Post Viewership from Post Date to 16-Jun-2024 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2329 79 2408

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

धुंए से परेशान किये बिना भी मधुमक्खियाँ आपको दे सकती शहद के अलावा बहुत कुछ!

मेरठ

 16-05-2024 09:34 AM
तितलियाँ व कीड़े

पारंपरिक मधुमक्खी पालन में हजारों वर्षों से स्केप्स (skeps) का उपयोग किया जा रहा है, जो पुआल या सूखी घास से बनी गुंबद के आकार की टोकरियाँ होती हैं। ये मधुमक्खी पालकों के लिए अपनी मधुमक्खियों को रखने का एक सरल और प्रभावी तरीका हुआ करते थे। आज भले ही उनका उतना उपयोग नहीं किया जाता है, लेकिन फिर भी वे हमारे इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रही हैं। हालांकि कई मधुमक्खियां प्राकृतिक रूप से पेड़ पर छत्ते बनाती हैं, जहाँ से शहद प्राप्त करने के लिए इन छत्तों को इंसानों द्वारा जला दिया जाता है! लेकिन आज हम जानेंगे कि कैसे हम मधुमक्खी के छत्ते बिना जलाए और बिना अधिक धुएं के भी मीठा शहद प्राप्त कर सकते हैं! विक्टोरियन युग से पहले, मधुमक्खी पालक मधुमक्खियों को रखने के लिए पुआल की टोकरियों का उपयोग करते थे, जिन्हें स्केप्स के नाम से जाना जाता था। मधुमक्खियाँ इन उलटी टोकरियों के अंदर ही अपने छत्ते का निर्माण करती थीं। हालाँकि, इस विधि से शहद एकत्र करने के परिणामस्वरूप अक्सर मधुमक्खियाँ मर भी जाती थीं या विस्थापित हो जाती थीं। इसलिए मधुमक्खी पालकों को हर साल मधुमक्खियों के एक नए झुंड को पकड़ना होता था।
विक्टोरियन युग के दौरान, लोगों ने केवल शहद के लिए नहीं, बल्कि वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए भी मधुमक्खियां पालना शुरू किया। इन शौकिया मधुमक्खी पालकों में सबसे प्रसिद्ध चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin) थे। मधुमक्खी पालकों द्वारा स्केप्स का उपयोग लगभग 2000 वर्षों से किया जा रहा है। वे मूल रूप से मिट्टी और गोबर से ढंके हुए विकर से बनाए जाते थे, लेकिन बाद में वे पुआल से बनाए जाने लगे। मधुमक्खियां स्केप के अंदर अपने छत्ते का निर्माण करती थी, जिसके निचले भाग में एक ही प्रवेश द्वार होता था। हालाँकि, स्केप्स के कुछ नुकसान भी थे। मधुमक्खी पालक बीमारियों या कीटों से सुरक्षा हेतु छत्ते की जाँच नहीं कर सकते थे! साथ ही कॉलोनी को नष्ट किए बिना इनसे शहद इकट्ठा करना मुश्किल होता था। कभी-कभी छत्ते को हटाने के लिए मधुमक्खियों को मार भी दिया जाता था। इन सभी मुद्दों के कारण, अधिकांश अमेरिकी राज्यों ने 1998 तक स्केप्स के उपयोग पर प्रतिबंध लगा दिया था।
स्केप्स के बाद के डिज़ाइनों में शीर्ष पर एक छोटी टोकरी बनाई गई, जिससे मधुमक्खियों और उनके बच्चों को नुकसान पहुचाए बिना ही थोड़ा-बहुत शहद काटा जा सकता था। जो लोग इन बुने हुए मधुमक्खी के छत्ते को बनाते थे उन्हें "स्केपर्स" के नाम से जाना जाता था। पुरानी पेंटिंग्स, नक्काशी और पांडुलिपियों में स्केप्स की छवियां भी देखी जा सकती हैं। 18वीं सदी के अंत में, अधिक जटिल स्केप विकसित किए गए। इनमें छेद वाले लकड़ी के शीर्ष होती थे, जिनके ऊपर कांच के जार रखे गए थे। मधुमक्खियां अपने छत्ते कांच के जार में बनाती थी, जिससे शहद एकत्र करना आसान हो गया और व्यावसायिक रूप से अधिक आकर्षक हो गया।
आधुनिक समय में मधुमक्खियों को लकड़ी के डिब्बों में पाला जाता है, जिसके भीतर वह अपना छत्ता बनती हैं! आपने भी मधुमक्खी पालकों को छत्ता खोलने से पहले धुआं फैलाते हुए देखा होगा, जिससे कई बार मधुमक्खियाँ भी जल जाती हैं! हालांकि आग लगाकर धुआं करने के बजाय, आधुनिक समय में धुआं उड़ाने के लिए धातु के एक उपकरण का उपयोग किया जाता है! इस उपकरण को स्मोकर (Smoker) के नाम से जाना जाता है, और यह मधुमक्खियों और मधुमक्खी पालक दोनों को सुरक्षित रखने के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।जब मधुमक्खी पालकों को अपने छत्ते का निरीक्षण करने की आवश्यकता होती है, तो वे मधुमक्खियों को शांत रखने के लिए धुएं का उपयोग करते हैं। मधुमक्खियों के भीतर आइसोपेंटाइल एसीटेट (Isopentyl Acetate) नामक एक विशेष रसायन होता है, जिसे वे खतरा महसूस होने पर छोड़ती हैं। यह रसायन अन्य मधुमक्खियों को भी हमला करने के लिए तैयार होने की चेतावनी देता है। लेकिन जब मधुमक्खी पालक धुएं का उपयोग करता है, तो वह इस रासायनिक संकेत को फैलने नहीं देता है, जिससे मधुमक्खियां शांत रहती हैं। इससे मधुमक्खी पालक को छत्ते का सुरक्षित रूप से निरीक्षण करने की सुविधा मिलती है। हालांकि यह एक आम ग़लतफ़हमी है कि धुंए से मधुमक्खियों को "नींद" आती है। वास्तव में, धुआं मधुमक्खियों के चेतावनी संकेतों को छिपा देता है।
हालांकि इसके कुछ दुष्परिणाम भी होते हैं! धुएं से मधुमक्खियों को भी लगता है कि उनके छत्ते में आग लग गई है। इससे वे बहुत अधिक शहद खाना शुरू कर देती हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्हें जल्द ही एक नया घर खोजने की आवश्यकता हो सकती है। जब वे इतना शहद खाते हैं, तो उनका पेट इतना भर जाता है कि उनके लिए डंक मारना मुश्किल हो जाता है।
जब तक धुआं बहुत गर्म न हो, यह मधुमक्खियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता। मधुमक्खी पालक को हमेशा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि धुंए का इस्तेमाल करने से पहले उसे ठंडा किया जाए। मधुमक्खियों की सुरक्षा हेतु धुंए के लिए सिंथेटिक सामग्री या प्रक्षालित कागज का उपयोग न करें, क्योंकि यह मधुमक्खियों को परेशान कर सकता है। धुआं प्राकृतिक सामग्री जैसे बर्लेप बोरे (Burlap Sacks), पाइन सुई (Pine Needles), लकड़ी के चिप्स (Wood Chips), छोटी शाखाओं या कार्डबोर्ड (Small Branches Or Cardboard) से बनाया जा सकता है। किसी भी कृत्रिम या प्रक्षालित कागज का उपयोग करने से बचें क्योंकि यह मधुमक्खियों को परेशान कर सकता है। छत्ते को खोलने से पहले उसके प्रवेश द्वार पर धीरे से कुछ धुआं उड़ा दें। यह मधुमक्खियों के लिए एक विनम्र चेतावनी की तरह होता है कि आप अंदर आने वाले हैं। याद रखें, आमतौर पर थोड़ा सा धुआं ही पर्याप्त होता है। यदि मधुमक्खी आपको काट ले तो तुरंत उस स्थान पर धुआं करें। यह अन्य मधुमक्खियों को शांत करने में मदद करता है जो शायद डंक मारना चाहती हों। क्या आप जानते हैं कि मधुमक्खियाँ शहद के अलावा और भी बहुत कुछ बनाती हैं, जो हमारे दैनिक जीवन में बहुपयोगी साबित हो सकती हैं। मधुमक्खियों द्वारा मोम, मधुमक्खी पराग, रॉयल जेली (Royal Jelly), प्रोपोलिस (Propolis), मधुमक्खी का जहर और छत्ते जैसी सभी चीजें अलग-अलग कारणों से बनाई जाती हैं।
इन उत्पादों का उपयोग प्राचीन काल से ही दुनिया भर में स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए किया जाता रहा है। स्वास्थ्य के लिए मधुमक्खी उत्पादों के इस उपयोग को एपीथेरेपी (Apitherapy) कहा जाता है। इसका उपयोग मिस्र, यूनानी, रोमन और चीनी जैसी प्राचीन सभ्यताओं द्वारा किया जाता था। उन्होंने इन उत्पादों का उपयोग गठिया, एलर्जी, प्रतिरक्षा या तंत्रिका संबंधी रोग, थायरॉयड समस्याएं और मसूड़े की सूजन सहित कई स्थितियों के इलाज के लिए किया। समय के साथ हुए शोध से पता चला है कि इन मधुमक्खी उत्पादों में औषधीय और उपचार गुण होते हैं। आइए इनमें से प्रत्येक उत्पाद और उनके विभिन्न लाभों के बारे में अधिक विस्तार से जानें: 1. मधुमक्खी मोम (Beeswax): श्रमिक मधुमक्खियाँ छत्ते बनाने और शहद से भरी कोशिकाओं को सील करने के लिए मोम बनाती हैं। इस मोम का उपयोग दवाओं, सौंदर्य प्रसाधनों और बालों की देखभाल करने वाले उत्पादों में किया जाता है क्योंकि यह त्वचा को मॉइस्चराइज (Moisturize) करता है और आराम देता है, बालों का झड़ना कम करता है और दर्द से राहत देता है। इसका उपयोग मोमबत्तियाँ, लिप बाम और अरोमाथेरेपी (Aromatherapy) में भी किया जाता है। 2. रॉयल जेली: मधुमक्खियाँ लार्वा और रानी मधुमक्खियों को खिलाने के लिए रॉयल जेली का उत्पादन करती हैं। यह पोषक तत्वों से भरपूर होता है और इसका स्वाद खट्टा होता है। इसका उपयोग बच्चों और वयस्कों में विभिन्न प्रकार की समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है, जिनमें एनीमिया, वायरल संक्रमण, अवसाद, चिंता जैसी समस्याएं शामिल हैं। इसमें जीवाणुरोधी, एंटीऑक्सिडेंट, एंटी फंगल और रोगाणुरोधी गुण भी होते हैं। 3. प्रोपोलिस: मधुमक्खियाँ फूलों और पत्तियों की कलियों से प्राप्त रेज़िन को मोम के साथ मिश्रित करके प्रोपोलिस बनाती हैं। वे इसका उपयोग अपने घोंसलों की लाइनिंग और दरारों को सील करने के लिए करते हैं। इसमें एंटीफंगल और जीवाणुरोधी गुण होते हैं जो मधुमक्खी कालोनियों को बीमारियों से बचाते हैं। इंसानों द्वारा इसका उपयोग सूजन का इलाज करने, प्रतिरक्षा बढ़ाने और ऊतकों को पुनर्जीवित करने के लिए दवाओं में किया जाता है। इसका उपयोग सौंदर्य प्रसाधनों में भी किया जाता है और विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए जाना जाता है। 4.मधुमक्खी पराग: मधुमक्खियाँ फूलों से पराग एकत्र करती हैं और इसे अपने हार्मोन और पाचन एंजाइमों से समृद्ध करती हैं। मधुमक्खी पराग के नाम से जाना जाने वाला यह मिश्रण पोषक तत्वों, अमीनो एसिड, लिपिड और विटामिन से भरपूर एक सुपरफूड होता है। इसमें एंटीवायरल और जीवाणुरोधी गुण होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद करता है, केशिकाओं को मजबूत करता है, और कैंसर, मधुमेह, अस्थमा, गठिया और त्वचा की स्थिति जैसी बीमारियों से लड़ता है। 5. बी ब्रेड (Bee Bread): मधुमक्खियां पराग, लैक्टिक किण्वक और शहद को मिलाकर, मधुमक्खी ब्रेड का उत्पादन करती हैं, जो लार्वा और युवा मधुमक्खियों के लिए एक प्रोटीन स्रोत होता है। इस उत्पाद, जो लगभग तीन महीने तक छत्ते की कोशिकाओं में किण्वित होता है, में विटामिन, खनिज, एंजाइम, लैक्टिक एसिड और अमीनो एसिड होते हैं। यह ऊर्जा बढ़ाता है, शरीर को विषमुक्त करता है, हीमोग्लोबिन बढ़ाता है, प्रतिरक्षा बढ़ाता है, भूख कम करता है, वजन प्रबंधन में मदद करता है, कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स को नियंत्रित करता है, और यकृत विकारों, आंतों की समस्याओं और कब्ज का इलाज करता है। 6. मधुमक्खी का जहर: मधुमक्खी के डंक से निकलने वाले इस रंगहीन, अम्लीय पदार्थ का उपयोग हजारों वर्षों से पारंपरिक औषधि के रूप में किया जाता रहा है। इसमें एंजाइम, शर्करा, अमीनो एसिड, खनिज और सूजन-रोधी गुणों वाले यौगिक होते हैं। यह सोरायसिस जैसी सूजन वाली त्वचा की स्थितियों का इलाज कर सकता है, दर्द से राहत दे सकता है और गठिया और पार्किंसंस रोग जैसी बीमारियों का इलाज कर सकता है। 7.मधुकोश: मधुकोश वह संरचना होती है, जिसे मधुमक्खियाँ अपने शहद, अन्य मधुमक्खी उत्पादों और अपने बच्चों को संग्रहीत करने के लिए बनाती हैं। यह प्रोपोलिस और मोम से बना होता है और इसमें शहद, मधुमक्खी पराग, मधुमक्खी की रोटी, या शाही जेली से भरी हेक्सागोनल कोशिकाएं (Hexagonal Cells) होती हैं। मधुकोश खाने योग्य और कार्बोहाइड्रेट और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। मधुकोश आपके हृदय को स्वस्थ रखने में मदद करता है। यह संक्रमण को रोकने में मदद कर सकता है क्योंकि अधिकांश मधुमक्खी उत्पादों में जीवाणुरोधी, ऐंटिफंगल और रोगाणुरोधी गुण होते हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/3jv2t8hm
https://tinyurl.com/55u5zezd
https://tinyurl.com/38phacsn

चित्र संदर्भ
1. मधुमक्खी स्मोकर को संदर्भित करता एक चित्रण (publicdomainpictures)
2. इथोपिया में स्केप्स को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. स्केप्स के निर्माण को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. सेंट फ़ागन्स में मधुमक्खी स्केप्स को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. मधुमक्खी को धुआँ लगाते व्यक्ति को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. स्मोकर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. मधुमक्खी मोम को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
8. रॉयल जेली को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
9. प्रोपोलिस को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
10. पराग को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
11. बी ब्रेड को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
12. मधुमक्खी के डंक को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
13. मधुकोश को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • लोगो बनाते समय, अपने ग्राहकों की संस्कृति जैसे पहलुओं की समझ होना क्यों ज़रूरी है ?
    संचार एवं संचार यन्त्र

     30-12-2024 09:25 AM


  • आइए देखें, विभिन्न खेलों के कुछ नाटकीय अंतिम क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     29-12-2024 09:21 AM


  • आधुनिक हिंदी और उर्दू की आधार भाषा है खड़ी बोली
    ध्वनि 2- भाषायें

     28-12-2024 09:28 AM


  • नीली अर्थव्यवस्था क्या है और कैसे ये, भारत की प्रगति में योगदान दे रही है ?
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:29 AM


  • काइज़ेन को अपनाकर सफलता के शिखर पर पहुंची हैं, दुनिया की ये कुछ सबसे बड़ी कंपनियां
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:33 AM


  • क्रिसमस पर लगाएं, यीशु मसीह के जीवन विवरणों व यूरोप में ईसाई धर्म की लोकप्रियता का पता
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:31 AM


  • अपने परिसर में गौरवपूर्ण इतिहास को संजोए हुए हैं, मेरठ के धार्मिक स्थल
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:26 AM


  • आइए जानें, क्या है ज़ीरो टिलेज खेती और क्यों है यह, पारंपरिक खेती से बेहतर
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:30 AM


  • आइए देखें, गोल्फ़ से जुड़े कुछ मज़ेदार और हास्यपूर्ण चलचित्र
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:25 AM


  • मेरठ के निकट शिवालिक वन क्षेत्र में खोजा गया, 50 लाख वर्ष पुराना हाथी का जीवाश्म
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:33 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id