Post Viewership from Post Date to 15-Feb-2022
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1825 121 1946

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

पृथ्वी पर सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाली मछली क्या सिखा सकती है मनुष्य को

मेरठ

 17-01-2022 10:51 AM
मछलियाँ व उभयचर

जीवाश्मों के खराब संरक्षण जिसमें कठोर कंकालों का अभाव है, के कारण मछलियों की उत्पत्ति लंबे समय से रहस्यमय बनी हुई है। लेकिन एक नई खोज इस संदेह को दूर करती है क्योंकि वे स्पष्ट रूप से केवल वास्तविक कशेरुकियों में जो लक्षण पाए जाते हैं, उन्हें प्रदर्शित करती है। इसलिए यह जीव कशेरुकी विकास के शुरूआती चरण को समझने में अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिसके परिणामस्वरूप अंततः मनुष्यों का विकास हुआ।इस क्रम के पहले चरण को कॉर्डेट्स (Chordates) या उन जीवों द्वारा दर्शाया जाता है, जिनके शरीर को सहारा देने के लिए एक नॉटोकॉर्ड (Notochord) होता है।मछलियों के विकास की बात करें तो यह लगभग 530 मिलियन वर्ष पहले कैम्ब्रियन विस्फोट (Cambrian explosion) के दौरान शुरू हुआ था।यह वो समय था, जिसके दौरान शुरुआती कॉर्डेट्स में खोपड़ी और कशेरुक स्तंभ विकसित हुए, जिससे पहले क्रेनिएट्स (Craniates) और कशेरुकी बने। पहला मछली वंश अग्निथा (Agnatha), या जबड़े रहित मछली से संबंधित है। प्रारंभिक उदाहरणों में हाइकोइचिथिस (Haikouichthys) शामिल हैं।सबसे पहले जबड़े वाले कशेरुकी शायद ऑर्डोविशियन (Ordovician) काल के अंत के दौरान विकसित हुए थे। इन्हें मछली के दो समूहों द्वारा पहली बार सिलुरियन (Silurian) के जीवाश्म रिकॉर्ड में दर्शाया गया। एक समूह प्लेकोडर्म(Placoderms) का है तथा दूसरा एकांथोडी (Acanthodii) का।डेवोनियन (Devonian) काल के दौरान मछली की विविधता में काफी वृद्धि हुई, विशेष रूप से ओस्ट्राकोडर्म (Ostracoderms) और प्लेकोडर्म के बीच तथा लोब-फिन्ड (Lobe-finned) मछली और शुरुआती शार्क के बीच भी। लोब-फिन्ड मछली से चार पैरों वाले कशेरुक,टेट्रापोड (Tetrapods) विकसित हुए।कई अन्य जीवों की तरह मछली पूरे प्राकृतिक इतिहास में विलुप्त होने की घटनाओं से बहुत प्रभावित हुई है। दुनिया की सबसे पुरानी मछली 500 मिलियन साल पहले मौजूद थी।518 मिलियन वर्ष पुरानी मछली मेटास्प्रिगिना वाल्कोटी (Metasprigginawalcotti) लगभग 6 सेंटीमीटर लंबी थी, जिसमें बड़ी उभरी हुई आंखें और छोटे युग्मित नसल कैप्सूल (Nasal capsules) मौजूद थे।इसने सात जोड़ी बाहरी गलफड़ों के जरिए सांस ली।इसकी रीढ़ को सहारा देने के लिए इसके शरीर में एक मजबूत रॉड (नोटोकॉर्ड)थी, जो मजबूत W-आकार की पेशीय बैंड को पूरे शरीर के साथ विकसित होने में सक्षम बनाती थी।इसकी तेजी से तैरने की क्षमता इसे विशाल समुद्र में विशाल शिकारियों द्वारा बचाने में निस्संदेह महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थी।मेटास्प्रिगिना को पहली बार 1993 में खोजा गया था और नाम दिया गया था क्योंकि इसे तब ऑस्ट्रेलिया (Australia) के एडियाकारन (Ediacaran) जीवों से सम्बंधित स्प्रिगिना से संबंधित माना जाता था, जो 560 मिलियन वर्ष पुराना था।नए जीवाश्म दुर्लभ नरम ऊतक विशेषताओं को प्रदर्शित करते हैं,जैसे हृदय, यकृत, आंत और संचार वाहिकाओं के दागदार निशान। मछली एक कशेरुकी है, एक रीढ़ की हड्डी वाला जानवर जो पानी के नीचे जीवित रहने के लिए अनुकूलित हुआ। आज, पृथ्वी पर स्तनधारियों, पक्षियों, सरीसृपों और उभयचरों की सभी प्रजातियों की तुलना में मछलियों की अधिक प्रजातियाँ हैं। वास्तव में, मछली लगभग 450 मिलियन से अधिक वर्षों से हैं। इसके विपरीत स्तनधारियों के जीवन काल को देंखे तो वे केवल लगभग 200 मिलियन वर्षों से पृथ्वी पर हैं।मछलियों का औसत जीवनकाल 5 वर्ष से लेकर 100 वर्ष तक होता है, कुछ असाधारण प्रजातियाँ मनुष्यों की आयु से भी अधिक जीवित रहती हैं।मछली की प्रत्येक प्रजाति का एक अलग औसत जीवनकाल होता है। औसत जीवनकाल इस बात पर भी निर्भर करता है कि वे स्वच्छ पानी की मछली हैं या खारे पानीकी मछली। साथ ही उनके प्राकृतिक आवास की गुणवत्ता जहां वे रहते हैं। प्रकृति में मछलियाँ काफी समय तक जीने में सक्षम होती हैं। कुछ स्वच्छ पानी की मछलियाँ लगभग 100 वर्षों तक पहुँच सकती हैं। पैडलफिश (Paddlefish) लगभग 55 साल तक जीवित रह सकती हैं।जबकि स्वच्छ पानी की खेल या गेम मछली केवल भोजन और पानी के तापमान की उपलब्धता के आधार पर लगभग 6-8 साल तक जीवित रहती है।सेलफिश (Sailfish) का जीवनकाल लगभग 5 वर्ष है, लेकिन वे 13-15 वर्ष तक जीवित रहने में सक्षम हैं। रेड ड्रम (Red drum) 60 साल तक जीवित रह सकता है।दुनिया की सबसे पुरानी मछली ग्रीनलैंड शार्क (Greenland shark) है, जिसमें 392 वर्षीय मादा नमूना अब तक की खोजी गयी सबसे पुरानी मछली है। वैज्ञानिकों के अनुसार, कम से कम 272 वर्षों के जीवनकाल के साथ, ग्रीनलैंड शार्क अब पृथ्वी पर ज्ञात सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाली कशेरुकी है।ग्रीनलैंड शार्क 156 साल की उम्र में यौन परिपक्वता तक पहुंचती हैं। माना जा रहा है यह शार्क मनुष्यों के लिए इस बात का महत्वपूर्ण उदाहरण हो सकती है, कि लंबे समय तक कैसे जीवित रहा जा सकता है। इससे वैज्ञानिकों को मानव जीवन काल का विस्तार करने में सक्षम होने की उम्मीद है। इसके अलावा यह भी माना जा रहा है, कि यह मनुष्यों में उम्र बढ़ने के साथ होने वाले रोगों जैसे कैंसर, हृदय रोग आदि से भी बचाने में सक्षम हो सकते हैं।शार्क की लंबी उम्र के लिए एक संभावित व्याख्या यह है कि वे अपना जीवन 2,000 मीटर नीचे बिताते हैं, जहां पानी का तापमान लगभग 29 डिग्री फ़ारेनहाइट होता है। अत्यधिक ठंड के कारण चयापचय और परिपक्वता दर धीमी हो जाती है।मनुष्य पानी के भीतर तो रहना शुरू नहीं कर सकता लेकिन वैज्ञानिकों को लगता है कि यदि शार्क के जीवन-विस्तार वाले जैविक अनुकूलन में से कुछ को अपनाया जाए तो मानव का जीवन काल लंबा किया जा सकता है। उदाहरण के लिए शार्क का दिल धीरे-धीरे पंप करता है,लगभग हर 12 सेकंड में एक बीट होती है। मानव हृदय वयस्कता में लगभग एक सेकंड में एक बार धड़कता है लेकिन समय के साथ धीमा हो जाता है।शोधकर्ता एमआरआई स्कैन (MRI scans), मास स्पेक्ट्रोमेट्री (Mass spectrometry), और अन्य तकनीकों के साथ शार्क नमूनों की जांच करेंगे ताकि कार्डियोवैस्कुलर (Cardiovascular) ऊतक की रक्षा करने वाले किसी भी अणु की पहचान की जा सके।यदि हम ऐसे तरीके खोज लेते हैं जो उम्र के साथ हृदय के रूप और कार्य बदलने से रोकते हैं, तो ऐसी दवाएं विकसित की जा सकती हैं,जो मनुष्यों में समान प्रक्रिया को शुरू कर सके।यह उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है, जिन्हें विशेष रूप से पारिवारिक इतिहास के कारण दिल की समस्याओं का खतरा है। ग्रीनलैंड शार्क कैंसर और संक्रामक रोगों के प्रति कम जोखिम रखते हैं और यह शायद उनकी असामान्य प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण है। शार्क में मनुष्यों के समान श्वेत कोशिकाएं नहीं होती हैं, जो कैंसर कोशिकाओं और हानिकारक रोगजनकों को नष्ट करती हैं, लेकिन फिर भी वे ऐसे रोगों से आसानी से बच सकती है। इसका मतलब यह हो सकता है कि इनमें कोई ऐसा आनुवंशिक उत्परिवर्तन हो सकता है, जो कैंसर कोशिकाओं को रोकने और बैक्टीरिया और वायरल आक्रमणकारियों से लड़ने में मदद करते हैं। शोधकर्ता डीएनए (DNA) के उन विशेष संयोजनों की खोज कर रहे हैं जो केवल ग्रीनलैंड शार्क में पाए जाते हैं और उन्हें वर्षों तक जीवित रखते हैं।यदि उस विशिष्ट जीन उत्परिवर्तन की खोज हो जाती है, तो मानव जीनोम में लाभकारी शार्क जीनों को जोड़ा जा सकेगा तथा शरीर को इस प्रकार संशोधित किया जा सकेगा जो बीमारी से बचने और शार्क की तरह लंबे समय तक जीवित रहने में मदद करेगा।

संदर्भ:
https://bit.ly/3ftlYII
https://bit.ly/3GuZHpU
https://bit.ly/3qr4SBP
https://bbc.in/3K8DfVZ
https://nbcnews.to/3fobV7T

चित्र संदर्भ   
1. डंकलियोस्टियस "इंटरमीडियस" (Dunkleosteus "Intermedius")। बी डीन . के प्रसिद्ध कंकाल चित्र पर आधारित चित्र को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. लैम्प्रे मछली के मुँह को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. चीन में लगभग 518 मिलियन वर्ष पहले के प्रारंभिक कशेरुक हाइकोइचिथिस, "सभी कशेरुकियों के पूर्वज" हो सकते हैं और यह सबसे पहले ज्ञात मछलियों में से एक है।जिसको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4 .निरंतर विकासवादी उन्नयन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. ग्रीनलैंड शार्क को दर्शाता एक चित्रण (flickr)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id