ज़रदोज़ी की कारीगरी के लिए इस्तेमाल किए गए औज़ारों में मुग़ल काल से ले कर अब तक ज्यादा परिवर्तन नहीं आए हैं| कपड़ों पर कढ़ाई करने के लिए पहले उनको एक ढ़ाचे में ढाल दिया जाता है| ये ढांचा जो की ज़्यादातर लकड़ी का बना होता है, ज़रदोज़ी कारीगरी का मुख्य औजार है| कपड़ों को जोर से खिंच कर चारों तरफ से एक ढांचे में मढ़ देते है और फिर कढ़ाई की जाती है| इसके अलावा कैंची, सुइयां (छोटी बड़ी और अलग-अलग चौड़ाई की), एक छोटी लकड़ी जिसपर सोने का तार लपेटा जाता है - आरी इन सबका इस्तेमाल होता है| एक थापी और एक हथोड़ी -कढ़ाई के ऊपर पीटने के लिए भी लगता है ताकि वो कपड़े पर समतल बैठ जाए|
आज के समय में कपड़े पर रचनाओं को बनाने की काफी प्रक्रिया विकसित हो गई हैं| इसको बनाने के लिए एक पेपर पर रचना (डिजाईन) बना लिया जाता है जिसे खाका बोलते हैं| इसका छाप कपड़े पर बनाया जाता है जिस पर ज़री की तार से सुई के ज़रिये कढ़ाई की जाती है| इसमें मनका, शीशा का भी प्रयोग करते है|सोने की बनी ज़री से बनने वाले कपड़े सबसे उत्कृष्ट होते हैं|
सलमा, कोरा, दबका, चिकना, गिजई, जिक, चालक, तिकोना, कांगरी, किनारी, खिच्चा - सोने की कढ़ाई के प्रकार हैं जो की ज़रदोज़ी के साथ इस्तेमाल किये जाते हैं| ये सभी कढ़ाई के तरीके कपड़े के प्रकार पर निर्भर करते हैं| रचनाओं की बात करे तो रामपुर में बने ज़रदोज़ी के अलावा फूल पत्ती के अलग अलग रचनाएँ कपड़ों की सुन्दरता में चार चाँद लगा देते हैं| मीनाकारी के काम में जरी और सिल्क के धागे को मिला कर कढ़ाई की जाती है|
ज़रदोज़ी कढ़ाई की वैसे तो काफी रचनाएँ है लेकिन इनमे से जो सबसे प्रचलित हैं वो हैं -
जाली, पत्ती, पंछी, जानवर, फूल और अलग अलग तरह की रेखाएँ|
1. ज़रदोज़ी- ग्लिटरिंग गोल्ड एम्ब्रायडरी – चारू स्मिता गुप्ता
2. तानाबाना- टेक्सटाइल्स ऑफ़ इंडिया, मिनिस्ट्री ऑफ़ टेक्सटाइल्स, भारत सरकार
3. हेंडीक्राफ्ट ऑफ़ इंडिया – कमलादेवी चट्टोपाध्याय
4. टेक्सटाइल ट्रेल इन उत्तर प्रदेश (ट्रेवल गाइड) – उत्तर प्रदेश टूरिज्म