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ईद के मौके पर आइए लखनऊ के तहसीनगंज की जामा मस्जिद की सैर करें

लखनऊ

 22-04-2023 11:18 AM
वास्तुकला 1 वाह्य भवन

विश्व भर में इस्लाम धर्म में मस्जिदों का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। इस्लाम धर्म में मस्जिद का अर्थ, वास्तव में, ‘इबादत करने की जगह’ होता है। इस्लाम धर्म में मस्जिद के दो प्रकार होते हैं, पहला ‘मस्जिद’ और दूसरा ‘जामी’।
इस्लाम धर्म में पैगंबर मुहम्मद के घर को सबसे पहली मस्जिद माना जाता है, जो वर्तमान में सऊदी अरब (Saudi Arabia) के मदीना (Medina) में स्थित है। लोग मस्जिदों में, प्रायः पूरे सप्ताह भर, इबादत, अध्ययन या ध्यान और आराम करने के लिए जाते है। जबकि दूसरी ओर जामी मस्जिद में हर शुक्रवार के दिन की नमाज तथा ईद की नमाज अदा की जाती है। जामी मस्जिदें आम मस्जिदों से बड़ी होती है; जैसा कि जामी शब्द का अर्थ है कि बड़ी संख्या में लोग यहां पर एक साथ नमाज अदा कर सकते हैं। वास्तव में, किसी जामी मस्जिद का निर्माण ही इस तरह से किया जाता है कि इसमें उस शहर के सभी पुरुष एक साथ नमाज अदा करने के लिए शामिल हो सके।
आइए, आज हमारे शहर लखनऊ की जामा मस्जिद के बारे में जानते हैं। इस मस्जिद का निर्माण, वर्ष 1839 में अवध के तीसरे बादशाह मोहम्मद अली शाह द्वारा प्रारंभ कराया गया था । उनका उद्देश्य दिल्ली की जामा मस्जिद से भी बड़ी मस्जिद बनाने का था। 17वीं शताब्दी में शाहजहाँ द्वारा दिल्ली में जामा मस्जिद का निर्माण किया गया था। तब यह भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे बड़ी मस्जिद थी और यह आज भी भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है।किंतु, मोहम्मद अली शाह की अचानक मृत्यु के कारण, जबकि मस्जिद अभी भी निर्माणाधीन थी, उनका सपना पूरा नहीं हो सका। हालांकि , उनकी अचानक मृत्यु के बाद उनकी पत्नी मल्लिका जहां साहिबा ने इस मस्जिद का निर्माण वर्ष 1845 में पूरा करवाया। किंतु मस्जिद के निर्माण के लिए लागत में कटौती करनी पड़ी थी और लखनऊ में देश की सबसे बड़ी जामा मस्जिद बनाने की मूल महत्वाकांक्षी योजना पूरी न हो सकी। हालाँकि, लागत में कमी के कारण लखनऊ की जामा मस्जिद सबसे बड़ी मस्जिद तो न बन सकी किंतु इसके बावजूद भी जामा मस्जिद आज भी एक भव्य संरचना है और इसकी सुंदरता निश्चित रूप से अद्वितीय है। जबकि दिल्ली की जामा मस्जिद पूरी तरह से लाल बलुआ पत्थर से निर्मित है, यह मस्जिद लखौरी ईंटों से निर्मित हैं, और चूने से लेपित हैं। इसे महीन प्लास्टर(Plaster) के रंगीन रूपांकनों से भी सजाया गया है।
दिल्ली की जामा मस्जिद एक सुन्नी मस्जिद हैं जबकि लखनऊ की जामा मस्जिद एक शिया मस्जिद है। यह मस्जिद एक चौकोर चबूतरे पर बनी है और इस क्षेत्र में केवल मुसलमानों को ही प्रवेश मिलता है। जबकि, दिल्ली की जामा मस्जिद प्रार्थना के समय को छोड़कर सभी धर्म के लोगों के लिए खुली रहती है। जबकि दूसरी ओर, अहमदाबाद की जामी मस्जिद तो प्रार्थना के समय भी सभी के लिए खुली रहती है। मस्जिद के अंदर एक चौकोर ऊँचे चबूतरे पर एक आयताकार प्रार्थना कक्ष है, जिसके पश्चिम में ग्यारह मेहराबों का एक शानदार अग्रभाग है। केंद्रीय मेहराब सबसे ऊंचा है जिसे एक ऊंचे द्वार का रूप दिया गया है। इसको रंगीन प्लास्टर से सजाया गया है। मस्जिद का प्रार्थना कक्ष तीन गोल ऊंचे गुंबदों से घिरा हुआ है जिनके शीर्ष पर उल्टे कमल की संरचना बनी हुई है और इसके दोनों ओर दो अष्टकोणीय चार मंजिला मीनारें हैं जिनके शीर्ष पर छतरियां बनी हुई है। । इस प्रकार, हम कह सकते है कि लखनऊ की जामी मस्जिद हर अर्थ में एक वास्तुशिल्प चमत्कार ही है।
जामा मस्जिदों की यह संरचना इन्हें वास्तुकला का एक अनूठा नमूना बनाती है। इस मस्जिद की पूर्वी दिशा में नवाब मुहम्मद अली शाह का मकबरा स्थित है जबकि दक्षिण में इमामबाड़ा मल्लिका जहाँ के नाम से प्रसिद्ध एक इमामबाड़ा स्थित है। वर्तमान में जामा मस्जिद एक सक्रिय मस्जिद है जो ईद-उल-फितर और ईद-उल-जुहा जैसे महत्वपूर्ण समारोहों का आयोजन करती रहती है। यह मस्जिद सुबह के 5:00 बजे से लेकर रात के 9:00 बजे तक खुली रहती है। लखनऊ जंक्शन से 6 किमी की दूरी पर स्थित यह मस्जिद लखनऊ, उत्तर प्रदेश के तहसीनगंज हुसैनाबाद क्षेत्र में स्थित है। इसे जामी मस्जिद भी कहा जाता है, यह भारत की सबसे खूबसूरत मस्जिदों में से एक है, और लखनऊ के दर्शनीय स्थलों में से एक है।

संदर्भ
https://bit.ly/41gsGIo
https://bit.ly/3GQXSWJ
https://bit.ly/3KGtQG5
https://bit.ly/3KMMlJ0

चित्र संदर्भ
1. लखनऊ के तहसीनगंज की जामा मस्जिद को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
2. सामने से देखने पर जामा मस्जिद को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
3. सामने की ईमारत से देखने पर तहसीनगंज की जामा मस्जिद को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
4. तहसीनगंज की जामा मस्जिद के गुंबद के बारीक अवलोकन को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)



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