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आइए आज हम विक्रम और बेताल की कहानी पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जिसमें महान राजा विक्रमादित्य और उनके विपरीत चरित्र शरारती आत्मा बेताल शामिल हैं। इन कहानियों में, राजा विक्रम बेताल को पकड़ लेता है, जो उसे हर रात उनकी यात्रा के बारे में एक कहानी सुनाता है। प्रत्येक कहानी एक नैतिक शिक्षा देती है, तथा ईमानदारी और साहस जैसे गुण सिखाती है। बेताल की चाल के बावजूद, राजा विक्रम हमेशा ध्यान से कहानियां सुनते हैं और उससे सीखते हैं। ये कहानियां अपनी बुद्धिजीवी प्रेरणा के लिए प्रिय हैं, और आज भी पाठकों को प्रेरित करती हैं।
विक्रम और बेताल, प्राचीन भारतीय लोककथाओं के दो विपरीत पहलुओं का प्रतिनिधित्व करते हैं। राजा विक्रमादित्य (संक्षेप में विक्रम) कोई साधारण राजा नहीं थे। वह गोदावरी नदी के तट पर स्थित एक समृद्ध शहर, उज्जैन पर शासन करते थे। वह अपनी बहादुरी, उदारता और निष्पक्ष निर्णय के लिए पूरी दुनिया में मशहूर थे। उनका नाम ज्ञान, बहादुरी और उनके समृद्ध क्षेत्र में न्याय को बनाए रखने की गहरी प्रतिबद्धता की कहानियों से गूंजता है। वह न केवल एक सर्वोत्कृष्ट शासक थे तथा अपनी प्रजा के प्रति आदर रखते थे, बल्कि, राजा विक्रम सदैव ही सीखने की व्यक्तिगत खोज पर भी थे। उनका दृढ़ स्वभाव और अडिग भावना भी महान थी।
दूसरी ओर, बेताल नाम से विख्यात एक आत्मा चांदनी रात की तरह रहस्यमयी है। संस्कृत शब्द – ‘वेताल’ एक आत्मा को संदर्भित करता है। बेताल भी कोई साधारण आत्मा नहीं है। उसे उड़ान की शक्ति प्राप्त है, और वह एक उत्कृष्ट कहानीकार भी है। उनकी कहानियां, मनोरंजक होते हुए भी, नैतिक दुविधाओं के साथ आती हैं, जो श्रोता की बुद्धि और हृदय को चुनौती देती हैं।
विक्रम और बेताल की कहानियों का आधार सरल लेकिन, मनोरम है। बेताल की प्रत्येक कहानी जटिल रूप से बुनी गई है, जो अक्सर जटिल नैतिक दुविधाओं का सामना करने वाले पात्रों को प्रस्तुत करती है। असली चुनौती बेताल के अंत में पूछे गए सवालों में निहित होती है। ये प्रश्न केवल विक्रम की बुद्धिमत्ता का ही परीक्षण नहीं करते हैं, बल्कि, विक्रम की समझ की गहराई और सही-गलत को समझने मे उनकी क्षमता का भी आकलन करते हैं।
एक दिन, एक ऋषि राजा के दरबार में उपस्थित हुए, और उन्होंने विक्रम को एक फल उपहार में दिया। उस दिन के बाद से, राजा के पास आना और उन्हें फल भेंट करना ऋषि की दैनिक दिनचर्या बन गई। राजा को कभी भी ऋषि से यह पूछने की आवश्यकता महसूस नहीं हुई कि, वह उनके लिए प्रतिदिन एक फल क्यों लाया करते थे। उन्होंने ऋषि से प्राप्त सभी फलों को अपने कोषाध्यक्ष को सौंप दिया, जो उन्हें एक भंडारण कक्ष में रख देता था। एक दिन राजा ने एक फल, एक बंदर को दे दिया। जब बंदर ने फल को खाने की कोशिश की, तो उस फल से एक चमकता हुआ हीरा बाहर गिर गया।
इससे राजा को बहुत आश्चर्य हुआ। जब उन्होंने उनके भंडार कक्ष के सड़े हुए फलों को कुचला, तो उन्हें उनके अंदर छिपे हुए कई कीमती हीरे मिले। उदार विक्रम ने हालांकि, उन सभी रत्नों को गरीबों और जरूरतमंदों को दान करने का फैसला किया।
अगले दिन, जब ऋषि उन्हें वापिस फल देने आए, तो राजा ने ऋषि से इतने अमूल्य रत्न उपहार में देने का कारण पूछा। राजा ने उनसे यह भी पूछा कि, वह बदले में उनसे क्या चाहते है। यह सुनकर, ऋषि ने राजा से एक अनुष्ठान को आयोजित करने में मदद का अनुरोध किया। तब ऋषि ने विक्रम से चौदहवीं रात के अंधेरे में श्मशान भूमि के पास मिलने के लिए कहा।
साधु वास्तव में एक जादूगर था। जब राजा श्मशान घाट पहुंचे, तो जादूगर ने उनसे ,पास के जंगल में एक इमली के पेड़ से लटकी हुई, एक लाश को वहां से लाने को कहा। राजा जंगल से लाश लाने को तैयार हो गया, लेकिन, जब उसने लाश को नीचे लाने की कोशिश की, तो वह उड़कर वापस पेड़ पर जा लगी। राजा को यह समझते देर नहीं लगी कि, उस शव पर किसी भूत का साया है। फिर भी, बहादुर विक्रम डरे नहीं और ऋषि को दिया अपना वादा पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्पित रहे। उन्होंने भूत को ऋषि से किये गये वादे के बारे में बताया, और उसे उनके साथ आने के लिए अनुरोध किया।
वह लाश और कोई न होकर, बेताल ही था। तब बेताल एक शर्त पर विक्रम के साथ आने के लिए सहमत हुआ कि, राजा पूरी यात्रा के दौरान एक भी शब्द नहीं बोलेगा। राजा ने चुप रहने का वादा किया, लेकिन चतुर बेताल ने उनके लिए कुछ और ही योजना बना रखी थी। जैसे ही विक्रम ने उसे पेड़ से उतारकर अपने कंधों पर बिठाने का प्रयास किया, बेताल ने एक कहानी सुनाना शुरू कर दिया। और हर कहानी के अंत में, उसने राजा को अपने प्रश्न का उत्तर देने के लिए मजबूर किया, और इस प्रकार उनकी चुप्पी तोड़ी।
जब भी राजा कुछ कहने के लिए अपना मुंह खोलते , तब बेताल वापस पेड़ पर उड़ जाता। राजा को वापस पेड़ के पास जाना पड़ा और उसे फिर से नीचे लाने की प्रक्रिया शुरू करनी पड़ी। ऐसा चौबीस बार हुआ। लेकिन, पच्चीसवीं बार राजा बेताल के प्रश्न का उत्तर नहीं दे सके। यही पच्चीस कहानियां भारतीय साहित्य में बहुत प्रसिद्ध हैं, जिन्हें विक्रम-बेताल कथाओं के नाम से जाना जाता है।
वेताल पंचविंशति (संस्कृत: वेतालपञ्चविंशति या ‘बेताल पच्चीसी’ (“बेताल की पच्चीस कहानियां”) इन कहानियों का एक संग्रह है। इसका सबसे पुराना अनुवाद ‘कथासरित्सागर’ की 12वीं पुस्तक में पाया जाता है, जो 11वीं शताब्दी में ‘सोमदेव’ द्वारा संकलित संस्कृत की एक रचना है। इस संस्करण में वास्तव में, चौबीस कहानियां शामिल हैं, और मुख्य कथा स्वयं पच्चीसवीं है। संस्कृत में इसके दो अन्य प्रमुख अनुवाद – शिवदास और जम्भलदत्त के हैं।
वेताल कहानियों का कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया गया है। साथ ही, संभवतः इसका सबसे प्रसिद्ध अंग्रेजी संस्करण सर रिचर्ड फ्रांसिस बर्टन(Sir Richard Francis Burton) का है।
एक ओर, 1719 और 1749 के बीच, सुरत कबीश्वर ने शिवदास के संस्कृत संस्करण का ब्रज भाषा में अनुवाद किया। इस कृति का बाद में 1805 में जॉन गिलक्रिस्ट(John Gilchrist) के निर्देशन में, लल्लू लाल और अन्य लोगों द्वारा ब्रज की निकटवर्ती हिंदुस्तानी भाषा में अनुवाद किया गया। यह एक लोकप्रिय कहानी संग्रह था। इसने साहित्यिक हिंदी के विकास में प्रारंभिक भूमिका निभाई, और इसे ईस्ट इंडिया कंपनी में सैन्य सेवा के छात्रों के लिए हिंदुस्तानी पाठ्यपुस्तक के रूप में चुना गया था। इस प्रकार यह कई हिंदी संस्करणों और स्थानीय भारतीय तथा अंग्रेजी अनुवादों का आधार बन गया।
आइए अब विक्रम और बेताल श्रृंखला द्वारा सिखाई गई कुछ नैतिकताओं के बारे में जानते हैं:
१.ईमानदार रहें और सत्यनिष्ठा रखें: हमेशा सच बोलना महत्वपूर्ण है, फिर भले ही, यह कठिन क्यों न हो।
२.दयालु और क्षमाशील बनें: हमें उन लोगों को माफ कर देना चाहिए, जिन्होंने हमारे साथ अन्याय किया है; जैसे हम चाहते हैं कि, हमें माफ किया जाए।
३.बुद्धि और ज्ञान की तलाश करें: हमें हमेशा सीखते रहना चाहिए और आगे बढ़ते रहना चाहिए, ताकि हम जीवन में सर्वोत्तम निर्णय ले सकें।
४.साहसी और दृढ़निश्चयी बनें: हमें अपने सपनों को पूरा करना कभी नहीं छोड़ना चाहिए, चाहे वे कितने भी कठिन क्यों न लगें।
५.न्याय और निष्पक्षता के लिए लड़ें: हमें उस चीज़ के लिए खड़ा होना चाहिए, जिस पर हम विश्वास करते हैं, भले ही वह लोकप्रिय न हो।
६.अन्य लोगों का आदर करें: हमें हर किसी के साथ दयालुता और सम्मान के साथ व्यवहार करना चाहिए, चाहे उनकी जाति, धर्म या सामाजिक स्थिति कुछ भी हो।
७.अपने परिवार और दोस्तों का ख्याल रखें: हमारा परिवार और दोस्त हमारे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण लोग हैं, और हमें हर दिन उनका सम्मान करना चाहिए।
८.प्रेम की शक्ति को जानें: प्यार एक शक्तिशाली भावना है, जो हमें किसी भी बाधा को दूर करने में मदद कर सकती है।
९.खुद पर और दूसरों पर विश्वास रखें: हमें अपने आप पर और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने की अपनी क्षमता पर विश्वास करना चाहिए। साथ ही, हमें दूसरों पर और दुनिया में अच्छा करने की उनकी क्षमता पर भी विश्वास करना चाहिए।
१०.अच्छा जीवन जिएं: हमें अपना जीवन ईमानदार, दयालु और न्यायपूर्ण तरीके से जीना चाहिए। हमें दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने का भी प्रयास करना चाहिए।
संदर्भ
https://tinyurl.com/34aak7c8
https://tinyurl.com/4zhm7z3p
https://tinyurl.com/yfxycwpf
https://tinyurl.com/mrx6y2b7
चित्र संदर्भ
1. 'विक्रम और बेताल को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
2. बेताल को लेने पहुंचे राजा विक्रम को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. विक्रम की पीठ पर लटके बेताल को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
4. घोड़े पर बैठे बेताल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. विक्रम वेताल की कहानियों की किताब को संदर्भित करता एक चित्रण (amazon)
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