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जब तक “इंटरनेट” और “मोबाइल” आम लोगों की दिनचर्या का हिस्सा नहीं थे, तब देशभर के अधिकांश घरों में हर महीने 'नंदन', 'चंपक', 'पराग', 'नन्हे सम्राट', 'बालहंस' और 'चंदामामा' जैसी रंग-बिरंगी पत्रिकाएँ देखने को मिल जाती थीं। हर महीने बच्चे इन पत्रिकाओं के नये अंक का बेसब्री से इंतजार करते थे। कई बच्चे ऐसे भी थे, जो केवल इस बात पर झगड़ते रहते थे कि ये पत्रिकाएँ सबसे पहले किसने पढ़ी हैं!
चलिए आज इन्हीं पत्रिकाओं पर दोबारा एक नजर फेरते हुए, अपने बचपन की यादों को फिर से ताजा कर लेते हैं:
१. चंपक: चंपक बच्चों के बीच खूब पसंद की जाने वाली एक लोकप्रिय पत्रिका है, जो महीने में दो बार निकलती है। इसे सन 1969 से भारत में दिल्ली प्रेस ग्रुप (Delhi Press Group) द्वारा प्रकाशित किया जा रहा है। यह पत्रिका अंग्रेजी और हिंदी सहित 8 अन्य भारतीय भाषाओं में भी उपलब्ध है। चंपक बच्चों पर केंद्रित अन्य पत्रिकाओं जैसे “अमर चित्र कथा” और “चंदामामा” को कड़ी चुनौती देती है। चंपक की एक मासिक स्कूल पत्रिका भी है जिसका नाम “चंपक प्लस (Champak Plus)” है।
२. बालहंस: 'बालहंस' सामाजिक मुद्दों के बजाय राजाओं और रानियों की कहानियों से भरी रहती थी। ये कहानियाँ हमारे प्राचीन इतिहास और राजा पृथ्वीराज चौहान जैसे नायकों की वीरगाथाओं से भरी रहती थीं। इस पत्रिका ने हमें प्राचीन इतिहास से जुड़ी कई अहम् जानकारियां बड़े ही रोमांचक ढंग से प्रदान की और यह भी बच्चों के बीच बहुत लोकप्रिय थी।
३. पराग: 'पराग' हिंदी में प्रकाशित होने वाली और बच्चों को समर्पित एक बड़ी ही मनोरंजक पत्रिका हुआ करती थी, जिसे 1960 के दशक के दौरान दिल्ली में टाइम्स ग्रुप (Times Group) द्वारा प्रकाशित किया जाता था। अपनी शुरुआत में यह बहुत लोकप्रिय हुआ करती थी, लेकिन दस साल से अधिक समय के बाद इसका प्रकाशन बंद हो गया। यदि आपको याद हो तो इस पत्रिका में 'छोटू-लम्बू' नाम का एक “कार्टून कॉर्नर (Cartoon Corner)” और 'बिल्लू' नाम का एक मुख्य पात्र हुआ करता था।
५. नन्हे सम्राट: 'नन्हे सम्राट' को 'मूर्खिस्तान' और 'जूनियर जेम्स बॉन्ड (Junior James Bond)' की कहानियों के कारण खूब पसंद किया जाता है। जावेद आलम शम्सी लगभग 23 वर्षों से नन्हे सम्राट के लिए चित्र बना रहे हैं।
५. 'चंदामामा: 'चंदामामा' भारतीय बच्चों के लिए बनी एक क्लासिक पत्रिका थी, जो अपने चटक और रंगीन चित्रों के लिए जानी जाती थी। इसमें पौराणिक कथाओं और जादू से जुड़ी लंबी कहानियाँ प्रकाशित होती थी। यह पत्रिका पहली बार 1947 में प्रकाशित हुई थी। इसे तेलुगु में बी.नागी रेड्डी और चक्रपाणि द्वारा शुरू किया गया था, जो प्रसिद्ध तेलुगु फिल्म निर्माता थे।
६.नंदन: नंदन भारत में, खासतौर पर हिंदी भाषी क्षेत्रों में, बच्चों के बीच एक लोकप्रिय पत्रिका हुआ करती थी। जिन बच्चों को यह पत्रिका उपलब्ध थी वह हर समय इसे पास रखते थे, फिर चाहे वे गर्मियों की छुट्टियों में अपने दादा-दादी के घर जाने के लिए ट्रेन से यात्रा कर रहे हों या घर पर उमस भरी दोपहर बिता रहे हों, उनके लिए नंदन एक विश्वसनीय मित्र की तरह हमेशा साथ चलती थी। इस पत्रिका की शुरुआत 1964 में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू जी ने की थी। दुर्भाग्यवश, नवंबर में पत्रिका प्रकाशित होने से पहले ही उनका निधन हो गया। लेकिन वे नंदन के लिए पहले ही फोटोशूट (Photoshoot) कर चुके थे। इसलिए, पत्रिका के पहले संस्करण को “चाचा नेहरू - एक श्रद्धांजलि” के रूप में प्रकाशित किया गया था, और पहली प्रकाशित पत्रिका के कवर पर उन्हें चित्रित किया गया था।
बच्चों ने नंदन को इसलिए भी पसंद किया क्योंकि इसमें पारंपरिक और आधुनिक कहानियों, कविताओं, इंटरैक्टिव कॉलम (Interactive Column) और शैक्षिक सामग्री का मजेदार और ज्ञानवर्धक मिश्रण होता था। अमृतसर की 65 वर्षीय गृहिणी उषा गोस्वामी कहती हैं कि उन्होंने 60 और 70 के दशक में एक बच्चे के रूप में नंदन को खुद भी पढ़ा था और बाद में 80 तथा 90 के दशक में इसे अपने बच्चों के लिए भी खरीदा। उन्होंने उल्लेख किया कि नंदन, 'दस अंतर पहचानें' खंड शुरू करने वाली पहली पत्रिका थी। नंदन के साथ 37 वर्षों तक काम करने और इसकी संपादक रह चुकी क्षमा शर्मा, कहती हैं कि नंदन के लिए काम करने में उन्हें अपना हर दिन रोमांचक प्रतीत होता था। उन्हें नंदन में प्रकाशित करने के लिए विश्व साहित्य - क्लासिक्स (Classics), लोकप्रिय बच्चों की कहानियाँ, पंचतंत्र और हितोपदेश जैसी पौराणिक कहानियाँ पढ़नी पड़ती थी। प्रारंभ में नंदन में अधिकांशतः ऋषि-मुनियों, राजाओं, देवताओं और राक्षसों की पौराणिक कहानियाँ हुआ करती थीं। लेकिन समय के साथ पाठकों की पसंद के अनुसार उन्होंने सामग्री को बदल दिया। यह पत्रिका लगभग 50 वर्षों से अधिक समय तक उपलब्ध रही। हालांकि बड़े दुःख की बात है कि भारत में मीडिया और प्रकाशन उद्योगों के लिए सिरदर्द बन चुकी कोरोनोवायरस महामारी के कारण, हिंदुस्तान टाइम्स समूह (Hindustan Times Group) को नंदन का प्रकाशन बंद करने का फैसला करना पड़ा। लेकिन जाने से पहले ये पत्रिका हमारे बचपन को रंग-बिरंगी यादों से भर गई।
संदर्भ
Https://Tinyurl.Com/3kpxpmrd
Https://Tinyurl.Com/Hw7t727n
Https://Tinyurl.Com/Nhdsxd54
Https://Tinyurl.Com/5n7354b7
चित्र संदर्भ
1. नंदन पत्रिका को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
2. चम्पक पत्रिका के कवर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. विभिन्न हिंदी पत्रिकाओं को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. शिमला में छुट्टियों के दौरान तस्वीरें देखते प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और लेडी माउंटबेटन को दर्शाता एक चित्रण (PICRYL)
5. नंदन पत्रिका का प्रकाशन बंद होने की खबर को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
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