Post Viewership from Post Date to 10-May-2023 30th day
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1149 497 1646

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

वैदिक शिक्षा और संस्कृति को पुनर्जीवित करने में आर्य समाज की महत्वपूर्ण भूमिका

मेरठ

 10-04-2023 10:00 AM
उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

एक कहावत है कि “एक मछली पूरे तालाब को गंदा कर देती है।” लेकिन इसके विपरीत यह वाक्य भी उतना ही सत्य है कि एक शिक्षित व्यक्ति पूरे समाज को उन्नत कर सकता है! दयानंद सरस्वती जी द्वारा स्थापित ‘आर्य समाज’ भी ऐसे ही शिक्षित लोगों से परिपूर्ण था, जहां आर्य समाज के द्वारा प्रेरित आंदोलन ने वैदिक शिक्षा और संस्कृति को पुनर्जीवित करने और बढ़ावा देने के साथ-साथ संस्कृत ग्रंथों और पारंपरिक ज्ञान प्रणालियों के अध्ययन के महत्व पर भी खूब जोर दिया।
आर्य समाज एक हिंदू सुधार आंदोलन है जिसकी स्थापना 1875 में महर्षि दयानंद सरस्वती जी द्वारा की गई थी। यह आंदोलन वेदों के एकाधिकार पर विश्वास के आधार पर मूल्यों और प्रथाओं को बढ़ावा देता है। यह समाज, हिंदू धर्म में धर्मांतरण की प्रथा शुरू करने वाला पहला हिंदू संगठन था, और इसने 1800 के दशक से ही भारत में नागरिक अधिकार आंदोलन के विकास की दिशा में भी काम किया है। दयानंद सरस्वती जी ने आम लोगों तक पहुंचने के लिए संस्कृत भाषा के बजाय हिंदी भाषा में व्याख्यान देना शुरू किया, जिस कारण सुधार के उनके विचार सबसे गरीब लोगों तक भी पहुंचने लगे। उनकी बातें सुनने के बाद, जयकिशन दास नामक एक सरकारी अधिकारी ने दयानंद जी को अपने विचारों के बारे में एक पुस्तक प्रकाशित करने के लिए प्रोत्साहित किया। जिसके बाद दयानंद जी ने उनके विचारों को लिखित भाषा का रूप देने वाले लेखक भीमसेन शर्मा को कई व्याख्यान दिए, जो 1875 में वाराणसी में ‘सत्यार्थ प्रकाश’ ‘द लाइट ऑफ ट्रूथ’ (The Light of Truth) नामक पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुए । इस पुस्तक में विभिन्न विषयों पर दयानंद जी के विचारों को दर्ज किया गया है। 1900 की शुरुआत में, आर्य समाज ने जातिगत भेदभाव के खिलाफ अभियान चलाया और विधवा पुनर्विवाह और महिलाओं की शिक्षा के लिए लड़ाई लड़ी। लाला लाजपत राय जैसे प्रमुख भारतीय राष्ट्रवादी भी आर्य समाज के सदस्य थे और इसके अभियानों में सक्रिय थे।
इतना ही नहीं, सरदार भगत सिंह के दादा भी आर्य समाज से जुड़े थे, जिनका भगत सिंह पर खासा प्रभाव पड़ा था। आर्य समाज के संस्थापक दयानंद सरस्वतीजी ने भारत में रूढ़िवादी हिंदू धर्म में सुधार करने के उद्देश्य से 1869 और 1873 के बीच गुरुकुल या वैदिक विद्यालयों की स्थापना की। इन विद्यालयों में वैदिक मूल्यों, संस्कृति और सच्चाई पर जोर दिया गया। यहां पर पठन करने वाले छात्रों को मुफ्त आवास, भोजन, कपड़े और किताबें दी गई और यहां का अनुशासन काफी सख्त था। यहां पर छात्रों को संस्कृत शास्त्र ग्रंथों का अध्ययन करना भी सिखाया गया। आर्य समाज की वैदिक स्कूल प्रणाली का उद्देश्य भारतीयों को ब्रिटिश शिक्षा की नीतियों से राहत देना था। छात्रों को मूर्ति पूजा करने की अनुमति नहीं थी, बल्कि उन्हें ‘संध्यावन्दनम’ (दिव्य ध्वनि के साथ वैदिक मंत्रों का उपयोग करते हुए ध्यान पूर्ण प्रार्थना) और अग्निहोत्र (दिन में दो बार) का आदेश प्राप्त था। आर्य समाज आंदोलन ने वैदिक मूल्यों को पुनर्जीवित किया तथा हानिकारक धार्मिक और सामाजिक प्रथाओं जैसे मूर्ति पूजा, अंधविश्वास, कठोर जाति व्यवस्था, अस्पृश्यता, बहुविवाह, बाल विवाह, विधवाओं के साथ दुर्व्यवहार, पर्दाप्रथा और लैंगिक असमानता की आलोचना की। इसके अलावा आर्य समाज ने व्यावहारिक कौशल, विज्ञान और सद्गुणों को प्राप्त करने के लिए लड़कों और लड़कियों दोनों की शिक्षा पर जोर दिया। स्वामी दयानंद एक महान दार्शनिक और शैक्षिक विचारक थे, जिन्होंने अज्ञानता और बुरी आदतों को मिटाने के साथ-साथ ज्ञान, संस्कृति, धार्मिकता, आत्म-नियंत्रण और अन्य सद्गुणों को प्राप्त करने में शिक्षा के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने शिक्षा में बहुपक्षीय पाठ्यक्रम, पूर्णता और मानवतावाद की वकालत की। उनका मानना था कि शिक्षा मानव जाति के विकास के लिए एक सर्वोच्च और सबसे महत्वपूर्ण नैतिक प्रक्रिया है।
स्वामी दयानंद ने बाल शिक्षा में ‘पुरस्कार और दंड’ दोनों के महत्व पर जोर दिया। दंड के विषय में उनका मानना था कि जहां तक संभव हो दंड मौखिक होना चाहिए, शारीरिक नहीं। स्वामी दयानंदजी द्वारा महिला शिक्षा की वकालत भी की गई, हालांकि वे लड़कियों और लड़कों के लिए अलग-अलग विद्यालयों की व्यवस्था में दृढ़ता से विश्वास करते थे। शिक्षा को सामाजिक परिवर्तन का उत्प्रेरक मानते हुए उन्होंने लड़कों और लड़कियों दोनों को जीवन की कला और विज्ञान और तकनीकी कौशल की शिक्षा देने पर जोर दिया ताकि उनके मानसिक क्षितिज को व्यापक बनाया जा सके, उनकी जन्मजात क्षमताओं को उजागर किया जा सके और सद्गुणों का विकास किया जा सके। दयानंदजी की शिक्षा योजना में, उन्होंने पुरुषों और महिलाओं के लिए लगभग समान प्रकार की शिक्षा निर्धारित की। वह शिक्षक की भूमिका के महत्व और शिक्षक और शिष्य के बीच घनिष्ठ संबंध में भी विश्वास करते थे। उनकी शिक्षा योजना में अनुशासन आवश्यक था और उन्होंने उच्च शिक्षा के माध्यम के रूप में संस्कृत भाषा को निर्धारित किया।
नीचे उन प्रमुख क्षेत्रों की सूची दी गई है, जहां आर्य समाज ने अपना अहम योगदान दिया है:
१. स्वतंत्रता संग्राम: आर्य समाज स्वतंत्रता संग्राम में भी सक्रिय रूप से शामिल था। आपको जानकर हैरानी होगी कि लगभग 80% स्वतंत्रता सेनानी आर्य समाज से प्रभावित थे। आर्य समाज से प्रभावित कुछ प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों में दादाभाई नौरोजी, राम प्रसाद बिस्मिल, लाला लाजपत राय और स्वामी शारदानन्द शामिल हैं।
२. शिक्षा: आर्य समाज ने वैदिक शोधार्थियों के लिए हरिद्वार में गुरुकुल कांगड़ी और कई अन्य गुरुकुलों की स्थापना करके शिक्षा की प्राचीन गुरुकुल प्रणाली को फिर से शुरू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । उन्होंने पूरे भारत में डीएवी ( Dayanand Anglo Vedic (DAV) स्कूल और कॉलेज भी स्थापित किए।
३. समाज कल्याण: आर्य समाज विभिन्न सामाजिक कल्याण गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल रहा है, जिसमें पूरे देश में अनाथालय, वृद्धाश्रम और बेसहारा लोगों के लिए घर बनाना शामिल है।
४. महिला सशक्तिकरण: आर्य समाज ने स्त्री शिक्षा पर जोर देकर महिला सशक्तिकरण की दिशा में अहम योगदान दिया। आर्य समाज ने विधवा पुनर्विवाह को बढ़ावा दिया और सती प्रथा और बहुविवाह को रोकने की दिशा में काम किया। उन्होंने समाज में लिंग या जाति आधारित भेदभाव जैसी कुप्रथाओं के व्याप्त होने के बावजूद सभी के लिए शिक्षा को बढ़ावा दिया है।
५. सामाजिक सुधार: आर्य समाज विभिन्न सामाजिक सुधारों जैसे पर्दाप्रथा (घूंघट) और दहेजप्रथा, बाल विवाह, अस्पृश्यता, अंधविश्वास और अंध विश्वासों के खिलाफ आंदोलन में भी सहायक रहा है।
कुल मिलाकर, आर्य समाज ने भारत के सामाजिक और शैक्षिक परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्वामी दयानंद जी के अनुसार शिक्षा, गुरु, आत्म-विकास और सभी जीवों के कल्याण के बारे में सच्चा और वास्तविक ज्ञान प्रदान करती है। दूसरे शब्दों में, शिक्षा, सेवा और दूसरों की मदद करने की भावना पैदा करती है।स्वामी जी के अनुसार शिक्षा मानव जाति के विकास के लिए एक सर्वोच्च और सबसे महत्वपूर्ण नैतिक प्रक्रिया है। स्वामी दयानंद कहते हैं, "बिना शिक्षा वाला व्यक्ति केवल नाम का व्यक्ति है। शिक्षा प्राप्त करना, सदाचारी बनना, द्वेष से मुक्त होना और धर्म को आगे बढ़ाने वाले लोगों की भलाई के लिए उपदेश देना मनुष्य का कर्तव्य है। मनुष्य के द्वारा एक सर्वांगीण और सबसे व्यापक पूर्णता प्राप्त करने के लिए उन्होंने एक ऐसा विस्तृत पाठ्यक्रम निर्धारित किया है जो विशेषज्ञता के आधुनिक युग में बहुत व्यापक दिखाई दे सकता है किंतु इस तथ्य को भी याद रखना चाहिए कि विशेष ज्ञान हमेशा एक तरफा व्यक्तित्व को ही विकसित करता है पूर्णता को नहीं।1883 में आर्य समाज के संस्थापक, स्वामी दयानंद के निधन के बाद, उनके अनुयायियों ने शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करके उनकी विरासत को जारी रखा। स्वामी दयानंद के विचारों और विश्वासों को बढ़ावा देने के लिए उनकी मृत्यु के 3 साल बाद उनके शिष्यों द्वारा ‘दयानंद एंग्लो वैदिक कॉलेज ट्रस्ट एंड मैनेजमेंट सोसायटी’ (Dayanand Anglo Vedic College Trust and Management Society (DAV) की स्थापना की गई । डीएवी आंदोलन रूढ़िवादी और विधर्मी ताकतों की चुनौतियों के साथ-साथ उस समय की बदलती सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों के जवाब में उभरा। इसने वैदिक परंपराओं को विज्ञान, तर्कसंगतता और मानवतावाद की भावना के साथ जोड़ा। 1883 में दयानंद की हत्या कर दी गई, लेकिन आर्य समाज का विकास जारी रहा।

संदर्भ
https://rb.gy/98ptk
https://bit.ly/3KHnUOw
https://bit.ly/3nR2rto
https://bit.ly/3KIyYuP

चित्र संदर्भ
1.वैदिक शिक्षा और संस्कृति को पुनर्जीवित करने में आर्य समाज की महत्वपूर्ण भूमिका को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. सत्यार्थ प्रकाश के प्रथम पृष्ठ को दर्शाता चित्रण (youtube)
3. स्वामी दयानन्द सरस्वती को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. ओम् आर्य समाज और हिंदुत्व का प्रतीक है, को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5.दयानंद एंग्लो वैदिक कॉलेज ट्रस्ट एंड मैनेजमेंट सोसायटी’ को दर्शाता चित्रण (wikimedia)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आइए देखें, विभिन्न खेलों के कुछ नाटकीय अंतिम क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     29-12-2024 09:21 AM


  • आधुनिक हिंदी और उर्दू की आधार भाषा है खड़ी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:28 AM


  • नीली अर्थव्यवस्था क्या है और कैसे ये, भारत की प्रगति में योगदान दे रही है ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:29 AM


  • काइज़ेन को अपनाकर सफलता के शिखर पर पहुंची हैं, दुनिया की ये कुछ सबसे बड़ी कंपनियां
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:33 AM


  • क्रिसमस पर लगाएं, यीशु मसीह के जीवन विवरणों व यूरोप में ईसाई धर्म की लोकप्रियता का पता
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:31 AM


  • अपने परिसर में गौरवपूर्ण इतिहास को संजोए हुए हैं, मेरठ के धार्मिक स्थल
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, क्या है ज़ीरो टिलेज खेती और क्यों है यह, पारंपरिक खेती से बेहतर
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:30 AM


  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM


  • चलिए डालते हैं, फूलों के माध्यम से, मेरठ की संस्कृति और परंपराओं पर एक झलक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:22 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id