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विलुप्‍त होती खुर्जा मिट्टी के स्वदेशी बर्तन बनाने की कला के पुनर्जागरण के प्रयास

मेरठ

 20-10-2022 12:45 PM
म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

खुर्जा मिट्टी के बर्तन, बुलंदशहर जिले के खुर्जा में निर्मित पारंपरिक भारतीय मिट्टी के बर्तनों का काम है। खुर्जा मिट्टी के बर्तनों को भौगोलिक संकेत (जीआई(GI)) के तहत संरक्षित किया गया है। यह भारत सरकार के जीआई अधिनियम 1999 के वस्‍तुओं में 178 में "खुर्जा मिट्टी के बर्तनों" के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
खुर्जा के मिट्टी के बर्तनों के काम की उत्पत्ति के पीछे दो अलग-अलग कहानियां जुड़ी हुयी हैं। एक किंवदंती में, 500 साल पहले खुर्जा क्षेत्र में अपने अभियान के दौरान अफगान राजा तैमूर मिस्र (Egypt) और सीरियाई (Syrian) कुम्हारों के साथ थे। एक अन्य किंवदंती में, मुगल साम्राज्य के दौरान कुम्हारों को इस क्षेत्र में स्थानांतरित कर दिया गया था, जबकि एक अन्य संस्करण कहता है कि खुर्जा में मिट्टी के बर्तनों की परंपरा का कोई लंबा इतिहास नहीं है। हालांकि,"मिट्टी के बर्तन बनाने वाली संस्कृति और भारतीय सभ्यता" के लेखक ने उल्लेख किया है कि "बुलंदशहर में खुर्जा भारत में चमकती हुयी मिट्टी के बर्तनों के सबसे पुराने केंद्रों में से एक है"। आगे उल्लेख किया गया है, "ये कुम्हार अक्सर खुद को मुल्तानी कुम्हार कहते हैं, बताते हुए कि उनका मूल मुल्तान था"। खुर्जा मिट्टी के बर्तनों का भारत और विदेशों में बाजार है। लगभग 23 निर्यात उन्मुख इकाइयां हैं। रिपोर्टों का कहना है कि उत्पादन को 1999-2000 में लगभग 2,500 मिलियन भारतीय रुपये मूल्य की वस्तु प्राप्त हुई है, जिसमें 148.2 मिलियन भारतीय रुपये का निर्यात शामिल है।
बड़े पैमाने पर बाजार उत्पादन और आयातित उत्पादों तथा उपभोक्ता वरीयताओं में बदलाव के कारण भारतीय मिट्टी के बर्तनों के उद्योग में पिछले कई वर्षों से लगातार गिरावट देखी गई है। उत्तर प्रदेश के एक छोटे से शहर खुर्जा में अनगिनत कारीगर अपने स्वदेशी मिट्टी के बर्तनों को बेचने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, इनकी आजिविका समाप्‍त होने के कगार पर खड़ी है। 2020 में एक दंपत्ति, सिरेमिक उत्पादों के केंद्र माने जाने वाले खुर्जा की यात्रा पर थे, तब वहां के कारीगरों की स्थिर स्थिति ने इन दंपति राशि और सिद्धांत अग्रवाल का ध्यान आकर्षित किया। हाथ से बने सामान से उपभोक्ता के व्यवहार में बदलाव ने प्लास्टिक जैसे सस्ते और अधिक टिकाऊ विकल्पों की ओर रुख किया है, जिससे कारीगरों की आय का एकमात्र स्रोत समाप्त हो गया है।
भारतीय मिट्टी के बर्तनों के बारे में जागरूकता फैलाने और जहरीले पदार्थों के विकल्प की पेशकश को रोकने की इच्छा से प्रेरित, दिल्ली की इस जोड़ी ने नवंबर 2020 में परिवार और दोस्तों के बीच कारीगरों की मौजूदा सूची का उपयोग करके एक पायलट रन किया। उनकी अच्छी प्रतिक्रिया ने राशि और सिद्धांत को अपना कार्य शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया। इनका कंट्री क्ले (country clay), एक मिट्टी के बर्तनों का ब्रांड जो खुर्जा के कारीगरों द्वारा बनाए गए सिरेमिक उत्पादों का स्रोत और विक्रय करता है। कंट्री क्ले के पीछे का विचार कारीगरों को आजीविका का स्रोत प्रदान करना, उनकी प्रतिभा का प्रदर्शन करना और काम की तलाश में शहरों में उनके प्रवास को रोकना है। कंट्री क्ले खुर्जा मिट्टी के बर्तनों की मरणासन्न कला को पुनर्जीवित करने का प्रयास करता है। सिद्धांत और राशि ने खुर्जा मिट्टी के बर्तनों के उत्पादों जैसे कॉफीमग, बरतन, थाली, कटोरे और सूपमग की एक श्रृंखला बनाने के लिए डिजाइन, रंग और आकार के साथ प्रयोग और नवाचार करने में कुछ महीने बिताए। उन्होंने अपनी खुद की वेबसाइट (website) लॉन्च (launch) की और अपने उत्पादों को बेचने के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म (e-commerce platform) 'अमेजन कारीगर' से जुड़ गए।
महामारी के दौरान, कंट्रीक्ले (Country Clay') की आपूर्ति श्रृंखला को तीन महीने के लिए झटका लगा, जब कारीगर गतिविधि में प्रतिबंध और परिवहन की कमी के कारण उत्पादों की आपूर्ति नहीं कर सके। दंपति ने स्थिति स्थिर होने तक शांत रहने का फैसला किया। उन्होंने मई 2021 में कॉरपोरेट गिफ्टिंग (corporate gifting) के साथ कारोबार फिर से शुरू किया और कैशफ्लो(cash flow) को पूरा करने के लिए अन्य गैर-सिरेमिक उत्पाद श्रेणियों जैसे वेलनेस किट (Wellness Kits), अरोमाथेरेपी (Aromatherapy), बाथिंग एसेंशियल और लाइफस्टाइल (Bathing Essentials & Lifestyle) उत्पादों में विविधता लाई। सिद्धांत का कहना है कि इसके उत्पादों की यूएसपी इसके अनूठे डिजाइन हैं, जो युगल द्वारा तय किए जाते हैं। उनका यह भी कहना है कि उनकी कंपनी के उत्पाद जैविक और विष मुक्त हैं। आम तौर पर, चीनी मिट्टी के बर्तनों में सीसे का उपयोग किया जाता है, जिससे पानी और भोजन के दूषित होने की संभावना होती है। सिद्धांत का कहना है कि कंट्रीक्ले के साथ काम करने वाले कारीगरों द्वारा तैयार किया गया बर्तन सीसा रहित होते हैं।
मूल्य निर्धारण
कॉरपोरेट गिफ्ट हैम्पर्स (corporate gift hampers) की कीमत 1000 रुपये से 1500 रुपये के बीच है, जबकि खुदरा ग्राहकों के लिए मिट्टी के बर्तनों की कीमत 500 रुपये से 700 रुपये के बीच है। स्थानीय कलाकारों का समर्थन
कंट्रीक्ले, जिसने एक साल पहले खुर्जा में पांच कारीगरों के साथ काम करना शुरू किया था, अब एक स्वतंत्र व्यवस्था के माध्यम से 20 से अधिक कारीगरों के साथ काम करती है। पांच कारीगर हर महीने 1 लाख रुपये का एक ऑर्डर संभालते हैं। व्यक्तिगत रूप से, प्रत्येक कारीगर लगभग 20,000 रुपये कमाता है।
कारीगरों से खुर्जा मिट्टी के बर्तनों की सोर्सिंग और बिक्री के अलावा, कंट्रीक्ले कारीगरों और उनके परिवारों और उनके बच्चों की शिक्षा की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को भी प्रायोजित करता है और व्यक्तिगत आपात स्थितियों के लिए कारीगरों को नकद अग्रिम प्रदान करता है।
डिजिटल उपस्थिति को मजबूत बनाना
राशी के अनुसार, कंट्रीक्ले मुख्य रूप से वर्ड-ऑफ-माउथ (word-of-mouth) प्रचार के माध्यम से संचालित होता है। लेकिन यह जल्द ही अपनी डिजिटल उपस्थिति को बढ़ावा देने की योजना बना रहा है। ब्रांड अपनी दृश्यता बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया (social media) प्रभावितों के साथ सहयोग करना चाहता है।

संदर्भ:
https://bit।ly/3TpD9Nr
https://bit।ly/3F1ljfZ
https://bit।ly/3Tq5hA8

चित्र संदर्भ
1. मिट्टी के बर्तन बनाते भारतीय कुम्हारों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. एक भारतीय कुम्हार की पेंटिंग को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
3. कंट्री क्ले (country clay), मिट्टी के बर्तनों के ब्रांड को दर्शाता एक चित्रण (facebook)
4. भारतीय कुम्हार को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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