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प्रबलित कंक्रीट की निर्माण संरचनाओं का निर्माण में क्यों व कैसे बढ़ा महत्व?

मेरठ

 21-08-2023 09:46 AM
वास्तुकला 1 वाह्य भवन

हमारे शहर रामपुर में इंडो-सारसेनिक (Indo-Saracenic) वास्तुकला के कुछ प्रमुख व सुंदर उदाहरण मिलते हैं। भारत में इंडो-सारसेनिक वास्तुकला का उपयोग, 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में ब्रिटिश वास्तुकारों द्वारा किया गया था, जो देसी–इस्लामिक वास्तुकला, विशेषकर मुगल वास्तुकला से प्रेरित थी। लेकिन, हमारे शहर में स्टील (Steel) और कांच की कोई वास्तविक आधुनिक ऊंची इमारतें नहीं हैं।
हालांकि, मुरादाबाद शहर में पहले से ऐसी कुछ इमारतें हैं। अनुमान है कि, अब कुछ ही समय में, हमारे शहर में भी आधुनिक आरसी (RC) अर्थात प्रबलित कंक्रीट (Reinforced Concrete) संरचनाओं का निर्माण आम हो जाएगा। आइए, समझते हैं कि यह संकल्पना क्या है तथा भारतीय निर्माण में पहली बार इसका उपयोग कैसे हुआ था? प्रबलित कंक्रीट में स्टील या लोहा इस प्रकार अंतर्निहित होता है कि, दोनों चीजें प्रतिरोधी ताकतों के खिलाफ एक साथ काम करती हैं, अर्थात इस कंक्रीट को अधिक सुदृढ़ बनाया जाता है। इसे फेरोकंक्रीट (Ferroconcrete) भी कहा जाता है। कंक्रीट के सुदृढ़ीकरण की योजनाएं, आम तौर पर अधिक या भारी कंक्रीट क्षेत्रों में उत्पन्न हुए तनाव को संभालने के लिए, डिज़ाइन की जाती हैं। क्योंकि, कभी–कभी यह तनाव अस्वीकार्य दरार और/या संरचनात्मक विफलता का कारण बन सकता है। आधुनिक प्रबलित कंक्रीट में स्टील, पॉलिमर (Polymer) या सरिया के साथ वैकल्पिक मिश्रित सामग्री से बनी विभिन्न सुदृढ़ीकरण सामग्री शामिल हो सकती है। जबकि, कभी–कभी इसमें यह सामग्री होती भी नहीं है।
भारत में प्रबलित कंक्रीट का उपयोग सबसे पहले 20वीं सदी की शुरुआत में, ब्रिटिश सैन्य इंजीनियरों द्वारा किया गया था। इन रॉयल इंजीनियर्स (Royal Engineers) या बंगाल इंजीनियर्स के अधिकारियों ने तकनीकी पत्रिकाओं, यूरोपीय कंपनियों के पेटेंट (Patent) तथा उनके स्वयं के परीक्षणों से मिली जानकारी के आधार पर सरल संरचनाएं डिजाइन (Design) की थी। 20वीं सदी के पहले दशकों को आंशिक रूप से, ब्रिटिश इंजीनियरों और भारतीय निर्माणकर्त्ताओं के लिए प्रयोग और सीखने की अवधि के रूप में देखा जा सकता है। हालांकि, प्रबलित कंक्रीट के डिजाइन और निर्माण में निजी वास्तुशिल्प एवं इंजीनियरिंग पद्धतियों ने जल्द ही सैन्य इंजीनियरों और सरकार के लोक निर्माण विभाग को पीछे छोड़ दिया।
इस तकनीक के आधार पर बनाई गई कुछ पहली इमारतों में, यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) से आयातित चीजों का उपयोग किया गया था। जबकि, 1920 के दशक के अंत तक, भारत में ही भवन निर्माण उद्योग के लिए आवश्यक मात्रा में सीमेंट (Cement) और मजबूत छड़ों का उत्पादन करने के लिए पर्याप्त कारखाने थे। जब यह औद्योगिक बुनियादी ढांचा स्थापित हो गया, तब प्रबलित कंक्रीट इमारतों और इसमें डिजाइन और निर्माण करने वाली सक्षम कंपनियों की संख्या तेजी से बढ़ गई। विभिन्न सीमेंट उत्पादक कंपनियों से गठित, द कंक्रीट एसोसिएशन ऑफ इंडिया (The Concrete Association of India) और एसोसिएटेड सीमेंट कंपनियों (Associated Cement Companies) के मजबूत प्रचार द्वारा, निर्माण उद्योग को प्रबलित कंक्रीट का उपयोग करने की प्रेरणा मिलने लगी।
अन्य विकासशील देशों की तरह, कम श्रम लागत और सस्ते श्रम की प्रचुर आपूर्ति भी इसके विकास में महत्वपूर्ण थी। इसका मतलब था कि, मध्यम से बड़े पैमाने के निर्माणों के लिए प्रबलित कंक्रीट का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता था, और यह आज भी किया जाता है। 1920 और 1930 के दशक के दौरान प्रबलित कंक्रीट निर्माण में बड़े पैमाने पर शहरी वृद्धि थी। सीमेंट और स्टील के केंद्रीकृत तथा कारखाना आधारित उत्पादन ने बड़े शहरों में प्रबलित कंक्रीट के उपयोग को भी केंद्रित कर दिया। प्रबलित कंक्रीट का उपयोग बाद में यूनाइटेड किंगडम में विकसित हुआ, जहां यूरोप की अन्य जगहों की तुलना में, कंक्रीट के संभावित उपयोग के प्रति अधिक सतर्क दृष्टिकोण था। परिणामस्वरूप, तब भारत में इंजीनियरिंग का वह नवाचार बहुत कम हो गया, जो 19वीं शताब्दी में देश के रेल नेटवर्क के विस्तार के दौरान मौजूद था।
अब प्रबलित कंक्रीट भारत में भवन निर्माण के लिए एक लोकप्रिय तकनीक है, क्योंकि यह संरचनात्मक स्टील से सस्ता है। पिछले 10 वर्षों में, भारत में इस तकनीक से बनी, कम एवं मध्यम ऊंचाई वाली इमारतों की संख्या में उछाल देखा गया है। हालांकि, 2001 के गुजरात में आए भुज भूकंप के दौरान, प्रबलित कंक्रीट से बनी कई इमारतें ढह गईं, जिससे साबित हुआ है कि, पिछले दशक में निर्माण की वृद्धि ने उनकी भूकंपीय सुरक्षा को पर्याप्त रूप से संबोधित नहीं किया है। अतः आज हमें इन संरचनाओं तथा इमारतों को और मजबूत कैसे बनाया जाए तथा प्राकृतिक आपदाओं को झेलने में इनकी क्षमता को कैसे बढ़ाया जाए, इसकी ओर ध्यान देना आवश्यक हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/9t93rpub
https://tinyurl.com/2p9vv2ub
https://tinyurl.com/mwtjzvy3

चित्र संदर्भ
1. कंक्रीट के निर्माण कार्य को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
2. इंडो-सरसेनिक वास्तुकला के प्रमुख बिंदुओं को दर्शाता चित्रण (Prarang)
3. फेरोकंक्रीट से हो रहे निर्माण को दर्शाता चित्रण (picryl)
4. एक भारी, प्रबलित कंक्रीट स्तंभ, जो कंक्रीट डालने से पहले और बाद के दृश्य को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
5. बार्सेलोना, स्पेन में स्थित, "ला सगरादा फैमिलिया" गिरिजाघर की छत पर होते निर्माण कार्य (2009) को दर्शाता चित्रण (Wikimedia)
6. जीसीसी में प्रवासी निर्माण श्रमिकों को दर्शाता चित्रण (Flickr)

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