क्या हमारे भोजन वाले मुर्गे को केमिकल दिए जा रहे हैं?

मेरठ

 22-05-2018 01:45 PM
स्वाद- खाद्य का इतिहास

वर्तमान काल में एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है चर्चा करने का और यह विषय है खाद्य को लेकर। एक मांसाहारी व्यक्ति यह सोचता है कि देसी मुर्गा खाया जाए या ब्रायलर। चूँकि एक तरफ देसी चिकन खाने में अधिक स्वादिष्ट होता है तो वहीं दूसरी ओर ब्रायलर काफी सस्ते हैं। मुर्गों के उद्योग में अप्रतिम बढ़त ने ब्रायलर मुर्गों के उत्पाद में बेतरतीब आंकड़ा प्राप्त कर लिया है जिस कारण यह अत्यंत सस्ते दाम पर उपलब्ध है। रामपुर में यदि देखा जाए तो हैदराबाद से हवाई जहाज़ से लाया गया ब्रायलर मुर्गा भी एक देसी मुर्गे से कहीं अधिक सस्ता उपलब्ध है जिस कारण यह अर्थ से सम्बंधित विषय हो जाता है।

भारत के सबसे बड़े जमे हुए चिकन (Frozen Chicken) का व्यापार वेंकी चिकन करता है जो कि हैदराबाद स्थित एक कंपनी है। यह पूरे भारत में बड़ी कंपनियों जैसे- मैक डोनल्ड्स, के.ऍफ़.सी. आदि को चिकन मुहैया करवाता है, साथ ही साथ यह बाजार में भी चिकन को बेचने का कार्य करता है। भारत में बड़े पैमाने पर मुर्गों के उत्पादन के लिए उन्हें बड़ी संख्या में कोलीस्टीन एंटी बायोटिक का सेवन कराया जाता है जिससे मुर्गों को किसी प्रकार का रोग न लगे। एंटी बायोटिक के उपयोग से मुर्गों में बढ़त को देखा जाता है तथा वे तेज़ी के साथ बढ़ते हैं। ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म से पता चलता है कि 2016 में वियतनाम, भारत, दक्षिण कोरिया और रूस समेत कई स्थानों पर हजारों टन पशु चिकित्सा कोलीस्टीन भेजा गया था। जब तक ये दवाइयाँ मुर्गों के अन्दर रहती हैं तब तक उन मुर्गों को कोई नुकसान नहीं पहुँचता लेकिन यदि कोई मानव ऐसे किसी मुर्गे का सेवन कर लेता है तो ये दवाइयाँ मानव के लिए हानिकारक साबित होती हैं। मनुष्य जल्द ही बीमार पड़ने लगता है और डॉक्टरों की बताई गयी दवाइयाँ भी फिर कोई असर नहीं कर पातीं। भारत में, कम से कम पांच पशु दवा कंपनियां खुलेआम कोलीस्टीन का प्रचार प्रसार करती हैं। इन्ही में से एक कंपनी वेंकी भी है जो कि दवाओं के साथ साथ मुर्गियों का भी व्यापार करता है। अब यदि WHO की विवरणी को देखें तो यह साफ़ हो जाता है कि एंटी बायोटिक दवाओं का इस्तेमाल उन जानवरों पर नहीं किया जाना चाहिए जिसे आदमी आहार स्वरुप खाए क्यूंकि इससे मनुष्य के शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। मुर्गों के उत्पादन के लिए स्टेरॉयड आदि का भी उपयोग किया जाता है जो कि मानव शरीर के लिए किसी जहर से कम नहीं है।

भारत का चिकन बाजार बढ़ने से उत्पाद में तीव्रता लाने के उद्देश्य से मुर्गों को जल्द बड़ा करने की होड़ सी लगी है जिसका परिणाम यह है कि इनको विभिन्न दवाइयों का सेवन कराया जा रहा है। कोलीस्टीन एंटी बायोटिक के विषय में विभिन्न वैज्ञानिकों ने अपने मत दिए हैं और यह भी साबित किया है कि यह किस प्रकार से मानव शरीर के लिए नुकसान दायक है। कई वैज्ञानिक इसके प्रयोग को प्रतिबंधित करने की वकालत भी कर चुके हैं, उन्ही में से एक वैज्ञानिक हैं प्रोफेसर डेम सैली।

1. http://www.thehindu.com/news/national/a-game-of-chicken-how-indias-poultry-farms-are-spawning-global-superbugs/article22597845.ece

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