Post Viewership from Post Date to 05-Feb-2023 (5th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
177 1019 1196

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

परेशान करने वाले हैं रामपुर सहित उत्तर प्रदेश में होने वाले अपहरण की घटनाओं के आंकड़े

मेरठ

 31-01-2023 10:47 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

शायद हम सभी ने ही, टेलीविजन या फिल्मों में खलनायक अथवा अपराधियों द्वारा मुख्यपात्रों को विभिन्न कारणों के लिए अगवा करते हुए देखा होगा। परंतु वहां यह जितना रोमांचक दिखाया जाता है, असल में यह उतना ही दुखद होता है। यदि बात की जाए अपहरण की, तो किसी व्यक्ति को बल या धोखे से ले जाना और उन्हें बंदी बनाकर रखना अपहरण कहलाता है। जबकि, भारतीय दंड संहिता के अनुसार, अपहरण ‘किसी भी नाबालिग को उनके अभिभावक की सहमति के बिना एक वैध अभिभावक की पहुंच से दूर ले जाना है’। यह हमारे वर्तमान मानव समाज की कुछ मुख्य समस्याओं में से एक है। सोचिए ना, किसी सामान्य व्यक्ति को, कोई छल से उठाकर लेकर जाता है….यह कितना भयावह है। और दुख की बात तो यह है कि यह हमारे रामपुर शहर को भी प्रभावित कर रहा है। आइए, जानते है कुछ आंकड़े ।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau (NCRB ) के 2017 के आंकड़ों के अनुसार रामपुर में अपहरण के तहत पंजीकृत मामलों की संख्या 133 थी, जो उत्तर प्रदेश में अपहरण के तहत दर्ज मामलों की कुल संख्या का 0.80% है। जबकि, उत्तर प्रदेश में अपहरण के तहत दर्ज अपराधों की कुल संख्या 12,363 थी। वही उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जिले में अपहरण से संबंधित अपराधों की औसत संख्या 218 है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021 में उत्तर प्रदेश में अपहरण की सबसे अधिक संख्या, जिससे कुल 12,363 व्यक्ति पीड़ित हुए थे, दर्ज की गई है, जो भारत में कुल अपहरण के मामलों का 15.7% है, इसके बाद मध्य प्रदेश का स्थान आता है; जहां अपरहण की घटनाओं के कारण 7,940 व्यक्ति पीड़ित थे और जो भारत के कुल अपहरण के मामलों का 10.1% है। आंकड़े बताते हैं कि 2021 में हर एक घंटे में 11 से अधिक अपहरण की सूचनाए मिली है। जबकि 2021 के दौरान 1,04,149 पीड़ितों के अपहरण के 1,01,707 मामले दर्ज किए गए थे, जो 2020 (84,805 मामलों) की तुलना में 19.9 प्रतिशत की वृद्धि दिखाते हैं। साथ ही आंकड़ों से पता चलता है कि इसी वर्ष के दौरान लगभग एक लाख पीड़ितो को बचाया भी गया है,जो कि एक अच्छी खबर है।
सबसे दुखद बात तो यह है कि अपहरण का सबसे ज्यादा शिकार महिलाएं, लड़कियां और बच्चे ही होते है। देश भर में लापता बच्चों, महिलाओं और पुरुषों के मामलों की संख्या में चौंकाने वाला रुझान देखा जा रहा है। भारत में हर घंटे औसतन 88 लोग, जिनमें बच्चे, महिलाएं और पुरुष सभी शामिल हैं, लापता हो रहे हैं। भारत में हर दिन औसतन 2,130 बच्चे, महिलाएं और पुरुष लापता हो जाते हैं। हालांकि वर्ष 2019 की तुलना में 2020 में लापता व्यक्तियों की संख्या में 34,295 की कमी आई थी; परंतु चौंकाने वाला तथ्य यह है कि 2020 में, जब भारत कोविड-19 महामारी से जूझ रहा था और सभी लोग लॉकडाउन के चलते अपने घरों में बंद थे, तब भी कुल 6,70,145 लापता व्यक्तियों के मामले सामने आए ।जबकि 2019 में, पूरे भारत में 6,93,003 लापता व्यक्तियों के मामले सामने आए थे ।
जो बात सबसे ज्यादा परेशान करने वाली है वह यह है कि पूरे भारत में हर घंटे लापता होने वाले औसतन 88 लोगों में से करीब 12 बच्चे और हर दिन लापता होने वाले औसतन 2,130 लोगों में से 296 बच्चे होते हैं। और इसके साथ ही हर महीने भारत में लापता होने वाले 9,019 बच्चों की संख्या विचलित करने वाली है। ‘राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो’ के आंकड़ों से पता चलता है कि 2019 में भारत में 1,19,617 बच्चे लापता हुए थे। लापता बच्चों की कुल संख्या में, 69.7% अर्थात 82617 युवा लड़कियां थीं, जोकि एक चौंकाने वाली संख्या हैं। कुल गुमशुदा बच्चों में लड़कों की संख्या 28.4% अर्थात 33,972 है; जबकि शेष 26 बच्चे विपरीत लिंगी थे। वही दूसरी ओर, भारत में हर घंटे लापता होने वाले पुरुषों एवं महिलाओं की दर्ज संख्या क्रमशः औसतन 28 और 48 है । इसका मतलब हर दिन, पूरे भारत में औसतन 1,160 महिलाएं और 674 पुरुष लापता होते हैं। एनसीआरबी के आंकडे बताते हैं कि 2019 में भारत में 4,22,439 महिलाएं और 2,70,433 पुरुष लापता हुए थे। वही 121 विपरीत लिंगी लोग भी लापता हुए थे।
अपराधी विभिन्न कारणों और इरादों के लिए व्यक्तियों का अपहरण करते है, जिनमें बच्चों को गोद लेना, भीख मंगवाना, स्त्रियों को वेश्यावृत्ति में धकेलना, फिरौती, बदला, मानव तस्करी आदि कुछ प्रमुख कारण और इरादे हैं। साथ ही जबरन शादी, अवैध संभोग , हत्या, गैरकानूनी गतिविधियों को प्रोत्साहन, नौकर बनाकर रखना या मानव शरीर के अंगों की बिक्री और अन्य उद्देश्य भी वास्तविक अपहरण के उद्देश्यों में शामिल हैं। हालांकि कई घटनाओं में तो पुलिस के पास झूठी खबरें सामने आती है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों से पता चलता है कि 2014 में आधे से अधिक अपहरण के मामलों में महिलाओं का अपहरण शादी के उद्देश्य से किया गया था। महिलाओं के अपहरण के अन्य शीर्ष कारण अवैध संभोग के लिए और गैरकानूनी गतिविधियों हेतु हुए अपहरण थे। 2014 में, उत्तर प्रदेश में, ‘महिलाओं के शादी के लिए अपहरण’ के मामले में भारतीय दंड संहिता के तहत रिपोर्ट किए गए अपराधों की संख्या 7338 थी। हालांकि कभी-कभी अपहरण के झूठे मामले भी दर्ज कराए जाते हैं जिनमें अधिकांशतः माता-पिता से झगड़ कर किशोरों द्वारा स्वयं घर से चले जाना शामिल हैं। इस कारण अपहरण की दर्ज शिकायतें (लगभग 60%) झूठी होती हैं, जबकि वास्तविक अपहरणों की संख्या बहुत कम है। कई बार तो बच्चे या किशोर खुद से ही चले जाते अथवा गायब हो जाते हैं, और इस तरह से उनके गुमशुदा होने की सूचना भी पुलिस को अपहरण के रूप में दर्ज कराई जाती है ।
उपरोक्त आंकड़े हमें रामपुर और उत्तर प्रदेश में अपहरण की घटनाओं एवं उनके प्राथमिक कारणों के बारे में बताते हैं ।यह घटनाएं वाकई चौकाने वाली ही है। परंतु इनमें से कुछ घटनाएं झूठी या आधारहीन भी होती है। हम अपेक्षा कर सकते है कि सरकार एवं पुलिस कुछ ऐसे कदम उठाए जिससे इन घटनाओं में कटौती हो तथा सारे पीड़ित फिर से एक सामान्य जिंदगी में लौट आए।

संदर्भ
shorturl.at/huIN5
shorturl.at/dIMV5
shorturl.at/dquDL

चित्र संदर्भ

1. अपहरण को संदर्भित करता एक चित्रण (pxhere)
2. एक महिला के अपहरण की छानबीन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. अपहरण की गई बच्ची को दर्शाता एक चित्रण (Max Pixel)
4. कैद की गई महिला को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आइए देखें, अपने अस्तित्व को बचाए रखने की अनूठी कहानी, 'लाइफ़ ऑफ़ पाई' को
    द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

     24-11-2024 09:17 AM


  • आर्थिक व ऐतिहासिक तौर पर, खास है, पुणे की खड़की छावनी
    उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

     23-11-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, देवउठनी एकादशी के अवसर पर, दिल्ली में 50000 शादियां क्यों हुईं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     22-11-2024 09:23 AM


  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id