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जानें भारत में क्यूँ ,आनुवंशिक रूप से संशोधित चावल का उत्पादन है प्रतिबंधित

मेरठ

 05-08-2024 09:32 AM
डीएनए

हमारा देश भारत अपने विविध रीति-रिवाजों एवं संस्कृति के साथ-साथ अपने स्वादिष्ट व्यंजनों के लिए भी प्रसिद्ध है, जिनमें चावल के प्रकारों की एक विस्तृत श्रृंखला है। बासमती के सुगंधित आकर्षण से लेकर काले चावल की मिट्टी की समृद्धि तक चावलों की प्रत्येक किस्म, देश के लज़ीज़ व्यंजनों में अपने अनूठे स्वाद और बनावट का योगदान देती है। चावल कई स्वादिष्ट व्यंजन शैलियों के केंद्र में प्रमुख सामग्री है जो असंख्य स्वादों, बनावटों और परंपराओं के लिए पटल के रूप में काम करता है। आपको शायद जानकर आश्चर्य होगा कि हमारे देश भारत में चावल की 40,000 किस्मों का उत्पादन किया जाता है। चावल, भारत में सबसे महत्वपूर्ण ख़रीफ़ फ़सल है।
यह गर्म और आर्द्र जलवायु वाले वर्षा आधारित क्षेत्रों में उगाया जाता है, खासकर भारत के पूर्वी और दक्षिणी हिस्सों में। तो आज, हम चावल और भारत में इसकी कुछ सबसे महत्वपूर्ण किस्मों के बारे में चर्चा करेंगे। इसके अलावा, हम भारत और विश्व स्तर पर आनुवंशिक रूप से संशोधित चावल की फ़सलों के दायरे को देखेंगे। इसके साथ ही आनुवंशिक रूप से संशोधित चावल की एक फ़सल 'सुनहरे चावल' के विषय में जानेंगे कि इसे कैसे बनाया गया और इसे इतनी प्रतिक्रिया क्यों मिली।
भारत में चावल की 10 प्रमुख किस्में:

1. बासमती चावल: निस्संदेह भारत के सबसे प्रतिष्ठित चावल प्रकारों में से एक, बासमती चावल अपने लंबे, पतले और सुगंधित दानों के लिए जाना जाता है। यह चावल पुलाव और बिरयानी जैसे विशिष्ट व्यंजनों में एक प्रमुख घटक है।
2. जैस्मीन चावल: दक्षिण पूर्व एशिया से सम्बंधित जैस्मीन चावल ने भारतीय व्यंजनों में अपना स्थान बना लिया है। इसके लंबे दाने एक सूक्ष्म मीठे स्वाद के साथ बासमती की याद दिलाते हैं। इसकी थोड़ी चिपचिपी बनावट इसे भारतीय करी के लिए एक आदर्श साथी बनाती है जो सुगंध और स्वाद का आनंददायक मिश्रण प्रदान करती है।

3. लाल चावल अपनी उच्च फाइबर सामग्री और पौष्टिक स्वाद के लिए जाना जाने वाला लाल चावल किसी भी व्यंजन में एक जीवंत रंग और आवश्यक पोषक तत्व जोड़ता है। इसकी दक्षिणी भारत में खेती की जाती है, इसका समृद्ध रंग इसकी उच्च एंथोसायनिन सांद्रता से आता है जो इसे देखने में आकर्षक और पोषण की दृष्टि से लाभकारी बनाता है।
4. मोगरा चावल: मध्य प्रदेश के हरे-भरे खेतों से निकलने वाला मोगरा चावल अपनी नाज़ुक बनावट और स्वाद के लिए बेशकीमती है। हालाँकि यह एक गैर-सुगंधित किस्म है, फिर भी यह अपने विशिष्ट स्वाद को बरकरार रखते हुए स्वादों को अच्छी तरह से अवशोषित कर लेती है, जिससे यह भारतीय करी के साथ एक उत्कृष्ट संगत बन जाती है।
5. ब्राउन चावल: स्वास्थ्य के प्रति जागरूक व्यक्तियों की एक लोकप्रिय पसंद, ब्राउन चावल को सफ़ेद चावल के पौष्टिक विकल्प के रूप में व्यापक मान्यता मिली है। अपनी चोकर परत को बरकरार रखते हुए यह उच्च फ़ाइबर विटामिन और खनिज प्रदान करता है।

6. काला चावल:
निषिद्ध चावल के रूप में जाना जाने वाला काला चावल अपने आकर्षक रंग और पोषण संबंधी समृद्धि के लिए जाना जाता है। एंटीऑक्सिडेंट्स और आवश्यक विटामिन से भरपूर यह एक हल्का मीठा स्वाद प्रदान करता है जो सलाद से लेकर मीठे दलिया तक विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का पूरक है।

 7. सोना मसूरी चावल: आंध्र प्रदेश के उपजाऊ मैदानों में उगाया जाने वाला सोना मसूरी चावल अपनी अनूठी सुगंध और सूक्ष्म मिठास के लिए बेशकीमती है। इसकी विशिष्ट स्टार्च संरचना डोसा और इडली जैसे दक्षिण भारतीय व्यंजनों के लिए बिल्कुल उपयुक्त है, साथ ही पुलाव और बिरयानी के स्वाद को भी बढ़ाती है।
8. अम्बेमोहर चावल: अम्बेमोहर चावल, अपने अनूठे स्वाद और थोड़ी चिपचिपी बनावट के लिए महाराष्ट्र की एक विशेषता है। इसे अक्सर पूरन पोली और श्रीखंड जैसे भारतीय मीठे व्यंजनों में शामिल किया जाता है, जो पारंपरिक व्यंजनों में एक आनंददायक उष्णकटिबंधीय मोड़ जोड़ता है।
9. काला जीरा चावल: काले जीरे के बीज के समान होने के कारण इसका नाम काला जीरा चावल रखा गया है, जो बिरयानी और पुलाव जैसे स्वादिष्ट व्यंजनों को एक विशिष्ट मिट्टी जैसा स्वाद प्रदान करता है।
10. बांस चावल: बांस के पौधों से प्राप्त बांस चावल भारत के पूर्वोत्तर राज्यों की एक दुर्लभ और विशिष्ट किस्म है। अपने पौष्टिक स्वाद और अनूठी खुशबू के साथ यह भारत की चावल संस्कृति की विविधता को प्रदर्शित करता है।
चावल की ये सभी किस्में पूरी तरह प्राकृतिक हैं और भारत में किसी भी प्रकार के आनुवंशिक रूप से संशोधित (genetically modified (GM)) चावल का उत्पादन अथवा निर्यात नहीं किया जाता है और यहां इसकी खेती पर भी प्रतिबंध है। इस तथ्य की पुष्टि भारत के वाणिज्य मंत्रालय की ओर से भी की जा चुकी है।
हालाँकि वैश्विक स्तर पर, 2000 में, शाकनाशी-प्रतिरोध वाली पहली दो आनुवंशिक रूप से संशोधित चावल किस्में, जिन्हें एलएलराइस60 (LLRice60) और एलएलराइस62 (LLRice62) कहा जाता है, को संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) में मंज़ूरी दी गई थी। बाद में, इन और अन्य प्रकार के शाकनाशी-प्रतिरोधी आनुवंशिक रूप से संशोधित चावल को कैनडा (Canada), ऑस्ट्रेलिया (Australia), मेक्सिको (Mexico) और कोलंबिया (Colombia) में अनुमोदित किया गया।
हालाँकि, इनमें से किसी भी अनुमोदन से व्यावसायीकरण शुरू नहीं हुआ। रॉयटर्स ने, 2009 में रिपोर्ट दी थी कि चीन ने कीट प्रतिरोधी आनुवंशिक रूप से संशोधित चावल को जैव सुरक्षा मंज़ूरी दे दी थी, लेकिन उस किस्म का व्यावसायीकरण नहीं किया गया था। दिसंबर 2012 तक आनुवंशिक रूप से संशोधित चावल उत्पादन या उपभोग के लिए व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं था। 2018 में, कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका ने खेती के लिए आनुवंशिक रूप से संशोधित गोल्डन चावल को मंज़ूरी दी, और 'हेल्थ कैनडा ' (Health Canada) और 'अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन' (US Food and Drug Administration) ने इसे उपभोग के लिए सुरक्षित घोषित किया।
एक आनुवंशिक रूप से संशोधित चावल की प्रजाति 'गोल्डन चावल' है, जिसे विटामिन ए के श्रोत बीटा-कैरोटीन (beta-carotene) को जैवसंश्लेषित करने के लिए इंजीनियर किया गया है। बीटा-कैरोटीन एक ऐसा वर्णक है जिससे गाजर और अन्य पौधों को अपना नारंगी रंग प्राप्त होता है, यह वर्णक चावल को भी एक विशिष्ट रंग देता है। हालांकि इस प्रकार के चावल की फ़सल का उद्देश्य कम आय वाले देशों में, जहां चावल को मुख्य भोजन के रूप में उपयोग किया जाता है, विटामिन ए की कमी से निपटने में मदद करना था - विशेष रूप से बच्चों में -, लेकिन चावल कि यह किस्म महत्वपूर्ण विवाद का स्रोत रही है।
इस तरह के संशोधित अनाज को उत्पन्न करने के लिए, वैज्ञानिकों ने जीन संपादन तकनीक (gene editing technology) का प्रयोग किया और 'नार्सिसस स्यूडोनार्सिसस' (Narcissus pseudonarcissus) नामक डैफ़ोडिल और 'पेंटोआ अनानाटिस और एस्चेरिचिया कोली' (Pantoea ananatis and Escherichia coli) नामन बैक्टीरिया से बीटा-कैरोटीन उत्पादन के लिए ज़िम्मेदार जीन लेकर इन्हें चावल के डीएनए में जोड़ा। बाद के संस्करणों में मकई के जीन शामिल किए गए। पहली बार 1999 में गोल्डन चावल में बीटा-कैरोटीन को सफलतापूर्वक व्यक्त किया गया और वैज्ञानिकों ने 2000 में परिणाम प्रकाशित किए।
हालांकि चावल की इस किस्म को अलग-अलग देशों से अलग-अलग प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई। कुछ संगठनों और देशों ने भुखमरी और बचपन की बीमारियों और विटामिन ए की कमी से होने वाली मौतों को कम करने के लिए गोल्डन राइस को एक आवश्यक उपकरण के रूप में सराहा। 2017 और 2019 के बीच ऑस्ट्रेलिया, कैनडा , न्यूज़ीलैंड और संयुक्त राज्य अमेरिका ने गोल्डन चावल को उपभोग के लिए सुरक्षित घोषित किया, लेकिन इसकी खेती को हरी झंडी नहीं दी गई। 2021 में फ़िलिपींस, गोल्डन चावल की व्यावसायिक खेती को मंज़ूरी देने वाला पहला देश बन गया। 2023 में बांग्लादेश, चीन, इंडोनेशिया, भारत, दक्षिण अफ़्रीका और वियतनाम सहित एक दर्जन से अधिक अन्य देशों में 'गोल्डन चावल ह्यूमैनिटेरियन बोर्ड' (Golden Rice Humanitarian Board) के तहत राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान स्थापित किए गए। कई अन्य संशोधित फ़सलों की तरह, गोल्डन चावल मुख्य रूप से गलत सूचना के कारण तीखी प्रतिक्रिया का लक्ष्य रहा है। ग्रीनपीस ने निर्माण के तुरंत बाद सुनहरे चावल के खिलाफ एक अभियान चलाया, जिसमें दावा किया गया कि फ़सल में नियमित चावल को दूषित करने की क्षमता है और इस तरह ग्रामीण किसानों के लिए भोजन और वित्तीय सुरक्षा बाधित हो सकती है। संगठन और अन्य लोगों ने यह भी दावा किया कि सुनहरे चावल को विकसित करने में खर्च किए गए धन का उपयोग विटामिन ए की कमी से अधिक सीधे और कुशलता से निपटने के लिए किया जा सकता था।

सारांश
https://tinyurl.com/59adyaxc
https://tinyurl.com/4nwnwjv7
https://tinyurl.com/5e4ch8c9
https://tinyurl.com/bdzj7zmk

चित्र संदर्भ
1. सुनहरे रंग और अधिक विटामिन ए की मात्रा से भरपूर,आनुवंशिक रूप से संशोधित चावल की एक प्रजाति, गोल्डन चावल को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. बासमती चावल को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. जैस्मीन चावल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. लाल चावल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. ब्राउन चावल को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
6.
काले चावल चावल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. सोना मसूरी चावल को दर्शाता चित्रण (Animalia)
8. चावल के दानों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)

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