Post Viewership from Post Date to 22-Oct-2024 (31st) Day
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2198 77 2275

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

रामपुर के चहीते, गांधीजी के अहिंसावादी विचारों से, रिचर्ड ग्रेग कैसे प्रेरित हुए थे?

मेरठ

 21-09-2024 09:19 AM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

वैष्णव जन तो तैने कहिए जे
पीर पराई जाने रे।
पर दुःखें उपकार करे तोये
मन अभिमान न आणे रे॥
भावार्थ:
"जिसे हम वैष्णव कहते हैं, वह, वही है जो दूसरों के दुःख को समझता है।
जो दूसरों की पीड़ा में उनकी मदद करता है, और उसके मन में अभिमान नहीं आता।"
गांधीजी का यह पसंदीदा भजन, रामपुर के कई घरों में प्रातः काल आज भी सुनाई देता है। यदि हम इतिहास के पन्नों को पीछे पलटकर देखें, तो हमारे रामपुर के साथ गांधीजी का खास नाता रहा है। आज बहुत कम लोग, इस बात को जानते होंगे, कि गांधीजी को उनकी मशहूर सफ़ेद टोपी, पहली बार यहीं पर पहनाई गई थी। मोहम्मद अली जौहर की मां, बी. अम्मा ने अपने हाथ से सिलकर, गांधीजी को यह टोपी पहनाई थी। इसके अलावा, दिल्ली के बाद, हमारा रामपुर ही एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां पर गांधीजी की अस्थियां रखी गई हैं। गांधीजी, अहिंसा और शांति के प्रबल समर्थक थे। गांधीजी के विचारों और उनकी शिक्षाओं ने अमेरिकी सामाजिक दार्शनिक रिचर्ड बार्टलेट ग्रेग (Richard Bartlett Gregg) को भी गहराई से प्रभावित किया था। ग्रेग को "अहिंसक प्रतिरोध का एक ठोस सिद्धांत विकसित करने वाले पहले अमेरिकी" के रूप में जाना जाता है। उनके विचार, महात्मा गांधी की शिक्षाओं पर ही आधारित थे। ग्रेग ने "द पावर ऑफ़ नॉन-वायलेंस (The Power of Non-Violence)" नामक एक बहुत ही प्रभावशाली पुस्तक लिखी थी। इस पुस्तक ने, कई प्रसिद्ध लोगों को प्रभावित किया। इनमें मार्टिन लूथर किंग जूनियर (Martin Luther King Jr.), एल्डस हक्सले (Aldous Huxley), नागरिक अधिकार सिद्धांतकार बेयर्ड रस्टिन (Bayard Rustin) और जेसी वॉलेस ह्यूगन (Jesse Wallace Hughan) जैसे कई बड़े नाम शामिल थे।
आज विश्व शांति दिवस के अवसर पर, हम रिचर्ड बार्टलेट ग्रेग और उनके जीवनकाल के बारे में और अधिक गहराई से जानेंगे। साथ ही, हम महात्मा गांधी के साथ, उनके संबंधों पर भी नज़र डालेंगे। अंत में, हम समझेंगे कि रिचर्ड ग्रेग ने अपने लेखन के माध्यम से मार्टिन लूथर किंग जूनियर जैसी शक्तिशाली विभूतियों को कैसे प्रभावित किया था।
रिचर्ड ग्रेग, एक क्वेकर वकील (Quaker lawyer) थे। वे भी गांधीजी की भांति अहिंसा का समर्थन करने वाले अग्रणी अमेरिकी विचारक थे। उन्हें गांधी की अहिंसा की शिक्षाओं को पश्चिमी दुनिया में फ़ैलाने वाले शुरुआती लोगों में से एक माना जाता है। उन्होंने अहिंसा की रणनीति को "नैतिक जिउ-जित्सु (moral jiu-jitsu)" के रूप में वर्णित किया था।
ग्रेग ने मैसाचुसेट्स (Massachusetts) के हार्वर्ड विश्वविद्यालय (Harvard University) में कानून का अध्ययन किया था। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने तीन साल तक कानून का अभ्यास किया। प्रथम विश्व युद्ध के बाद, उन्होंने ट्रेड यूनियनों (trade unions) के साथ काम करना शुरू किया। इस दौरान, उन्होंने रेलवे कर्मचारियों के लिए, मध्यस्थ के रूप में भी काम किया था।
1920 के दशक में, ग्रेग ने गांधीजी की शिक्षाओं को समझने की कोशिश की। 1925 में, उन्होंने पहली बार गांधीजी के साबरमती आश्रम की यात्रा की। 1930 में, उन्होंने भारत में गांधी के नमक मार्च का अवलोकन किया था। 1935 और 1936 के बीच, उन्होंने पेंडल हिल (Pendle Hill) के कार्यवाहक निदेशक के रूप में कार्य किया था।
1934 में पहली बार उनकी पुस्तक, "द पॉवर ऑफ़ नॉन-वायलेंस", प्रकाशित हुई थी। इसे 1944 में और फिर 1959 में पुनः संशोधित किया गया था। इस पुस्तक को बीसवीं सदी में प्रकाशित किया गया था, जिसे सैद्धांतिक अहिंसा पर सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली कृति माना जाता है।
इस पुस्तक के माध्यम से गांधी के विचारों और प्रथाओं से प्रेरित ग्रेग बताते हैं, कि संगठित अहिंसा, या "संगठित शक्ति" का उपयोग, हिंसक विरोधियों के खिलाफ़ कैसे किया जा सकता है | यह दृष्टिकोण छोटे और बड़े दोनों तरह के सामाजिक बदलावों को जन्म दे सकता है । यह दृष्टिकोण, युद्ध के लिए एक प्रभावी विकल्प के रूप में भी काम कर सकता है।
इस पुस्तक के 1959 के संस्करण में राजनीतिक सिद्धांतकार जेम्स टुली (James Tully) द्वारा एक प्रमुख परिचय भी शामिल है। यह संस्करण 1959 का अंतिम संस्करण है। इसमें मार्टिन लूथर किंग जूनियर द्वारा लिखी गई, प्रस्तावना शामिल है। इस पुस्तक में 1934 से वर्ग संघर्ष और अहिंसक प्रतिरोध पर एक समर्पित अध्याय है। इसमें, 1929 के प्रारंभिक अध्ययन का एक महत्वपूर्ण अंश भी शामिल है।
मार्टिन लूथर किंग ने, इस किताब को अपने द्वारा अभी तक पढ़ी गई, पाँच सबसे प्रभावशाली पुस्तकों में से एक बताया था। 1956 में, रिचर्ड ग्रेग और डॉ. मार्टिन लूथर किंग जूनियर के बीच पत्राचार शुरू हुआ। यह मोंटगोमरी बस बहिष्कार (Montgomery Bus Boycott) के दौरान की बात है। ग्रेग की पुस्तक “ द पॉवर ऑफ़ नॉन-वायलेंस” के बारे में, किंग ने रिचर्ड ग्रेग को लिखा था, "मुझे नहीं पता कि मैंने कब ऐसा कुछ पढ़ा है जिसने अहिंसा के विचार को इतनी यथार्थवादी और गहन व्याख्या दी है।"
रिचर्ड ग्रेग ने 1924 में गांधी के बारे में पहली बार, एक जर्नल लेख में पढ़ा था। इस लेख को उन्होंने शिकागो की एक किताब की दुकान में पढ़ा था। इसे पढ़ने के बाद, ग्रेग, गांधी के दर्शन से बहुत प्रभावित हुए थे। 38 साल की उम्र में, उन्होंने भारत में गांधी के साथ अध्ययन करने का फ़ैसला किया था। फ़रवरी 1925 की शुरुआत में, ग्रेग गुजरात में गांधीजी के साबरमती आश्रम पहुंचे । ग्रेग के आगमन के कुछ दिनों बाद, गांधीजी जेल से रिहा होकर आश्रम लौट आए। शाम की सैर के दौरान, ग्रेग ने अपनी बातचीत के बारे में अपने नोट्स में लिखा। उन्होंने गांधीजी को बताया, कि वे भारत क्यों आए थे। उन्होंने लिखा, "पहले तो मैं उनकी उपस्थिति से आश्चर्यचकित था, लेकिन उन्होंने मेरी बात ध्यान से सुनी और मुझे पूरी तरह से सहज महसूस कराया।”
उस समय, दुनिया भर में शांतिवादी आंदोलन बढ़ रहा था। शांतिवादी घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय हिंसा दोनों का सामना शांतिपूर्ण प्रतिरोध के साथ करने में विश्वास करते थे । ग्रेग ने गांधी के साथ अपने पहले चार वर्षों में अहिंसा की रणनीति के बारे में बहुत कुछ सीखा था। बाद में, उन्होंने “द पॉवर ऑफ़ नॉनवायलेंस” के माध्यम से शांतिवाद को और अधिक प्रभावी बनाने से जुड़ा मार्गदर्शन प्रदान किया।

रिचर्ड ग्रेग का मानना ​​था कि जब अहिंसक प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है, तो दर्शकों को हिंसक हमलावर को "अत्यधिक और अशोभनीय - यहां तक ​​कि थोड़ा अप्रभावी" समझना चाहिए। यह रणनीति गांधीजी ने 1930 में भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ़, नमक मार्च के दौरान अपनाई थी। इस मार्च ने गांधीजी की उन लाखों भारतीयों को संगठित करने की क्षमता को दिखाया, जिन्हें ब्रिटिश उपनिवेशवादियों को नमक कर देना पड़ा था।
ग्रेग, मोंटगोमरी (Montgomery) में, गांधीजी की पद्धति का इस्तेमाल होते देखकर उत्साहित थे। मार्टिन लूथर किंग की 1958 की पुस्तक “स्ट्राइड टुवर्ड्स फ़्रीडम (Stride Toward Freedom)” के लिए, ग्रेग ने गांधी के जीवन और शिक्षाओं के बारे में महत्वपूर्ण पृष्ठभूमि जानकारी प्रदान की थी। किंग और उनकी पत्नी, 1959 में भारत की यात्रा पर आए थे। यह यात्रा, किंग के लिए महत्वपूर्ण थी क्योंकि इससे, उन्हें गांधी के दर्शन और प्रथाओं के बारे में सीधे तौर पर जानने का मौका मिला था।
ग्रेग ने अश्वेत नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं के लिए अहिंसा पर केंद्रित प्रशिक्षण सत्रों में भाग लिया था। “मोंटगोमरी बस बहिष्कार” समाप्त होने के बाद, डॉ. किंग ने अपनी शीर्ष पाँच पुस्तकों की एक सूची तैयार की, जिन्होंने उन्हें प्रभावित किया। इनमें गांधीजी की आत्मकथा, फ़िशर (Fisher) द्वारा लिखित गांधीजी की जीवनी, थोरो का "सविनय अवज्ञा" पर काम, रॉशेंबुश (Rauschenbusch) का सामाजिक सुसमाचार पर लेखन और ग्रेग की पुस्तक शामिल थी।

संदर्भ
https://tinyurl.com/2dkhkchh
https://tinyurl.com/23kw3s4q
https://tinyurl.com/y45gatqb
https://tinyurl.com/28eho984


चित्र संदर्भ
1. गांधीजी की प्रतिमा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. महात्मा गांधी पर आधारित किताबों को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
3. मार्टिन लूथर किंग जूनियर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. द पॉवर ऑफ़ नॉनवायलेंस को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • आइए जानें, देवउठनी एकादशी के अवसर पर, दिल्ली में 50000 शादियां क्यों हुईं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     22-11-2024 09:23 AM


  • अपने युग से कहीं आगे थी विंध्य नवपाषाण संस्कृति
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:28 AM


  • चोपता में देखने को मिलती है प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का अनोखा समावेश
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:29 AM


  • आइए जानें, क़ुतुब मीनार में पाए जाने वाले विभिन्न भाषाओं के शिलालेखों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:22 AM


  • जानें, बेतवा और यमुना नदियों के संगम पर स्थित, हमीरपुर शहर के बारे में
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:31 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस के मौके पर दौरा करें, हार्वर्ड विश्वविद्यालय का
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:30 AM


  • जानिए, कौन से जानवर, अपने बच्चों के लिए, बनते हैं बेहतरीन शिक्षक
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:17 AM


  • आइए जानें, उदासियों के ज़रिए, कैसे फैलाया, गुरु नानक ने प्रेम, करुणा और सच्चाई का संदेश
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:27 AM


  • जानें कैसे, शहरी व ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं के बीच अंतर को पाटने का प्रयास चल रहा है
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:20 AM


  • जानिए क्यों, मेरठ में गन्ने से निकला बगास, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए है अहम
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:22 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id