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इस भीषण गर्मी में जब हमारे रामपुर शहर का तापमान 40 °c को छूने को आतुर है; ऐसे में घरों के भीतर पंखे या कूलर (Cooler) के नीचे बैठकर भी राहत नहीं मिल पा रही है। लेकिन अगर आप अपने घर की खिड़की से बाहर झांके, तो शायद आपको इस भयंकर गर्मी में भी अपने सिर पर कफन की भांति गमछा बांधे, दिहाड़ी कमाते मजदूर अवश्य दिखाई देंगे। आपने कभी सोचा है कि क्या इन्हें गर्मी नहीं लगती?
गर्मी का जोखिम और बढ़ता हुआ तापमान, उत्तर भारत में दिन के दौरान खुले में मजदूरी करते मजदूरों और ग्रामीण किसानों के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा करता है। इस दौरान मजदूरों को विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिनमें कार्यस्थल की चोटें, गर्मी से संबंधित बीमारियाँ, और तीव्र गुर्दे की क्षति के साथ-साथ समय से पहले मृत्यु जैसे कई दुष्प्रभाव शामिल हैं। तेज गर्मी में काम करने का सीधा नुकसान इन मजदूरों के स्वास्थ्य को होता है। गर्मी के संपर्क में आने से इनके शरीर में कुछ रसायनों का अवशोषण भी बढ़ सकता है, जिसका गर्भावस्था तथा मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
बढ़ती गर्मी केवल इन मजदूरों के स्वास्थ्य को ही नहीं, बल्कि इनकी आजीविका को भी प्रभावित करती है। भारत सहित, पूरी दुनिया में बढ़ती गर्मी और जलवायु परिवर्तन के कारण काम करने के घंटे, दिन प्रतिदिन कम हो रहे है। दक्षिण पश्चिम एशिया (Southwest Asia) , दक्षिण एशिया (South Asia), और अफ्रीका (Africa) के कई देशों में पहले से ही, गर्मी के कारण कार्यदिवस का समय कम हो रहा है। कतार और बहरेन (Qatar And Bahrain) में प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति के लगभग 300 घंटे कम कार् करने के कारण सबसे अधिक हानि हो रही है। दक्षिण और पूर्व एशियाई देशों में गर्मी के कारण प्रत्येक वर्ष 101 बिलियन (Billion) से अधिक घंटे का नुकसान होता है। हमारा देश भारत भी गर्मी के कारण प्रति वर्ष लगभग 101 बिलियन कार्य घंटे खो रहा है, जो दुनिया में सबसे अधिक है। अनुमान है कि केवल 2 डिग्री सेल्सियस (Celsius) ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) बढ़ने पर यह नुकसान, प्रति वर्ष 230 बिलियन घंटे तक बढ़ सकता है।
यह नुकसान लगभग 35 मिलियन लोगों द्वारा पूरे वर्ष आठ घंटे काम करने के बराबर है। पिछला दशक, पिछले 120,000 वर्षों में सबसे गर्म था। पाकिस्तान (Pakistan), बांग्लादेश (Bangladesh) और चीन (China) जैसे अन्य देशों को भी मौसमी गर्मी के कारण श्रम हानि का सामना करना पड़ता है। भारत में बढ़ती गर्मी के कारण 2030 तक, लगभग 34 मिलियन नौकरियां कम होने की संभावना है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित होंगे। यह एक बहुत बड़ी समस्या है जो वर्तमान में देश में कई लोगों की आजीविका को प्रभावित कर रही है।‘अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन’ (International Labor Organization (ILO) ने भी चेतावनी दी है कि भारत में गर्मी के तनाव के कारण 2030 तक 5.8% काम के घंटे कम हो सकते, जो 34 मिलियन पूर्णकालिक नौकरियों के बराबर है।
भारत में, लगभग 49% श्रमिक चिलचिलाती गर्मी में बाहर काम करते हैं। निर्माण मजदूरों और कृषि श्रमिकों को पर्याप्त सुरक्षा के बिना, तेज़ गर्मी के बीच बेहद चुनौतीपूर्ण स्थिति में काम करना पड़ता है। इसके ऊपर उनकी आय भी कम होती है, जिससे उनके लिए छुट्टी लेना भी मुश्किल हो जाता है। कृषि कार्य में लगे लोगों के लिए स्थिति और भी खराब है। आइए, इस समस्या को बारीकी से समझने के लिए , उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के गांवों की दो महिला किसानों पर एक नजर डालते हैं। यहां के हेमी नामक गांव में 35 वर्षीय महिला किसान. राजरानी जून की भीषण गर्मी में काम करती है। भीषण गर्मी के कारण बीमार पड़ने के बावजूद, उन्हें जीविकोपार्जन के लिए काम करना ही पड़ता है। इसी प्रकार पास के दरियापुर गांव में, 50 वर्षीय रामकली भी एक दिहाड़ी मजदूर हैं, जिन्हें भी भीषण गर्मी में, मजबूरी में काम करना पड़ता है। रामकली जहां काम करती हैं वहां कोई छाया नहीं है। एक पत्रिका को अपने साक्षात्कार के दौरान रामकली बताती है कि “मुझे बुखार हो रहा है, चक्कर आ रहे हैं और गर्मी में मेरी आँखें दुख रही हैं, लेकिन मेरे जैसे मजदूर काम नहीं रोक सकते हैं। अगर हम ऐसा करेंगे तो हमारी मजदूरी बंद हो जाएगी।"
ये दो उदाहरण बढ़ती गर्मी के कारण ग्रामीण श्रमिकों के सामने आने वाली कठिनाइयों को उजागर करते हैं। बढ़ते तापमान के कारण राजरानी और रामकली जैसे लोगों के लिए प्रभावी ढंग से काम करना कठिन हो गया है। बढ़ती गर्मी का असर कृषि उत्पादकता और खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ समग्र अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित कर रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या बहुत बड़ी है, क्योंकि यहां लोगों की एयर कंडीशनर (Air Conditioner,), वाटर कूलर (Water Cooler) और पंखे जैसे संसाधनों तक पहुंच बेहद सीमित है। बढ़ती गर्मी न केवल लोगों की आजीविका, बल्कि उनके स्वास्थ्य और जीवन की समग्र गुणवत्ता को भी प्रभावित करती है।
गांवों में बढ़ती गर्मी और ऊपर से बिजली कटौती ने स्थिति को और खराब कर दिया है। बिजली की लंबी कटौती इन ग्रामीणों के जीवन को और भी कठिन बना देती है। जानकारों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि उत्पादकता में गिरावट, स्वास्थ्य देखभाल की लागत में वृद्धि, और भारत के सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) का लगभग 3% इनसे जुड़ी समस्याओं पर ही खर्च हो जायेगा। यदि स्थिति और बिगड़ती है, तो 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद का वार्षिक घाटा 150-250 बिलियन डॉलर जितना अधिक हो सकता है।
समय के साथ ग्रामीण भारत में गर्मी से संबंधित बीमारियां भी बढ़ रही हैं। चिलचिलाती गर्मी लोगों के स्वास्थ्य पर भारी पड़ती है, जिससे निर्जलीकरण, कमजोरी, नींद की कमी और विभिन्न संक्रमण के मामले सामने आते हैं। इस बदलाव से बुजुर्ग, महिलाएं, और कम आय वाले देशों के लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। हर गुजरते दिन के साथ हमारे रामपुर में भी गर्मी का सितम बढ़ता जा रहा है। दिन की असहनीय गर्मी और उमस भरी रातों ने लोगों की मुसीबतें बढ़ा दी हैं। लेकिन गर्मी से राहत के कोई आसार नहीं हैं। यहाँ का अधिकतम तापमान 39 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। जमीन से लेकर वातावरण की नमी गायब हो रही है। आनेवाले समय में शहर का तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने का अनुमान है।
गर्मी से संबंधित बीमारियों से निपटने और उन्हें रोकने के कुछ सरल तरीके-- कुछ निजी, और कुछ सरकारी व्यवस्था के अंतर्गत लागू होने वाले-- निम्नवत दिए गए हैं:
1. सीधी धूप से बचें: हो सके तो धूप में निकलने से बचें। अगर बाहर निकलना जरूरी हो, तो अपनी त्वचा को धूप के सीधे संपर्क में आने से बचाने के लिए पूरी बाजू के कपड़े पहनें, और अपने सिर को हमेशा ढक कर रखें।
2. हाइड्रेटेड (hydrated) रहें: अपने शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए खूब पानी पिएं। पानी के साथ, आप अन्य तरल पदार्थ भी ले सकते हैं, जो आपके शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स (Electrolytes) को बनाए रखने में मदद करते हैं।
3. बार-बार भोजन करें: अपनी ऊर्जा के स्तर को बनाए रखने के लिए नियमित भोजन करें। लंबे समय तक बिना खाये न रहे, क्योंकि यह आपको गर्मी से संबंधित बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकता है।
4. पानी को ठीक से संचित करें: जिन क्षेत्रों में रेफ्रिजरेटर नहीं है, वहां आप पानी को ठंडा रखने के लिए बोरी में लपेटकर प्लास्टिक की बोतल में एकत्र कर सकते हैं।
5. हीटवेव एक्शन प्लान (Heatwave Action Plan) लागू करें: हीटवेव से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सरकारों के पास एक्शन प्लान (Action Plan) होना चाहिए। इन योजनाओं के तहत आपातकालीन रोकथाम, तैयारी, प्रतिक्रिया और पुनर्प्राप्ति उपायों पर ध्यान देना चाहिए।
6. प्राकृतिक जल संसाधनों को पुनर्जीवित करें: जीवित रहने और भूजल पुनर्भरण के लिए तालाबों और झीलों जैसे प्राकृतिक जल संसाधनों का पुनरुद्धार करना जरूरी है। जल संचयन की तकनीक को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
7. पेड़ लगाएँ: छाया प्रदान करने और समग्र तापमान को कम करने के लिए पेड़ों की संख्या बढ़ाएँ। पेड़ एक ठंडा वातावरण बनाने में मदद करते हैं और हीटवेव के प्रभावों का मुकाबला करते हैं।
8. जागरूकता बढ़ाएँ: लोगों को गर्मी से संबंधित बीमारियों से बचने की स्थायी प्रथाओं के बारे में शिक्षित करने के लिए स्कूली पाठ्यक्रम में पर्यावरण जागरूकता शामिल की जानी चाहिए।
9. कम लागत और कम तकनीक वाले समाधानों का उपयोग करें: घर के अंदर, बाहर की गर्मी के प्रवेश को रोकने के लिए मुंबई की कंपनी ईबैलेंस (eBalance) ने छतों पर एल्युमीनियम फॉयल कूलिंग स्लैब (Aluminum Foil Cooling Slab) लगाने की तकनीक, या गर्मी को रोकने के लिए पानी से भरे पीईटी रिसाइकलिंग (PET Recycling) जैसी तकनीक का प्रयोग किया है, जो घर के अंदर के तापमान को कम करने में प्रभावी हो सकती हैं।
10. काम के घंटों की योजना बनाएं: अत्यधिक गर्मी से बचने के लिए काम के घंटों में बदलाव पर विचार किया जा सकता है। श्रमिकों के बीच गर्मी से संबंधित बीमारियों को रोकने के लिए भारी श्रम को, दिन के ठंडे घंटों में करना चाहिए।
इन सभी उपायों का पालन करके हम मजदूरों को गर्मी से संबंधित बीमारियों से बचा सकते हैं, और एक सुरक्षित वातावरण बना सकते हैं।
संदर्भ
https://shorturl.at/chNX2
https://shorturl.at/axyM5
https://shorturl.at/nFK39
https://shorturl.at/eKO27
https://shorturl.at/vyzN4
चित्र संदर्भ
1. कड़ी धूप में काम करती महिला श्रमिक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. सड़क निर्माण का काम करते मजदूरों को संदर्भित करता एक चित्रण (pxhere)
3. खेत में काम करते मजदूरों को दर्शाता चित्रण (flickr)
4. निर्माण काम में लगी महिला मजदूर को संदर्भित करता एक चित्रण (pxhere)
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