Post Viewership from Post Date to 18-Nov-2023 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2821 236 3057

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

पुरापाषाण काल में श्रृंगार से शुरू होता हुआ, रामपुर के शाही आभूषणों तक का चमचमाता सफर

मेरठ

 18-10-2023 09:58 AM
जन- 40000 ईसापूर्व से 10000 ईसापूर्व तक

आभूषणों और गहनों जैसे सहायक सामान (Accessories) हमेशा से ही भारतीय संस्कृति का एक अहम् हिस्सा रहे हैं। ये आभूषण हमें इन्हें पहनने वाले लोगों की जीवनशैली के बारे में भी जानकारी देते हैं। भारत में आभूषणों की कहानी पत्थर और अर्ध-कीमती सामग्रियों से बने साधारण मोतियों के साथ शुरू होती है। इन्हें ऊपरी पुरापाषाण “Upper Paleolithic” (40,000-10,000 साल पहले) और मेसोलिथिक “Mesolithic” (9000-7000 ईसा पूर्व) काल के दौरान निर्मित किया गया था। हमें इस बात के भी प्रमाण मिलते हैं कि मध्य पाषाण काल के दौरान लोग अपने मृत परिजनों को हड्डियों तथा सींगों से बने गहनों के साथ ही दफनाते थे। जैसे-जैसे समय बीतता गया, वैसे-वैसे हमारे पूर्वजों ने अधिक जटिल और नक्काशीदार आभूषण तथा गहने बनाना शुरू कर दिया। वर्तमान पाकिस्तान में मेहरगढ़ की साइट (Site) पर 7000-2600 ईसा पूर्व निर्मित, आभूषणों के कई उदाहरण देखने को मिलते हैं, जिनमें स्टीटाइट (Steatite), कारेलियन (Carnelian), चूना पत्थर, हड्डी, एंटलर (Antler) और यहां तक कि कुछ अन्य सामग्रियों से बने मोती, लटकन या पेंडेंट (Pendant), अंगूठियां और ताबीज आदि शामिल हैं। लगभग 2600-1900 ईसा पूर्व में सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान भी आभूषण निर्माण में बड़ी प्रगति देखी गई। इस दौरान मोतियों की ड्रिलिंग (Drilling), उन्हें सही आकार देने और रंगने के लिए नई तकनीकों का भी आविष्कार किया गया। हड़प्पा में खोजी गई टेराकोटा मूर्तियां (Terracotta Sculptures) हमें दिखाती हैं कि उस समय के पुरुष और महिलाएं कौन-कौन से गहने या आभूषण पहनते थे।
इनमें बाजूबंद, कंगन, हार, करधनी, कान के झुमके और लटकन आदि शामिल थे। इस दौरान पुरुष और महिलाए दोनों ही सजावटी हेड ड्रेस (Decorative Headdress) पहनते थे। शुरुआती दिनों में, लोग गहने बनाने के लिए कंकड़, जानवरों की खाल, सीपियाँ, धागे और क्रिस्टल (Crystal) या पत्थर जैसी साधारण सामग्रियों का उपयोग करते थे। इनका उपयोग सिर्फ सजावट के लिए ही नहीं, बल्कि सम्मान, प्रभुत्व और रुतबा दिखाने के लिए भी किया जाता था। लगभग 5000 वर्ष पहले भारत, पूरे विश्व में मोतियों का अग्रणी उत्पादक और निर्यातक देश हुआ करता था। हीरे और हीरे की ड्रिल (Diamond Drills) दोनों का आविष्कार भारत में ही हुआ था। सिंधु घाटी सभ्यता के लोग कारेलियन (Carnelian), एगेट (Agate), फ़िरोज़ा (Turquoise), फ़ाइनेस (Faience), स्टीटाइट और फेल्डस्पार (Steatite And Feldspar) जैसी अर्ध-कीमती सामग्रियों से भी गहने, आभूषण या अन्य वस्तुएं बनाते थे। इसका एक उदाहरण हमें “मोहनजोदड़ो के हार” के रूप में देखने को मिलता है, जिसे वर्तमान में दिल्ली राष्ट्रीय संग्रहालय की आभूषण गैलरी में प्रदर्शित किया गया है। यह हार लगभग 5,000 साल पुराना है और बैंडेड एगेट तथा जेड मोतियों (Banded Agate And Jade Beads) से बने पेंडेंट (Pendant) से बना है, जिसे मोटे सोने के धागे से पिरोया गया है।
हालांकि यदि हम विश्व स्तर पर देखें तो, यूरेशिया (Eurasia) में खोजी गई और हाथीदांत से बनी एक लटकन या पेंडेंट (Pendant) को मनुष्यों द्वारा निर्मित सबसे पुराना ज्ञात फैंसी आभूषण माना जाता है। इसे पोलैंड की स्टैजनिया गुफा (Stajania Cave, Poland) में खोजा गया था। यह अंडाकार पेंडेंट, 4.5 सेंटीमीटर लंबा और 1.5 सेंटीमीटर चौड़ा है । पेंडेंट में दो छेद और 50 अन्य छोटे निशान हैं जो एक लूपिंग वक्र (Looping Curve) बनाते हैं। हालाँकि, हम नहीं जानते कि इन निशानों का मतलब क्या है, लेकिन ये निशान एक गिनती प्रणाली, चंद्रमा के अवलोकन, या किसी अन्य मान्यता का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। वस्तुओं का दिनांकन करने वाले एक नए तरीके का उपयोग करते हुए, शोधकर्ताओं ने पाया कि यह पेंडेंट ऊनी मैमथ (Woolly Mammoth) के दांत से बना है और लगभग 41,500 साल पुराना है। यह पेंडेंट अन्य साइटों पर पाई गई, अन्य समान कलाकृतियों की तुलना में हजारों साल पुराना है। हालाँकि, इन मोतियों के बारे में हम अभी भी बहुत कम जानते हैं। उदाहरण के लिए, हम यह नहीं जानते कि वे कहाँ बनाये गये थे। एक सिद्धांत यह है कि इसे बनाने के लिए, हाथी दांत ट्रांस-बाइकाल या मंगोलिया (Trans-Baikal Or Mongolia) से लाए गए होंगे और फिर साइबेरिया (Siberia) में इसे पेंडेंट के रूप में बदल दिया गया होता। एक संभावना यह भी है कि, इसके मोतियों को कहीं और बनाया गया और फिर इन्हें साइबेरिया लाया गया हो। जिस गुफा में यह खोजा गया, उसी गुफा में पाई गई अन्य वस्तुओं में एक “सूआ” भी शामिल है, जो छेद करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक नुकीला उपकरण है। ब्रिटेन के लेस्टर विश्वविद्यालय (University Of Leicester) के पुरातत्वविद् लॉरा बेसेल (Laura Bessel) के अनुसार जिसने भी इन कलाकृतियों को बनाया है उसके पास स्पष्ट रूप से अपनी भाषा हुआ करती थी। इस पेंडेंट के मोतियों को बहुत ही खूबसूरती से तैयार किया गया है, जिससे पता चलता है कि हजारों साल पहले भी हमारे पूर्वज कलात्मक और ड्रिलिंग कौशल (Drilling Skills) के उस्ताद हुआ करते थे।

संदर्भ
https://tinyurl.com/554jxwfu
https://tinyurl.com/2tmx83c7
https://tinyurl.com/34x9ep28
https://tinyurl.com/4f8s669m
https://tinyurl.com/44w5ef54
https://tinyurl.com/36dd7c3v

चित्र संदर्भ
1. पुरापाषाण काल के श्रृंगार को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. सामूहिक रूप से बैठे आदिमानवों को दर्शाता एक चित्रण (PICRYL)
3. पेंडेंट के साथ मनके के हार को संदर्भित करता एक चित्रण (wmuzeach)
4. मैग्डलेनियन की हड्डी से निर्मित सिलाई की सुई को दर्शाता एक चित्रण (worldhistory)
5. यूरेशिया में खोजी गई और हाथीदांत से बनी एक लटकन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)


***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आधुनिक हिंदी और उर्दू की आधार भाषा है खड़ी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:28 AM


  • नीली अर्थव्यवस्था क्या है और कैसे ये, भारत की प्रगति में योगदान दे रही है ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:29 AM


  • काइज़ेन को अपनाकर सफलता के शिखर पर पहुंची हैं, दुनिया की ये कुछ सबसे बड़ी कंपनियां
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:33 AM


  • क्रिसमस पर लगाएं, यीशु मसीह के जीवन विवरणों व यूरोप में ईसाई धर्म की लोकप्रियता का पता
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:31 AM


  • अपने परिसर में गौरवपूर्ण इतिहास को संजोए हुए हैं, मेरठ के धार्मिक स्थल
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, क्या है ज़ीरो टिलेज खेती और क्यों है यह, पारंपरिक खेती से बेहतर
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:30 AM


  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM


  • चलिए डालते हैं, फूलों के माध्यम से, मेरठ की संस्कृति और परंपराओं पर एक झलक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:22 AM


  • आइए जानते हैं, भारत में कितने लोगों के पास, बंदूक रखने के लिए लाइसेंस हैं
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:24 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id