Post Viewership from Post Date to 15-Feb-2021 (5th day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2415 1594 0 0 4009

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

कैसे महामारी ने हमारे भोजन की आदतों में एक बहुप्रतीक्षित व्यवहार परिवर्तन को प्रेरित किया है

मेरठ

 10-02-2021 11:23 AM
स्वाद- खाद्य का इतिहास
कोविड-19 (Covid-19) महामारी दुनिया का सबसे बड़ा सामाजिक-आर्थिक और स्वास्थ्य संकट है। यह काल्पनिक रूप से हो या अस्तित्वगत रूप से, शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र या व्यक्ति हो जो महामारी और उसके बाद के लॉकडाउन (Lockdown) से अप्रभावित रहा हो। हालाँकि महामारी में बुरी ख़बरों का एक सिलसिला देखने को मिला, लेकिन इस दौरान केवल हताश करने वाली खबरें ही हमें देखने को नहीं मिली हैं, बल्कि कई अच्छी खबरें भी सुनने में आई हैं, जैसे लॉकडाउन के चलते दुनिया भर के लोगों की पोषण संबंधी आदतों में एक सकारात्मक बदलाव जैसे कि खासतौर पर शहरी आबादी (जो आम तौर पर (पूर्व-कोविड) अधिक प्रसंस्कृत फास्ट फूड का सेवन करते हैं और अपने ग्रामीण समकक्षों की तुलना में अधिक बाहर खाते हैं, जैसा कि सामाजिक मीडिया (Media) पर दिखाई देता है) के बीच खाने की आदतों में बदलाव देखने को मिला है।
एक प्रवृत्ति रिपोर्ट (Report), में बेहतर, साफ सुथरा और हर भरा खाने के इस त्वरित बदलाव को उजागर करती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि, "इन प्रवृत्तियों में से प्रत्येक व्यवहार और सामाजिक परिवर्तनों से प्रभावित है, जो महामारी की शुरुआत के बाद से उभरे हैं, जिनमें चिंता और तनाव की बढ़ रही भावनाएं, प्राथमिकताओं को स्थानांतरित करना, सामाजिक संपर्क में बदलाव और स्वस्थ्य के लिए अधिक समग्र दृष्टिकोण को अपनाना शामिल है।” रिपोर्ट में पाया गया कि उनके उपभोक्ताओं में से 31% स्वास्थ्य लाभ से भरपूर अधिक समग्रियों को खरीद रहे हैं, और 50% ने पौष्टिक तत्व और प्रतिरक्षा और ऊर्जा में सुधार करने वाले खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों को प्राथमिकता दी है।
महामारी और संबंधित लॉकडाउन के चलते लोगों में देखे गए खाने की आदतों और भोजन विकल्पों पर प्रत्याशित प्रभाव के विभिन्न रूपों के बारे में निम्न बताया गया है:
घर के बने भोजन को प्राथमिकता देनी :
राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के शुरुआती चरण में रेस्तरां और अन्य खाद्य प्रतिष्ठान बंद रहे, जिस वजह से लोगों को मजबूरन या खुशी से घर के बने भोजन को प्राथमिकता देनी पड़ी। विभिन्न कारणों से, दुनिया भर में लगभग 60% उपभोक्ताओं द्वारा घर पर ही खाना पकाया गया। कोविड से पहले विश्व भर के लोगों द्वारा समय की कमी के कारण और सुविधा कारक के कारण बना हुआ प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों को खाना या सेवन करना एक सामान्य बात थी। लॉकडाउन के कारण लोगों के इस मानस में बदलाव आया, जिसमें युवा जनसांख्यिकीय समूह शामिल थे, जिन्होंने खाना पकाने और पाक कौशल और अपने स्वयं के भोजन की जिम्मेदारी उठाई। सामाजिक मीडिया ने भी घर के खाना पकाने और स्वस्थ भोजन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यूट्यूब (YouTube) जैसे मंच पर पहले से मौजूद ट्यूटोरियल (Tutorial) ने उन लोगों के अंदर के शेफ और बेकर तक को जगाया जिनके पास खाना पकाने का कौशल नहीं था।
स्वस्थ भोजन और खाद्य सुरक्षा के प्रति रुझान का बढ़ना :
आंतरिक कारकों के साथ अच्छा स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा, एक व्यक्ति द्वारा खाए जाने वाले भोजन और उसके बाद की जीवनशैली पर निर्भर करता है, यह तथ्य महामारी के दौरान काफी प्रमुखता में आया। आम जनता को यह विचार दिया गया था कि असंतुलित आहार से व्यक्तियों में वायरस की संभावना बढ़ जाती है, जिससे लोग स्वस्थ भोजन के विकल्प का चयन करने लगे। परिणामस्वरूप, प्रतिरक्षा में सुधार के लिए घरेलू उपचार के साथ, नागरिकों ने अपने द्वारा खाए जाने वाले भोजन पर ध्यान देना शुरू कर दिया, यह सुनिश्चित करते हुए कि यह स्वास्थ्यवर्धक था। हर जगह, जिनके पास साधन थे, उन्होंने अधिक फल और सब्जियों का सेवन शुरू कर दिया और तले हुए खाद्य पदार्थों, चीनी और नमक की खपत को कम कर दिया। खाद्य सुरक्षा के महत्व पर जोर दिया गया। घरेलू बाजार में इन उत्पादों की बढ़ती बिक्री ने भारत में जैविक उत्पादों और प्राकृतिक खाद्य पदार्थों की मांग को बढ़ा दिया था। महामारी ने उपभोक्ताओं को अपने आहार में सुरक्षित और पौष्टिक खाद्य पदार्थों को शामिल करने के महत्व का एहसास कराया।
आयुर्वेद और अन्य पारंपरिक चिकित्सा पर निर्भरता का बढ़ना :
बीमारी की नवीनता और एक इलाज या टीकाकरण की पूर्ण कमी ने लोगों को कोरोनवायरस (Coronavirus) से लड़ने के लिए पारंपरिक उपचार की ओर मुख करने के लिए मजबूर कर दिया। प्रतिरक्षा बढ़ाने वाली जड़ी-बूटियों और मसालों का उपयोग करते हुए युगों-पुराने पाक विधि का उपयोग लोगों द्वारा अधिक से अधिक किया जाने लगा ताकि प्रतिरक्षा को मजबूत किया जा सके, क्योंकि कोरोनोवायरस से लड़ने के लिए मजबूत प्रतिरक्षा आवश्यक साबित हुई है। पूरक और वैकल्पिक चिकित्सा के प्रचार के लिए जिम्मेदार आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेदिक सिद्धांतों के माध्यम से प्रतिरक्षा और अन्य स्व-देखभाल के उपायों को बढ़ावा देने के लिए दिशानिर्देश जारी किए। योग के साथ-साथ, मंत्रालय ने कोरोनोवायरस से लड़ने के सुझावों के साथ नागरिकों की मदद करने के लिए जारी किए गए आधिकारिक दिशानिर्देशों में कई आयुर्वेदिक व्यंजनों जैसे काड़ा यानी तुलसी से बनी हर्बल (Herbal) चाय, दालचीनी, काली मिर्च, सूखी अदरक और हल्दी वाला दूध का सुझाव दिया।
हालांकि घर पर विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन पकाने से महामारी के संकट की चिंताओं से दूर रहकर और इसने अवसाद को रोकने में काफी मदद करी, साथ ही जहां लॉकडाउन के शुरुआती चरणों में फास्ट फूड की खपत में गिरावट आई थी। वहीं लोगों द्वारा घर पर ही फास्ट फूड बनाने का विकल्प चुना गया, भले ही यह आमतौर पर कम पौष्टिक होता है, लेकिन उच्च संसाधित तैयार भोजन की तुलना में बहुत बेहतर होता है। हालांकि, लॉकडाउन प्रतिबंधों को उठाने से कई फास्ट-फूड श्रृंखला और ऑनलाइन डिलीवरी (Online delivery) शुरू हो गई हैं। पके हुए भोजन की घर पर डिलीवरी में भी लोगों की बढ़ोतरी देखी गई, चूंकि जीवन धीरे-धीरे सामान्यता की ओर लौटता है, अस्वास्थ्यकर खाने की आदतों में पुनरुत्थान की संभावना है, खासकर शहरी क्षेत्रों में। यह महत्वपूर्ण है कि अपनाई गई स्वस्थ आदतों को आगे बढ़ाया जाए; एक व्यक्ति जिसने घर में खाना पकाने का अभ्यास शुरू कर दिया है, उसे नियमित रूप से ऐसा करने के बजाय कभी-कभार बाहर खाना जारी रखना चाहिए।
संदर्भ :-
https://bit.ly/2Z1gmxn
https://mck.co/36Xs8Nx
https://bit.ly/2N9mK2Y
चित्र संदर्भ:
मुख्य तस्वीर स्वस्थ सब्जियों को दर्शाती है। (unsplash)
दूसरी तस्वीर में स्वस्थ फलों को दिखाया गया है। (unsplash)
तीसरी तस्वीर में स्वस्थ भोजन को दिखाया गया है। (unsplash)
***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • लोगो बनाते समय, अपने ग्राहकों की संस्कृति जैसे पहलुओं की समझ होना क्यों ज़रूरी है ?
    संचार एवं संचार यन्त्र

     30-12-2024 09:25 AM


  • आइए देखें, विभिन्न खेलों के कुछ नाटकीय अंतिम क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     29-12-2024 09:21 AM


  • आधुनिक हिंदी और उर्दू की आधार भाषा है खड़ी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:28 AM


  • नीली अर्थव्यवस्था क्या है और कैसे ये, भारत की प्रगति में योगदान दे रही है ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:29 AM


  • काइज़ेन को अपनाकर सफलता के शिखर पर पहुंची हैं, दुनिया की ये कुछ सबसे बड़ी कंपनियां
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:33 AM


  • क्रिसमस पर लगाएं, यीशु मसीह के जीवन विवरणों व यूरोप में ईसाई धर्म की लोकप्रियता का पता
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:31 AM


  • अपने परिसर में गौरवपूर्ण इतिहास को संजोए हुए हैं, मेरठ के धार्मिक स्थल
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, क्या है ज़ीरो टिलेज खेती और क्यों है यह, पारंपरिक खेती से बेहतर
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:30 AM


  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id