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दस साल में एक बार खिलने वाला विश्‍व का सबसे बड़ा फूल

मेरठ

 19-11-2022 11:12 AM
शारीरिक

रेफ्लीसिया(reflicia) मुख्यतः मलेशिया (malaysia) एंव इंडोनेशिया (indonesia) में पाया जाने वाला, एक आश्चर्यजनक परजीवी पौधा है, जिसका फूल वनस्पति जगत के सभी पौंधों के फूलों से बड़ा लगभग 1 मीटर व्यास का होता और इसका वजन 10 किलोग्राम तक हो सकता है। इसकी सबसे छोटी प्रजाति 20 सेमी व्यास की पाई गई है। सभी प्रजातियों में फूल की त्वचा छूने में मांस की तरह प्रतीत होती है और इसके फूल से सड़े मांस की बदबू आती है, जिससे कुछ विशेष कीट पतंग इसकी ओर आकृष्ट होते हैं। इसके एक फूल का व्यास एक मीटर से अधिक हो सकता है।
एक दशक से भी अधिक समय पहले, रैफलेसियासी परजीवियों (Rafflesiaceae parasites) ने ब्रुकलिन (Brooklyn) के लॉन्गआईलैंड विश्वविद्यालय (Long Island University in Brooklyn) के एक विकासवादी पादपजीवविज्ञानी, जीनमायर मोलिना (Jeanmaire Molina) का ध्‍यान अपनी ओर आकर्षित किया, इन्‍होंने पाया कि फूल के जीनोम उनके बाहरी रूपों की तरह विचित्र थे। उन्होंने रैफलेसिया (Rafflesia) की एक फिलीपींस (Philippines) की प्रजाति से माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए (mitochondrial DNA) को सफलतापूर्वक इकट्ठा किया। लेकिन वे इसके क्लोरोप्लास्ट (chloroplasts) से किसी भी कार्यात्मक जीन का पता लगाने में असमर्थ थे। ऐसा लग रहा था कि पौधों ने अपने पूरे क्लोरोप्लास्ट जीनोम को आसानी से खो दिया है।यह लगभग अकल्पनीय था। क्लोरोप्लास्ट भोजन बनाने के लिए प्रकाश का उपयोग करने हेतु जाना जाता है, लेकिन प्लास्टिड्स (plastids) नामक सभी भोजन बनाने वाले जीवों की तरह, उनमें भी जीन होते हैं जो कई प्रमुख सेलुलर (cellular) प्रक्रियाओं में शामिल होते हैं। उनके अंतिम प्रकाश संश्लेषक पूर्वज सैकड़ों लाखों साल पहले उनमें रहते थे।
इस चौंकाने वाली खोज की पुष्टि अब हार्वर्ड यूनिवर्सिटी (Harvard University) के एक स्वतंत्र शोध दल ने की है। इनका नया शोध दर्शाता है कि यह परजीवी अनावश्यक जीनों को बहाकर और अपने मेजबानों से उपयोगी नए जीन प्राप्त करने में कितनी दूर जा सकते हैं। यह परजीवी शुरूआत में चोरी के जीन से भरा हुआ था। डेविस की टीम ने अनुमान लगाया कि पौधे के कम से कम 1.2% जीन अन्य प्रजातियों, विशेष रूप से इसके मेजबान, अतीत और वर्तमान से आए हैं। यह प्रभावशाली नहीं लग सकता है, लेकिन इस तरह के क्षैतिज जीन स्थानांतरण को बैक्टीरिया के बाहर असाधारण रूप से दुर्लभ माना जाता है। क्योंकि ये परजीवी सहस्राब्दियों से जीन चुरा रहे हैं, काई (Cai ) कहते हैं, उनका जीनोम "डीएनए का एक विशाल कब्रिस्तान" जैसा है। उस कब्रिस्तान के माध्यम से सावधानीपूर्वक खुदाई करके और इसकी सामग्री की तुलना 10 प्रकार की बेलों के जीनोम से की जो संभावित मेजबानों की तरह लगती थी, काई और उनके सहयोगी समय को आंकने में सक्षम थे। अति दुर्लभ कॉर्प्स फूल (Corpse Flower) जिसका वैज्ञानिक नाम अमोर्फोफ्लसटाइटेनम (Amorphophallus titanum) है, हर सात से दस साल में केवल एक बार खिलने के लिए जाना जाता है। इस फूल को दुनिया के सबसे बड़े फूल में गिना जाता है, यह केवल 24-36 घंटे तक खिला रहता है । भारत में 9 साल के इंतजार के बाद यह फूल आखिरी बार 2016 में खिला था। कॉर्प्स फूल से सड़े मांस की गंध आती है। पहली बार 1878 में इतालवी वनस्पति शास्त्री ओडोआर्डो बेकरी (Odoardo Beccari) द्वारा इसे खोजा और वर्णित किया गया था, यह सुमात्रा, इंडोनेशिया (Sumatra, Indonesia) का मूल निवासी है, जहां इसे बुंगाबांगकाई (bungabangkai) कहा जाता है - बंगा का अर्थ है फूल, बंगकाई का अर्थ है लाश / शव / कैरियन। इस फूल में बदबू के पीछे कई जिवाणुओं को जिम्‍मेदार ठहराया जाता है, जिनमें डाइमिथाइलट्राइसल्फ़ाइड (dimethyl trisulfide) (खराब पनीर में पाया जाता है), ट्राइमेथाइलमाइन (trimethylamine ) (सड़ती मछली) और आइसोवालेरिकएसिड (isovaleric acid) (पसीने से भरे मोजे) शामिल हैं। लाश के फूलों की गंध, रंग और तापमान परागणकों को आकर्षित करने के लिए होती है। डंगबीटल (Dung beetles), मांस मक्खियों और अन्य मांसाहारी कीड़े जो आम तौर पर मृत मांस खाते हैं, कॉर्प्स फूलों की ओर तीव्रता से आकर्षित हो जाते हैं।
कॉर्प्स फूल का खिलना एक अप्रत्‍याशित घटना है। यह मौसमी रूप से नहीं होती है; इसके बजाय, यह तब खिलता है जब "कॉर्म" (corm) नामक एक विशाल भूमिगत तने में पर्याप्त ऊर्जा संग्रहित होती है फिर यह फूल के रूप में खिल जाती है! एक कॉर्प्स फूल को अपने खिलने की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए पर्याप्त ऊर्जा इकट्ठा करने में कई साल लग जाते हैं।इनकों खिलने के लिए बहुत विशेष परिस्थितियों की आवश्यकता होती है, जिसमें गर्म दिन और रात के तापमान में उच्च आर्द्रता शामिल हैं, 100 से अधिक कॉर्प्स फूल दुनिया भर के वनस्पति उद्यानों में पनपते हैं, इन्हें इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (International Union for Conservations of Nature’s (IUCN)) की रेडलिस्ट ऑफ थ्रैटेनेड प्लांट्स (Threatened Plants) में "लुप्तप्राय" के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। यूनाइटेड स्टेट्स बॉटैनिकल गार्डन (United States Botanic Garden) के अनुसार, जंगलों में इनकी संख्‍या 1,000 से कम है।दुनिया भर में कई सारे वनस्पति उद्यान कॉर्प्स फूल का पोषण करते हैं और इनके लिए अनुकुल वातावरण तैयार करते हैं। इसका खिलना एक स्थानीय घटना बन जाती है।

संदर्भ:

https://bit.ly/3TA2LHh
https://bit.ly/3O1qD5j
https://bit.ly/3TvlG5P

चित्र संदर्भ

1. रेफ्लीसिया को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. रेफ्लीसिया के साथ मनुष्य को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. माइटोकॉन्ड्रियल डीएनए को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. दुर्लभ कॉर्प्स के फूल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. टाइटन अरुम (एमोर्फोफ्लस टाइटेनियम) का विश्व रिकॉर्ड फूल, 325 सेमी ऊंचा, 21-जून-2013 को बॉन विश्वविद्यालय के बॉटनिकल गार्डन में खिला जिसको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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