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भारतीय उपमहाद्वीप के महासागरों एवं नदियों का पानी ढेरों दुर्लभ प्रजाति के जलीय जीवों का घर माना जाता है। यद्यपि हमारे लखनऊ से बहने वाली गोमती नदी में डॉल्फिन (Dolphin) या पॉपस (Porpoise) जैसे जलीय जीव नहीं रहते, लेकिन वैज्ञानिक ऐसा मानते हैं कि यदि नदी के पानी की गुणवत्ता में सुधार हुआ, तो गंगा नदी में पाई जाने वाली प्लैटॆनिस्टा गैंगेटिका (Platanista gangetica) डॉल्फिन (भी संभवतः गोमती नदी में आ सकती हैं। यह हमारे शहर के लिए ध्यान देने योग्य एक पर्यावरणीय लक्ष्य है। गंगा नदी में डॉल्फिन के दिखने की खबरें तो आप सुनते ही रहते होंगे और यदि शायद हमने अपने गोमती नदी के पानी को साफ रखा तो हम डॉल्फिन को अपने शहर में भी देख पाए किंतु क्या आपने कभी व्हेल (Whales) देखी है ?वास्तव में व्हेल एक ऐसा शानदार स्तनधारी जीव है, जिसके दर्शन करने के लिए आपको देश के समुद्री तटों पर ही जाना होगा!
दुनिया में लगभग 120 प्रकार के समुद्री स्तनधारी जीव पाए जाते हैं, जिनमें मुख्य रूप से व्हेल, डॉल्फिन, पॉपस और डुगोंग्स (Dugongs) जैसे बड़े जीव भी शामिल हैं। भारतीय उपमहाद्वीप के महासागरों, सागरों एवं नदियों के जल में इन स्तनधारियों की लगभग 30-35 प्रजातियां पाई जाती हैं।
व्हेल आकार में बहुत बड़े स्तनधारी जीव होते हैं, जिनकी कई अलग-अलग प्रजातियां हिंद महासागर सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों में पाई जाती हैं।
नीचे हिंद महासागर में पाई जाने वाली, दस प्रकार की व्हेलों की सूची दी गई है:
‣ब्लू व्हेल (Blue Whale) - ब्लू व्हेल दुनिया की सबसे बड़ी व्हेल होती है, जो हिंद और दक्षिण प्रशांत महासागर में पाई जाती है।
‣फिन व्हेल (Fin Whale) - यह हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी में पाई जाने वाली दूसरी सबसे बड़ी व्हेल है।
‣हंपबैक व्हेल (Humpback Whale) - यह व्हेल में रूचि रखने वाले लोगों के बीच एक लोकप्रिय प्रजाति है, जो हिंद महासागर सहित सभी प्रमुख महासागरों में पाई जाती है।
‣स्पर्म व्हेल (Sperm Whale) - यह हिंद महासागर में पाई जाने वाली सबसे बड़ी दांतेदार व्हेल होती है।
‣मिंक व्हेल (Minke Whale) - यह दूसरी सबसे छोटी व्हेल है, जो हिंद महासागर में भी बहुत कम देखी जाती है।
‣ब्राइड्स व्हेल (Bryde’s Whale) - यह व्हेल मुख्य रूप से प्रशांत महासागर में मिलने वाली सार्डाइन (Pacific Sardine) मछली खाती है, लेकिन हिंद महासागर में भी पाई जाती है।
‣सेई व्हेल (Sei Whale) - यह तीसरी सबसे बड़ी नीचे की ओर चुन्नटदार त्वचा वाली व्हेल (Rorqual Whale), पृथ्वी पर अधिकांश महासागरों में और कभी-कभी हिंद महासागर में भी पाई जाती है।
‣मेलन हेडेड व्हेल (Melon Headed Whale) - यह व्हेल पिग्मी किलर व्हेल (Pygmy Killer whale) और पायलट व्हेल (Pilot whale) की प्रजाति से संबंधित है, जो हिंद महासागर में गहरे पानी में डॉल्फिन प्रजातियों के साथ रहती है।
‣ड्वार्फ स्पर्म व्हेल (Dwarf Sperm Whale) - ‘ड्वार्फ स्पर्म व्हेल’ स्पर्म व्हेल की ही एक प्रजाति है जो पिग्मी स्पर्म व्हेल के साथ हिंद महासागर में पाई जाती है।
‣पिग्मी ब्लू व्हेल (Pygmy Blue Whale) - यह एक छोटी ब्लू व्हेल होती है जो मुख्य रूप से हिंद महासागर में रहती है, लेकिन दुनिया के अन्य हिस्सों में भी पाई जाती है।
हाल ही में ‘नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज’ (National Center For Biological Sciences) में वन्यजीव कार्यक्रम के सहयोग से वाशिंगटन विश्वविद्यालय (University Of Washington) के वैज्ञानिकों के द्वारा अरब सागर में ब्लू व्हेलद्वारा किए जाने वाले स्वरोच्चारण (Blue Whale Vocalizations) पर शोध किया गया है। इस दौरान 13 महीनों के लिए पानी के नीचे ढलान के पास रीफ वाली समतल जगह पर(Reef Flats) पर गोताखोरों द्वारा ध्वनिक रिकॉर्डर (Acoustic Recorder) लगाए गए थे। रिकॉर्डर से हर तीन महीने में रिकॉर्डिंग को प्राप्त किया गया और फिर से उन्हें वही लगाया गया।
अध्ययन में पाया गया है कि ब्लू व्हेल (Blue Whale), जो कि एक लुप्तप्राय प्रजाति है, को भारत के दक्षिण-पश्चिमी तट पर गाते हुए सुना और पाया जा सकता है। अध्ययन में केरल राज्य के पास 36 द्वीपों के समूह लक्षद्वीप में 2018 के अंत से 2020 की शुरुआत तक की रिकॉर्डिंग का विश्लेषण किया गया और पाया गया कि इन स्थानों पर व्हेल अप्रैल और मई में सबसे अधिक सक्रिय थीं। यह जानकारी क्षेत्र में संरक्षण के प्रयासों के लिए महत्वपूर्ण है, खासकर जब पर्यटन का विस्तार हो रहा है। यह अध्ययन, जो ‘समुद्री स्तनपायी विज्ञान’ (Marine Mammal Science) पत्रिका में प्रकाशित हुआ था, का उद्देश्य भारतीय जल में ब्लू व्हेल की आबादी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी (जैसे कि उनके भोजन की आदतें, गाने और प्रवासन पैटर्न) एकत्र करना है। उनके व्यवहार के इन पहलुओं को समझने से विज्ञान आधारित प्रबंधन और संरक्षण योजना बनाने में मदद मिलेगी।
हालांकि ब्लू व्हेल आमतौर पर अंटार्कटिका (Antarctica) महाद्वीप के आसपास के पानी में पाई जाती हैं, और ज्यादातर छोटी पिग्मी ब्लू व्हेल आबादी को ही हिंद महासागर में देखा जाता है। अध्ययन के बाद उत्तरी हिंद महासागर में ब्लू व्हेल की उपस्थिति की पुष्टि की गई और माना गया कि उनके लक्षद्वीप प्रवालद्वीप में मौसमी निवासी होने की संभावना है। हालांकि, उनके रहस्यमयी स्वभाव और इस तथ्य के कारण उनके व्यवहार को समझना एक जटिल कार्य है। इसलिए, शोधकर्ताओं ने उनकी आवाज को रिकॉर्ड करने के लिए पानी के नीचे के माइक्रोफोन का इस्तेमाल किया और सर्दियों और गर्मियों के मानसून के बीच उनकी उपस्थिति की पुष्टि की।
यह अध्ययन भारतीय जल में ब्लू व्हेल की आवाज का पहला सबूत प्रदान करता है। यह इस अध्ययन के द्वारा इनके श्रीलंका के उत्तर-पश्चिम में 1,000 किलोमीटर तक पाए जाने की पुष्टि हुई है। शोधकर्ताओं का मानना है कि हिंद महासागर ब्लू व्हेल के लिए एक महत्वपूर्ण निवास स्थान है और 20 वीं सदी के समुद्र के व्यवसायीकरण, वाणिज्यिक विकास और अवैध व्हेलिंग से इस क्षेत्र की प्रजातियों पर गंभीर प्रभाव पड़ा है।
व्हेल और डॉल्फिन दोनों समुद्री स्तनधारी जीव हैं जो एक ही टैक्सोनोमिक (Taxonomic) समूह से संबंधित हैं जिन्हें सटेशन्स (Cetaceans) कहा जाता है। ये दोनों जीव अपनी शारीरिक रचना, व्यवहार और जीवन शैली के संदर्भ में कई समानताएं साझा करते हैं।
हाल ही में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा घोषणा की गई है कि ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम के माध्यम से पानी की गुणवत्ता में सुधार के कारण विलुप्त मानी जा चुकी ‘गंगा डॉल्फिन’ गंगा नदी में पुनः लौट आई हैं। गंगा नदी में सीवेज (Sewage) को रोकने और मोड़ने पर केंद्रित एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाकर नदी को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से नमामि गंगे कार्यक्रम 2014 में शुरू किया गया था। सरकार का दावा है कि इस कार्यक्रम के तहत 23 परियोजनाओं के पूरा होने से प्रतिदिन 460 मिलियन लीटर से अधिक सीवेज को नदी में बहने से रोका जाता है। राज्य झांसी, कानपुर और जौनपुर सहित उत्तर प्रदेश के कई शहरों में साल के अंत तक लगभग 33 एमएलडी की अतिरिक्त सीवेज उपचार क्षमता इकाइयां बनाने की योजना बना रहा है। इस पर करीब 2,304.55 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश की गंगा नदी में डॉल्फिन की संख्या लगभग 600 होने का अनुमान है। साथ ही कई स्थानों पर उनका प्रजनन भी सुनिश्चित किया गया है। सरकार ने विभिन्न स्थानों पर नदी के पानी की गुणवत्ता के मापदंडों जैसे घुलित ऑक्सीजन, जैव रासायनिक मांग और फेकल कोलीफॉर्म (Fecal Coliform) में सुधार की सूचना दी है। कुल मिलाकर, नमामि गंगे कार्यक्रम नदी के कायाकल्प और जलीय जीवन के आवास में सुधार करने में सफल रहा है।
संदर्भ
https://rb.gy/gu53q
https://rb.gy/ds2we
https://rb.gy/bcxit
https://rb.gy/452xs
https://rb.gy/mjgmc
चित्र संदर्भ
1. गंगा की डॉलफिन को संदर्भित करता एक चित्रण (prarang)
2. गंगा नदी में पाई जाने वाली प्लैटॆनिस्टा गैंगेटिका को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. ब्लू व्हेल को दर्शाता एक चित्रण (World Animal Foundation)
4. फिन व्हेल को संदर्भित करता एक चित्रण (Flickr)
5. हंपबैक व्हेल को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
6. स्पर्म व्हेल को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
7. मिंक व्हेल को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
8. ब्राइड्स व्हेल को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
9. सेई व्हेल को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
10. मेलन हेडेड व्हेल को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
11. ड्वार्फ स्पर्म व्हेल को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
12. पैग्मी ब्लू व्हेल को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
13. ब्लू व्हेल को दर्शाता चित्रण (Picryl)
14. व्हेल और डॉल्फिन दोनों समुद्री स्तनधारी जीव हैं जो एक ही टैक्सोनोमिक (Taxonomic) समूह से संबंधित हैं जिन्हें सटेशन्स (Cetaceans) कहा जाता है। को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
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