के रिश्तेदारों को भी बांधी जाती है। दूसरी ओर, भाई दूज के दौरान, बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक और अक्षत का टीका लगाती हैं। टीका लगाकर बहन अपने भाई से अपनी रक्षा का वचन लेती है। बहन अपने भाई की ख़ुशी और स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करती है। दोनों ही अवसरों पर बहने भाई के लिए आरती या अन्य धार्मिक अनुष्ठान करती हैं। इसके साथ ही वह अपने भाई की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना भी करती हैं। इस अवसर पर भाई को पारंपरिक घरेलू व्यंजनों और मिठाइयों का स्वाद भी चखाया जाता है। भाई दूज को भाऊ बीज, भात्र द्वितीया, भाई द्वितीया और भातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। दोनों ही अवसरों पर राखी बांधने अथवा टीका लगाने के बाद भाई अपनी बहन को उपहार भी देते हैं। रक्षा बंधन श्रावण मास की पूर्णिमा के दौरान मनाया जाता है, जो हिंदू कैलेंडर में पांचवां चंद्र महीना है। वहीँ भाई दूज हिन्दू कैलेंडर माह कार्तिक में शुक्ल पक्ष के दूसरे चंद्र दिवस, आमतौर पर दिवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है। रक्षा बंधन को ढेर सारे उपहारों और खूब हंसी मजाक के साथ मनाया जाता है, जबकि भाई दूज को सादगी के साथ मनाया जाता है। रक्षा बंधन के दौरान, भाई अपनी विवाहित बहनों को अपने घर आने का निमंत्रण देते हैं, जहाँ उन्हें राखी और दूसरे उपहार दिए जाते हैं। इसके विपरीत, भाई दूज पर, बहनें अपने भाइयों को अपने घरों में बुलाती हैं, जहां वे उनकी आरती करती हैं, तिलक लगाती हैं और उन्हें स्वादिष्ट दावत देती हैं। इसके अलावा भाई दूज, पूरे भारत में व्यापक रूप से मनाया जाने वाला त्योहार है, जबकि रक्षा बंधन मुख्य रूप से कुछ क्षेत्रों में मनाया जाता है। दरअसल कुछ प्रांतों में, श्रावण पूर्णिमा को भाई-बहनों के बीच के बंधन से नहीं जोड़ा जाता है, जिस कारण रक्षा बंधन का दायरा सीमित हो जाता है। भाई दूज के दिन यमराज और यमुना नदी की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन भाई और बहन यमुना नदी में स्नान करते हैं। लेकिन रक्षाबंधन के दिन ऐसी कोई मान्यता नहीं है। रक्षा बंधन पर बहन राखी बांधने के बाद अपने भाई को मिठाई खिलाती हैं। भाई दूज पर बहनें अपने भाई को भोजन खिलाने के बाद पान खाने को देती हैं। ऐसी मान्यता है कि भाई दूज के दिन यदि बहन अपने भाई को पान खिलाती हैं तो उन्हें पुण्य मिलता है। कुल मिलाकर दोनों ही त्योहारों को भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/4nk53k47
https://tinyurl.com/v8hvn5u4
https://tinyurl.com/yzjyvfup
https://tinyurl.com/yxpefu9e

चित्र संदर्भ
1. भाई दूज और रक्षा बंधन के अंतर को दर्शाते एक चित्र को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia, PixaHive)
2. श्री कृष्ण की छवि को दर्शाता एक चित्रण (DeviantArt)
3. यम और यमी को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
4. भाईदूज के अनुष्ठान को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
5. रक्षा बंधन को दर्शाता एक चित्रण (pexels)
6. टीका समारोह को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आइए देखें, विभिन्न खेलों के कुछ नाटकीय अंतिम क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     29-12-2024 09:21 AM


  • आधुनिक हिंदी और उर्दू की आधार भाषा है खड़ी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:28 AM


  • नीली अर्थव्यवस्था क्या है और कैसे ये, भारत की प्रगति में योगदान दे रही है ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:29 AM


  • काइज़ेन को अपनाकर सफलता के शिखर पर पहुंची हैं, दुनिया की ये कुछ सबसे बड़ी कंपनियां
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:33 AM


  • क्रिसमस पर लगाएं, यीशु मसीह के जीवन विवरणों व यूरोप में ईसाई धर्म की लोकप्रियता का पता
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:31 AM


  • अपने परिसर में गौरवपूर्ण इतिहास को संजोए हुए हैं, मेरठ के धार्मिक स्थल
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, क्या है ज़ीरो टिलेज खेती और क्यों है यह, पारंपरिक खेती से बेहतर
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:30 AM


  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM


  • चलिए डालते हैं, फूलों के माध्यम से, मेरठ की संस्कृति और परंपराओं पर एक झलक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:22 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id