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आपने अक्सर देखा और सुना होगा कि नई-नई खोजी गई किसी दवा के कारण इंसानी शरीर पर होने वाले असर की जांच करने के लिए, अधिकांश मामलों में उसका प्रयोग या टेस्ट (Test) सबसे पहले चूहों पर ही किया जाता है। लेकिन क्या आपके मन में कभी यह विचार आया है कि दुनिया में हजारों जानवर मौजूद होने के बावजूद, चूहों को ही मोहरा क्यों बनाया जाता है?
जैव चिकित्सा अनुसंधान (Biomedical Research) और तुलनात्मक चिकित्सा अध्ययन (Comparative Medicine Studies) के लिए चूहे एक आदर्श जीव माने जाते हैं। चूहों की शारीरिक संरचना काफी हद तक मनुष्यों के साथ कई समानताएँ साझा करती है । चूहों और मनुष्यों दोनों के शरीर में लगभग 30,000 जीन (Genes) पाए जाते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि इनमें से लगभग 95% जीन दोनों प्रजातियों द्वारा साझा किए जाते हैं, अर्थात दोनों प्रजातियों में मौजूद होते हैं।
चूहों में गर्भधारण की अवधि लगभग 19-21 दिनों की होती है। नवजात चूहे तीन से चार सप्ताह की आयु में ही दूध पीना छोड़ देते हैं और पांच से छह सप्ताह की आयु तक यौन परिपक्वता तक पहुंच जाते हैं, जिस कारण चूहों को प्रयोगशाला में अध्ययन के लिए बड़ी संख्या में और अधिक तेजी से पैदा या तैयार किया जा सकता है।
प्रयोगशाला में चूहों का उपयोग करना वैज्ञानिकों के लिए कई मायनों में फायदेमंद होता है।
क्योंकि वैज्ञानिकों के पास अध्ययन करने के लिए चूहों से जुड़ी बहुत सी आनुवंशिक जानकारी (Genetic Information) पहले से मौजूद होती है। वैज्ञानिकों ने 2001, 2002 और 2004 में क्रमशः मनुष्यों और फिर चूहों की दो प्रजातियां के जीनोम का अनुक्रम कर लिया है, अतः उनके पास पहले से ही इन प्रजातियों के पूर्ण आनुवंशिक कोड (Genetic Code) उपलब्ध हैं।
जैव चिकित्सा अनुसंधान में चूहों का उपयोग 17वीं शताब्दी से ही (30 मई, 1678 से) किया जाता रहा है। विलियम हार्वे (William Harvey) ने पहली बार प्रजनन और रक्त परिसंचरण पर अपने अध्ययन के लिए चूहों का उपयोग किया था। बाद में रॉबर्ट हुक (Robert Hooke) ने हवा के दबाव में वृद्धि के जैविक परिणामों की जांच के लिए उनका उपयोग किया था। 18वीं सदी के दौरान जोसेफ प्रिस्टले (Joseph Priestley) और एंटोनी लेवोइजियर (Antoine Lavoisier) दोनों ने श्वसन तंत्र का अध्ययन करने के लिए चूहों का इस्तेमाल किया था।
मनुष्यों में कम सुनाई देने की समस्या काफी आम है। क्या आप जानते हैं कि प्रत्येक 1,200 से 2,000 बच्चों में से एक बच्चा जन्मजात बहरा होता है। बहरेपन के प्रमुख कारणों में, सौ से अधिक प्रकार के विभिन्न जीन शामिल होते हैं। इन जीनों की पहचान करने में भी चूहों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। चूहे आकार में भी काफी छोटे होते हैं। जिस कारण उनके रखरखाव की लागत भी बहुत कम होती है। इसके अलावा आनुवंशिक रूप से उनके जीनोम में हेरफेर करने वाले उपकरण भी 1980 के दशक से उपलब्ध हैं। इस कारण भी चूहे अक्सर कृंतक मॉडल (Rodent Model) के रूप में वैज्ञानिकों की पहली पसंद होते हैं। आज जांच के ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां चूहों को प्राथमिकता दी जाती है। इन क्षेत्रों में मुख्य रूप से हृदय संबंधी अनुसंधान, व्यवहार संबंधी अध्ययन और विष विज्ञान शामिल हैं।
व्यवहार संबंधी अध्ययन के लिए आमतौर पर चूहों का ही उपयोग किया जाता है क्योंकि चूहों का सामाजिक व्यवहार मनुष्यों में देखे जाने वाले व्यवहार की बेहतर नकल करता है।
आने वाले समय में भी जैव चिकित्सा अनुसंधान में चूहे केंद्रीय भूमिका निभाते रहेंगे। मानव जीन, कोशिकाओं, ऊतकों, के निर्माण सहित, चूहे गंभीर मानव रोगों के उपचारात्मक विकास के लिए बेहतर और परिष्कृत मॉडल हो सकते हैं।
प्रयोगशाला में प्रयोग होने वाले चूहे आमतौर पर मस मस्कुलस (Mus Musculus) प्रजाति के होते हैं। उनका प्रयोग आनुवंशिकी, शरीर विज्ञान, मनोविज्ञान, चिकित्सा और अन्य वैज्ञानिक विषयों में अनुसंधान के लिए किया जाता है। इसके अलावा चूहों के जीनोम में हेरफेर करना अपेक्षाकृत आसान होता है। चूहे युआरकॉन्टोग्लियर्स (Euarchontoglires) श्रेणी से संबंधित हैं, जिसमें मनुष्य भी शामिल हैं। यह घनिष्ठ संबंध, चूहों को मानव-उन्मुख अनुसंधान के लिए विशेष रूप से उपयुक्त मॉडल बनाते हैं।
मनुष्य और चूहे कई सामान्य आनुवंशिक विशेषताओं को साझा करते हैं। एक चूहे के शरीर विज्ञान, शरीर रचना और चयापचय की जांच करके, वैज्ञानिक मनुष्य के शरीर से जुड़ी बहुमूल्य जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
चूहे कोलेस्ट्रॉल (Cholesterol) और उच्च रक्तचाप जैसी जटिल बीमारियों का अध्ययन करने के लिए भी बेहद उपयोगी होते हैं। इन बीमारियों के लिए जिम्मेदार कई जीन चूहों और मनुष्यों के बीच साझा किए जाते हैं। आखिर में मनुष्य में पाई जाने वाली कई जटिल जैविक प्रणालियों, जैसे कि प्रतिरक्षा, अन्तःस्रावी (Endocrine), तंत्रिका, हृदय और कंकाल प्रणाली का अध्ययन करने के लिए चूहे, मक्खियों या कृमियों की तुलना में कहीं गुना बेहतर माने जाते हैं। इसलिए यदि अगली बार आप को भी किसी सड़क पर या खेत में कोई नन्हा सा चूहा दिखाई दे, तो उसे खदेड़ने से पहले एक बार उसका आभार व्यक्त करना न भूलें!
संदर्भ
https://bit.ly/3KXZUav
https://bit.ly/3xUmetF
shorturl.at/exGZ0
चित्र संदर्भ
1. प्रयोगशाला में चूहे को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. प्रयोगशाला से झांकते चूहे को दर्शाता एक चित्रण (pexels)
3. जीव विज्ञान वर्ग में एक गर्भवती चूहे के विच्छेदन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. चूहे के जल नेविगेशन परीक्षण को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. चूहे के साथ महिला शोधकर्ता को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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