युद्ध की पीड़ा और रोहिल्लाओं के नजरिए को दर्शाती हैं, विलोबी वालेस हूपर की तस्वीरें

मेरठ

 21-03-2023 09:56 AM
द्रिश्य 1 लेंस/तस्वीर उतारना

पश्चिमी दुनिया से आकर पहली बार भारतीय संस्कृति से रूबरू होना, अंग्रेज़ों के लिए एक नया और रोमांचक अनुभव था। ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) को, विशेषतौर पर 1860 के दशक तक, पश्तून सरदारों को लेकर काफी उत्सुकता थी ,जो रामपुर सहित भारत (रोहिलखंड) में बस गए थे और “रोहिल्ला" के रूप में आज भी जाने जाते थे । क्या आप जानते हैं कि इन रोहिल्लाओं की शुरुआती तस्वीरें लेने का श्रेय विलोबी वालेस हूपर (Willoughby Wallace Hooper) नामक एक ब्रिटिश सैन्य फोटोग्राफर (British military photographer) को दिया जाता है। एक सदी से भी अधिक समय पूर्व, इनके द्वारा खींची तस्वीरें आज फिर से प्रासंगिक हो गई हैं, और वाकई में किसी को भी रोमांचित कर सकती हैं। विलोबी वालेस हूपर एक प्रसिद्ध ब्रिटिश सैन्य अधिकारी और फोटोग्राफर थे, जिन्होंने 19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध के दौरान, दक्षिणी भारत और बर्मा में औपनिवेशिक सेना में सेवा करते हुए लगभग चालीस साल बिताए। रैमस्गेट (Ramsgate) में स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद, हूपर ने 1853 में ईस्ट इंडिया हाउस (East India House) में सचिव के रूप में पद संभाला। उन्होंने 1860 के बाद से सैन्य और घरेलू दृश्यों एवं जातीय समूहों की कई उत्कृष्ट तस्वीरें लीं।
हूपर ने 1868 से 1875 तक नृवंशविज्ञान प्रकाशन के द्वारा प्रकाशित, ‘द पीपल ऑफ इंडिया’ (The People of India) के आठ खंडों में मूल भारतीय लोगों की, 450 से अधिक फोटोग्राफिक प्लेटों (photographic plates) को दर्ज किया। उन्होंने 1885 में तीसरे आंग्ल-बर्मन युद्ध (Anglo-Burmese War) में प्रोवोस्ट मार्शल ( Provost Marshal) के रूप में भी भाग लिया, जिस दौरान उन्होंने युद्ध की भी कई तस्वीरें खींची। उनकी तस्वीरों को उन्नीसवीं सदी के सैन्य अभियान के सबसे निपुण और व्यापक अभिलेखों में से एक माना जाता है। उनके चित्र 1887 में ‘बर्मा की एक सौ तस्वीरों की एक श्रृंखला’ के रूप में प्रकाशित हुए थे, जो उस देश में ब्रिटिश अभियान दल से जुड़ी घटनाओं को दर्शाती हैं। 1876-78 के मद्रास अकाल के पीड़ितों और फायरिंग दस्ते) का सामना कर रहे बर्मी कैदियों की तस्वीरों ने हूपर को विवादों में भी फंसा दिया।
1896 में सैन्य सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद, हूपर 1912 में अपनी मृत्यु तक इंग्लैंड (England) में ही रहे। उनकी कई तस्वीरें अब ब्रिटिश संग्रहालय (British Museum) और जे. पॉल गेट्टी संग्रहालय (J. Paul Getty Museum) के अभिलेखागार में रखी गई हैं। रोहिल्लाओं की सबसे पहली तस्वीरें खींचने का श्रेय भी हूपर को ही दिया जाता है। ऊपर दी गई तस्वीर भी एक रोहिल्ला पश्तून की है जिसे हूपर द्वारा 19वीं शताब्दी में खींचा गया था। रोहिल्ला पश्तून लोग, भारत में, अफ़ग़ानिस्तान के रोह नामक स्थान से आये थे। 18वीं शताब्दी में, उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपने क्षेत्र स्थापित किए। रोहिलखंड जो कि गंगा की उपत्यका के ऊपरी 25,000 वर्ग कि॰मी॰ क्षेत्र में विस्तृत है, का नाम भी यहां की इस जनजाति रोहिल्ला के नाम पर ही पड़ा। महाभारत में इसे मध्य देश के नाम से जाना गया है। हालांकि 1774 में उनकी सत्ता समाप्त हो गई थी। 19वीं शताब्दी के अंत तक, औपनिवेशिक संचार में रोहिल्ला शब्द का उपयोग कम हो गया था और भारत में रहने वाले रोहिल्ला समुदाय के वंशजों ने अपने पश्तून और पेशावर घाटी (Peshawar, Pakistan) के इतिहास और विरासत से अपना संबंध खो दिया था।
नवाब नजीब-उद-दौला (Nawab Najib-ud-Daula), जिन्हें नजीब खान के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रसिद्ध रोहिल्ला मुस्लिम योद्धा थे, जो 18वीं शताब्दी में रोहिलखंड में ही रहते थे। उन्होंने 1740 के दशक में बिजनौर जिले में नजीबाबाद नामक एक शहर की स्थापना की, जिसके बाद उन्हें “नवाब नजीब-उद-दौला" की उपाधि दी गई। वह 1757 से 1770 तक सहारनपुर के गवर्नर भी रहे । नजीब खान ने कश्मीर और आसपास के क्षेत्रों के बीच व्यापार को आसान बनाने के लिए नजीबाबाद की स्थापना की थी । हालाँकि, नजीब खान की मृत्यु के बाद से, नजीबाबाद का महत्व कम हो गया है।
नीचे हूपर की कुछ शानदार तस्वीरों को क्रमागत रूप से दिखाया गया है।
१. 1878 के आसपास, हूपर ने मद्रास (चेन्नई) में अकाल के दौरान कई पीड़ितों (पुरुषों, महिलाओं और बच्चों) के क्षीण शरीर को दिखाते हुए व्यवस्थित तस्वीरों की एक श्रृंखला खींची थी, जो काफी विवादों में भी रही। २. एक सिख योद्धा का चित्र, जिसे निहंग या अकाली के रूप में भी जाना जाता है, जो एक विस्तृत शंक्वाकार पगड़ी पहने हुए, चक्रों या युद्ध-क्षेत्रों से सुशोभित है, इस चित्र को हूपर द्वारा ही खींचा गया था। ३. यह तस्वीर एक भारतीय नाई को दर्शा रही है। ४. हूपर द्वारा 1872 में खिची गई यह तस्वीर कुछ लोगों को शेर का शिकार करते हुए को दर्शा रही है। ५. फाँसी के लिए तैयार, बर्मी कैदी ६.1878 में बंगलौर, भारत में अकाल के दौरान क्षीण महिलाओं और बच्चों का समूह ७.1876 के अकाल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

संदर्भ
https://rb.gy/r5k9r0
https://bit.ly/3YWNAKO
https://bit.ly/3ZZ9dLV
https://bit.ly/3JohF09

चित्र संदर्भ
1. मांडले में बर्मी पुलिस कर्मियों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. बैरक हॉल, रॉयल हॉर्स आर्टिलरी, 1870 को दर्शाता एक चित्रण (getty)
3. 1870 में एक कोकेशियान शिकारी को अपने मूलनिवासी नौकर के साथ दर्शाता एक चित्रण (getty)
4. 19वीं सदी के एक रोहिल्ला की तस्वीर को दर्शाता एक चित्रण (facebook)
5. नवाब नजीब-उद-दौला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. मद्रास (चेन्नई) में अकाल के दौरान कई पीड़ितों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. एक सिख योद्धा का चित्र, जिसे निहंग या अकाली के रूप में भी जाना जाता है को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
8. एक भारतीय नाई को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
9. हूपर द्वारा 1872 में खिची गई यह तस्वीर कुछ लोगों को शेर का शिकार करते हुए दर्शा रही है। को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
10. फाँसी के लिए तैयार, बर्मी कैदियों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
11. 1878 में बंगलौर, भारत में अकाल के दौरान क्षीण महिलाओं और बच्चों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
12. 1876 के अकाल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

RECENT POST

  • प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की कहानी बताते हैं काली पल्टन मंदिर और शहीद स्मारक संग्रहालय
    उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

     20-09-2024 09:25 AM


  • उत्तर भारतीय और मुगलाई स्वादों का, एक आनंददायक मिश्रण हैं, मेरठ के व्यंजन
    स्वाद- खाद्य का इतिहास

     19-09-2024 09:25 AM


  • मेरठ की ऐतिहासिक गंगा नहर प्रणाली, शहर को रौशन और पोषित कर रही है!
    नदियाँ

     18-09-2024 09:18 AM


  • क्यों होती हैं एक ही पौधे में विविध रंगों या पैटर्नों की पत्तियां ?
    कोशिका के आधार पर

     17-09-2024 09:16 AM


  • आइए जानें, स्थलीय ग्रहों एवं इनके और हमारी पृथ्वी के बीच की समानताओं के बारे में
    पर्वत, चोटी व पठार

     16-09-2024 09:34 AM


  • आइए, जानें महासागरों से जुड़े कुछ सबसे बड़े रहस्यों को
    समुद्र

     15-09-2024 09:27 AM


  • हिंदी दिवस विशेष: प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण पर आधारित, ज्ञानी.ए आई है, अत्यंत उपयुक्त
    संचार एवं संचार यन्त्र

     14-09-2024 09:21 AM


  • एस आई जैसी मानक प्रणाली के बिना, मेरठ की दुकानों के तराज़ू, किसी काम के नहीं रहते!
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     13-09-2024 09:10 AM


  • वर्षामापी से होता है, मेरठ में होने वाली, 795 मिलीमीटर वार्षिक वर्षा का मापन
    जलवायु व ऋतु

     12-09-2024 09:25 AM


  • परफ़्यूमों में इस्तेमाल होने वाले हानिकारक रसायन डाल सकते हैं मानव शरीर पर दुष्प्रभाव
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     11-09-2024 09:17 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id