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आम को फलों का राजा कहा जाता है तथा आज हमारे देश में इस फल की अनेकों किस्में मौजूद हैं। इन किस्मों में से ही एक किस्म दशहरी के बारे में कौन नहीं जानता। 2017 में लखनऊ की काकोरी तहसील के दशहरी गांव के 150 साल पुराने दशहरी आम के मातृवृक्ष को पर्यटन मानचित्र पर लाया गया था। तो आइए, आज दशहरी आम और इसके इतिहास के बारे में जानकारी प्राप्त करें तथा जानें कि कैसे जलवायु परिवर्तन हमारे प्रिय फल आम की खेती को भी प्रभावित कर रहा है।
दशहरी आम की उत्पत्ति 18वीं शताब्दी में लखनऊ जिले के काकोरी कस्बे के पास स्थित दशहरी गांव में हुई थी। जो लोग इस गांव के बारे में नहीं जानते हैं या जिन्हें अवध में आम के उत्पादन के इतिहास के बारे में जानकारी नहीं है, वे इस बात को कम ही जानते होंगे, कि आम की इस किस्म का नाम दशहरी गांव के नाम पर ही रखा गया है। दशहरी उत्तर भारत, दक्षिणी राज्य आंध्र प्रदेश, नेपाल और पाकिस्तान में उगाई जाने वाली आम की एक मीठी और सुगंधित किस्म है तथा उत्तर प्रदेश का मलिहाबाद कस्बा दशहरी आम का सबसे बड़ा उत्पादक है।
यदि दशहरी आम के इतिहास के बारे में बात की जाए, तो दशहरी आम पहली बार 18वीं सदी में लखनऊ के नवाब के बगीचों में उगाया गया था । तब से ही पूरे भारत में दशहरी आम के पौधों का रोपण करके बहुतायत में फलों का उत्पादन किया जा रहा है। दशहरी गाँव में दशहरी आम का मातृ पौधा अभी भी मौजूद है, जिसके बारे में माना जाता है कि इस पौधे को मोहम्मद अंसार जैदी के बागों में लगाया गया था । माना जाता है कि यह मातृ पौधा करीब 200 साल पुराना है। हालांकि इस पेड़ के आम अन्य दशहरी आमों की तुलना में छोटे होते हैं, लेकिन इसका स्वाद और सुगंध सबसे अलग है। इस पौधे की देखभाल अंसार जैदी के वंशजों द्वारा की जाती है, तथा इस पौधे को अक्सर "माँ दशहरी" भी कहा जाता है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दशहरी आम को सिंगापुर (Singapore), हांगकांग (Hong Kong), फिलीपींस (Philippines), मलेशिया (Malaysia) और दक्षिण-पूर्व एशिया (Asia) के देशों सहित अन्य विभिन्न देशों में निर्यात किया जाता है। फलों के राजा दशहरी और अवध के बीच एक शाश्वत संबंध मौजूद है। नवाबों द्वारा इसे न केवल पसंद किया गया, बल्कि यह उनके बागों का एक बहुत ही संरक्षित और बेशकीमती फल था, जिसका उपयोग केवल वे ही कर सकते थे। उस समय आम को कभी बेचा नहीं जाता था, बल्कि मौसम के पहले आमों को नवाब को भेंट किया जाता था। कहा जाता है कि एक बार नवाब आसफुद्दौला ने तो एक किसान के पेड़ को भी अपने नियंत्रण में ले लिया था, ताकि उसका फल सामान्य या आम लोगों तक न पहुंच सके ।
एक अन्य ऐतिहासिक वृत्तांत के अनुसार, दशहरी आम का व्यापार सबसे पहले अवध में शुरू हुआ था। ऐसा भी माना जाता है कि लखनऊ के दशहरी क्षेत्र को पठानों द्वारा विकसित किया गया था जो मुगल काल के अंत में यहां आकर बस गए थे। इतिहासकार बताते हैं कि ‘हर बार मिर्ज़ा ग़ालिब को अपनी पेंशन लेने के लिए दिल्ली से कोलकाता जाना पड़ता था, लेकिन वह लखनऊ से होते हुए कोलकाता जाते थे, ताकि दशहरी आम खा सकें।’
वर्तमान समय में अपने स्वादिष्ट आमों के कारण दशहरी गांव को भौगोलिक संकेतक का टैग भी प्राप्त है और यहां के आम एक ब्रांड बन चुके हैं । शाही परिवारों के लिए आम के फल सामाजिकरण का एक महत्वपूर्ण साधन थे। समृद्ध लोगों द्वारा ऐसी पार्टियों का आयोजन किया जाता था, जिनमें आम की नई किस्में पेश की जाती थीं। इसके बाद आम की किस्मों का नामकरण भी किया जाता था। ऐसा माना जाता है कि अस्ल मुकर्रर आम की एक किस्म को अपना नाम ऐसी ही एक पार्टी में मिला था। यह आम, वास्तव में, इतना मीठा और रसीला था, कि इसका नाम अस्ल मुकर्रर रख दिया गया । इसी तरह आम की एक अन्य किस्म का नाम शम्सुल असमर रखा गया था, क्योंकि इसका बाहरी आवरण सूरज की तरह चमकता था। नवाबों के समय में आमों की लगभग 1300 किस्में हुआ करती थीं, लेकिन वर्तमान में केवल लगभग 100 किस्में ही शेष बची हैं, हालांकि आमों की लोकप्रियता अभी भी वैसी ही है।
पिछले कुछ वर्षों में, जलवायु परिवर्तन के कारण आम के उत्पादन पर अत्यधिक नकारात्मक प्रभाव देखा गया है। बेमौसम बारिश के कारण इसकी खेती में अनियमितता उत्पन्न हो गई है। सर्दियों की बेमौसम बारिश के कारण आम के पेड़ों पर फूल आने में देरी हो जाती है, जिससे फलों की गुणवत्ता में गिरावट आ रही है। आम के उत्पादन के लिए तापमान भी एक महत्वपूर्ण कारक है। आम की खेती के लिए मौसम अत्यधिक गर्म या अत्यधिक ठंडा नहीं होना चाहिए। यदि मौसम अत्यधिक गर्म या अत्यधिक ठंडा होता है, तो आम के पेड़ पर लगे फूल मुरझा जाते हैं और परिपक्व होने से पहले ही गिर जाते हैं।
पिछले साल भी जलवायु परिवर्तन के कारण आम की खेती पर विपरीत प्रभाव पड़ा । आम तौर पर आम के पेड़ पर दिसंबर से मार्च के महीने के बीच में फूल आना शुरू हो जाते हैं। लेकिन पिछले साल सामान्य से अधिक तापमान के कारण जब पेड़ों पर फूल आना शुरू हुआ, तो वे अत्यधिक गर्मी के कारण मुरझा गए, जिससे फसलों को बहुत नुकसान झेलना पड़ा। वैश्विक आम उत्पादन के 54 प्रतिशत उत्पादन के साथ भारत आम का दुनिया में सबसे बड़ा उत्पादक है। उत्तर प्रदेश के आम क्षेत्र में आम तौर पर प्रति वर्ष लगभग 4-5 मिलियन टन आम उत्पन्न होता है, लेकिन पिछले साल केवल 1.5 मिलियन टन ही आम उत्पन्न हुआ। उत्पादकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण फूल आने में देरी के कारण पिछले साल आम की पैदावार में तेजी से गिरावट आई थी।
संदर्भ:
https://bit.ly/3L10RhU
https://bit.ly/3ZDOM6K
https://bit.ly/3ILZ5if
चित्र संदर्भ
1. दशहरी आम को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. आम के पेड़ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. दशहरी आम के टुकड़ों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. पके हुए दशहरी आम को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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