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क्या आप जानते हैं कि हमारे देश में कच्चे तेल का लगभग 85% हिस्सा अन्य देशों से आयात किया जाता है। हालांकि आयात की इस निर्भरता को कम करने के लिए हमारे पास प्राकृतिक गैस जैसे कुछ प्रमुख वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत भी हैं, जो भारत को ऊर्जा क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बना सकते हैं।
वित्तीय वर्ष 2023 में हमारा भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता देश बन गया है। इस साल भारत ने हाजिर बाजार यानी स्पॉट मार्केट (Spot Market) से रिकॉर्ड 49.6 मिलियन टन कच्चे तेल का आयात किया। हाजिर बाजार में तत्काल डिलीवरी के लिए वस्तुओं का कारोबार किया जाता है। इसके अलावा, हमने टर्म कॉन्ट्रैक्ट (Spot Market) के माध्यम से 91.6 मिलियन टन का आयात किया, जो उस वर्ष कुल तेल आयात का लगभग 65% था।प्रतिशत के संदर्भ में, वित्तीय वर्ष 2023 में कुल तेल आयात का 35.13% हाजिर बाजार (Spot Market) से आया। भारत आमतौर पर मध्य पूर्व और रूस से कच्चा तेल खरीदता है। मध्य पूर्व से तेल आमतौर पर राष्ट्रीय तेल कंपनियों के साथ वार्षिक अनुबंध के ज़रिये खरीदा जाता है, जबकि रूस से तेल की खरीदारी हाजिर बाजार के ज़रिये की जाती है।
इन अनुबंधों के माध्यम से तेल खरीदने का निर्णय तेल और गैस सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के निदेशक मंडल द्वारा किया जाता है। हाजिर बाजार में खरीदारी के लिए निर्णय एक विशेष समिति द्वारा किया जाता है, जिसे अधिकार प्राप्त स्थायी समिति (Empowered Standing Committee (ESC) के नाम से जाना जाता है। हाजिर बाजार में तेल खरीदने से रिफाइनरियों को साल भर बदलती मांग के आधार पर अपनी तेल खरीद को समायोजित करने और अप्रत्याशित स्थितियों से निपटने में मदद मिलती है। हाजिर बाज़ार उन्हें प्रतिस्पर्धी कीमतों पर तेल खरीदने और दुनिया के विभिन्न हिस्सों से नए प्रकार के तेल आज़माने की भी अनुमति देता है।
हाजिर बाजार तेल कंपनियों को नए प्रकार के तेल को आजमाने का मौका देता है जो आमतौर पर वार्षिक अनुबंधों के माध्यम से उपलब्ध नहीं होते हैं। ये खरीदारी प्रतिस्पर्धा निविदाओं या ट्रेडिंग डेस्क (trading desk) के माध्यम से की जाती है, और इस खरीद की आवृत्ति कंपनी की जरूरतों पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (Indian Oil Corporation (IOC) आम तौर पर सप्ताह में एक या दो बार हाजिर बाजार से तेल खरीदता है। दूसरी ओर, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (Bharat Petroleum Corporation (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (Hindustan Petroleum Corporation (HPCL) हर 10 दिनों में एक बार ये खरीदारी करते हैं, आमतौर पर वे दो से तीन महीने पहले अपनी खरीदारी की योजना बना लेते हैं।
वित्त वर्ष 2018 से वित्त वर्ष 2022 तक, पीएसयू और उनकी सहायक कंपनियों ने अपनी वार्षिक अनुबंध खरीद कम कर दी है और अपनी हाजिर खरीद बढ़ा दी है। इसका उद्देश्य हाजिर बाजार का लाभ उठाना और हाजिर बाजार में उपलब्ध नए प्रकार के तेल की खोज करना है।
भारत दुनिया में कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा और प्राकृतिक गैस का पंद्रहवां सबसे बड़ा आयातक है। वित्त वर्ष 2021-22 में भारत में इस्तेमाल होने वाला लगभग 86% कच्चा तेल और 48.2% प्राकृतिक गैस विदेशों से आयात की गई थी। देश को आयात पर इस निर्भरता की बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है। वित्त वर्ष 2021-22 में, भारत ने लगभग 212 मिलियन मीट्रिक टन कच्चे तेल का आयात किया, जो इससे पिछले वर्ष से लगभग 8% अधिक थी। इन आयातों की लागत भी 95.6% बढ़कर 8,99,312 करोड़ रुपये हो गई। तरलीकृत प्राकृतिक गैस आपूर्ति की लागत भी 72.1% बढ़कर 1,00,011 करोड़ रुपये हो गई।
हालांकि भारत अपने हाइड्रोकार्बन (तेल और गैस) के उत्पादन को बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी और नवाचार का उपयोग करना चाहता है, जिसके बाद देश अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए अधिक आत्मनिर्भर हो सकता है। ऐसा देश के तेल और गैस परिचालन में निजी कंपनियों को शामिल करके और दुनिया भर की कंपनियों के साथ साझेदारी बनाकर किया जा सकता है। रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) जैसी कुछ भारतीय कंपनियों ने भारतीय पेट्रोलियम (Indian Petroleum) के साथ गहरे पानी के क्षेत्र (Deepwater Fields) विकसित करके पहले ही ऐसा करना शुरू कर दिया है।
सरकार भी नए क्षेत्रों में हाइड्रोकार्बन की खोज को प्रोत्साहित करके और प्रमुख अन्वेषण और उत्पादन कंपनियों के साथ साझेदारी बनाकर तेल और गैस क्षेत्र की मदद करना चाहती है। हाल ही में, राज्य के स्वामित्व वाली तेल और प्राकृतिक गैस निगम (Oil and Natural Gas Corporation (ONGC) ने वर्ष 2022-25 के लिए लगभग 31,000 करोड़ रुपये के बजट के साथ 5 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र का पता लगाने का लक्ष्य रखा है। ओएनजीसी देश के पूर्वी और पश्चिमी तटों पर चयनित बेसिनों और गहरे पानी वाले क्षेत्रों का पता लगाने के लिए एक्सॉनमोबिल (ExxonMobil), शेवरॉन (Chevron) और टोटल (Total) के साथ मिलकर काम कर रही है।
2018 के बाद से, भारत ने 2022 में पेट्रोल के साथ मिश्रित इथेनॉल (Mixed Ethanol) की मात्रा को 10.17% तक बढ़ाकर विदेशी मुद्रा में 50,000 करोड़ रुपये से अधिक की बचत की है। सरकार की योजना 2025 तक इसे 20% तक बढ़ाने की है। इसके अलावा अन्य प्रयासों में 2024 तक कृषि में डीजल पंपों को सौर पंपों से बदलना और अक्टूबर 2022 तक 4,003 ईवी चार्जिंग स्टेशन (EV charging station) और 72 बैटरी-स्वैपिंग स्टेशन (Battery-Swapping Station) स्थापित करना शामिल था। इन कदमों से हाइड्रोकार्बन के आयात को कम करने और भारत को अधिक नवीकरणीय, उत्सर्जन-मुक्त भविष्य की ओर ले जाने में भी मदद मिलेगी।
भारत की भविष्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में प्राकृतिक गैस महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। अभी, प्राकृतिक गैस भारत के ऊर्जा मिश्रण का केवल 6.3% हिस्सा बनाती है, हालांकि यह बदलने वाला है। 2030 तक भारत सरकार अपने कुल ऊर्जा मिश्रण में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी दोगुनी करना चाहती है। ऊर्जा स्रोतों के मिश्रण से भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ने में मदद मिलेगी। भारत का प्राकृतिक गैस भंडार लगभग 1.32 ट्रिलियन क्यूबिक मीटर होने का अनुमान है, जो वैश्विक भंडार का केवल 0.7% है।
भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है। 2022-23 के वित्तीय वर्ष में, भारतीयों ने लगभग 60,000 मिलियन मीट्रिक मानक क्यूबिक मीटर प्रति दिन “Million metric standard cubic meters per day (MMSCMD)” प्राकृतिक गैस का उपयोग किया था। 2020-21 में शहरी गैस वितरण (City Gas Distribution (CGD) क्षेत्र में प्राकृतिक गैस का उपयोग 25 एमएमएससीएमडी था, जिसके 2029-30 में बढ़कर (13% की वृद्धि दर) 86 एमएमएससीएमडी होने की उम्मीद है।
आईसीआरए (ICRA) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 2027 तक संपीड़ित प्राकृतिक गैस (Compressed Natural Gas (CNG) यात्री वाहनों के लिए दूसरा सबसे लोकप्रिय ईंधन बन सकती है। यह उम्मीद संभवतः गैस की कीमतों में हालिया कटौती के कारण की जा रही है। हाल ही में सीएनजी की कीमतों में 8 रुपये प्रति किलो की कमी देखी गई। इससे लोगों का सीएनजी पर भरोसा बढ़ा है। साथ ही आने वाले वर्षों में देश भर में 10,000 से अधिक स्टेशनों के साथ सीएनजी के बुनियादी ढांचे में भी सुधार किया जाएगा। इसके अलावा अच्छी कनेक्टिविटी (Connectivity) और सरकारी समर्थन से सीएनजी का उपयोग करने वाले लोगों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है।
प्राकृतिक गैस को अपनाने के संदर्भ में हम जर्मनी की गैस ग्रिड प्रणाली (Gas Grid System) से बहुत कुछ सीख सकते हैं। दरअसल जर्मनी में गैस ग्रिड एक जटिल प्रणाली है, जिसके जरिये उत्पादन स्थलों से निकाली गई प्राकृतिक गैस को अंतिम उपयोगकर्ता तक पहुंचाया जाता है। गैस ग्रिड परस्पर जुड़ी पाइपलाइनों की एक प्रणाली है, जो प्राकृतिक गैस को उत्पादन सुविधाओं से आवासीय, वाणिज्यिक और औद्योगिक उपभोक्ताओं सहित अंतिम उपयोगकर्ताओं तक पहुंचाती है। जर्मनी में, कुल 443,000 किलोमीटर लंबी पाइपलाइनें हैं, जो प्राकृतिक गैस को उत्पादन स्थलों से, जरूरत के स्थानों तक पहुंचाती हैं। जर्मनी में उपयोग की जाने वाली गैस एक बड़े यूरोपीय गैस नेटवर्क का हिस्सा है, और मुख्य रूप से रूस (Russia), नॉर्वे (Norway) और नीदरलैंड (Netherlands) से आती है।
गैस ग्रिड में दबाव के तीन स्तर (उच्च, मध्यम और निम्न) होते हैं। उच्च दबाव, अधिक गैस के परिवहन की अनुमति देता है। लेकिन जैसे-जैसे गैस लंबी दूरी तय करती है, यह इस दबाव का कुछ हिस्सा खो देती है। गैस को प्रवाहित रखने के लिए, दबाव बनाए रखने के लिए कंप्रेसर स्टेशनों (Compressor Stations) का उपयोग किया जाता है।
आयातित गैस का परिवहन शेल (Shell), एक्सॉन (Exxon), आरडब्ल्यूई (RWE), वीएनजी (VNG) और विंगस (Wings) जैसी लंबी दूरी की गैस कंपनियों के माध्यम से किया जाता है। ये कंपनियां गैस को गैस ग्रिड में डालती हैं, जो फिर इसे संबंधित आपूर्ति क्षेत्रों में स्थानीय गैस आपूर्तिकर्ताओं तक पहुंचाती है। ये आपूर्तिकर्ता सुनिश्चित करते हैं कि गैस अंतिम उपयोगकर्ता तक पहुंचे। गैस ग्रिड को लोड उतार-चढ़ाव से बचाने के लिए, देश भर में कई भूमिगत भंडारण सुविधाएं भी मौजूद हैं।
संदर्भ
http://tinyurl.com/yc74ve95
http://tinyurl.com/284e6tba
http://tinyurl.com/mu797fbs
http://tinyurl.com/2bvnmjhk
चित्र संदर्भ
1. प्राकृतिक गैस संयंत्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. वैश्विक तेल आयात के मानचित्र को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. हैड्रोजन संयंत्र को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. तेल संयंत्र को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
6. सीएनजी वाहन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. एलपीजी गैस के विस्तार को संदर्भित करता एक चित्रण (pexels)
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