Post Viewership from Post Date to 03-Feb-2022
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
646 141 787

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

मेरठ में संकटग्रस्त पक्षी फिन बुनकर का संरक्षण

मेरठ

 05-01-2022 10:28 AM
पंछीयाँ

भारत का एक ऐसा पक्षी जिसके बारे में जहां बहुत ही कम लोगों ने सुना है तो शायद ही किसी ने देखा होगा। प्रजातियों की उपस्थिति और अनुपस्थिति भारतीय उपमहाद्वीप की पारिस्थितिक स्थिति का एक प्रमुख संकेतक है। ऐसे ही "फिन्स वीवर (Finn's weaver– फिन बुनकर)" सुंदर पीला बाया पक्षी जिसके बारे में हम में से अधिकांश ने सुना होगा और मेरठ के आसपास देखा भी होगा, विशेष रूप से हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य में। इस प्रजाति का नाम ह्यूम (Hume) ने नैनीताल के निकट कालाढूंगी में प्राप्त नमूने के आधार पर रखा था। फ्रैंक फिन (Frank Finn) द्वारा कलकत्ता के पास तराई (Terai) में इस प्रजाति की खोज की गई थी। ओट्स (Oates) ने इसे 1889 में "द ईस्टर्न बाया (The Eastern Baya)" कहा और स्टुअर्ट बेकर (Stuart Baker) ने ब्रिटिश (British) भारत के जीवों के दूसरे संस्करण (1925) में इसे फिन्स बाया कहा।हैरानी की बात है कि अगले 60 वर्षों के दौरान, 1959 में सलीम अली द्वारा कुमाऊं तराई में इस पक्षी की प्रजातियों की फिर से खोज करने से पहले, भूटान डुआर्स (Bhutan Duars) में एक प्रजनन उपनिवेश की खोज के अलावा ओर अधिक कुछ नहीं प्राप्त हुआ था।1912 में, एक अन्य पक्षी विज्ञानी वी. ओ'डोनेल (V. O’Donel) को पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के हासीमारा में एक प्रजनन उपनिवेश मिला। हालांकि हुमायूं अब्दुलाली ने कभी-कभी कोलकाता और मुंबई पक्षी बाजारों में प्रजातियों की उपस्थिति की जांच की और आख्या की, लेकिन जंगल में प्रजातियों के सटीक स्थानों के बारे में कुछ भी नहीं पता चल पाया था। फिन्स वीवर मई से सितंबर तक प्रजनन करते हैं। और इनका घोंसला पेड़ों के ऊपर या ईख में बनाया जाता है। घोंसला भारत में पाई जाने वाली अन्य बुनकर प्रजातियों से संरचना में भिन्न होता है, लेकिन अन्य बुनकरों की तरह, पत्तियों और नरकट की पतली पट्टियों से बुना जाता है।यह प्रजाति अन्य बुनकरों के विपरीत, घोंसले के पूरे अंदर की रेखा बनाती है, जो केवल घोंसले के फर्श को रेखाबद्ध करती है।नर पक्षी जहां घोंसला बना होता है उस पेड़ की पत्तियों को हटा देते हैं ताकि गोलाकार घोंसले स्पष्ट रूप से दिखाई दें।झुंडों में चलते समय प्रजाति मिलनसार होती है और वे मुख्य रूप से चावल के दाने, छोटे बीज और कीड़ों पर एक साथ भोजन करते हैं।पक्षियों को अक्सर जुताई वाले खेतों या अर्ध-पके धान में चरते हुए देखा जाता है और विशेष रूप से भांग के बीज के शौकीन होते हैं।वे अकशेरुकी जीवों पर भी भोजन करते हैं। बाया बुनकर की तुलना में इनका आवाहन काफी जोर से, कठोर और अधिक 'नटखट' होतीहैं। फिन पक्षी की संख्या भारत में 500 से भी कम है तथा यह मुख्यतः तराई घास के मैदानों, उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पाया जाता है, इसके अलावा असम (Assam) के कुछ हिस्सों में भी पाया जाता है।फिन के बुनकर (Ploceusmegarhynchus) जो अब तक अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की लाल सूची में "अतिसंवेदनशील" के रूप में सूचीबद्ध थे, को "लुप्तप्राय" श्रेणी में सूचीबद्ध कर दिया गया है।फिन बुनकर पक्षी गंभीर रूप से संकटग्रस्त है क्योंकि दुनिया में केवल 1,000 पक्षी शेष हैं, जिनमें से आधे भारत में हैं। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ की सूची में इसके स्थान में संशोधन तो कर दिया गया है, लेकिन अब हमें इस प्रजाति के पुनरुद्धार में मदद करने पर विचार करना चाहिए।हस्तिनापुर वन्यजीव अभयारण्य में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वित्त पोषित संरक्षण परियोजना अप्रैल 2020 में शुरू होनी थी, लेकिन कोविड 19 (Covid-19) के प्रकोप के कारण इसमें देरी हुई। हालांकि 2021 में अप्रैल में दूसरी लहर के प्रकोप के कारण इसमें फिर से देरी हो गई, क्योंकि अप्रैल में पक्षियों को प्रजनन के लिए विशेष रूप से बनाए गए पक्षीशाला में कैद में रखा जाना था।लेकिन इस वर्ष अप्रैल में इस योजना को साकार करने का प्रयास किया जाएगा। साथ ही मेरठ के क्षेत्र में डॉ रजत भार्गव का कार्य उल्लेखनीय है। बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (Bombay Natural History Society) के एक पक्षी विज्ञानी और वैज्ञानिक रजत भार्गव द्वारा फिन बुनकर की प्रजाति को बचाने के लिए 'आंदोलन' का नेतृत्व किया गया और उत्तर प्रदेश वन प्रभाग द्वारा वित्त पोषित और बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी द्वारा कार्यान्वित फिन बुनकर पक्षी संरक्षणऔर प्रजनन कार्यक्रम का नेतृत्व भी कर रहे हैं।फिन बुनकर की प्रजाति में तेज गिरावट का प्राथमिक कारण आवास का विनाश है। 60 साल पहले तक, यह पक्षी विशाल घास के मैदानों, अपने प्राकृतिक आवास की उपलब्धता के कारण फलता-फूलता था, लेकिन वर्षों से, परिदृश्य में बदलाव आया और कृषि और निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ।विशेष रूप से, फिन्स बुनकर एकमात्र ऐसे पक्षी नहीं हैं जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ की सूची में संशोधित किया गया है। दुनियाभर में हुए 27 संशोधित में से पांच पक्षी भारत में पाए जाते हैं।भारत के अन्य पक्षी निकोबार इम्पीरियल-कबूतर (Nicobar Imperial-pigeon), ग्रीन इंपीरियल-कबूतर (Green Imperial-pigeon) और माउंटेन हॉक-ईगल (Mountain Hawk-eagle) (सूची में कम से कम चिंतित से लगभग खतरे में चले गए) हैं।लेकिन पाँचवाँ पक्षी जो बड़ी चिंता का विषय है, वह है लेसर फ्लोरिकन (Lesser Florican)जिसको सूची में "लुप्तप्राय" से "गंभीर रूप से लुप्तप्राय" में स्थानंतरित कर दिया गया है। इनकी प्रजाति के कम होने के पीछे का मुख्य कारण खत्म होते घास के मैदान हैं तथा यह पक्षी केवल भारत में पाया जाता है, खासकर राजस्थान और गुजरात में। इनकी प्रजाति में गिरावट का एक अन्य कारण कौवे द्वारा घोंसले के उपनिवेशों का शिकार करना है। कौवे की बढ़ती आबादी (कचरे और मानव आवासों के विकास के दबाव से संबंधित) बुनकर पक्षियों के असफल प्रजनन का कारण हो सकती हैं। अन्य तीन भारतीय बुनकर पक्षियों के घोंसले की तुलना में, पेड़ के ऊपर इनके घोंसले शिकारियों के लिए अधिक सुलभ होते हैं। क्या फिनबुनकर जैसे एवियन (Avian) की गिरावट को रोकने के लिए कुछ किया जा सकता है? निस्संदेह हाँ, बशर्ते हमें जैव विविधता संरक्षण, पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य और मानव जीवन की गुणवत्ता के बीच संबंध को समझना होगा।सबसे पहले राज्य सरकार द्वारा मौजूदा घास के मैदानों के आवासों को पुनः स्थापित करने के लिए योजना बनाने की जरूरत है। यह मिट्टी के माइक्रोफ्लोरा (Microflora), कीड़े, सरीसृप, उभयचर, पक्षियों और स्तनधारियों से लेकर सभी घास के मैदानों की प्रजातियों को लाभान्वित करेगा।कौवे के शिकार का मुद्दा भी महत्वपूर्ण है और लंबी अवधि की योजनाओं के फलीभूत होने की प्रतीक्षा किए बिना इसे संबोधित करना शायद सबसे आसान है।इसलिए यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि फिन बुनकर पक्षी की पहचान कर इसके संरक्षण में मदद की जाएं।

संदर्भ :-

https://bit.ly/3HwSN3v
https://bit.ly/3mV3kxI
https://bit.ly/3mVjqHI
https://bit.ly/3FVacmj

चित्र संदर्भ   

1. फिन बुनकर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. फिन बुनकर का घोंसला भारत में पाई जाने वाली अन्य बुनकर प्रजातियों से संरचना में भिन्न होता है, जिसको को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
3. भांग के पत्ते पर फिन बुनक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. पक्षी विज्ञानी और वैज्ञानिक रजत भार्गव द्वारा लिया गया फिन बुनकर का एक चित्रण (sanctuarynaturefoundation)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id