मानसून के दौरान बढ़े हुए जल स्तर के कारण हमारे रामपुर से होकर बहने वाली कोसी नदी को खूब कोसा जाता है। लेकिन यह भी सच है कि गर्मियों और अन्य ऋतुओं में यही नदी हमारे रामपुर वासियों की दिनचर्या एवं अर्थव्यवस्था की रीढ़ बन जाती है। कोसी नदी के बारे में दिलचस्प बात यह भी है कि यह नदी तिब्बत, नेपाल और भारत को मिलाकर, तीन देशों की सीमाओं को पार करते हुए बहती है। कोसी नदी तिब्बत में हिमालय के उत्तरी घाटों और नेपाल में दक्षिणी घाटों से पानी इकट्ठा करती है। कोसी की भांति रामगंगा भी हमारे रामपुर से होकर बहने वाली एक छोटी किंतु प्रमुख नदी है। यह माँ गंगा नदी की सहायक नदी है। यह नदी, उत्तरप्रदेश के बरेली, मुरादाबाद, बिजनौर, रामपुर और शाहजहांपुर जैसे कई ज़िलों से होकर बहती है। आज के इस लेख में हम इन्हीं दो बेहद महत्वपूर्ण नदियों के बारे में जानेंगे। हम इनकी उत्पत्ति और विशेषताओं के बारे में विस्तार से समझेंगे। इसके अलावा, आज हम रामपुर से शुरू हुए मिशन अमृत सरोवर (Mission Amrit Sarovar) की आवश्यकता और भावी योजनाओं पर भी चर्चा करेंगे।
कोसी नदी का परिचय: कोसी नदी, तीन धाराओं से मिलकर बनी है। इन धाराओं को सन कोसी, अरुण कोसी और तमुर कोसी कहा जाता है। ये तीनों धाराएँ, नेपाल और तिब्बत के हिमालयी क्षेत्र से शुरू होती हैं। तीनों के मिलन के बाद, कोसी नदी लगभग 10 किलोमीटर तक एक संकरी घाटी से होकर बहती है। इसके बाद, यह नदी चतरा के पास के मैदानी इलाकों में पहुँचती है। कोसी नदी मुख्य रूप से नेपाल और उत्तरी भारत से होकर बहती है। इसमें माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) के आसपास का इलाका भी शामिल है।
भारत-नेपाली सीमा से लगभग 30 मील (48 किमी) उत्तर में, कोसी कई प्रमुख सहायक नदियों से मिलती है। मैदानी इलाक़ों में प्रवेश करने के बाद, ये नदी उत्तरी भारत के विशाल मैदान में बिहार राज्य में पहुँचती है। आख़िर में यह नदी दक्षिण की ओर बहते हुए पूर्णिया शहर के दक्षिण में गंगा नदी में मिल जाती है। यहाँ पहुंचने के लिए, ये नदी लगभग 450 मील (724 किमी) की यात्रा करती है। यह नदी अपने साथ बड़े पैमाने पर मलवा बहाकर लाती है, जिस कारण कोसी के पास, उत्तरी भारत में अपने मार्ग में कोई स्थायी चैनल नहीं है। कोसी की भांति ही रामपुर से रामगंगा नामक एक और छोटी किंतु महत्वपूर्ण नदी बहती है।
रामगंगा का उद्गम: रामगंगा नदी हिमालय की दूधातोली पर्वतमाला से निकलती है। यह स्थान, पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में स्थित है। इस नदी का उद्गम स्थल, नामिक ग्लेशियर और पिंडारी ग्लेशियर के पास स्थित है।
नदी का प्रवाह मार्ग: शुरू होने के बाद यह नदी उत्तराखंड के कई ज़िलों से होकर बहती है। इन ज़िलों में पौड़ी गढ़वाल, अल्मोड़ा और नैनीताल शामिल हैं। इसके बाद, ये नदी उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है। उत्तर प्रदेश की यात्रा करते हुए यह नदी आखिरकार कन्नौज शहर के पास गंगा नदी में मिल जाती है।
सहायक नदियाँ: रामगंगा नदी, कई छोटी-छोटी नदियों को मिलाकर विशाल रूप धारण करती है। इसकी सहायक नदियों में मंडल नदी, डबका नदी और गगास नदी शामिल हैं।
हमारे लिए यह नदी कई कारणों से महत्वपूर्ण हो जाती है। उदाहरण के तौर पर, यह पहाड़ी और मैदानी इलाक़ों में सिंचाई और पीने के लिए पानी उपलब्ध कराती है। यह नदी, जलविद्युत उत्पादन में भी सहायक है। इसके अतिरिक्त, रामगंगा अपने मार्ग में पड़ने वाले कई तरह के पौधों और जानवरों को भी सींचती है। इसके अतिरिक्त, यह क्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता में योगदान देती है। लेकिन दुर्भाग्य से, आज रामगंगा नदी स्वयं कई चुनौतियों का सामना कर रही है। इस नदी में प्रदूषण का स्तर बेतहाशा बढ़ रहा है। साथ ही, इस नदी से बहुत ज़्यादा पानी निकाला जा रहा है। हालाँकि इसे बचाने के लिए प्रयास भी किए जा रहे हैं। इन प्रयासों में प्रदूषण नियंत्रण और टिकाऊ जल प्रबंधन शामिल हैं।
कोसी और रामगंगा, गर्मियों में हमारे शहर की रीढ़ बन जाती हैं। हालांकि इन नदियों पर हमें अपनी निर्भरता कम करने की कोशिश करनी चाहिए। इस संदर्भ में, रामपुर से शुरू किया गया मिशन अमृत सरोवर, नदियों पर पड़ रहे दबाव को कम करने में एक महत्ववपूर्ण सहायक साबित हो सकता है। मिशन अमृत सरोवर की शुरुआत, 24 अप्रैल, 2022 में हुई थी। इस तरह के सरोवरों के निर्माण का प्रमुख उद्देश्य भविष्य के लिए, अमृत स्वरूप पानी को बचाना है। इस मिशन के तहत भारत सरकार का लक्ष्य है कि भारत के प्रत्येक ज़िले में 75 अमृत सरोवर (तालाब) बनाए या पुनर्स्थापित किए जाएं।
मिशन अमृत सरोवर की मुख्य विशेषताएं
1. मिशन अमृत सरोवर, "संपूर्ण सरकार" दृष्टिकोण का समर्थन करता है। यानी इसके तहत ग्रामीण विकास मंत्रालय, जल शक्ति मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय, पंचायती राज मंत्रालय और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय समेत कई मंत्रालय संयुक्त रूप से काम कर रहे हैं। साथ ही, इसके निर्माण में तकनीकी संगठन भी भाग लेते हैं।
2. देश के प्रत्येक ज़िले में कम से कम 75 अमृत सरोवरों का निर्माण या जीर्णोद्धार किया जायेगा।
3. प्रत्येक अमृत सरोवर, कम से कम 1 एकड़ क्षेत्र में फैला होगा। इसमें लगभग, 10,000 क्यूबिक मीटर पानी होगा।
4. प्रत्येक अमृत सरोवर के चारों ओर नीम, पीपल और बरगद जैसे वृक्ष लगाए जायेगें।
5. पानी प्रदान करने के साथ-साथ, अमृत सरोवर रोज़गार भी सृजित करेगा। इसके पानी का उपयोग सिंचाई, मछली पकड़ने, बत्तख पालन, सिंघाड़ा उगाने और जल पर्यटन जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाएगा।
6. यह मिशन, पानी बचाने, लोगों की भागीदारी बढ़ाने और बुनियादी ढांचे के निर्माण में मदद के लिए जल निकायों से खोदी गई मिट्टी का उपयोग करने पर केंद्रित है।
क्या आप जानते हैं कि भारत का पहला अमृत सरोवर हमारे रामपुर के पटवाई क्षेत्र में ही बनाया गया था। इसे 2022 में खोला गया था। यह परियोजना, पानी बचाने और पर्यटकों को आकर्षित करने का काम कर रही है। अमृत सरोवर से पर्यावरण और जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिल रहा है। साथ ही, यह सरोवर उन पर्यटकों को भी आकर्षित कर रहा है, जो पिकनिक का आनंद लेना चाहते हैं। इस स्थान पर मनोरंजक गतिविधियों के लिए, एक फ़ूड कोर्ट (Food Court), फव्वारे, रोशनी और नावें भी लगी हुई हैं। इस विशाल जलाशय का निर्माण, 60 लाख रुपये की लागत से किया गया था। यह योजना, भूजल को बचाने और पर्यटन को बढ़ावा देने में सहायक होगी। सरकार, विकास योजना के तहत यह भी सुनिश्चित करेगी कि तालाबों के आसपास का क्षेत्र हरा-भरा हो जाए।
संदर्भ
https://tinyurl.com/2dq9kuqo
https://tinyurl.com/y25y7fqh
https://tinyurl.com/2d8cwu5g
https://tinyurl.com/264y9rra
https://tinyurl.com/y5gwqkfc
चित्र संदर्भ
1. जलाशय में बैठे पक्षियों को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
2. पहाड़ों में कोसी नदी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. कोसी नदी की सात हिमालयी सहायक नदियों में से एक दूध कोशी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. कोसी नदी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. अमृत सरोवर, दुधाला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)