सभी धर्मों के प्रति आदर दर्शाती रामपुर की हामिद मंजिल या रज़ा लाइब्रेरी, व्यापक है इसका संग्रह

लखनऊ

 23-03-2023 10:35 AM
वास्तुकला 1 वाह्य भवन

दिल्ली से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हमारे रामपुर शहर के हामिद मंजिल की आठ मीनारें, भारत में बहुलवाद का एक शानदार प्रतीक हैं। हामिद मंजिल एक शानदार इमारत है जिसमें विश्वप्रसिद्ध रामपुर रज़ा पुस्तकालय भी स्थित है। इस पुस्तकालय की मीनारों की एक खासियत यह है कि इनका पहला भाग एक मस्जिद के आकार में बनाया गया है; इसके ठीक ऊपर का हिस्सा एक चर्च जैसा दिखता है, तीसरा हिस्सा एक सिख गुरुद्वारे के वास्तुशिल्प डिजाइन को दर्शाता है, जबकि सबसे ऊपर का हिस्सा एक हिंदू मंदिर के आकार में बनाया गया है। रामपुर रियासत में शुरुआत से ही समावेश की भावना को बढ़ावा दिया गया, जिसने जिले के लोगों को सद्भाव से रहने के लिए प्रेरित किया । वास्तव में हमारा रामपुर भारत की उन कुछ रियासतों में से एक है जहां ब्रिटिश औपनिवेशिक युग के दौरान या उसके बाद के वर्षों में कभी भी कोई बड़ा सांप्रदायिक दंगा या गड़बड़ी नहीं हुई है। और इस बात पर आज भी हमे इतना गर्व है!
हामिद मंजिल का निर्माण 1902-05 के बीच भारत को आजादी मिलने से बहुत पहले हुआ था जब नवाबों को 15 तोपों की सलामी दी जाती थी । यह तथ्य इमारत के प्रतीकवाद को उल्लेखनीय बनाता है। तब नवाबों द्वारा शायद सचेत रूप से प्रतीकवाद के अनुक्रम को एक धर्मनिरपेक्ष भावना के साथ रखने के लिए चुना गया था। हामिद मंजिल की अनूठी वास्तुकला तत्कालीन रामपुर रियासत की प्रकृति और राजनीति के बारे में एक लंबी कहानी कहती है। इमारत का आंतरिक भाग यूरोपीय वास्तुकला से प्रेरित है। इमारत का निर्माण कार्य नवाब हामिद अली खान के निर्देश पर फ्रांसीसी वास्तुकार डब्ल्यू सी राइट(W.C. Wright) की देखरेख में किया गया था ।
रामपुर के नवाब मूल रूप से रोहिल्ला थे, जिनका मूल स्थान रोह, अफगानिस्तान में था; और वे अपने धर्मनिरपेक्ष और उदार दृष्टिकोण के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने कला, संस्कृति और शिक्षा को संरक्षण दिया और वे संगीत, कविता और वास्तुकला के प्रति अपने प्रेम के लिए जाने जाते थे। उन्होंने हिंदू, मुस्लिम और सिख सहित सभी धर्मों के विद्वानों और धार्मिक नेताओं को संरक्षण देकर सामाजिक और धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा दिया। ऐसे ही एक नवाब द्वारा निर्मित रज़ा पुस्तकालय आज भी भारत में सबसे महत्वपूर्ण सांस्कृतिक संस्थानों में से एक बना हुआ है और इसमें सभी धर्मों और अन्य विषयों की दुर्लभ पांडुलिपियों, पुस्तकों और अन्य कलाकृतियों का विशाल संग्रह है।
हालांकि अब यह पुस्तकालय उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रबंधित किया जाता है, लेकिन आज भी यह नवाब परिवार के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है। पुस्तकालय की मीनारें भारत की समधर्मी परंपराओं की सच्ची आत्मा को दर्शाती हैं। रामपुर रज़ा पुस्तकालय में संग्रह की शुरुआत नवाब फैज़ुल्लाह खान ने 1774 में की थी। पुस्तकालय में शुरू में रामपुर के नवाबों का व्यक्तिगत पुस्तक संग्रह था। किंतु आज इस पुस्तकालय में 17,000 पांडुलिपियों का एक विशाल संग्रह है। इसमें 150 सचित्र पांडुलिपियां है, जिनमें लगभग 4413 चित्र है। साथ ही इसमें लगभग 5,000 लघु चित्रों वाले एल्बमों (Albums), सुलेख के 3000 नमूनों और 205 ताड़ के पत्तों के अलावा 83,000 मुद्रित पुस्तके भी शामिल हैं। अरबी, फारसी, उर्दू, हिंदी और अन्य भाषाओं के कई दुर्लभ और मूल्यवान ग्रंथ इस पुस्तकालय में मौजूद हैं। पांडुलिपियों के अलावा, पुस्तकालय में मुगल, राजपूत, दक्खनी, मंगोल, अवधी और पहाड़ी सहित विभिन्न शैलियों की चित्रकला के लघु चित्रों और सचित्र पांडुलिपियों का एक समृद्ध संग्रह भी है। इस संग्रह में इतिहास, दर्शन, विज्ञान, साहित्य और धर्म सहित विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला पर कार्य शामिल हैं। रज़ा पुस्तकालय कई दुर्लभ कलाकृतियों का भी घर है, जिनमें लघु चित्र, सिक्के और ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व की अन्य वस्तुएँ शामिल हैं। पुस्तकालय में एक संरक्षण प्रयोगशाला है जो इन कलाकृतियों को संरक्षित करने के लिए काम करती है। आज अंतिम नवाब मुर्तजा अली खान के पुत्र नवाब मुराद अली खान इस पुस्तकालय के प्रबंधन बोर्ड में कार्यरत हैं।
नवाब हामिद अली खान (1889-1930) ने भारतीय-यूरोपीय शैली में एक भव्य महल का निर्माण किया, जिसे हम आज हामिद मंजिल के नाम से जानते है। यह महल 1957 में रामपुर के रजा पुस्तकालय के रूप में परिवर्तित हो गया । इसकी वास्तुकला वास्तव में प्रशंसनीय है। इसके सबसे आकर्षक संग्रहों में से एक रागमाला नामक लघुचित्रों का एक एल्बम है। इसमें भारतीय शास्त्रीय संगीत के 35 रागों को साकार रूप में चित्रित किया गया है। सीधे शब्दों में कहें तो ये चित्र प्रत्येक राग द्वारा निर्मित वातावरण को दर्शाते हैं।
आज, पुस्तकालय ने अपने संग्रह को डिजिटाइज़ करना शुरू कर दिया है, ताकि यह दुनिया भर के विद्वानों और छात्रों के लिए आसानी से सुलभ हो सके। डिजिटाइज़ करने से मतलब उपलब्ध सामग्री (चित्र, पाठ, या ध्वनि) को डिजिटल रूप में परिवर्तित करना है, जिसे कंप्यूटर द्वारा संसाधित किया जा सकता है। अब तक, 17,000 में से 10,000 पांडुलिपियों को डिजिटाइज़ किया जा चुका है जो जनता के अनुरोध पर 10 रुपये प्रति पृष्ठ के बेहद कम शुल्क के साथ उपलब्ध हैं। हामिद मंजिल की वास्तुकला धर्मनिरपेक्षता तथा प्रत्येक धर्म के प्रति आदर का प्रतीक बनी हुई है। आज रामपुर की रज़ा लाइब्रेरी नवाबों द्वारा ज्ञान के लिए खर्च किए गए अधिमूल्य का एक वसीयतनामा है। रामपुर रज़ा लाइब्रेरी के रूप में आज विद्वानों और शोधकर्ताओं के पास एक ऐसा अमूल्य संसाधन मौजूद है, जो हमारे उपमहाद्वीप की समृद्ध विरासत का एक संरक्षित टुकड़ा है ।रामपुर रज़ा लाइब्रेरी आज भारत की समधर्मी विरासत के सबसे बड़े प्रतीकों में से एक है और यह दुनिया भर से आगंतुकों को आकर्षित करती है।

संदर्भ

https://bit.ly/42pZmjB
https://bit.ly/3JJHSYs

चित्र संदर्भ

1. रज़ा लाइब्रेरी को संदर्भित करता एक चित्रण (facebook)
2. रज़ा लाइब्रेरी के गेट को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. रज़ा पुस्तकालय में लिखे अनुदेश को दर्शाता चित्रण (prarang)
4. रामपुर रज़ा लाइब्रेरी में क़ुरान हस्तलिपि संग्रहको दर्शाता एक चित्रण (prarang)



RECENT POST

  • समय की कसौटी पर खरी उतरी है लखनऊ की अवधी पाक कला
    स्वाद- खाद्य का इतिहास

     19-09-2024 09:28 AM


  • नदियों के संरक्षण में, लखनऊ का इतिहास गौरवपूर्ण लेकिन वर्तमान लज्जापूर्ण है
    नदियाँ

     18-09-2024 09:20 AM


  • कई रंगों और बनावटों के फूल खिल सकते हैं एक ही पौधे पर
    कोशिका के आधार पर

     17-09-2024 09:18 AM


  • क्या हमारी पृथ्वी से दूर, बर्फ़ीले ग्रहों पर जीवन संभव है?
    पर्वत, चोटी व पठार

     16-09-2024 09:36 AM


  • आइए, देखें, महासागरों में मौजूद अनोखे और अजीब जीवों के कुछ चलचित्र
    समुद्र

     15-09-2024 09:28 AM


  • जाने कैसे, भविष्य में, सामान्य आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस, पार कर सकता है मानवीय कौशल को
    संचार एवं संचार यन्त्र

     14-09-2024 09:23 AM


  • भारतीय वज़न और माप की पारंपरिक इकाइयाँ, इंग्लैंड और वेल्स से कितनी अलग थीं ?
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     13-09-2024 09:16 AM


  • कालिदास के महाकाव्य – मेघदूत, से जानें, भारत में विभिन्न ऋतुओं का महत्त्व
    जलवायु व ऋतु

     12-09-2024 09:27 AM


  • विभिन्न अनुप्रयोगों में, खाद्य उद्योग के लिए, सुगंध व स्वाद का अद्भुत संयोजन है आवश्यक
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     11-09-2024 09:19 AM


  • लखनऊ से लेकर वैश्विक बाज़ार तक, कैसा रहा भारतीय वस्त्र उद्योग का सफ़र?
    मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक

     10-09-2024 09:35 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id