Post Viewership from Post Date to 02-Dec-2023 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
3056 197 3253

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

कमल के पत्ते कैसे प्रदर्शित करते हैं, जलरोधक एवं स्वयं-सफाई के गुण?

मेरठ

 01-11-2023 09:28 AM
व्यवहारिक

आप सभी, कमल(Nelumbonucifera) के फूल की सुंदरता से वाकिफ़ तो होंगे ही! लेकिन, क्या आप जानते हैं कि, कमल के पत्ते भी उतने ही सुंदर एवं शानदार होते हैं? दरअसल, कमल के पत्ते सुपर हाइड्रोफोबिसिटी(Super hydrophobicity)एवं स्वयं-सफाई(Self-cleaning) सतहों के लिए, जाने जाते हैं। साथ ही, इन्होंने वर्ष 1992 में ‘कमल प्रभाव(Lotus Effect)’ की अवधारणा को भी जन्म दिया है। हालांकि,कमल के अलावा, कई अन्य पौधों में भी लगभग समान संपर्क कोणों वाली सुपर हाइड्रोफोबिक(Superhydrophobic)या जल विरोधी सतहें होती हैं, परंतु, कमल का पत्ता अपनी जलरोधी क्षमता में बेहतर स्थिरता और पूर्णता दिखाता है। कमल का पत्ता, विशेष रूप से इसके ऊपरी सतह(एडैक्सियल–Adaxial side) पर उत्कृष्ट जल प्रतिरोधी क्षमता दर्शाता है, जो इसकी निचली सतह(एबैक्सियल–Abaxial side) की तुलना में, अधिक मजबूत एवं यांत्रिक क्षति के प्रति कम संवेदनशील है। इसके अलावा, कुछ अन्य गुणों के कारण भी कमल के पत्ते ऐसी प्रवृत्ति दर्शाते हैं। आइए, आज इनके बारे में जानते हैं।
चूंकि, कमल पानी एवं कीचड़ में ही उगता है, इसमें जलरोधक गुण अत्यावश्यक हैं। ऊपरी पत्ती में मौजूद,एपिडर्मिस(Epidermis)या अधिचर्म कोशिकाएं अलग-अलग ऊंचाई और एक अद्वितीय आकार के पैपिला(Papillae) या अंकुरक बनाती हैं। पैपिला का व्यास,एपिडर्मिस कोशिकाओं की तुलना में बहुत छोटा होता है और प्रत्येक पैपिला का शीर्ष गोलाकार नहीं है, बल्कि एक तोरण(Ogive) बनाता है। साथ ही, इनकी पूरी सतह छोटी मोम नलिकाओं(Wax tubules) से ढकी होती है, जो अक्सर गुच्छों में मौजूद होती है।अन्य पैपिलोज़ पौधों की सतहों(Papillose plant surface) की तुलना में, कमल में पैपिला का घनत्व सबसे अधिक होता है, लेकिन इनका व्यास बहुत छोटा होता है, जो पानी की बूंदों के साथ पत्तों के संपर्क क्षेत्र को कम कर देता है। यह संपर्क क्षेत्र सतह की हाइड्रोफोबिसिटी एवं पानी के दबाव या इन पर टकराने वाली पानी की बूंदों की गतिज ऊर्जा या वेग पर निर्भर करता है। पानी की बूंदों के पत्तों पर रुकने या लुढ़कने के कारण होने वाले कम दबाव पर, यह संपर्क क्षेत्र सतह संरचनाओं के स्थानीय संपर्क कोण(Contact angle) द्वारा निर्धारित किया जाता है। संपर्क कोण का माप हाइड्रोफोबिसिटी के निर्धारण के लिए एक महत्त्वपूर्ण मानक उपकरण हैं। मोम नलिकाओं से युक्त पैपिला की सतह के लिए,140° से अधिक के स्थानीय संपर्क कोण के साथ, सुपरहाइड्रोफोबिक व्यवहार माना जा सकता है। यह, न्यूनतम संपर्क क्षेत्र पत्तों पर पानी के न्यूनतम आसंजन का मूल कारण है। कमल के पत्तों के लिए, यह कोण 170° के आसपास होता है।
पैपिला की बदलती ऊंचाई पानी की बूंदों और सतह के बीच आसंजन को और कम कर देती है। छोटी-छोटी या फिसलती पानी की बूंदें केवल उच्चतम पैपिला को छूती हैं। जबकि, उच्च दबाव पर, उदाहरण के लिए, बारिश की बूंदों के प्रभाव में, पानी इन पैपिला के बीच गहराई से घुस जाता है। फिर यह, स्थिर सुपरहाइड्रोफोबिक मोम नलिकाओं के आवरण पर एक मेनिस्कस(Meniscus) बनाता है। पत्तों की सतह के तनाव के कारण,वहां विकर्षक बल बनता है। और इस कारण, पानी के कारण यह पत्ते गीले नहीं होते हैं। इसके अलावा, पत्तों पर उच्चतम जल विकर्षकता तब होती है, जब पानी की बूंदें केवल एपिक्युटिकुलर मोम क्रिस्टल(Epicuticular wax crystals)के सिरों को छूती हैं। इस प्रकार, सर्वोत्तम जलरोधकगुण पत्तियों के एपिडर्मल कोशिकाओं पर मोम क्रिस्टल के अक्षुण्ण आवरण के साथ पाए जाते हैं।
अतः हम कह सकते हैं कि, कमल की पत्ती में, अपनी सतह की रक्षा करने की क्षमता उनके उच्च घनत्व एवं मजबूती के संयोजन से आती है। कमल की पत्तियों द्वारा प्रदर्शित किया गया यह प्रभाव, ऐसे पौधों के लिए,कवक(Fungi) या काई(Algae) जैसे रोगजनकों के खिलाफ सुरक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इन पत्तों के अलावा, यह जलरोधी गुण पक्षियों, तितलियों, ड्रैगनफ्लाइज(Dragonflies) और अन्य कीड़ों, जैसे जानवरों के लिए भी, महत्त्वपूर्ण होते है, जो अपने शरीर के सभी हिस्सों को साफ करने में असक्षम हैं। स्व-सफाई का एक और सकारात्मक प्रभाव, प्रकाश के संपर्क में आने वाले पौधे की सतह क्षेत्र के संदूषण को रोकना भी है, जिसके परिणामस्वरूप प्रकाश संश्लेषण कम हो जाता है। क्या आप जानते हैं कि, प्रकृति की सबसे अधिक जल-विकर्षक सतहों में से एक, अर्थात कमल के पत्तों से एक नए शोध के लिए वैज्ञानिकों ने प्रेरणा पाई है। वैज्ञानिकों ने असाधारण जल-विरोधी गुणों के साथ,सिंथेटिक कोटिंग(Synthetic coating) बनाने का सरल एवं सस्ता तरीका विकसित किया है। इस तरह के आवरण, जहाज के पतवारों, दाग-धब्बे तथा जल-रोधी कपड़ों पर खिंचाव को कम करने और खनन उद्योगों में पृथक्करण प्रक्रियाओं में सुधार करने में मदद कर सकते हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/mrx6hxhk
https://tinyurl.com/5n7e8xc7
https://tinyurl.com/ua35brsd

चित्र संदर्भ
1. कमल की पत्तियों पर अटकी पानी की बूंदों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. कमल प्रभाव को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. कमल के पत्ते पर एकत्र होते पानी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. एपिडर्मिस की परत को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. तारो (taro ) की पत्ती पर कमल प्रभाव को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id