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पहली इलैक्ट्रिक ट्रैफिक लाइट 1914 में पांच अगस्त के ही दिन अमेरिका (USA) के ओहियो
(Ohio) के क्लीवलैंड (Cleveland) में यूक्लिड एवेन्यू (Euclid Avenue) में लगाई गई थी,
आज ही के दिन यानी की 5 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय ट्रैफिक लाइट दिवस (International
Traffic Light Day) के रूप में जाना जाता है। परन्तु आपको यह जान कर हैरानी होगी की
रामपुर में आज भी ट्रैफिक पुलिस हाथ से ट्रैफिक कंट्रोल करती है, यहाँ ट्रैफिक सिग्नल जैसी
यातायात व्यवस्था नहीं है, जबकि रामपुर स्मार्ट सिटी की दौड़ में शामिल है।
यही वजह है
कि यहां के चौराहे और भीड़ वाले बाजार दिन भर जाम से जूझते हैं। ट्रैफिक सिग्नल न होने
से हादसों का खतरा बना रहता है। ऐसा नहीं है कि इस समस्या को दूर करने के लिए प्रयास
नहीं किए गए हों, पांच साल पहले भेजा गया था सीसीटीवी लगाने का प्रस्ताव, मंजूरी अभी
तक नहीं मिली इसी खराब यातायात व्यवस्था की वजह से रामपुर स्मार्ट सिटी की दौड़ से
हर बार बाहर हो जाता है।
हालांकि यातायात व्यवस्था में सुधार के लिए पुलिस अधीक्षक डॉ. विपिन ताडा ने अपने स्तर
से प्रयास किए हैं। चौराहों पर ट्रैफिक कंट्रोल करने के लिए पुलिस कर्मियों की ड्यूटी लगाई
है। यहां एक पुलिस कर्मी चौराहे के बीच में बने टीन शेड पर खड़ा रहता है और हाथ के
इशारे से ट्रैफिक कंट्रोल करता है, जबकि तीन सिपाही दूर खड़े होकर वाहन चालकों पर नजर
रखते हैं। यह व्यवस्था अन्य चौराहों पर भी की जानी थी, लेकिन पुलिस कर्मियों की कमी के
कारण एक चौराहे तक ही सीमित होकर रह गई है।
व्यापारियों के सहयोग से जगह जगह
सीसीटीवी भी लगवाए हैं। जिले की आबादी 26 लाख के ऊपर ऊपर पहुंच चुकी है और करीब
तीन लाख छोटे-बड़े वाहनों से होने वाली यातायात समस्या को दूर करने के लिए पुलिस के
पास संसाधन नहीं हैं। परिवहन विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक एआरटीओ कार्यालय में
करीब 24 लाख दो पहिया वाहन पंजीकृत हैं, जबकि चार पहिया वाहन में 14 हजार से
अधिक का पंजीकरण हुआ है। बड़े वाहन जैसे ट्रक, बस, कैंटर आदि 14229 पंजीकृत हैं।
इसके अलावा बिना पंजीकरण वाले वाहनों की संख्या (ट्रैक्टर ट्रालियां, ई-रिक्शा, जुगाड़ू)
लगभग 10 हजार से ज्यादा है। इतने बड़ी संख्या में सड़कों पर वाहनों को कंट्रोल करने के
लिए कुछ ही पुलिस कर्मी तैनात हैं।
हालांकी वर्ष 2015-16 में प्रदेश की यातायात व्यवस्था को और अधिक चुस्त-दुरुस्त बनाये
जाने के उद्देश्य से ‘‘एकीकृत यातायात प्रबंधन प्रणाली’’(Integrated Traffic Management
System) नामक योजना को चरणबद्ध रुप से प्रदेश में लागू किया जाना है। प्रथम चरण में
प्रदेश के चिन्हित 12 जिलों लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, इलाहाबाद, मेरठ, आगरा, नोएडा,
गाजियाबाद, गोरखपुर, बरेली, मुरादाबाद, अलीगढ़ के नगरीय क्षेत्र में यह योजना लागू की
जायेगी। लेकिन अभी तक रामपुर में एकीकृत यातायात प्रबंधन प्रणाली को शुरू नहीं किया
गया है। वर्तमान में हमें
अपने शहर और उसके आसपास यातायात की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए इस एकीकृत
यातायात प्रबंधन प्रणाली को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। यूपी के शहरों में एकीकृत
यातायात प्रबंधन प्रणाली के लाभों को जनता तक पहुंचना महत्वपूर्ण है। इस योजना के तहत
इंटेलीजेन्ट ट्रांस्पोर्ट सिस्टम (Intelligent Transport System) की स्थापना की जायेगी,
जिसके तहत स्वचलित सिग्नल नियंत्रण प्रणाली, पैदल चलने वालों के लिए पृथक सिग्नल
प्रणाली, राज्य स्तर पर ट्रैफिक मैनेजमेन्ट सेन्टर, एरिया ट्रैफिक कंट्रोल सिस्टम, कॉरिडोर
मैनेजमेंट, परिवर्तनशील यातायात संकेतक आदि की स्थापना होगी। योजना में ट्रैफिक
सिगनल्स, सर्विलांस कैमरा, इन्र्फोसमेंट कैमरा आदि की भी व्यवस्था होगी।
इस योजना के तहत यातायात व्यवस्था के सुचारू संचालन के साथ-साथ उसकी निगरानी भी
की जायेगी, और ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों को चिन्हित कर ई-चालान भेजने
की व्यवस्था होगी। योजना में आपातकालीन वाहनों के बिना किसी रुकावट के गुजरने की भी
विशेष व्यवस्था की गई है। इसके अलावा सड़क सुरक्षा उपायों पर भी विशेष जोर दिया गया
है। शासन द्वारा उत्तर प्रदेश कोर रोड नेटवर्क डेवलेपमेंट प्रोजेक्ट ( Uttar Pradesh Core
Road Network Development Project) के अंर्तगत उत्तर प्रदेश हाईवे पेट्रोल परियोजना
(Uttar Pradesh Highway Petrol
Project) के क्रियान्वयन हेतु 13 करोड़ 28 लाख रूपये की धनराशि की स्वीकृति प्रदान की
गयी है। स्थानीय लोगों को सुरक्षित यात्रा प्रदान करने के उद्देश्य से गृह विभाग द्वारा उत्तर
प्रदेश हाईवे पेट्रोल परियोजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। शासन द्वारा सड़क दुर्घटना
की रोकथाम, दुर्घटनाओं में पीड़ितों के डेटाबेस और सड़क दुर्घटना के उचित प्रबंधन के लिए
उत्तर प्रदेश राजमार्ग पेट्रोल (Uttar Pradesh Highway Petrol) परियोजना को लागू करने
का निर्णय लिया है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में प्रस्तावित 12 स्मार्ट शहरों में पुलिस निगरानी और स्मार्ट
यातायात प्रबंधन के उन्नयन के लिए प्राइसवाटरहाउसकूपर्स (पीडब्ल्यूसी
(PriceWaterhouseCoopers (PwC))) को सलाहकार के रूप में नियुक्त किया है। यूपी
यातायात निदेशालय ने राज्य में यातायात प्रबंधन, यातायात नियंत्रण, यातायात कानून
प्रवर्तन और यातायात सूचना प्रसार के प्रमुख कार्यों के आधुनिकीकरण के लिए सूचना
प्रौद्योगिकी का उपयोग करने की योजना बनाई है ताकि राज्य में सुगम यातायात प्रवाह और
सूचित सड़क उपयोगकर्ताओं के लिए प्रचार-प्रसार
किया जा सके।
कार्यशाला में आईटीएमएस और एससीएसएस में उभरती प्रौद्योगिकियों और
रुझानों पर चर्चा की गई ताकि समग्र समाधान वास्तुकला, कानूनी और वाणिज्यिक व्यवस्था
से डोमेन में अंतर्दृष्टि की डिजाइनिंग की जा सके। यूपी के एडीजी अनिल कुमार अग्रवाल का
कहना है कि यह अनिवार्य रूप से एक राज्य गृह विभाग की परियोजना थी, जिसका उद्देश्य
बेहतर उत्पादन के लिए प्रस्तावित स्मार्ट शहरों में पुलिसिंग और यातायात प्रबंधन के
विभिन्न पहलुओं और बुनियादी ढांचे को एकीकृत करना था। उन्होंने कहा, “हम राज्य के गृह
विभाग को यह समझाने में सफल रहे हैं कि बेहतर यातायात प्रबंधन, निगरानी और प्रमुख
शहर के चौराहों पर प्रवर्तन का राज्य की कानून व्यवस्था की स्थिति पर भी सीधा असर
पड़ता है।“
संदर्भ:
https://bit.ly/3zYkbH2
https://bit.ly/3PXUzQ7
https://bit.ly/3BH0PYa
चित्र संदर्भ
1. रामपुर की गली को दर्शाता एक चित्रण (prarang)
2. रामपुर की अव्यवस्थित सड़क को दर्शाता एक चित्रण (prarang)
3. व्यस्त सड़क पर पुलिस कर्मी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. यातायात प्रबंधन केंद्र, बैंगलोर के अंदर के दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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