Post Viewership from Post Date to 03-Aug-2022 (30th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
3450 43 3493

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

हमारे पहाड़ी राज्यों के मीठे-मीठे सेब उत्पादकों की बढ़ती दुर्दशा को समझना हैं ज़रूरी

मेरठ

 04-07-2022 10:09 AM
साग-सब्जियाँ

अपने प्राकृतिक संसाधनों के व्यापक उत्पादन के कारण भारत सब्जियों और फलों का एक प्रमुख निर्यातक देश बन गया है। उदाहरण के तौर पर, वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2014 से भारत के सेब निर्यात में 82 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। उत्तराखंड, कश्मीर और हिमांचल प्रदेश प्रदेश जैसे पहाड़ी राज्यों में सेब बहुतायत में उगने वाला फल है, लेकिन हाल के दिनों में इस लाभदायक खेती से जुड़ी, कुछ चुनौतियां भी हमारे देश के किसानों के सामने खड़ी हो गई है।
हिमांचल प्रदेश में शिमला जिले के रोहड़ू की सेब उत्पादक, डिंपल पंजता, फसल कटाई के मौसम से पहले ही परेशान हो चुकी हैं! उनके अनुसार उन्होंने कभी भी हिमांचल की पहाड़ियों को इतना गर्म और बारिश के लिए तरसते हुए नहीं देखा, जैसा अब देख रहीं है। इसका सीधा असर सेब की फसल पर पड़ा। उनका कहना है की "मेरे बाग में लगभग 30% फसल पहले ही खराब हो चुकी है"। सेब के 'क्षतिग्रस्त' होने से उनका मतलब है कि, फल या तो टूट गया है, या उसका आकार बढ़ना बंद हो गया है। “फलों का समय से पहले गिरना एक और आम समस्या बन गई है। वहीँ फल पर अब धब्बे भी दिखाई दे रहे हैं। 'ग्रेड बी' और 'ग्रेड सी' ('Grade B' and 'Grade C') के रूप में वर्गीकृत, फटे और धब्बेदार सेब मुख्य बाजार में नहीं बेचे जाते हैं। किसानों को एक स्वस्थ फसल के 60-70 रुपये प्रति किलोग्राम दाम मिलते हैं। लेकिन ये सेब 5-10 रुपये प्रति किलोग्राम से ज्यादा नहीं बिक रहे हैं।
हिमांचल प्रदेश में सेब की 90% फसल बारिश पर निर्भर होती है। मार्च, अप्रैल और मई के महीनों में सेब की फसल शारीरिक विकास के विभिन्न चरणों से गुजरती है, लेकिंन इस साल सेब का मौजूदा सीजन बारिश के लिहाज से सबसे खराब रहा है, और जून के महीने में भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ है।
दिल्ली स्थित मौसम कार्यालय के आंकड़ों के विश्लेषण पर आधारित, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट रिपोर्ट (Center for Science and Environment Report) के अनुसार, इस साल मार्च और अप्रैल के बीच हिमांचल में 21 और मई में, राज्य में 4 हीटवेव (heatwave) दिवस, दर्ज किये गए जो की राजस्थान और मध्य प्रदेश के बाद तीसरी सबसे अधिक संख्या थी। वहीं दूसरी ओर बारिश की रिकॉर्ड तोड़ कमी भी रही। हिमांचल प्रदेश मौसम विभाग से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, राज्य में मार्च और अप्रैल के महीनों में भारी बारिश में 95% और कम वर्षा में 90% कमी देखी गई है।
राज्य में मई के महीने में 23% कम बारिश दर्ज की गई, जो 2018 के बाद दर्ज की गई सबसे खराब बारिश है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, किन्नौर जैसे क्षेत्रों में, जिसे अच्छी गुणवत्ता वाले सेब के लिए जाना जाता है, वर्षा की कमी 60% तक हो गई है। विशेषज्ञों के अनुसार हर फसल का अपना शारीरिक विकास चरण होता है, जिसे तकनीकी शब्दों में फेनोलॉजी (phenology) कहा जाता है। इस बार हिमांचल में तापमान में तेज वृद्धि ने सेब की फसल की शारीरिक वृद्धि को बुरी तरह से प्रभावित किया है। हिमांचल में सेब 3,000 फीट से 10,000 फीट की ऊंचाई पर उगाया जाता है, और 6,000 फीट से नीचे के बागों को अधिक नुकसान हुआ है। साथ ही इस गर्मी की लहर से 70-80% नए वृक्षारोपण नहीं बच सके और यहां तक ​​कि पुराने पौधों में भी 'कैंकर' नामक कवक रोग का खतरा बढ़ गया है, जिसके परिणामस्वरूप पौधे की मृत्यु भी हो सकती है। राज्य की अर्थव्यवस्था में सेब की फसल की बहुत बड़ी भूमिका है। "राज्य से सालाना सेब का कारोबार 3000-4000 करोड़ रुपये से अधिक होता है"! लेकिन सेब की फसल की सिंचाई के विकास के लिए कभी भी बड़े पैमाने पर प्रयास नहीं किया गया था।
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2014 से भारत के सेब निर्यात में 82 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि इसी अवधि में फलों के आयात में मामूली रूप से 3.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। भारत को लंबे समय से एक कृषि प्रधान राष्ट्र के रूप में जाना जाता है, लेकिन आज इसकी अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे गैर-कृषि नौकरियों में स्थानांतरित हो रही है।
राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार, भारत में जम्मू और कश्मीर (70.54 प्रतिशत हिस्सेदारी), हिमांचल प्रदेश (26.22 प्रतिशत) और उत्तराखंड (2.66 प्रतिशत) के साथ वर्ष 2021-22 में सेब के सबसे बड़े उत्पादक राज्य हैं। भारत सेब के सबसे बड़े उत्पादक में पांचवें स्थान पर है, जिसमें चीन शीर्ष पर है और उसके बाद यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका हैं। कश्मीर दुनिया में सेब का 11वां सबसे बड़ा उत्पादक है।
हिमांचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के व्यापारी सेब पर आयात शुल्क बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। हिमांचल प्रदेश के फल, सब्जी और फूल उत्पादक संघ ने मुक्त व्यापार समझौते के तहत ईरान से सेब के सस्ते आयात के संबंध में राज्य के मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन सौंपा है। व्यापारियों को भंडारण से दूर होने के लिए कम कीमत पर सेब बेचना पड़ता है। साथ ही सरकार की ओर से प्रोत्साहन या सब्सिडी की कमी के कारण छोटे पैमाने पर भंडारण सुविधाओं का निर्माण भी ठप हो गया है। मौसम और महंगाई की दोहरी मार से बचने के लिए हिमांचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड के सेब किसानों का पहला सम्मेलन श्रीनगर में आयोजित किया गया था। कार्यशाला में अपनाए गए एक प्रस्ताव में कहा गया है कि, जहां सेब किसान एक वर्ष में लगभग ₹4,300 करोड़ कमाते हैं, वहीं खुदरा बाजारों में उनके द्वारा बेचे जाने वाले सेब का बाजार मूल्य लगभग ₹14,400 करोड़ हो जाता है। “शेष 70% मूल्य, यानी, प्रति वर्ष 10,000 करोड़ रुपये कॉर्पोरेट खिलाड़ियों, बिचौलियों,कमीशन एजेंटों, कोल्ड चेन मालिकों, ट्रांसपोर्टरों, थोक व्यापारियों, खुदरा विक्रेताओं, क्रेडिट संस्थानों सहित विभिन्न हितधारकों और सरकारों को कर के रूप में दे दिए जाते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कॉर्पोरेट खरीदार सेब की गुणवत्ता निर्धारित करने के लिए तुच्छ मानदंडों का उपयोग कर रहे हैं। कार्यशाला में कहा गया कि भारत में लगभग 24 लाख मीट्रिक टन सेब का उत्पादन होता है। इसमें कश्मीर का 77 फीसदी उत्पादन होता है और जम्मू-कश्मीर के सकल घरेलू उत्पाद का 8% सेब से होता है। “छोटे और मध्यम किसानों के पास भंडारण सुविधाओं की अनुपलब्धता के कारण लगभग 30% उत्पादन विभिन्न चरणों में बर्बाद या खराब हो जाता है। जिन किसानों को श्रम शुल्क सहित उत्पादन की लागत वहन करनी पड़ती है, उन्हें इस मूल्य श्रृंखला के 30% से भी कम मिलता है।
विशेषज्ञों के अनुसार “सेब कश्मीर की जीवन रेखा है। घाटी की लगभग 70% आबादी सेब की खेती पर निर्भर है। अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद घाटी में जो माहौल बना है, उससे पिछले तीन सीजन में उन्हें भारी नुकसान हुआ है”! कार्यशाला के एक मुख्य आयोजक और पूर्व विधायक एमवाई तारिगामी के अनुसार, श्रीनगर में आयोजित इस कार्यशाला के माध्यम से, हमारा प्रयास भारत के तीन राज्यों के 20 जिलों में सेब की खेती करने वाले किसानों तक पहुंचना है। हमने सेब किसानों की मांगों का एक घोषणापत्र भी पारित किया है। घोषणापत्र के अंतर्गत डेयरी सहकारी समितियों की तर्ज पर उत्पादक सहकारी समितियों के नेटवर्क के निर्माण के लिए सहायता प्रदान करने का आह्वान किया गया है। वे चाहते थे कि केंद्र और राज्य सरकारें उत्पादक सहकारी समितियों को नियंत्रित वातावरण भंडारण (Controlled Atmosphere Storage (CAS), कोल्ड चेन वाहनों, प्रसंस्करण और विपणन सुविधाओं सहित भंडारण बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए विशेष सहायता प्रदान करें। साथ ही सरकार “सार्वजनिक क्षेत्र में CAS को कॉर्पोरेट कंपनियों को पट्टे पर देना बंद करें और उन्हें किसानों की उत्पादक सहकारी समितियों को सौंपें। सेब और अन्य बागवानी फसलों के लिए खेती की लागत का वार्षिक अनुमान प्रदान करें जैसा कि अन्य फसलों के लिए किया जाता है। कार्यशाला ने यह मांग भी की कि बागवानी की जनगणना हर पांच साल में की जानी चाहिए”।
समिति ने कानूनी रूप से गारंटीकृत खरीद और सेब के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की भी मांग की। बीमारियों और प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल के नुकसान की स्थिति में किसानों को समर्थन देने के लिए एमएसपी पर बाजार का हस्तक्षेप किया जाना चाहिए। किसानों ने एचपीएमसी और हिमफेड (HPMC and Himfed) जैसी सरकारी एजेंसियों से सेब उत्पादकों का बकाया चुकाने और उपज की डिलीवरी पर किसानों को भुगतान करने की मांग की। उन्होंने कहा की सरकार को यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि कमीशन एजेंटों और निजी व्यापारियों को सेब उत्पादकों को भुगतान किए जाने वाले बकाया का भुगतान करना चाहिए।

संदर्भ

https://bit.ly/3aarLEb
https://bit.ly/3ugD30i
https://bit.ly/3yBmeQC

चित्र संदर्भ
1. गोदाम में पैक किये जा रहे सेबों को दर्शाता एक चित्रण (facebook)
2. सेब के पेड़ को दर्शाता एक चित्रण (facebook)
3. सेब के पेड़ के साथ पहाड़ी महिला को दर्शाता एक चित्रण (Pixabay)
4. खाद्य और कृषि संगठन कॉर्पोरेट सांख्यिकीय डेटाबेस (FAOSTAT) के 2016 के आंकड़ों के आधार पर, टन में सेब उत्पादन द्वारा देशों को दिखाने वाले एक कोरोप्लेथ नक़्शे को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. सेब विक्रेता को दर्शाता एक चित्रण (flickr)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • राजस्थान के बाड़मेर शहर का एप्लिक कार्य, आप को भी अपनी सुंदरता से करेगा आकर्षित
    स्पर्शः रचना व कपड़े

     18-10-2024 09:22 AM


  • मानवता के विकास में सहायक रहे शानदार ऑरॉक्स को मनुष्यों ने ही कर दिया समाप्त
    स्तनधारी

     17-10-2024 09:24 AM


  • वर्गीकरण प्रणाली के तीन साम्राज्यों में वर्गीकृत हैं बहुकोशिकीय जीव
    कोशिका के आधार पर

     16-10-2024 09:27 AM


  • फ़िल्मों से भी अधिक फ़िल्मी है, असली के जी एफ़ की कहानी
    खदान

     15-10-2024 09:22 AM


  • मिरमेकोफ़ाइट पौधे व चींटियां, आपस में सहजीवी संबंध से, एक–दूसरे की करते हैं सहायता
    व्यवहारिक

     14-10-2024 09:28 AM


  • आइए देखें, कैसे बनाया जाता है टूथपेस्ट
    वास्तुकला 2 कार्यालय व कार्यप्रणाली

     13-10-2024 09:16 AM


  • द लॉर्ड ऑफ़ द रिंग्स: रामायण की भांति,अंगूठी पर केंद्रित, प्रकाश की जीत का कालजयी महाकाव्य
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     12-10-2024 09:25 AM


  • आइए जानें, स्टॉक एक्सचेंज और इसके महत्त्वों के बारे में
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     11-10-2024 09:18 AM


  • नागर और द्रविड़ शैली का मिश्रण है मंदिर वास्तुकला की वेसर शैली
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     10-10-2024 09:17 AM


  • पोस्टक्रॉसिंग से आप, मेरठ के दुर्लभ चित्रों को दर्शाते पोस्टकार्ड, दुनिया से साझा करें !
    संचार एवं संचार यन्त्र

     09-10-2024 09:13 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id