Post Viewership from Post Date to 15-Dec-2021 (30th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1700 89 1789

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

सामाजिक शिक्षा का एक रूप है,अनुकरण

मेरठ

 16-11-2021 10:42 AM
व्यवहारिक

कोई भी बच्चा जब बड़ा होता है, तो वह अपने आस-पास की विभिन्न गतिविधियों को अपने माता-पिता या सगे-सम्बंधियों की गतिविधियों को देखकर सीखता है।यह प्रक्रिया केवल किसी बच्चे या मानव में ही नहीं बल्कि जानवरों में भी होती है, जिसे अनुकरण या नकल कहा जाता है।अनुकरण,एक ऐसा व्यवहार है जिसके द्वारा एक व्यक्ति दूसरे के व्यवहार को देखता है और फिर उसी व्यवहार का अनुकरण करता है।अनुकरण भी सामाजिक शिक्षा का एक रूप है जो परंपराओं के विकास और अंततः हमारी संस्कृति के विकास की ओर जाता है, या उसके विकास में सहायता करता है। अनुकरण के लिए किसी अनुवांशिक कारक की आवश्यकता नहीं होती। इसकी सहायता से अनुवांशिक कारक के बिना ही व्यक्तियों के बीच सूचना (व्यवहार, रीति- रिवाज,आदि) का हस्तांतरण पीढ़ी दर पीढ़ी हो जाता है।
अनुकरण शब्द को अंग्रेजी में इमीटेशन (Imitation) कहा जाता है, जो लेटिन शब्द इमिटेटिओ (Imitatio) से निकला है, जिसका अर्थ है, नकल करना।अनुकरण शब्द को कई संदर्भों में लागू किया जा सकता है, जैसे पशु प्रशिक्षण से लेकर राजनीति तक।यह शब्द आम तौर पर सचेत व्यवहार को संदर्भित करता है।अवचेतन नकल को प्रायः मिररिंग (Mirroring) कहा जाता है।मनोविज्ञान में, अनुकरण या नकल एक ऐसा पुनरुत्पादन या प्रदर्शन है, जो किसी अन्य जानवर या व्यक्ति द्वारा किए जाने वाले समान कार्य से प्रेरित होता है।अनिवार्य रूप से,इसमें एक मॉडल शामिल होता है, जिसमें नकल करने वाले का ध्यान और प्रतिक्रिया निर्देशित होती है।एक वर्णनात्मक शब्द के रूप में, अनुकरण व्यवहार की एक विस्तृत श्रृंखला को शामिल करता है।
अपने मूल आवास में,युवा स्तनधारियों को प्रजातियों के पुराने सदस्यों की गतिविधियों या एक- दूसरे के खेल की नकल करते हुए देखा जा सकता है।मनुष्यों में अनुकरण या नकल में रोज़मर्रा के अनुभव शामिल हो सकते हैं, जैसे जब दूसरे जम्हाई लेते हैं, तब अपने आपको भी जम्हाई आने लगती है।मनुष्य सामाजिक आचरण का अनजाने और निष्क्रिय रूप से अनुकरण कर लेता है, तथा दूसरों के विचारों और आदतों को अपना लेता है।शिशुओं के अध्ययन से पता चलता है कि पहले वर्ष की दूसरी छमाही में एक बच्चा दूसरों की भावबोधक गतिविधियों की नकल करता है। उदाहरण के लिए हाथ उठाना, मुस्कुराना और बोलने का प्रयास करना।दूसरे वर्ष में बच्चा वस्तुओं के प्रति अन्य लोगों की प्रतिक्रियाओं की नकल करना शुरू कर देता है।जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है, उसके सामने सभी प्रकार की चीजें रखी जाती हैं, जिनमें से अधिकांश उसकी संस्कृति द्वारा निर्धारित होते हैं। इनमें शारीरिक मुद्रा, भाषा,बुनियादी कौशल,पूर्वाग्रह और सुख,नैतिक आदर्श और वर्जनाएं शामिल हैं। इन सभी चीजों की एक बच्चा कैसे नकल करता है,यह मुख्य रूप से इनाम या दंड के सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभावों से निर्धारित होता है जो बच्चे के विकास को निर्देशित करते हैं। पहले के मनोवैज्ञानिकों का यह मानना था कि अनुकरण एक सहज प्रवृत्ति या कम से कम विरासत में मिली प्रवृत्ति के कारण हुआ, जबकि बाद के लेखकों ने अनुकरण के तंत्र को सामाजिक शिक्षा के तंत्र के रूप में देखा।मानव के समान जानवरों में भी अनुकरण देखा जाता है, जिसके कई साक्ष्य मौजूद हैं।वानरों, पक्षियों और विशेष रूप से जापानी बटेरों पर किए गए प्रयोगअनुकरणीय व्यवहार के सकारात्मक परिणाम प्रदान करते हैं।पक्षियोंने दृश्य नकल का प्रदर्शन किया है, जहां जानवर बस जैसादेखता है वैसा ही करता है। इसी प्रकार वानरों पर किए गए अध्ययनों से पता चलता है, कि वानर जो अनुकरण करते हैं, उसे याद रखने और सीखने में सक्षम हैं।अनुकरण के दो प्रकार के सिद्धांत हैं,परिवर्तनकारी (Transformational) और सहकारी (Associative)।परिवर्तनकारी सिद्धांतों का सुझाव है कि कुछ व्यवहार को प्रदर्शित करने के लिए आवश्यक जानकारी आंतरिक रूप से संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं के माध्यम से निर्मित की जाती है और इन व्यवहारों को देखने से उन्हें दोहराने का प्रोत्साहन मिलता है।मतलब हमारे पास पहले से ही किसी भी व्यवहार को फिर से बनाने के लिए एक कोड है, और इसका अवलोकन करने से इसकी प्रतिकृति बन जाती है।सहकारीसिद्धांत का यह सुझाव है कि कुछ व्यवहारों को प्रदर्शित करने के लिए आवश्यक जानकारी हमारे भीतर से नहीं आती है। यह पूरी तरह से हमारे परिवेश और अनुभवों से आती है।दुर्भाग्य से इन सिद्धांतों ने अभी तक जानवरों में सामाजिक शिक्षा के क्षेत्र में परीक्षण योग्य भविष्यवाणियां प्रदान नहीं की हैं।पशु अनुकरण के क्षेत्र में मुख्य रूप से तीन प्रमुख विकास हुए हैं। पहले में व्यवहारिक पारिस्थितिकीविदों और प्रयोगात्मक मनोवैज्ञानिकों ने पाया कि जैविक रूप से महत्वपूर्ण स्थितियों में विभिन्न कशेरुकी प्रजातियों के व्यवहार में अनुकूली पैटर्न होना चाहिए। दूसरे में एप्रिमैटोलॉजिस्ट (Primatologists) और तुलनात्मक मनोवैज्ञानिकों ने ऐसे साक्ष्य पाए,जो जानवरों में अनुकरण के माध्यम से उचित रूप से सीखने का सुझाव देते हैं।तीसरे में जनसंख्या जीवविज्ञानी और व्यवहारिक पारिस्थितिकीविदों ने ऐसे प्रयोग किए जिनमें जानवरों की रहने की स्थिति में परिवर्तन किए गए तथा उन्हें सामाजिक शिक्षा पर निर्भर रहने के लिए छोड़ दिया गया ताकि वे अपने अस्तित्व को बचा सकें।जानवरों में अनुकरण का सबसे बड़ा योगदान उसके अस्तित्व को बचाए रखने में हैं। अनुकरण के माध्यम से जानवर अपनी प्रजाति के अन्य सदस्यों से वातावरण या परिस्थितियों के सापेक्ष अनुकूलन करना सीखते हैं, जो उनके अस्तित्व को बचाने में सहायता करता है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3FcbGHO
https://bit.ly/3wLLIYK
https://bit.ly/3niMOZ8
https://bit.ly/3HrCXIy

चित्र संदर्भ
1. पिता का अनुकरण करते पुत्र को दर्शाता एक चित्रण (istock)
2. साथ में पढ़ते पिता और पुत्री को दर्शाता एक चित्रण (Fotolia)
3. फोन पर बात करती अपनी माँ की नकल करते बच्चे को दर्शाता एक चित्रण (Masterfile)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM


  • हमारे सौर मंडल में, एक बौने ग्रह के रूप में, प्लूटो का क्या है महत्त्व ?
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:29 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id