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हिंदू धर्म में प्रायः तीन देवताओं को मुख्य रूप से पूजा जाता है, तथा भगवान शिव (अन्य
ब्रह्मा, विष्णु) उन्हीं में से एक हैं। भगवान शिव को कई महत्वपूर्ण गुणों के लिए जाना जाता
है, हालांकि उनका चरित्र जटिल भी है। नटराज के रूप में उन्हें पूरे ब्रह्मांड के सबसे उत्तमनर्तक के रूप में दर्शाया गया है।यह छवि उन्हें सृष्टिकर्ता, संरक्षक और संहारक तीनों रूपों में
दर्शाती है।उनके नृत्य को तांडव कहा जाता है। नृत्य में उनकी मुद्राओं और कलाकृतियों का
वर्णन कई हिंदू ग्रंथों जैसे तमिल में तेवरम, थिरुवसागम और संस्कृत में अंशुमद्भेदअगम
उत्तरकामिका अगम में किया गया है।
शैव धर्म के सभी प्रमुख हिंदू मंदिरों में भगवान शिव की यह नृत्य मूर्ति प्रदर्शित की गई है
और यह भारत में प्रसिद्ध मूर्तिकला प्रतीक के रूप में उपयोग की जाती है। यह मूर्ति आम
तौर पर शिव को नाट्य शास्त्र की एक मुद्रा में नृत्य करते हुए दिखाती है। चित्रण का
शास्त्रीय रूप सीयामंगलम - अवनिभजन पल्लवेश्वरम मंदिर में रॉक कट मंदिर के एक स्तंभ
में दिखाई देता है,जिसे पल्लव राजा महेंद्रवर्मन I द्वारा 6 वीं ईस्वी में बनाया गया था, जिसे
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और तमिलनाडु के पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा भारत में सबसे पुरानी
ज्ञात नटराज मूर्तिकला के रूप में जाना जाता है। लगभग 6 वीं शताब्दी में एलोरा गुफाओं
और बादामी गुफाओं में पत्थर पर बनाई गई नक्काशियां भारत में सबसे पुरानी नटराज
मूर्तियों में से एक मानी जाती हैं।
भक्ति आंदोलन के दौरानशैव संतों द्वारा लिखे गए प्राचीन तमिल गीत तिरुगनासंबंधर,
अप्पार, मानिककवासगर, सुंदरार जिन्हें "नालवर" के नाम से जाना जाता है, नटराज की
व्याख्या करते हैं और नटराज मंदिर, चिदंबरम को मुख्य देवता के रूप में नटराज के निवास
स्थान के रूप में वर्णित करते हैं।8-10वीं शताब्दी के आसपास, नटराज तमिलनाडु में चोल
कांस्य में अपनी परिपक्व और सबसे प्रसिद्ध अभिव्यक्ति के रूप में उभरा।दक्षिण पूर्व एशिया
के कई हिस्सों जैसे अंगकोर वाट (Angkor Wat) और बाली (Bali), कंबोडिया
(Cambodia) और मध्य एशिया में नटराज की नक्काशियां पाई जाती हैं।
इस प्रकार एक नृत्य आकृति के रूप में शिव पहली बार 5 वीं और 6 वीं शताब्दी ईस्वी में
भारतीय मंदिरों में पत्थरों पर बनाई गई नक्काशी के रूप में दिखाई दिए। किंतु आज जो
कांस्य से बनी नटराज की मानक मूर्ति हमें दिखाई देती है,उसकी उत्पत्ति 10 वीं शताब्दी
ईस्वी के बाद हुई।यह दुनिया भर के संग्रहालयों, मंदिरों, रेस्तरां और दुकानों में यह मूर्ति देखी
जा सकती है, किंतु इसकी आइकनोग्राफी या प्रतिमा विज्ञान
बहुत कुछ कहती है।
भगवान को एक ज्वलंत प्रभामंडल के भीतर नृत्य करते हुए दिखाया
गया है। यह प्रभामंडल समय का प्रतिनिधित्व करता है, वह समय जो निरंतर गतिशील है,
तथा जिसका कोई अंत नहीं है।प्रभामंडल की लपटें मकरों या पौराणिक समुद्री जीवों के मुंह से
निकलती हुई दिखाई देती है, जो मूर्तिकला के आधार पर स्थित है।मुस्कुराते हुए भगवान
शिव जो नृत्य करते हुए दिखाई दे रहे हैं, वह तांडव है तथा ब्रह्मांड का निर्माण और विनाश
दोनों प्रदर्शित करता है।नृत्य की जो ऊर्जा और क्रूरता है, वह उनके मुड़े हुए घुटनों और बालों
के असाधारण फैलाव में दिखाई देती है।शिव एक खोपड़ी, एक धतूरे की बौर और एक अर्धचंद्र
भी धारण किए हुए हैं, जो यह दर्शाता है कि शिव हमेशा हर क्षण मौजूद हैं, चाहे वे दिखाई न
भी दें। मूर्ति में गंगा को भी दर्शाया जाता है,जिसे हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान
के बालों के माध्यम से स्वर्ग से पृथ्वी पर लाया गया था।उनके ऊपरी दाहिने हाथ में मौजूद
एक छोटा डमरू यह दिखाता है, कि शिव अपने नृत्य के लिए संगीत खुद प्रदान कर रहे
हैं।यह डमरू केवल लय ही प्रदान नहीं करता,बल्कि यह भी बताता है कि यही वो वाद्य यंत्र
था जिसने सृष्टि की पहली ध्वनियाँ बनाईं। माना जाता है, कि डमरू की थाप ने ब्रह्मांड के
दिल को धड़कन प्रदान की।इसके विपरीत, शिव के ऊपरी बाएं हाथ में वह दिव्य अग्नि है, जो
ब्रह्मांड को नष्ट कर देगी। शिव का निचला दाहिना हाथ अभय मुद्रा में है, जो आशीर्वाद की
मुद्रा बनाता है, तथा सभी तरह के भय को शांत करने का संकेत देता है।
उनका निचला बायां
हाथ गज हस्त मुद्रा बनाने में सहायता करता है,जो मोक्ष और मुक्ति का प्रतीक है।शिव के
दाहिने पैर को अपस्मरा पुरुष पर दिखाया गया है, जो एक कोबरा धारण करता है और भ्रम
और अज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है।कोबरा की एक अन्य आकृति शिव के दाहिने हाथ पर
फिर से दिखाई देती है।भगवान आमतौर पर एक छोटी धोती पहनते हैं जो उनकी कमर के
चारों ओर एक कमरबंध से बंधी है। इसके अलावा भगवान शिव को हार, बाजूबंद और पायल
जैसे आभूषण भी पहने हुए दिखाया गया है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3JXZwWR
https://bit.ly/3pwpBmd
https://bit.ly/3psDHFw
चित्र संदर्भ
1. नटराज की प्रतिमा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. मीनाक्षी मंदिर और नटराज को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. नटराज, नृत्य करने वाले शिव। यह शिव के ब्रह्मांडीय नृत्य का वर्णन करते है, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. नृत्य के भगवान के रूप में शिव (नटराज) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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