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हमारे पूरे मानव एवं वैश्विक इतिहास में, सूर्य ने अपनी शक्तिशाली ऊर्जा के साथ, हमारे सौर मंडल के एक “तारे” के रूप में, अपनी भूमिका सुनिश्चित की है।प्राचीन ग्रीक(Greek)लोगों ने सूर्य को हेलिओस(Helios) नामक एक सुंदर देवता के रूप में चित्रित किया था। साथ ही, उसे टाइटन हाइपरियन(Titan Hyperion) और टाइटेनस थिया(Titaness Theia)का पुत्र भी बताया गया था। हेलिओस चंद्रमा की देवी सेलीन(Selene) और भोर की देवी ईओस(Eos) का भाई भी था।
कहा जाता है कि, सूर्य की किरणों का एक ताज पहने हुए, हेलिओस प्रतिदिन अपने रथ पर, आकाश में यात्रा करता था।वह यह यात्रा करते समय ही, रास्ते में, दुनिया भर में धूप पहुंचाता था। हेलिओस अपनी बहन ईओस द्वारा नई सुबह की घोषणा के बाद,प्रतिदिन अपने इस निर्धारित दौर को दोहराता था।
हालांकि, कुछ समय बाद, हेलिओस प्रकाश के देवता अपोलो(Apollo) के साथ जुड़ गया।लेकिन, अधिकांश प्राचीन ग्रीक लोग उन्हें अलग-अलग देवता मानते थे।
अपने शासनकाल के दौरान, रोमन(Roman) लोग कई सूर्य देवताओं की पूजा करते थे। तभी उन्होंने, सूर्य के लिए ग्रीक शब्द हेलिओस को लैटिन(Latin)भाषा के सोल(Sol) से बदल दिया, जो एक मूल शब्द है। प्राचीन रोम में, सोल की पूजा का बहुत महत्व था। वास्तव में,यह शब्द आज भी सूर्य को संदर्भित करता है, जैसे कि, “सौर प्रणाली(Solar system)” शब्द में।जबकि, प्राचीन रोम में सबसे शक्तिशाली सूर्य देवता सोल इनविक्टस(Sol Invictus) थे, जिसका अर्थ ‘अविजेता सूर्य’ है।
दरअसल, रोम में दो सौर देवता थे, एक “सोल इंडिज”(Sol Indiges) और दूसरे “सोल इनविक्टस”। जबकि, सोल पंथ, टाइटस टैटियस(Titus Tatius) द्वारा रोमन गणराज्य में पेश किया गया था। सोल इनविक्टस पंथ आधिकारिक तौर पर, 274 ईसवी में, रोमन सम्राट ऑरेलियन(Aurelian) द्वारा स्थापित किया गया था। तब सोल को सैनिकों के संरक्षक एवं रोमन साम्राज्य के आधिकारिक सूर्य देवता के रूप में, सम्मानित किया गया था। सोल इनविक्टस की पूजा में, पूर्व सौर पंथों और सूर्य देवताओं जैसे सोल इंडिज के पहलुओं को भी शामिल किया गया था, और यह पूर्वी सूर्य देवता मिथ्रास(Mithras) या मिथ्रा से भी जुड़ा था।
सोल का महत्व चौथी शताब्दी के दौरान भी जारी रहा, जिसमें वेटियस एगोरियस प्रीटेक्स्टैटस (Vettius Agorius Praetextatus) जैसे प्रभावशाली लोगों ने इसकी पूजा को बनाए रखा था।
अपोलो के साथ सोल के संबंध और मिथ्रास के प्रतिनिधित्व में इसकी उपस्थिति ने, उनके महत्व को और बढ़ा दिया था। हम यहां आपको बता दें कि, मिथ्रा,ईरान(Iran)में सूर्य देवता का नाम था।फिर, सोल इनविक्टस रोमन साम्राज्य में काफ़ी समय बाद उभरने लगा। तथा सोल पंथ वहां तब तक जारी रहा, जब तक, सम्राट कॉन्सटेंटाइन द ग्रेट(Constantine the Great) ने रविवार को सोल इनविक्टस के आधिकारिक उत्सव दिन के रूप में घोषित किया, जिसे बाद में क्रिसमस(Christmas) के रूप में बदल दिया गया।
रोमन सौर पूजा में,सोल की विरासत आज भी दिलचस्प बनी हुई है।रोमनों की तब एक जटिल धार्मिक विश्वास प्रणाली थी, और सूर्य ने उनके ब्रह्मांड विज्ञान में एक केंद्रीय भूमिका निभाई थी।उन्होंने सोल को श्रद्धा का पात्र एवं एक महत्वपूर्ण देवता मानते हुए, उसे दैवीय विशेषताओं का श्रेय दिया था।
जैसे कि हमनें पढ़ा ही हैं, सोल ग्रीक देवता हेलिओस से जुड़ा था और ये दोनों देवता सूर्य की शक्ति और चमक का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन अंतर संबंधों ने रोमन साम्राज्य के भीतर विभिन्न धार्मिक मान्यताओं के जटिल एकीकरण को प्रदर्शित किया था।
सोल ने रोमन समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जो जीवन शक्ति, उर्वरता और दैवीय सुरक्षा का प्रतीक है। रोमनों ने जीवन, कृषि और अपनी सभ्यता के समग्र कल्याण को बनाए रखने में, सूर्य के महत्व को पहचाना था।इस प्रकार, सोल की पूजा ने रोमन जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे कि, धार्मिक प्रथाओं, त्योहारों और वास्तुशिल्प कला को प्रभावित किया था।
इसके साथ ही, सोल अटूट दृढ़ता एवं अजेय शक्ति का प्रतीक था। नीले आकाश में, उनके रथ की दैनिक दौड़ दृढ़ता का प्रमाण थी, तथा प्रत्येक सुबह, उनकी वापसी एक आरामदायक अनुभूति थी। वह अंतहीन रात में एक पथप्रदर्शक, जीवन देने वाली गर्मी और पोषण का देवता तथा वह पहिया था जो समय और ऋतुओं की लय निर्धारित करता था।
हालांकि, बाद में रोमन धार्मिक प्रथाओं में,सोल इनविक्टस की केंद्रीय भूमिका के बावजूद, रोमन साम्राज्य में ईसाई धर्म के उदय के साथ,सोल पंथ और सूर्य देवता की पूजा फीकी पड़ गई। चौथी शताब्दी के अंत में, ईसाई धर्म रोम का राज्य धर्म बनने के बाद, सोल की पूजा को सक्रिय रूप से दबा दिया गया, और उसके मंदिरों को नष्ट कर दिया गया था या ईसाई धर्म स्थलों में परिवर्तित कर दिया गया।
इतिहासकारों का तर्क है कि, सोल की रोमन समाज में व्याप्त भूमिका, अंततः यीशु मसीह द्वारा प्रतिस्थापित कर दी गई थी। सोल इनविक्टस से जीसस क्राइस्ट(Jesus Christ) में इस परिवर्तन को पुरातात्विक खोजों में, कुछ सबसे अच्छे तरीकों से प्रलेखित किया गया है।
जबकि, कुछ इतिहासकार रोम में ईसाई धर्म के आगमन को आंशिक रूप से सोल इनविक्टस से जोड़ते हैं। क्योंकि, 25 दिसंबर को ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में आधिकारिक तौर पर मान्यता मिलने से पहले, तथा कथित सूर्य का पर्व मनाया जाता था।हालांकि, क्राइस्ट और सोल इनविक्टस के चरित्र के बीच पाई जाने वाली समानताएं, जैसे कि, प्रकाश और स्वर्ग के साथ उनका पारस्परिक जुड़ाव, इस अनसुलझी पहेली का एक हिस्सा है।
इसके अलावा, सोल कई बार मिथ्रास के चित्रण में दिखाई देता है। जैसे कि, आकाश में उपस्थित सोल की तरफ़ देखते हुए, मिथ्रास द्वारा एक बैल को मारना, इसका एक उदाहरण है। इस घटना को वास्तव में, टौरोक्टोनी(Tauroctony) कहकर संबोधित किया जाता है।साथ ही, मिथ्रास के सोल के रथ में चढ़ते हुए, हाथ मिलाते हुए और मिथ्रास के सामने घुटने टेकते हुए सोल के कुछ अन्य चित्रणों में भी एक साथ दिखाई देते हैं। मिथ्रास को भी दरअसल, सोल इनविक्टस के नाम से जाना जाता था, भले ही सोल एक अलग देवता थे। वे अलग-अलग देवता हैं, लेकिन कुछ समानताओं के कारण उनके बीच एक संबंध बनाया जा सकता है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/bdhwrwsu
https://tinyurl.com/3pfckkk9
https://tinyurl.com/4uxxrvcv
https://tinyurl.com/2v5rs6tj
https://tinyurl.com/yc8ndjwe
चित्र संदर्भ
1. रोमन काल के डिस्क पर सूर्य देवता "सोल" की छवि को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. मिथ्राइक भोज के दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. एंटोनिनियानस ऑरेलियनस पाल्मायरा के सिक्का विवरण को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. न्याय के देवता के रूप में सोल को दर्शाता एक चित्रण (lookandlearn)
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