Post Viewership from Post Date to 13-Jan-2024 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2083 254 2337

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

हिमालय की तलहटी से यूरोप के मैदानों में कैसे पहुंचे नारंगी या संतरे

लखनऊ

 13-12-2023 09:55 AM
निवास स्थान

क्या आप जानते हैं कि अंगूर, नींबू और संतरे जैसे खट्टे फलों की यात्रा आज से लाखों वर्ष पहले हिमालय की हरी-भरी तलहटी में बसे क्षेत्रों से ही शुरू हुई थी। इन क्षेत्रों में भारत, म्यांमार और चीन के कुछ हिस्से शामिल हैं। चीन में वैज्ञानिकों को 11.6 - 5.3 मिलियन वर्ष पूर्व (मायोसीन युग “Miocene era”) के कुछ जीवाश्म भी मिले हैं, जो आज के खट्टे फलों से मिलते जुलते हैं। इस रोमांचक खोज से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि, लगभग 8 मिलियन वर्ष पहले चीन के युन्नान प्रांत (Yunnan) से ही सभी खट्टे फलों की शुरुआत हुई थी। खट्टे, थोड़े कड़वे संतरे, जिन्हें प्रसिद्ध "सेविल संतरे (Seville oranges)" के नाम से जाना जाता है, सबसे पहले अरबों द्वारा यूरोप में लाए गए थे। पहला खट्टा संतरा 1002 ई. में इटली के सिसिली “Sicily” क्षेत्र में उगता हुआ पाया गया। 1000 ई. तक अरबी मूर लोग (Moors) खट्टे संतरे स्पेन (Spain) ले गए थे। उस समय जब स्पेन, इस्लामी शासन के अधीन था, मूरिश संस्कृति (Moorish culture) के कवि, खट्टे, थोड़े कड़वे नारंगी के पेड़ और उसके फूलों की प्रशंसा करते थे। उन्हें नारंगी के पेड़ के फूलों, जिन्हें अरबी में ‘अज़हर’ कहा जाता था, की तेज़ गंध बहुत पसंद थी, जिसका उपयोग इत्र बनाने के लिए किया जाता था।
इनमें से एक परफ्यूम (Perfume) को ‘नेरोली’ (Neroli) कहा जाता है, जिसका इस्तेमाल ‘अगुआ डी सेविला (Agua de Seville)’ नाम के परफ्यूम में किया जाता है। नेरोली को अवसाद के इलाज के लिए भी जाना जाता है। आमतौर पर संतरे के पेड़ के ये सफेद फूल सर्दियों में खिलते हैं। उनकी मनमोहक गंध शहर को भर देती है, जिससे ऐसा महसूस होता है, जैसे कि वसंत बस आने ही वाला है। यूरोप के अन्य क्षेत्रों में, संतरे के फल 1400 के दशक के आसपास, व्यापक रूप से इतालवी व्यापारियों द्वारा पहुचाये गए थे। बाद में, स्पैनिश लोगों ने उन्हें जमीन और समुद्र के व्यापारिक मार्गों से होते हुए दक्षिण और मध्य अमेरिका में फैलाया। अमेरिका को अपना पहला खट्टा फल, पोंस डी लियोन (Ponce de Leon) नामक एक स्पेनिश खोजकर्ता ने दिया, जो इसे 1513 में दक्षिण पूर्वी क्षेत्र में स्थित एक राज्य फ्लोरिडा (Florida) ले गए थे। आधुनिक समय में संतरे दुनिया भर में सबसे अधिक उगाए जाने वाले फलों में से एक बन गये हैं। हमारे भारत में भी आज संतरे, मुख्य फसलों में से एक बन गये हैं। ये फल केले तथा आम के बाद, फल उत्पादन में तीसरे स्थान पर आते हैं। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन के 2010 के आंकड़ों के अनुसार, भारत दुनिया में संतरे का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। भारत, श्रीलंका, फ्रांस (France), ब्रिटेन (Britain), बेल्जियम (Belgium) और बांग्लादेश समेत कई देशों को मीठे संतरों का निर्यात भी करता है। भारत में संतरे मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में उगाए जाते हैं। मंदारिन संतरे (Mandarins) को मुख्य रूप से कूर्ग, विदर्भ, दार्जिलिंग, मेघालय, असम, नागपुर, अकोला और पंजाब जैसे स्थानों में उगाया जाता है।
क्या आप जानते हैं कि ‘संतरे के लिए "नारंगी" शब्द की उत्पत्ति प्राचीन भाषा तमिल से हुई है? तमिल शब्द "अरान्कु" का अर्थ "6 और 5", होता है, तथा जिसका योग 11 होता है। वहीं संतरे के अंदर भी आमतौर पर 11 खंड ही होते हैं। एक अन्य तमिल शब्द, "नर्गा (nurga)" का अर्थ "सुगंधित" होता है, जहां से संभवतः संस्कृत शब्द "नारंग" में ”न” लिया गया है। इस प्रकार प्राचीन काल से "नारंग", एक "सुगंधित, 11 खंड के फल" को संदर्भित करता था। 'नारंग' शब्द ने फ़ारसी (nārang) और अरबी (nāranj) में शब्द के विभिन्न रूपों के माध्यम से यूरोपीय भाषाओं में अपनी जगह बनाई। 'ऑरेंज' (Orange) शब्द का प्रयोग पहली बार अंग्रेजी में 12वीं शताब्दी में किया गया था। ऐसा माना जाता है कि यह पुराने फ्रांसीसी शब्द 'ऑरेंज "orenge"' से आया है। हालाँकि यह स्पष्ट नहीं है कि 'संतरा' सीधे फ़ारसी या अरबी से आया है, या क्या इसे नारंगी पेड़ के लिए, इतालवी शब्द "अरानसीओ (arancio)" से उधार लिया गया है।
हिंदी में "नारंगी" एक "रंग" भी होता है, लेकिन वास्तव में इसका शाब्दिक अर्थ “ना+रंगी यानी "रंगहीन" होता है। कई लोग मानते हैं कि यह भ्रम संभवतः कबीरदास की एक ग़लतफ़हमी के कारण पैदा हुआ है। कबीर का एक प्रसिद्ध दोहा है: रंगी को नारंगी कहे ,बने दूध को खोया , चलती को गाड़ी कहे ,ये देख कबीरा रोया कबीर संभवतः इसलिए भ्रमित थे क्योंकि उन्हें लगा कि "नारंगी" शब्द फ़ारसी उपसर्ग "ना-" (जिसका अर्थ "नहीं" होता है) और "रारंगी" (जिसका अर्थ "रंगीन" होता है) से बना है। लेकिन वास्तव में, "नारंगी" संस्कृत शब्द "नारंग" से आया है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/2hnmfuhj
https://tinyurl.com/4ccdyjax
https://tinyurl.com/mu43bdr7

चित्र संदर्भ
1. संतरे के पेड़ों को दर्शाता एक चित्रण (pxhere)
2. खट्टे फलों को दर्शाता एक चित्रण (Look and Learn)
3. सेविल संतरों को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. ‘नेरोली’ को दर्शाता एक चित्रण (Kobashi)
5. अमेरिका को अपना पहला खट्टा फल, पोंस डी लियोन नामक एक स्पेनिश खोजकर्ता ने दिया, जो इसे 1513 में दक्षिण पूर्वी क्षेत्र में स्थित एक राज्य फ्लोरिडा ले गए थे। को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. संतरों की पेटी को दर्शाता एक चित्रण (DeviantArt)
7. संतरे को दर्शाता एक चित्रण (Wallpaper Flare)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • होबिनहियन संस्कृति: प्रागैतिहासिक शिकारी-संग्राहकों की अद्भुत जीवनी
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:30 AM


  • अद्वैत आश्रम: स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं का आध्यात्मिक एवं प्रसार केंद्र
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:32 AM


  • जानें, ताज महल की अद्भुत वास्तुकला में क्यों दिखती है स्वर्ग की छवि
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:25 AM


  • सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक महत्व के लिए प्रसिद्ध अमेठी ज़िले की करें यथार्थ सैर
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:34 AM


  • इस अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर जानें, केम्ब्रिज और कोलंबिया विश्वविद्यालयों के बारे में
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:33 AM


  • क्या आप जानते हैं, मायोटोनिक बकरियाँ और अन्य जानवर, कैसे करते हैं तनाव का सामना ?
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:20 AM


  • आधुनिक समय में भी प्रासंगिक हैं, गुरु नानक द्वारा दी गईं शिक्षाएं
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:32 AM


  • भारत के सबसे बड़े व्यावसायिक क्षेत्रों में से एक बन गया है स्वास्थ्य देखभाल उद्योग
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:22 AM


  • आइए जानें, लखनऊ के कारीगरों के लिए रीसाइकल्ड रेशम का महत्व
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:26 AM


  • वर्तमान उदाहरणों से समझें, प्रोटोप्लैनेटों के निर्माण और उनसे जुड़े सिद्धांतों के बारे में
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id