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वॉल्ट डिज़्नी फ़िल्म (Walt Disney film) की 1964 की फिल्म “मैरी पॉपिंस” (Mary Poppins) में नाचते हुए पेंगुइनों का दृश्य बहुत ही मज़ेदार है। नवाचारों द्वारा उत्पन्न किए गए विशेष प्रभाव ने इस दृश्य को बहुत ही सुंदर बनाया है। इस दृश्य में अभिनेत्री जूली एंड्रयूज (Julie Andrews) और अभिनेता डिक वैन डाइक (Dick Van Dyke) एनिमेटेड पेंगुइन के साथ नाच रहे हैं। इस प्रतिष्ठित फिल्म दृश्य को बनाने के लिए लाइव एक्शन (Live action) और एनीमेशन (animation) को आपस में मिश्रित किया गया| तथा इस मिश्रण के लिए दृश्यात्मक प्रभाव (Visual effects) या VFX तकनीक का उपयोग किया गया जिसे येल्लो स्क्रीन के नाम से जाना जाता था | यह तरीका इतना प्रभावशाली साबित हुआ की आगे चलके इसने एक नयी तकनीक को मशहूर किया जिसे आज हम "ग्रीन स्क्रीन " के नाम से जानते है। इस तकनीक में सोडियम स्क्रीन कम्पोज़िटिंग नामक गतिविधि का प्रयोग होता है। इस दृश्य में पेंगुइन वेटर के रूप में दिखाए गए हैं, जो अभिनेता के साथ डांस करने लगते हैं। इस दृश्य को एनिमेट करना बहुत कठिन था क्योंकि डांस के दौरान डिक वैन डाइक के पैर बार-बार पेंगुइन पर लगते दिखाई देते थे। डांस के दौरान कई दृश्य ऐसे हैं जहाँ पेंगुइन के पंख वैन डाइक के पैरों के बीच से होकर गुजरते हैं। ऐसे टकरावों को दूर करने के लिए एनिमेटर्स को पेंगुइन्स को कूदाना, झुकाना या कुछ अन्य गतिविधि करते हुए दिखाना पड़ा।
संदर्भ:
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