Post Viewership from Post Date to 09-Oct-2023 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2475 411 2886

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण से समझें कैसे काम करती है, “एलेक्सा वॉयस असिस्टेंट”

मेरठ

 09-09-2023 11:07 AM
संचार एवं संचार यन्त्र

आपने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) के बारे में तो बहुत सुना होगा, आज हम इसकी एक विशेष शाखा के बारे में जानेंगे। प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (Natural Language Processing), जिसे अब एनएलपी भी कहा जाता है, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं मानव विज्ञान का एक प्रमुख हिस्सा है। एनएलपी एक ऐसी तकनीक है, जिसके द्वारा एक कंप्यूटर या मशीन मनुष्यों की भाषा को समझता है और उस भाषा को बोल सकता है। सरल अर्थ में, एनएलपी किसी कंप्यूटर या डिवाइस (Device) को इंसानी भाषा बोलने और समझने की क्षमता प्रदान करता है। हम यह भी कह सकते हैं कि, प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण ही वह तकनीक है, जिसका उपयोग मशीनों द्वारा इंसानी भाषा को समझने, उसका विश्लेषण करने और उसकी व्याख्या करने के लिए किया जाता है। एनएलपी का मुख्य उदेश्य, एक ऐसी प्रणाली का निर्माण करना है, जो अंग्रेजी या दूसरी भाषाओं के शब्दों को समझ पाए, उसे आसानी से अनुवादित कर पाए और उसमें छिपी गलतियों को ढूंढ सके। एनएलपी का एक सबसे अच्छा उदाहरण, गूगल असिस्ट (Google Assist) है, जो मनुष्य द्वारा बोले गए शब्दों को समझकर, उनके हिसाब से प्रतिक्रिया प्रदान करता है। प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण, आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस एवं मशीन लर्निंग (Machine Learning) का उपयोग कभी–कभी एक–दूसरे के साथ किया जाता है। अतः हम कह सकते है कि, ये तीनों तकनीकें एक–दूसरे पर निर्भर हैं।
आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस में एनएलपी का उपयोग किया जाता है, जिसकी मदद से ही मशीनें विभिन्न स्रोतों से प्राप्त डेटा को समझने, उसका विश्लेषण करने और इसके हिसाब से, अंतर्दृष्टि प्राप्त करने में सक्षम हो पाती हैं। आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस में भाषा प्रसंस्करण का उपयोग निम्नलिखित कार्यों में किया जाता है।
अवांछित चीज़ों को पता लगाना (Spam Detection): भाषा प्रसंस्करण का उपयोग अवांछित चीज़ों या स्पैम (Spam) का पता लगाने के लिए किया जाता है। साथ ही, इससे हम अवांछित ईमेल (Spam Email) का भी पता लगा सकते हैं।
भावनाओं का विश्लेषण (Sentiment Analysis): एनएलपी का इस्तेमाल प्रेषक के व्यवहार, अभिवृत्ति और भावों को समझने के लिए किया जाता है। यह सेन्डर (Sender) या प्रेषक के गुस्से, खुशी और उदासी का पता लगा सकता है।
यांत्रिक अनुवाद (Machine Translation): एनएलपी का इस्तेमाल एक प्राकृतिक भाषा का अन्य भाषा में अनुवाद करने के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, गूगल ट्रांसलेटर (Google translator) में आप, हिंदी भाषा का अंग्रेजी भाषा या फिर अन्य किसी भी भाषा में अनुवाद कर सकते हैं।
वर्तनी सुधार (Spelling correction): इस तकनीक का उपयोग, वर्तनी में सुधार करने के लिए किया जाता है। हमारे पास कई सॉफ्टवेयर (Software) के विकल्प हैं, जो वर्तनी को सुधारने में हमारी मदद करते हैं।
वाणी की पहचान (Speech Recognition): यह तकनीक हमारे द्वारा बोले गए शब्दों को पहचान कर उन्हें कई प्रकार से इस्तेमाल कर सकती है। जैसे, बोले गए शब्दों को लिखित भाषा (Text) में बदलने में मदद करना।
चैटबॉट (Chatbot): प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण का उपयोग कंपनियों या सेवा प्रदाताओं द्वारा, हमें चैट बॉक्स (Chat box) की सुविधा प्रदान करने हेतु किया जाता है। प्राकृतिक भाषा की समझ (Natural Language Understanding) यह तकनीक, बड़े टेक्स्ट को औपचारिक प्रतिरूप में बदल सकती है। जिससे, हम किसी भाषा को पढ़ भी सकते हैं। इसके अलावा, भाषा प्रसंस्करण में निम्नलिखित दो घटक होते हैं। 1.प्राकृतिक भाषा की समझ (Natural Language Understanding–NLU): यह घटक इंसानी भाषा को समझने तथा उसका विश्लेषण करने में मशीनों की मदद करता है। एनएलयू कंटेंट (Content) या सूचना से मेटाडेटा (Metadata) को निकालकर, फिर उनका विश्लेषण करता हैं तथा भाषा के विभिन्न पहलुओं को समझने और उनका विश्लेषण करने में मदद करता है। सरल अर्थ में, यह भाषा को पढ़ने और समझने का काम करता है।
2.प्राकृतिक भाषा का उत्पादन (Natural Language Generation–NLG) एक बार जब, एनएलयू के माध्यम से मशीन को सूचना समझ में आ जाती है, तब एनएलजी का कार्य शुरू होता है। प्राकृतिक भाषा का उत्पादन, मशीन पर प्रविष्ट डेटा के आधार पर, मौखिक या लिखित रूप से जवाब देकर होता है। यहां, एनएलजी कंप्यूटराइज्ड (Computerise) डेटा को प्राकृतिक भाषा में परिवर्तित करता है, जो की किसी इंसान द्वारा लिखी या बोली गई भाषाओं के समान ही होता है।
प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित एलेक्सा (Alexa) और सिरी (Siri) क्रमशः अमेज़ॅन (Amazon) और ऐप्पल (Apple) के डिजिटल वॉयस असिस्टेंट (Digital Voice Assistants), हमारे एक सुविधाजनक उपकरण से परे, कृत्रिम बुद्धिमत्ता के वास्तविक अनुप्रयोग हैं। प्रभावी संचालन एवं बेहतर प्रदर्शन के लिए वे प्राकृतिक भाषा निर्माण और प्रसंस्करण तथा मशीन लर्निंग एवं कृत्रिम बुद्धिमत्ता के रूपों का उपयोग करते हैं। एलेक्सा और सिरी लगातार स्मार्ट (Smart) होते जा रहे हैं। हमारे द्वारा कुछ सूचना पाने पर ही, यह हमारे काम कर सकते हैं।
मशीन लर्निंग, आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस का अनुप्रयोग है, जहां मशीनें डेटा तक पहुंच कर डेटा से सीख सकती हैं। डिजिटल वॉयस असिस्टेंट की वृद्धि के लिए, डेटा और मशीन लर्निंग दोनों तकनीकें जिम्मेदार हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि, एलेक्सा कैसे काम करती होगी? आइए, जानते हैं। एलेक्सा, प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण पर आधारित है। एलेक्सा हमारी बातें रिकॉर्ड (Record) करती है। फिर, इस भाषण की रिकॉर्डिंग का अधिक कुशलता से विश्लेषण करने हेतु, इसे अमेज़ॅन के सर्वर (Server) पर भेजा जाता है। तब अमेज़ॅन हमारी सूचना को अलग-अलग ध्वनियों में विभाजित करता है। इसके बाद, यह विभिन्न शब्दों के उच्चारण वाले डेटाबेस (Database) से परामर्श लेता है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि, कौन से शब्द व्यक्तिगत ध्वनियों के संयोजन से सबसे अधिक मेल खाते हैं। इसके बाद, यह सूचना को समझने और संबंधित कार्यों को करने के लिए, महत्वपूर्ण शब्दों की पहचान करता है। तब अमेज़ॅन के सर्वर आपके डिवाइस (Device) पर वापस जानकारी भेजते हैं और एलेक्सा आपकी बात का जवाब देती है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/4empcjjk
https://tinyurl.com/yhpp9nsp
https://tinyurl.com/3nbpe26m
https://tinyurl.com/4df5ty4a
https://tinyurl.com/edaubbhx

चित्र संदर्भ 
1. वॉयस असिस्टेंट को संदर्भित करता एक चित्रण ((Wallpaper Flare)
2. वॉइस सर्च को दर्शाता एक चित्रण (Seobility)
3. Google Pixel XL स्मार्टफोन पर Android Assistant को संदर्भित करता एक चित्रण (Trusted Reviews)
4. एलेक्सा वॉयस असिस्टेंट को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आइए देखें, विभिन्न खेलों के कुछ नाटकीय अंतिम क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     29-12-2024 09:21 AM


  • आधुनिक हिंदी और उर्दू की आधार भाषा है खड़ी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:28 AM


  • नीली अर्थव्यवस्था क्या है और कैसे ये, भारत की प्रगति में योगदान दे रही है ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:29 AM


  • काइज़ेन को अपनाकर सफलता के शिखर पर पहुंची हैं, दुनिया की ये कुछ सबसे बड़ी कंपनियां
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:33 AM


  • क्रिसमस पर लगाएं, यीशु मसीह के जीवन विवरणों व यूरोप में ईसाई धर्म की लोकप्रियता का पता
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:31 AM


  • अपने परिसर में गौरवपूर्ण इतिहास को संजोए हुए हैं, मेरठ के धार्मिक स्थल
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, क्या है ज़ीरो टिलेज खेती और क्यों है यह, पारंपरिक खेती से बेहतर
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:30 AM


  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM


  • चलिए डालते हैं, फूलों के माध्यम से, मेरठ की संस्कृति और परंपराओं पर एक झलक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:22 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id