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पर्यावरण का ख्याल रखते हुए कैसे हरित अर्थव्यवस्था द्वारा आर्थिक तरक्की करें?

लखनऊ

 07-02-2024 10:03 AM
नगरीकरण- शहर व शक्ति

पर्यावरण का ख्याल रखते हुए कैसे हरित अर्थव्यवस्था द्वारा आर्थिक तरक्की करें? आज पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन के गंभीर परिणामों के प्रति सचेत हो चुकी है। यही कारण है, कि आज विविध देशों की बड़ी-बड़ी संस्थाओं और सरकारों द्वारा जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता हानि और अस्थिर विकास जैसी जटिल समस्याओं के समाधान हेतु, हरित अर्थव्यवस्था की अवधारणा को अपनाया जा रहा है।
हरित अर्थव्यवस्था (Green Economy) एक आर्थिक प्रणाली है, जिसका उद्देश्य जंगलों, मिट्टी और जलीय भंडार जैसे प्राकृतिक संसाधनों का ख्याल रखते हुए और इनमें निवेश करके सतत विकास और गरीबी का उन्मूलन करना है। सरल शब्दों में समझें तो हरित अर्थव्यवस्था, पर्यावरण की रक्षा करते हुए आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देने का काम करती है। हरित अर्थव्यवस्था में कई प्रकार के लाभ प्रदान करने की क्षमता है। इन लाभों में नई नौकरियां पैदा करना, आर्थिक विकास को बढ़ावा देना, पर्यावरण की रक्षा करना, सामाजिक समावेशन और लचीलेपन को बढ़ावा देने जैसे कई लाभ शामिल हैं। चूँकि आज दुनिया को जलवायु परिवर्तन और अस्थिर विकास प्रथाओं से संबंधित कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए हरित अर्थव्यवस्था की अवधारणा पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ने का एक आशाजनक मार्ग प्रदान करती है।
शोध से पता चला है कि हरित अर्थव्यवस्था पारंपरिक व्यवसाय मॉडल की तुलना में लघु, मध्यम और दीर्घकालीन अवधि में कृषि, निर्माण, वानिकी और परिवहन जैसे प्रमुख क्षेत्रों में अधिक नौकरियां पैदा कर सकती है। इसके अलावा, एक हरित अर्थव्यवस्था प्राकृतिक पूंजी को अधिक महत्व देती है और उसमें निवेश करती है। इससे पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं का बेहतर संरक्षण होता है और गरीब ग्रामीण समुदायों की घरेलू आय में भी वृद्धि होती है। पर्यावरण के अनुकूल कृषि तकनीक , निर्वाह किसानों की फसल की पैदावार में उल्लेखनीय वृद्धि करती हैं। हरित अर्थव्यवस्था विभिन्न प्रकार के लाभ प्रदान कर सकती है, जिनमें शामिल हैं:
नौकरी सृजन: हरित अर्थव्यवस्था में परिवर्तन से नवीकरणीय ऊर्जा, टिकाऊ परिवहन और हरित निर्माण जैसे क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा हो सकते हैं।
आर्थिक विकास: एक हरित अर्थव्यवस्था सीमित संसाधनों पर निर्भरता को कम करते हुए नवाचार और नए बाजारों को प्रोत्साहित करके आर्थिक विकास में मदद कर सकती है।
पर्यावरण संरक्षण: पर्यावरणीय जोखिमों और पारिस्थितिक के नुकसान को हरित अर्थव्यवस्था कम कर सकती है, जिससे मनुष्यों और पर्यावरण के स्वास्थ्य तथा कल्याण में वृद्धि हो सकती है।
सामाजिक समावेशन: हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए हरित अर्थव्यवस्था अवसर पैदा करके और संसाधनों तक उचित पहुंच को बढ़ावा देकर सामाजिक समावेशन को बढ़ावा दे सकती है।
लचीलापन: जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं जैसे विभिन्न झटकों और तनावों के प्रति हरित अर्थव्यवस्था लचीलापन बढ़ा सकती है। आप भी हरित अर्थव्यवस्था के प्रति बढ़ते इन रुझानों का लाभ उठाने के लिए एक निवेशक के तौर पर “ग्रीन बांड (Green Bond)” में निवेश का विकल्प चुन सकते हैं। दरअसल ग्रीन बांड एक प्रकार का निवेश साधन है, जिसे विशेष रूप से जलवायु और पर्यावरण से संबंधित परियोजनाओं के लिए धन उत्पन्न करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। हरित बांड की शुरुआत 2000 के दशक में हुई थी और इसे कभी-कभी “जलवायु बांड (Climate Bonds)” भी कहा जाता है। इन दोनों शब्दों का मतलब हमेशा एक ही नहीं होता है। जलवायु बांड विशेष रूप से उन परियोजनाओं को वित्तपोषित करते हैं, जो कार्बन उत्सर्जन को कम करते हैं या जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करते हैं, जबकि हरित बांड पर्यावरण की दृष्टि से लाभकारी परियोजनाओं की एक विस्तृत श्रृंखला को वित्तपोषित करते हैं।
ग्रीन बांड एक प्रकार का निवेश है, जो कर छूट और क्रेडिट (Tax Exemptions and Credits) जैसे कर लाभ प्रदान कर सकता है। यह इसे अन्य कर योग्य बांडों की तुलना में अधिक आकर्षक बनाता है। ये कर लाभ जलवायु परिवर्तन और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की ओर बदलाव जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों के समाधान के लिए वित्तीय पुरस्कार के रूप में काम करते हैं। 2012 में, ग्रीन बांड के बाज़ार का मूल्य केवल 2.6 बिलियन डॉलर था। लेकिन, 2016 के बाद यह बाज़ार काफ़ी बढ़ने लगा। इस वृद्धि का अधिकांश हिस्सा चीनी उधारकर्ताओं से आया, जिन्होंने कुल 32.9 बिलियन डॉलर में से एक तिहाई से अधिक का योगदान दिया। दुनिया भर में हरित बांड के प्रति रुचि बढ़ रही है, जिसमें यूरोपीय संघ और संयुक्त राज्य अमेरिका अग्रणी हैं।
बॉण्ड-क्रेडिट (bond-credit) की रेटिंग करने वाली कम्पनी मूडीज (Moody's) के अनुसार, 2017 में वैश्विक स्तर पर ग्रीन बांड का मूल्य 161 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया। हालाँकि 2018 में विकास थोड़ा धीमा होकरग्रीन बांड का मूल्य 167 बिलियन डॉलर हो गया, लेकिन जलवायु मुद्दों के बारे में बढ़ती जागरूकता के कारण अगले वर्ष इसमें फिर से तेजी आई। ग्रीन बांड का बाजार 2019 में रिकॉर्ड $266.5 बिलियन और 2020 में लगभग $270 बिलियन तक पहुंच गया। ग्रीन बांड के बाजार में एक प्रमुख भागीदार रहे विश्व बैंक ने 2008 से 2020 तक 14.4 बिलियन डॉलर के ग्रीन बांड जारी किए। इन बांडों से प्राप्त धन का उपयोग वैश्विक स्तर पर 111 परियोजनाओं को वित्तपोषित करने के लिए किया गया है। इनमें से अधिकांश परियोजनाएं नवीकरणीय ऊर्जा और दक्षता (33%), स्वच्छ परिवहन (27%), और कृषि और भूमि उपयोग (15%) से जुड़ी हुई हैं।
रामपुर जलविद्युत परियोजना बैंक के हरित बांड द्वारा वित्त पोषित पहली परियोजनाओं में से एक थी। इस परियोजना का उद्देश्य उत्तरी भारत के बिजली ग्रिड (electricity grid) को कम कार्बन वाली जलविद्युत ऊर्जा की आपूर्ति करना है। हरित बांड की बदौलत, यह परियोजना अब हर साल लगभग 2 मेगावाट बिजली पैदा करती है, जिससे 1.4 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जन को रोका जा सकता है।
लगभग 1.4 बिलियन लोगों की सबसे अधिक आबादी वाला देश होने के नाते, भारत, अपनी अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता के कारण वैश्विक जलवायु परिवर्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इससे पैदा होने वाली कार्बन की मात्रा सीधे तौर पर वैश्विक उत्सर्जन को प्रभावित करती है। 2021 में, भारत ने लगभग 3.9 बिलियन टन ग्रीनहाउस गैसों (Greenhouse Gases (GHG) का उत्पादन किया। इस आधार पर भारत, चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक बन गया । हालाँकि, जब हम प्रति व्यक्ति उत्सर्जन को देखते हैं, तो भारत का आंकड़ा केवल 2.8 टन CO2 समकक्ष है, जो वैश्विक औसत 6.9 से कम है और संयुक्त राज्य अमेरिका के 17.5 टन प्रति व्यक्ति से तो बहुत कम है। 1 फरवरी, 2022 को, भारत की वित्त और कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री, सुश्री निर्मला सीतारमण ने ग्रीन बांड जारी करने की सरकार की मंशा का खुलासा किया। ये बांड पर्यावरण के अनुकूल बुनियादी ढांचे के लिए धन इकट्ठा करने के लिए जारी किये जायेंगे। जुटाए गए धन का उपयोग देश के कार्बन पदचिह्न को कम करने के उद्देश्य से सार्वजनिक क्षेत्र की परियोजनाओं के लिए किया जाएगा। 80 बिलियन रुपये (लगभग 980 मिलियन डॉलर) की राशि वाले इन ग्रीन बांड की पहली किस्त 25 जनवरी, 2023 को जारी की गई थी। सरकार द्वारा 9 फरवरी, 2023 को जारी करने के लिए इतनी ही राशि की घोषणा की गई थी।
ये विशेष ऋण हैं, जिनका उपयोग केवल उन परियोजनाओं के लिए किया जा सकता है जो पर्यावरण संरक्षण में मदद करती हैं। उदाहरण के लिए, रायपुर शहर ने कम ऊर्जा और पानी का उपयोग करने वाला एक खेल परिसर बनाने के लिए ग्रीन बांड के माध्यम से 2 अरब रुपये उधार लिए। गाजियाबाद शहर भारत में ग्रीन बांड का उपयोग करने वाला पहला शहर था। इंदौर शहर ने खरगोन जिले में सूर्य से बिजली बनाने वाले सौर ऊर्जा संयंत्र के लिए धन प्राप्त करने के लिए भी हरित बांड का उपयोग किया।

संदर्भ
http://tinyurl.com/yhx8w42h
http://tinyurl.com/mr3e2heu
http://tinyurl.com/2dm5622e
http://tinyurl.com/3km3msbj

चित्र संदर्भ
1. हरित अर्थव्यवस्था को संदर्भित करता एक चित्रण (Flickr)
2. पवन टरबाइन में काम कर रहे श्रमिकों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. छत पर सोलर पेनल लगाते हुए श्रमिकों को संदर्भित करता एक चित्रण (PickPik)
4. हरित अर्थ व्यवस्था को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. छत के ऊपर सोलर पेनल को लगाती महिला को संदर्भित करता एक चित्रण ( Climate Change The New Economy)
6. अनास्तास और वार्नर द्वारा प्रस्तावित हरित रसायन विज्ञान के सिद्धांत को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. छत में लगे सौर ऊर्जा संयंत्रों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)



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