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‘अर्क तेल’ (Essential oil), पौधों, फूलों, जड़ी-बूटियों और पेड़ों से प्राप्त घटक होते हैं। अर्क तेल हमारे शरीर के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं और हमें विभिन्न बीमारियों से राहत दिला सकते हैं। अर्क तेलों का ज्यादातर उपयोग इनके सुगंधित गुणों के लिए किया जाता है; पौधों से निकाले गए प्राकृतिक खुशबूदार एवं गुणों से युक्त तेल का उपयोग करके शरीर के स्वास्थ्य को संतुलित करने और बढ़ावा देने की इस कला को अरोमाथेरेपी (Aromatherapy) कहा जाता है। हालांकि, इनका कुछ अन्य तरीकों से भी उपयोग किया जा सकता है। अरोमाथेरेपी के माध्यम से विभिन्न अर्क तेल हमें अलग-अलग बीमारियों से राहत दिला सकते हैं। वे गठिया के दर्द को कम करने में भी सहायक हो सकते हैं।
गठिया के कारण जोड़ों में दर्द और सूजन जैसी परेशानियां होती हैं। जोड़ों का यह दर्द हमारे शरीर के सुचारू संचालन में असुविधाएँ पैदा कर सकता है और जोड़ों के लचीलेपन को भी प्रभावित कर सकता है। गठिया में 100 से अधिक वैद्यकीय स्थितियां शामिल होती हैं, जो रोगी के जोड़ों को प्रभावित करती हैं। इसमें, ऑस्टियो गठिया (Osteoarthritis), रूमेटॉइड गठिया (Rheumatoid arthritis), सोरिएटिक गठिया (Psoriatic arthritis) और गाउट (Gout) भी शामिल हैं।
अरोमाथेरेपी में, अर्क तेलों का उपयोग तेल विसारक (Diffusers) के माध्यम से किया जा सकता है। ये तेल जोड़ों के दर्द के साथ-साथ हमारे मस्तिष्क के तनाव को कम करने में मदद कर सकते हैं। अधिकांश अर्क तेल सांद्रित होते हैं और उन्हें अन्य सामान्य तेलों जैसे नारियल तेल, जैतून तेल आदि में मिश्रित करके उपयोग किया जाना चाहिए। आइए जानते है कि, गठिया रोग में कौन से अर्क तेलों का उपयोग किया जाता है-1. अदरक का तेल (Ginger Oil)-
अदरक अपने सूजनरोधी और अन्य उपचार गुणों के लिए जाना जाता है। अदरक का तेल ऑस्टियो गठिया के दर्द को काफी कम कर सकता है। यह अर्क तेल गठिया से पीड़ित उन लोगों के लिए अत्यंत सहायक है, जिन्हें दवाओं से ज्यादा राहत नहीं मिली हो।
2. नीलगिरी तेल (Eucalyptus Oil)-
नीलगिरी के तेल का उपयोग गठिया के दर्द से राहत पाने हेतु किया जा सकता है। इस तेल में सूजनरोधी गुण होते हैं जो गठिया के दर्द से राहत दिलाने में भी मदद करते हैं।
3. लेमनग्रास तेल (Lemongrass Oil)- लेमनग्रास तेल गठिया के दर्द को कम करने में भी असाधारण रूप से सहायक है। इसे रुमेटॉइड गठिया के दर्द से राहत पाने के लिए सबसे अच्छे अर्क तेलों में से एक माना जाता है।
4. हल्दी का तेल (Turmeric Oil)-
हल्दी में ‘करक्यूमिन’ (Curcumin) नामक यौगिक प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। करक्यूमिन में सूजनरोधी गुण होते हैं और यह रक्त परिसंचरण में भी सुधार करता है। ये दोनों कारक गठिया के दर्द को कम करने में सहायक होते हैं।
5.बर्गमोट और लैवेंडर तेल (Bergamot and Lavender Oil)-
वर्ष 2014 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया था कि बर्गमोट और लैवेंडर तेलों के मिश्रण के चार महीनों तक नियमित उपयोग से पुराने दर्द वाले लोगों में दर्द का स्तर कम हो जाता है।
इन तेलों के अलावा, गठिया से राहत पाने हेतु अक्सर लौंग, कपूर, क्लेरी सेज (Clary sage), कुठरा, लोहबान एवं जिरेनियम (Geranium) आदि अर्क तेलों का भी उपयोग किया जाता है।
कैलिफ़ोर्निया राज्य (California State, USA) के सैन जोस शहर (San Jose) की एक चिकित्सक ‘जूली चेन’ (Julie Chen) के अनुसार, “कुछ विशेष गंध हमारी नाक में मौजूद गंध रिसेप्टर्स (Receptors) को सक्रिय कर देती हैं, जिसके कारण तंत्रिका तंत्र में विशेष प्रतिक्रिया शुरु हो जाती है। यह प्रतिक्रिया भावनाओं को नियंत्रित करने वाले मस्तिष्क के हिस्से को उत्तेजित करती है, जिससे हमें अच्छा महसूस कराने वाले डोपामाइन (Dopamine) जैसे हार्मोन (Hormone) का स्राव शुरू हो जाता है।” वास्तव में यह शोध दर्द से राहत हेतु अरोमाथेरेपी के उपयोग की पुष्टि करता है। दरअसल, सियोल (Seoul) में कैथोलिक यूनिवर्सिटी ऑफ कोरिया (Catholic University of Korea) द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि गठिया से पीड़ित जिन लोगों ने लैवेंडर, नीलगिरी और रोज़मेरी (Rosemary) जैसे सुगंधित तेलों के मिश्रण का सूंघने के रुप में प्रयोग किया, उन्हें दर्द में राहत मिली और बेहतर अनुभव हुआ।
न्यूयॉर्क (NewYork) शहर में ‘कोलंबिया यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर’ (Columbia University Medical Center) के एक केंद्र के निदेशक, मेहमत ओज़ (Mehmet Oz) के अनुसार, “अरोमाथेरेपी सीधे हमारे मस्तिष्क के भावनात्मक केंद्र, अर्थात प्रमस्तिष्क खंड (Amygdala) पर काम करती है। इसलिए यह प्रभावी होती है।”
दूसरी ओर, गठिया से राहत पाने हेतु आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति भी अत्यंत कारगर मानी जाती है। यह पद्धति उपचार को बढ़ावा देने के लिए, कुछ पोषक तत्वों और पूरकों का सेवन करने जैसे समग्र तरीकों पर ध्यान केंद्रित करती है। आयुर्वेद गठिया के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है। गठिया से पीड़ित लोगों के लिए, कुछ पोषक तत्वों और अन्य पूरकों को आधुनिक चिकित्सा के साथ संयोजित करना फायदेमंद हो सकता है।
अगर कोई व्यक्ति गठिया से पीड़ित है, तो यह महत्वपूर्ण है कि उसे अपनी उपचार योजना का निर्धारित तरीके से पालन करना होगा। ऐसी स्थिति में, किसी पूरक या आयुर्वेदिक उत्पाद का उपयोग करने से पहले, अपने डॉक्टर से परामर्श लेना भी जरूरी होता है।
आइए ऐसे ही कुछ आयुर्वेदिक उपचारों के बारे में जानते हैं। कैप्साइसिन (Capsaicin), मिर्च में मौजूद एक सक्रिय तत्व होता है। माना जाता है कि यह गठिया से संबंधित दर्द को कम करता है। ऐसी सामयिक क्रीम (Cream), जैल (Gel) या पैच (Patch) की तलाश करें, जिसमें कैप्साइसिन की 0.075% मात्रा हो। जैसे कि हमनें पहले पढ़ा है हल्दी में करक्यूमिन नामक एक सक्रिय तत्व होता है। यह सूजन पैदा करने वाले पदार्थों को अवरुद्ध करता है तथा हमारे शरीर में दर्द के संकेतों को कम करता है।
अर्क तेलों ने मानव शरीर के लिए अपने असाधारण लाभों के कारण कई लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। साथ ही, कुछ आयुर्वेदिक उपचार भी हमें ऐसी बीमारियों से राहत दिलाने में सहायक होते हैं। अच्छे स्वास्थ्य के लिए स्वस्थ आहार सदैव ही आवश्यक होता है और गठिया के लक्षणों में इससे मदद मिल सकती है।
उपरोक्त पूरकों के अलावा भोजन में कुछ विटामिन और खनिजों की उचित मात्रा गठिया के लक्षणों में आराम दिलाती है। हालांकि इसके लिए अपने चिकित्सक से अपनी पोषण संबंधी आवश्यकताओं के संबंध में अवश्य परामर्श कर लेना चाहिए।
संदर्भ
https://tinyurl.com/awbyhc9x
https://tinyurl.com/3jv3a52x
https://tinyurl.com/3bhhfrhe
चित्र संदर्भ
1. गठिया और अर्क तेलों को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. गठिया रोग को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. अदरक के तेल को संदर्भित करता एक चित्रण (Pxfuel)
4. नीलगिरी तेल को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. लेमनग्रास तेल को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
6. हल्दी के तेल को दर्शाता चित्रण (Pixabay)
7. बर्गमोट के तेल को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
8. आयुर्वेद को दर्शाता चित्रण (Pixabay)
9. अरोमाथेरेपी को दर्शाता चित्रण (Pixabay)
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