Post Viewership from Post Date to 10-Mar-2023 (5th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1060 742 1802

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

‘वृक्षसंस्कृति’ को स्थापित करने के लिए मेरठ में शुरू की गई है ‘वृक्ष पर्यटन’ योजना

मेरठ

 06-03-2023 10:40 AM
पेड़, झाड़ियाँ, बेल व लतायें

पेड़-पौधे हमारी धरती के साथ-साथ हमारे जीवन का भी अभिन्न हिस्सा हैं। हमारे जीवन की मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के साथ-साथ, ये हमें प्राणदायी ऑक्सीजन भी प्रदान करते हैं। बढ़ते शहरीकरण के कारण विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए, अनेकों पेड़-पौधों को काटा गया, जिसके परिणामस्वरूप मानव जीवन नकारात्मक रूप से अत्यधिक प्रभावित हुआ है । मानव ने इन नकारात्मक प्रभावों को महसूस भी किया है । अतः अब इन दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक होकर, शहरों को स्वस्थ बनाने के लिए उन्हें फिर से हरा-भरा करने की योजना बनाई जा रही है। इन योजनाओं का लक्ष्य केवल शहरी क्षेत्रों को सुंदर बनाना ही नहीं है, बल्कि शहरों को रहने योग्य बनाना है, ताकि लोगों को एक स्वस्थ जीवन प्राप्त हो सके। दुनिया की 50 प्रतिशत से अधिक आबादी कस्बों और शहरों में निवास करती है। ऐसा अनुमान लगाया गया है कि 2050 तक, यह संख्या बढ़कर 66 प्रतिशत हो जाएगी। अधिकांश मामलों में, बिना किसी रणनीति के ही शहरों का तेजी से विस्तार होता है, जिसके परिणामस्वरूप जंगलों और हरित क्षेत्रों पर अत्यधिक हानिकारक प्रभाव पड़ता है। शहरीकरण के कारण प्रदूषण में वृद्धि एवं भोजन और संसाधनों की उपलब्धता में कमी जैसे कुछ मामले भी सामने आए हैं। हालांकि अब शहरों में लगाए जा रहे पेड़ शहरीकरण के कुछ नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद कर सकते हैं। शहरों में पेड़ों को लगाए जाने की योजना से स्थानीय खाद्य और पोषण सुरक्षा में भी वृद्धि होगी। पेड़-पौधे, जीव-जंतुओं को एक अनुकूल आवास उपलब्ध करवा कर शहरी जैव विविधता बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभाते हैं। एक परिपक्व पेड़ प्रति वर्ष 150 किलोग्राम कार्बन डाई ऑक्साइड (Carbon Dioxide) अवशोषित कर सकता है। इस प्रकार पेड़ प्रदूषण के स्तर को कम करके जलवायु में हो रहे परिवर्तन को कम करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ।
बड़े पेड़ शहर में होने वाले प्रदूषकों और महीन कणों के लिए एक उत्कृष्ट छलनी का कार्य करते हैं। वे प्रदूषक गैसों (जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड (Carbon Monoxide), नाइट्रोजन ऑक्साइड (Nitrogen Oxide), ओजोन (Ozone) और सल्फर ऑक्साइड (Sulphur Oxide) को अवशोषित कर लेते हैं और धूल, गंदगी या धुएं जैसे बारीक कणों को पत्तियों और छालों में फंसाकर स्वच्छ हवा को वातावरण में छोड़ देते हैं। एक अनुसंधान से पता चला है कि शहरी क्षेत्रों में हरित स्थान के होने से लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। पेड़ पौधे उच्च रक्तचाप और तनाव को कम करने में मदद कर सकते है। परिपक्व पेड़ जल प्रवाह को नियंत्रित करने में मदद कर बाढ़ को रोकने और प्राकृतिक आपदाओं के जोखिम को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उदाहरण के लिए, एक परिपक्व सदाबहार पेड़ प्रति वर्ष 15,000 लीटर से अधिक पानी रोक सकता है। पेड़ कार्बन उत्सर्जन को कम करने में भी मदद करते हैं, जिससे जलवायु परिवर्तन की संभावना कम हो जाती है। इमारतों के आसपास पेड़ पौधों को लगाने से एयर कंडीशनिंग (Air Conditioning) की आवश्यकता को 30 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। यह भी देखा गया है कि शहरों में जिन स्थानों पर पेड़ पौधे अधिक होते हैं वहां पर संपत्ति का मूल्य अन्य स्थानों की तुलना में 20% तक अधिक होता है। पेड़ पौधे पर्यटन और व्यवसाय को बढ़ावा देने में भी सहायक है क्योंकि पर्यटन के लिए ज्यादातर लोग हरे भरे शांतिपूर्ण वातावरण में जाना पसंद करते हैं।
हमारे शहर मेरठ में वन विभाग द्वारा एक योजना के तहत ऐसे पेड़ों को चिन्हित किया गया है, जिनकी उम्र 100 साल से भी अधिक है। ये पेड़ धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। इस योजना का उद्देश्य “वृक्ष पर्यटन” को लोकप्रिय बनाना है। जिले में विभिन्न स्थानों पर 10 से अधिक पेड़ चिन्हित किए गए हैं, जिनमें शारंग ऋषि का आश्रम, परीक्षतगढ़ में गांधारी तालाब और हस्तिनापुर में पांडुकेश्वर मंदिर भी शामिल हैं। 'वृक्ष पर्यटन' के पीछे का उद्देश्य लोगों के बीच वृक्षों के लिए एक विशेष भाव को उत्पन्न करना है, ताकि वृक्षारोपण संस्कृति का प्रचार किया जा सके तथा वृक्षों के संरक्षण के लिए आम लोगों को आगे लाया जा सके । अब तक विरासत वृक्षों के रूप में बरगद, गूलर और पिलखन के वृक्षों की पहचान की गई है तथा इनका विवरण राज्य के ‘जैव विविधता बोर्ड’ को भेजा गया है। आवश्यक मापदंडों को पूरा करने के बाद उन्हें 'विरासत वृक्ष' घोषित कर दिया जाएगा । लोगों को इन वृक्षों के बारे में जानकारी देने एवं उन्हें पर्यटन के लिए आकर्षित करने के लिए इन वृक्षों को जिले के विरासत वृक्षों के रूप में घोषित किया जा रहा है, ताकि लोग कौतूहलबस इनकी ओर आकर्षित हो सकें । यह एक अनूठी पहल है, जो लोगों को पेड़-पौधों के साथ जुड़ने में मदद करेगी। यह योजना लोगों को पेड़ों की रक्षा करने और समाज में 'वृक्षारोपण संस्कृति' विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करेगी।

संदर्भ:
https://bit.ly/3kGkYHx
https://bit.ly/3ZFLsrH
https://bit.ly/3KW8mH1

चित्र संदर्भ

1. एक विशाल बरगद के पेड़ को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. भारत में बाओबाब के पेड़ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. सड़क किनारे लगे पेड़ो को दर्शाता एक चित्रण (PixaHive)
4. पेड़ की छाँव में बैठ लोगों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आधुनिक हिंदी और उर्दू की आधार भाषा है खड़ी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:28 AM


  • नीली अर्थव्यवस्था क्या है और कैसे ये, भारत की प्रगति में योगदान दे रही है ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:29 AM


  • काइज़ेन को अपनाकर सफलता के शिखर पर पहुंची हैं, दुनिया की ये कुछ सबसे बड़ी कंपनियां
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:33 AM


  • क्रिसमस पर लगाएं, यीशु मसीह के जीवन विवरणों व यूरोप में ईसाई धर्म की लोकप्रियता का पता
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:31 AM


  • अपने परिसर में गौरवपूर्ण इतिहास को संजोए हुए हैं, मेरठ के धार्मिक स्थल
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, क्या है ज़ीरो टिलेज खेती और क्यों है यह, पारंपरिक खेती से बेहतर
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:30 AM


  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM


  • चलिए डालते हैं, फूलों के माध्यम से, मेरठ की संस्कृति और परंपराओं पर एक झलक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:22 AM


  • आइए जानते हैं, भारत में कितने लोगों के पास, बंदूक रखने के लिए लाइसेंस हैं
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:24 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id