City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
3434 | 15 | 3449 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
आज गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर मेरठ से महज तीन घंटे की दूरी पर स्थित चंदौसी में गणेश
चतुर्थी विशाल मेला आयोजित किया जाता है, जिसे व्यापक रूप से महाराष्ट्र के बाहर गणेश चतुर्थी
के सबसे बड़े उत्सव के रूप में जाना जाता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश का यह प्रसिद्ध मेला सांप्रदायिक
सौहार्द का प्रतीक है। मेले में सभी धर्मों के लोग बढ़चढ़ कर भागीदारी करते हैं, साथ ही देश वासियों
को सांप्रदायिक एकता का संदेश भी देते हैं। चलिए जानते हैं की सैकड़ों आयोजनों और लाखों लोगों
की भीड़ के बावजूद इस विशाल आयोजन को सफलता पूर्वक कैसे सम्पन्न किया जाता है?
मेरठ के निकट चन्दौसी में आयोजित होने वाला प्रसिद्ध गणेश चौथ चंदौसी मेला, मेला परिषद की
ओर से सन 1962 से प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता आ रहा है। मेले का उद्घाटन चारों धर्मों के
प्रतिनिधियों द्वारा हर साल गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले फीता काट कर किया जाता हैं। धार्मिक
मेले में विशेषतौर पर गणेश चतुर्थी के दिन कौमी एकता संगठन द्वारा गणेश के मुख्य मंदिर में
बूंदी के लड्डू का भोग लगाया जाता है, तथा श्री गणेश जी को सुन्दर पोशाक भी चढ़ाई जाती है।
कौमी एकता की मिसाल देते हुए मेला परिसर से सटी अर्श उल्ला खान बाबा की मजार पर भी चादर
चढाई जाती है। सभी धर्म के लोग गणेश मंदिर से चादर लेकर गाने बाजे के साथ मजार पर पहुंचते
हैं और चादरपोशी करते हैं। साथ ही रथयात्रा के लिए झांकी बनाने से लेकर मेले की व्यवस्थाओं में
भी सभी की भागीदारी रहती है। गणेश चौथ मेला सर्वधर्म समभाव का प्रतीक है। न केवल गणेश
चतुर्थी बल्कि यहां सभी त्योहारों में सभी धर्मों के लोगों की निर्विवाद भागीदारी रहती है, त्योहार
चाहें किसी भी धर्म का हो।
हालांकि बीते दो वर्षों के दौरान यह मेला भी महामारी के प्रकोप से प्रभावित था। लेकिन कोरोना
काल के दो साल बाद इस साल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सुप्रसिद्ध गणेश चौथ मेले का आगाज चारों
धर्मों के प्रतिनिधियों द्वारा 29 अगस्त से हो गया। इसके बाद 31 अगस्त को गणेश चतुर्थी पर
झाकियों संग गणपति बप्पा की भव्य रथयात्रा निकाली जाएगी। इन झाकियों का निर्माण कार्य कई
दिनों पहले शुरू हो गया था।
चन्दौसी में श्री गणेश मेला परिषद के तत्वावधान में पिछले 61 वर्ष से लगातार गणेश चौथ का
आयोजन किया जाता आ रहा है। ये इस मेले के आयोजन का 62वां वर्ष है। मेला 17 सितंबर तक
चलेगा। गणेश जी के जन्मोत्सव के मुख्य पर्व 31 अगस्त के दिन सीता रोड स्थित श्री गणेश मंदिर
पर प्रात: पांच बजे से महापूजन किया जायेगा जिसके पश्चात अपराह्न में चार बजे से श्री गणेश
मंदिर से गणपति बप्पा की भव्य रथयात्रा निकाली जाएगी।
मेले में श्रद्धालुओं की सुरक्षा एवं सहूलियत को ध्यान में रखते हुए उत्तर रेलवे मुरादाबाद मंडल ने
भी चंदौसी में लग रहे प्राचीन व सुप्रसिद्ध गणेश चौथ मेले की विशेष तैयारी की है। इस दौरान यहां
आने वाले यात्रियों की सुविधा के लिए पैसेंजर ट्रेनों में अतिरिक्त जनरल कोच लगाए जायेंगे। 29
अगस्त से ऋषिकेश व अलीगढ़ आने-जाने वाली चंदौसी रूट की आठ जोड़ी ट्रेनों में एक से तीन
कोच लगाने की भी योजना बनाई गई है। इसके साथ ही हरिद्वार-ऋषिकेश में तीन, बरेली-अलीगढ़
में दो और नजीबाबाद-मुरादाबाद में एक कोच लगाने की तैयारी की गई है। इस मेले के मद्देनजर
आठ जोड़ी ट्रेनों में अतिरिक्त कोच की मंजूरी मिल चुकी है।
चंदौसी शायद उत्तरप्रदेश का एकमात्र शहर है जहां लाखों भक्त रात भर चलने वाले जुलूस में
शामिल होते हैं। इस मेले का मुख्य आकर्षण 20 फीट लंबी गणेश प्रतिमाएं 84 वर्षीय चिकित्सक,
गिरिराज किशोर द्वारा बनाई गई है। मूर्ति को सजाने के लिए वह हर साल विभिन्न सामग्रियों का
उपयोग करते है। इस साल उन्होंने हजारों घुंघरू घंटियों का इस्तेमाल किया है।
चंदौसी में 20 दिनों
के लिए, भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
यह मेला महाराष्ट्र के बाद गणेश चतुर्थी पर देश में
लगने वाला सबसे बड़ा मेला है। इस दौरान गणेश के जुलूस को देखने के लिए इस छोटे से शहर में
लाखों भक्त एकत्र होते हैं। इस त्योहार को एक विशाल उत्सव बनाने वाले किशोर ने 1962 में पहली
बार एक मूर्ति बनाई, एक अभ्यास जो उन्होंने तब से जारी रखा है। उनके अनुसार “पहले, मैं 8 फीट
लंबी मूर्तियाँ बनाता था। समय के साथ, अब मैं उन्हें 20 फीट लंबा कर देता हूं। धीरे-धीरे, किशोर
द्वारा बनाई गई गणेश की मूर्तियाँ बहुत प्रसिद्ध हो गईं, क्योंकि वह उन्हें विभिन्न वस्तुओं से
सजाते थे। उनका कहना है की “एक जमाना था जब मूर्ति बनाने में चांदी का भी इस्तेमाल होता
था।” इस साल घुंघरू घंटी का प्रचुरता से प्रयोग किया गया है। गणेश चतुर्थी की रात से शुरू होने
वाले जुलूस के दौरान उनके द्वारा निर्मित मूर्ति मुख्य आकर्षण होती है और यात्रा चंदौसी के मुख्य
बाजारों से होकर सुबह सीतापुर रोड स्थित गणेश मंदिर में समाप्त होती है।
संदर्भ
https://bit.ly/3QRuP89
https://bit.ly/3R9OyQo
https://bit.ly/3Tcu8YK
https://bit.ly/3Aq8qYT
चित्र संदर्भ
1. गणेश जी की विशाल प्रतिमा को दर्शाता एक चित्रण (pexels)
2. मेले में श्री गणेश जी की मूर्ति को दर्शाता एक चित्रण (pexels)
3. एक गली में गणेश प्रतिमाँ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. चंदौसी मेले में निर्माणधीन गणेश प्रतिमा को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
5. चंदौसी मेले में भव्य गणेश प्रतिमा को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.