Post Viewership from Post Date to 07-Jul-2022 (30th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1933 15 1948

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

कैसे पड़ोसी देशों की गिरती अर्थव्यवस्था प्रभावित कर सकती है भारतीय अर्थव्यवस्था को?

मेरठ

 08-07-2022 08:09 AM
सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस (Moody’s Investors Service)द्वारा 2022 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के अनुमान को मार्च में पहले 9.1 प्रतिशत बताया था, लेकिन कच्चे तेल, खाद्य और उर्वरक की कीमतों में वृद्धि को देखते हुए, वित्त वर्ष 2022 के लिए भारत के विकास के अनुमान को 9.1 प्रतिशत से घटाकर 8.8 प्रतिशत कर दिया है,हालांकि कीमतों में वृद्धि का असर आने वाले महीनों में घरेलू वित्तऔर खर्च पर पड़ने की संभावना बनी हुई है।मूडीज को उम्मीद है कि 2022 तक मुद्रास्फीति औसतन 6.8% रहेगी, लेकिन जब तक वैश्विक कच्चे तेल और खाद्य कीमतों में और वृद्धि नहीं होती है, तब तक भारतीय अर्थव्यवस्था ठोस विकास गति को बनाए रखने के लिए पर्याप्त मजबूत है।
वहीं 2022-23 के लिए अपने ग्लोबल मैक्रो आउटलुक (Global Macro Outlook) के अद्यतनीकरण में, मूडीज ने वैश्विक विकास अनुमानों को कम किया और मुद्रास्फीति के पूर्वानुमानों को बढ़ाया, और कई नकारात्मक कारकों पर धीमी विकास गति को जिम्मेदार ठहराया। दरसल इनमें आ रहे आपूर्ति झटके मुद्रास्फीति को बढ़ा रहे हैं और उपभोक्ता क्रय शक्ति को कम कर रहे हैं, और वित्तीय बाजार में अस्थिरता, परिसंपत्ति पुनर्मूल्यांकन और सख्त क्रेडिट (Credit) शर्तों के साथ वैश्विक स्तर पर अधिक तेज मौद्रिक नीति की ओर एक बदलाव शामिल है।G-20 देशों के लिए विकास की उम्मीदें इस वर्ष के 3.6 फीसदी से घटकर 3.1 फीसदी रह गई हैं, जो पिछले वर्ष दर्ज की गई 5.9 फीसदी की वृद्धि का लगभग आधा है। साथ ही महामारी के बाद की आर्थिक सुधार चुनौतियों को एक जटिल समूह का सामना करना पड़ रहा है। कई प्रतिकूल प्रवृत्‍ति ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को एक साथ प्रभावित किया है, जिस कारण विकास काफी धीमा हो सकता है।वैश्विक अर्थव्यवस्था दो कारकों, मांग और आपूर्ति से संचालित होती है। मांग को अर्थव्यवस्था में उपभोक्ताओं द्वारा मांग की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की संख्या के रूप में परिभाषित किया गया है। आपूर्ति उन वस्तुओं और सेवाओं की संख्या है जो उत्पादकों जैसे किसानों द्वारा उपभोक्ताओं को खरीदने के लिए जारी की जाती हैं। अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने के लिए मांग और आपूर्ति को एक दूसरे के अनुरूप होना चाहिए।यदि आपूर्ति की तुलना में मांग अधिक तेजी से बढ़ती है, तो खरीदे जाने के लिए कम उत्पाद उपलब्ध होते हैं। अब उत्पाद खरीदने के लिए, अधिक लोग अधिक राशि का भुगतान करने के लिए तैयार होते हैं। इससे कीमतों के सामान्य स्तर (मुद्रास्फीति) में वृद्धि होती है।दूसरी ओर, यदि आपूर्ति मांग से अधिक बढ़ जाती है, तो अधिक से अधिक विक्रेता उत्पादों को सस्ती दर पर बेचने के लिए तैयार होते हैं। इससे अर्थव्यवस्था में सामान्य मूल्य स्तरों में गिरावट आती है।एक अन्य प्रकार की मुद्रास्फीति लागत जन्य मुद्रास्फीति है।
यह तब होता है जब कच्चे माल की कीमत कई कारकों के कारण बढ़ती है और इस प्रकार उत्पादन की कुल लागत बढ़ जाती है। अपने मुनाफे को बरकरार रखने के लिए, निर्माता उन्हें अधिक कीमत पर बेचते हैं और इसे अंतिम उपभोक्ता उच्च कीमतों परप्राप्त करते हैं। हालांकि अब भारत मुद्रास्फीति में लागत जन्य मुद्रास्फीति और मांग जन्य मुद्रास्फीति दोनों प्रकार का सामना कर रहा है।कोविड -19 महामारी के बाद अर्थव्यवस्था में मांग बढ़ रही है। आवाजाही पर प्रतिबंध के कारण सुस्त मांग में सुधार होना शुरू हो गया है। हालांकि, कंपनियों को माल की आपूर्ति बढ़ाने में समय लगता है। इससे महंगाई बढ़ी है और हमारी जेब पर दबाव बढ़ा है।आपूर्ति पक्ष पर, विभिन्न कारक इसके लिए जिम्मेदार हैं। कोविड -19 महामारी के प्रकोप के बाद से आपूर्ति श्रृंखला संघर्ष कर रही है। विशेष रूप से अर्धचालकों की भारी कमी हो गई है जिसके कारण मोबाइल फोन (Mobile phones), लैपटॉप (Laptop) और अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स (Electronic gadget) की कीमतों में वृद्धि हुई है।
साथ ही रूस-यूक्रेन (Russia-Ukraine) युद्ध से स्थिति और खराब हो गई है। रूस और यूक्रेन महत्वपूर्ण वस्तुओं के प्रमुख निर्यातक हैं। इसमें तेल, गेहूं, दुर्लभ धातुएं और उर्वरक शामिल हैं। प्रकोप के बाद से तेल की कीमतें आसमान छू गई हैं। और यह विशेष रूप से परेशानी भरा है क्योंकि तेल के बिना कोई परिवहन का चलना संभव नहीं है। इसलिए, यदि तेल बढ़ता है, तो हर वस्तु की कीमत बढ़ जाती है।रूस और यूक्रेन, जो दुनिया के शीर्ष 4 गेहूं निर्यातकों में से हैं, ने भी अनाज का निर्यात बंद कर दिया है। जिस कारण कंपनियों ने आटा और अन्य संबंधित उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी की है।इसी तरह, दुनिया भर में उर्वरक और दुर्लभ धातुओं जैसी अन्य वस्तुओं की कमी हो गई है। महंगाई के आंकड़े इस बात के गवाह हैं। इससे निवेशकों में हड़कंप मच गया है और शेयर बाजार भी इस पर नकारात्मक प्रतिक्रिया दे रहे हैं।
इन संकटों का आर्थिक प्रभाव जल्द ही देश में प्रकट होने की उम्मीद है, अगर इन देशों की सरकारें संकटों को जल्दी से दूर करने में विफल रहती हैं।आंतरिक दबावों के अलावा, क्षेत्रीय आर्थिक और राजनीतिक विकास का भारतीय अर्थव्यवस्था पर तत्काल प्रभाव पड़ सकता है।श्रीलंका (Sri Lanka), नेपाल (Nepal) और मालदीव (Maldives) में आर्थिक उथल-पुथल और पाकिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल भारत को कई गुना प्रभावित कर सकती है। इसलिए नई दिल्ली में 12 अप्रैल को आयोजित पहली अंतर-मंत्रालयी समन्वय समूह की बैठक में भारत के पड़ोसियों को उनकी अंतर्राष्ट्रीय गतिविधियों, कार्यक्रमों और परियोजनाओं में प्राथमिकता देने पर जोर दिया गया।श्रीलंका में आर्थिक उथल-पुथल को वर्तमान में विदेश मंत्रालय द्वारा राजनयिक और व्यापार प्रभावों के साथ सबसे अधिक अत्यावश्यक विदेशी चुनौती के रूप में देखा जाता है।पिछले कुछ वर्षों में श्रीलंका की अर्थव्यवस्था अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आकर्षित करने या अपने निर्यात को फैलाने में विफल रही है, हालांकि यह एक उच्च-मध्यम आय वाले देश में परिवर्तित हो गई है।अधिकांश भाग के लिए, श्रीलंकाई विकास अंतरराष्ट्रीय संप्रभु ऋणपत्र और महंगे अल्पकालिक बाहरी उधार के माध्यम से कायम रहा। इन निधि को वित्तीय तरलता बनाए रखने और बेहतर व्यापक आर्थिक नीति को बढ़ावा देने के अलावा शिक्षा, बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य सेवा में लगाया गया था।
हालांकि, अप्रैल 2021 तक श्रीलंका का विदेशी कर्ज 35 अरब डॉलर तक पहुंच गया था। मार्च में, मुद्रास्फीति बढ़कर 17.5 प्रतिशत हो गई, जो 2015 के बाद से सबसे अधिक है, और विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 1.9 बिलियन डॉलर हो गई, जो केवल एक महीने के आयात के लिए पर्याप्त है।इसका कर्ज और सकल घरेलू अनुपात 120 फीसदी है। इसलिए इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि 12 अप्रैल को सरकार ने अपने सभी बकाया विदेशी बकाए पर चूक कर दी। देश को इस साल 4 अरब डॉलर का कर्ज चुकाना है।जिस कारण यहाँ गहरी राजनीतिक और आर्थिक तबाही को देखा गया है, क्योंकि उनके पास ईंधन के आयात के लिए भुगतान करने के लिए पैसे नहीं हैं। वहीं नेपाल भी दशकों में अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है और देश में सरकार विरोधी प्रदर्शन भी बढ़ रहा है।नेपाल में, विदेशी श्रमिकों द्वारा प्रेषण, जो कि अर्थव्यवस्था का लगभग एक चौथाई हिस्सा है, बाहरी भुगतान के लिए महत्वपूर्ण हैं, वे जुलाई के मध्य से मार्च के मध्य तक एक साल पहले इसी अवधि में 5 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में 3 प्रतिशत गिरकर 5.3 अरब अमेरिकी डॉलर रह गया।
पाकिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल ने भारत के विदेश मंत्रालय में हलचल मचा दी है, फिर भी कई लोगों का मानना है कि यह एक सकारात्मक विकास साबित हो सकता है।
हालांकि हर देश की स्थिति अलग-अलग लग सकती है, फिर भी निकट भविष्य में उनका भारत पर संचयी असर हो सकता है।हालांकि भारतीय अर्थव्यवस्था समग्र रूप से बाहरी ताकतों के प्रति लचीला है, फिर भी ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि कुछ भारतीय राज्यों को सतर्क रहने की आवश्यकता है। इनमें से कुछ राज्यों को अपनी लोकलुभावन नीतियों के कारण संकट का सामना करना पड़ सकता है। एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि अपने लोकलुभावन नीतियों के कारण पंजाब, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे गैर-भाजपा शासित अधिकांश राज्य अपनी अर्थव्यवस्थाओं को खराब कर सकते हैं।

संदर्भ :-
https://bit.ly/3uSJ9EP
https://bit.ly/3ORC4fr
https://bit.ly/3nL8dtg

चित्र संदर्भ

1. एक श्रीलंकन नागरिक को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. गिरते-चढ़ते बाजार को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. यूक्रेन युद्ध को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. श्रीलंका के आर्थिक संकट 2022 को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आधुनिक हिंदी और उर्दू की आधार भाषा है खड़ी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:28 AM


  • नीली अर्थव्यवस्था क्या है और कैसे ये, भारत की प्रगति में योगदान दे रही है ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:29 AM


  • काइज़ेन को अपनाकर सफलता के शिखर पर पहुंची हैं, दुनिया की ये कुछ सबसे बड़ी कंपनियां
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:33 AM


  • क्रिसमस पर लगाएं, यीशु मसीह के जीवन विवरणों व यूरोप में ईसाई धर्म की लोकप्रियता का पता
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:31 AM


  • अपने परिसर में गौरवपूर्ण इतिहास को संजोए हुए हैं, मेरठ के धार्मिक स्थल
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, क्या है ज़ीरो टिलेज खेती और क्यों है यह, पारंपरिक खेती से बेहतर
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:30 AM


  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM


  • चलिए डालते हैं, फूलों के माध्यम से, मेरठ की संस्कृति और परंपराओं पर एक झलक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:22 AM


  • आइए जानते हैं, भारत में कितने लोगों के पास, बंदूक रखने के लिए लाइसेंस हैं
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:24 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id