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क्या आप जानते हैं एड्स जैसी वैश्विक महामारी की उत्पत्ति और इतिहास के बारे में?

लखनऊ

 01-12-2022 11:52 AM
विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

एचआईवी संक्रमण /एड्स महामारी (HIV Infection / AIDS Disease) का बढ़ता दायरा मानव विकास और सामाजिक प्रगति के लिए सबसे विकट चुनौतियों में से एक माना जाता है। यह एक ऐसी असाध्य महामारी है जो गरीबी और असमानता को बढ़ाती है और समाज में सबसे कमजोर वर्गो जैसे बुजुर्गों, महिलाओं, बच्चों और गरीबों पर बोझ बढ़ाती है। एचआईवी संक्रमण /एड्स बिमारी का इतिहास जितना मार्मिक है, इसका वर्तमान परिदृश्य भी उतना ही चिंताजनक है। एचआईवी संक्रमण /एड्स अर्थात ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस और एक्वायर्ड इम्यूनोडेफिशिएंसी सिंड्रोम (Human Immunodeficiency Virus Infection and Acquired Immunodeficiency Syndrome) नामक वैश्विक महामारी सन 1981 में शुरू हुई और आज यह दुनिया भर में सबसे बड़े सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दों में से एक बन गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 2021 तक, एड्स ने लगभग 40.1 मिलियन लोगों की जान ले ली है और लगभग 38.4 मिलियन लोग विश्व स्तर पर एचआईवी से संक्रमित हैं। इन 37.7 मिलियन लोगों में से केवल 73% लोगों की ही एंटीरेट्रोवाइरल उपचार (Antiretroviral Treatment) तक पहुंच है। आंकड़ों के अनुसार ,2018 में एचआईवी संक्रमण /एड्स से लगभग 770,000 और 2020 में 680,000 मौतें हुईं। 2015 के ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी (Global Burden of Disease Study) का अनुमान है कि एचआईवी संक्रमण की वैश्विक दर 1997 में 3.3 मिलियन प्रति वर्ष थी। 1997 से 2005 तक वैश्विक दर तेजी से गिरकर लगभग 2.6 मिलियन प्रति वर्ष हो गईं। अच्छी खबर यह है की एचआईवी की दरों में गिरावट लगातार जारी है, और इसमें 2010 से 2020 तक 23% की कमी आई है।
उप-सहारा अफ्रीका एचआईवी से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र है। 2018 में, इस क्षेत्र में अनुमानित 61% नए एचआईवी संक्रमण हुए और 2020 तक, एचआईवी संक्रमण के साथ रहने वाले दो तिहाई से अधिक लोग अफ्रीका में रह रहे हैं। लैंगिक असमानता और लिंग आधारित हिंसा के कारण महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक प्रभावित होती हैं। इसी कारण उप-सहारा अफ्रीका में नए संक्रमणों में 63% महिलाएं हैं । युवा महिलाओं (15 से 24 वर्ष की आयु) में समान उम्र के पुरुषों की तुलना में एचआईवी संक्रमण के साथ रहने की संभावना दोगुनी है। एचआईवी मध्य अफ्रीका में अमानवीय प्राइमेट्स (Nonhuman Primates) में उत्पन्न हुआ और 19वीं सदी के अंत या 20वीं सदी की शुरुआत में कई बार मनुष्यों में आया। एड्स को पहली बार 1981 में पहचाना गया । 1983 में एचआईवी वायरस की खोज की गई और एड्स के कारण के रूप में पहचान की गई। 1981 में मनुष्यों में एचआईवी संक्रमण / एड्स का पहला मामला सामने आने के बाद से, यह वायरस दुनिया भर में सबसे प्रचलित और घातक महामारियों में से एक बना हुआ है।
हालांकि एचआईवी की उत्पत्ति का विवरण स्पष्ट नहीं है। लेकिन पहली बार पश्चिमी विषुवतीय अफ्रीका में चिंपैंजी और गोरिल्ला में आनुवंशिक रूप से एचआईवी के समान एक लेंटीवायरस (Lentivirus) पाया गया है। उस वायरस को सिमियन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (Simian Immunodeficiency Virus (SIV) के रूप में जाना जाता है और एक समय में व्यापक रूप से चिंपैंजी में हानिरहित माना जाता था। हालांकि 2009 में अफ्रीका में चिंपैंजी की आबादी की जांच करने वाले शोधकर्ताओं की एक टीम ने पाया कि SIV वास्तव में जानवरों में एड्स जैसी बीमारी का कारण बनता है। SIV संक्रमित चिंपैंजी की मृत्यु दर उनके असंक्रमित समकक्षों की तुलना में 10 से 16 गुना अधिक है। चिंपैंजी के शिकार और मांस को तैयार व् खाने की प्रथा ने संभवत: 19वीं सदी के अंत या 20वीं सदी की शुरुआत में मनुष्यों में वायरस के संक्रमण का अवसर दिया होगा।
एचआईवी-1 समूह एम (HIV-1 group M) के रूप में जाने वाले एचआईवी के एक महामारी प्रकार या वैरिएंट(Strain) के आनुवंशिक अध्ययन ने संकेत दिया है कि यह वायरस 1884 और 1924 के बीच मध्य और पश्चिमी अफ्रीका में उभरा।
बाद में, 1960 के दशक के मध्य में, एचआईवी-1 समूह एम उपप्रकार बी (subtype B) नामक एक विकसित प्रकार या वैरिएंट अफ्रीका से हैती (Haiti) तक फैल गया। 1969 और 1972 के समय में यह वायरस हैती से संयुक्त राज्य अमेरिका चला गया। 1980 के दशक की शुरुआत में खोजे जाने से पहले यह वायरस लगभग एक दशक तक संयुक्त राज्य अमेरिका में फैल चुका था। एचआईवी -1 के विश्वव्यापी प्रसार की संभावना कई कारणों से थी जिसमें शहरीकरण और अफ्रीका में लंबी दूरी की यात्रा, अंतर्राष्ट्रीय यात्रा, बदलते यौन व्यवहार और अंतःशिरा नशीली दवाओं (Intravenous Drugs) का उपयोग शामिल है। महामारी गरीबी तथा असमानता को उत्प्रेरित करती है, और समाज में सबसे कमजोर वर्गो जैसे बुजुर्गों, महिलाओं, बच्चों और गरीबों पर बोझ बढ़ाती है। समय पर इलाज प्रदान नहीं देने वाले देशों और संगठनों को घटती उत्पादकता तथा कुशल और अनुभवी श्रम की हानि जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। परिणाम स्वरूप सार्वजनिक सेवाओं की मांग बढ़ने के कारण कर्मचारी उपचार और संबंधित लागतों में वृद्धि के माध्यम से सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के उद्यमों पर भारी लागत वहन करनी पड़ती है। एड्स ने श्रम बल के सबसे अधिक उत्पादक खंड पर अपना अधिकतम प्रभाव दिखाया है। इसके कारण उच्च एचआईवी प्रसार दर वाले देशों में श्रम की आपूर्ति में कटौती की गई है, श्रमिकों की आय में कमी दर्ज की गई है और उद्यम के प्रदर्शन तथा राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
एड्स कार्य क्षेत्र में मौलिक अधिकारों को प्रभावित करता है, जहां एचआईवी/एड्स से पीड़ित श्रमिकों और प्रभावित लोगों को भेदभाव और लांछन का भी सामना करना पड़ता है। भारतीय कामकाजी आबादी के लिए एचआईवी का खतरा इस तथ्य से स्पष्ट है कि रिपोर्ट किए गए एचआईवी संक्रमणों में से लगभग 90% 15-49 वर्ष के सबसे उत्पादक आयु वर्ग से संबंध रखते हैं। भारत की कामकाजी आबादी 400 मिलियन से अधिक है, जिनमें से 93% अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में हैं। बेहतर रोजगार/आजीविका के अवसरों की तलाश में बड़ी संख्या में लोग आंतरिक (देश के भीतर) और साथ ही विदेशों में भी पलायन करते हैं। हालांकि प्रवासन की यह प्रक्रिया एचआईवी जैसे संक्रमणों के लिए भेद्यता को भी बढ़ाती है। जागरूकता और शिक्षा कर्मचारियों में एड्स के प्रसार को रोकने के लिए एक महत्वपूर्ण घटक है। इसके लिए स्थानीय विशेषज्ञों द्वारा ऑफिस का दौरा किया जाना चाहिए। एचआईवी संक्रमण (HIV Infection) के प्रसार के कारण होने वाली एड्स महामारी के प्रति जागरूकता फ़ैलाने और बीमारी से मरने वालों का शोक मनाने के लिए प्रतिवर्ष 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस (World AIDS Day) के तौर पर मनाया जाता है। इसके साथ ही जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए "रेड-रिबन डे (Red-Ribbon Day)" आयोजित किया जा सकता है। इस बीमारी की रोकथाम के लिए नियमित परीक्षण को बढ़ावा दिया जा सकता है।
साथ ही मासिक स्टाफ मीटिंग (Staff Meeting) में भी एड्स की शिक्षा को शामिल करने से भी फर्क पड़ सकता है। नियोक्ता अथवा कंपनियां एक ऐसा वातावरण बनाएं जहां कर्मचारी अपनी एचआईवी/एड्स स्थिति को प्रकट करने या छिपाने के लिए बाध्य महसूस न करें। आंतरिक विविधता और गैर-भेदभाव नीतियों के भाग के रूप में एचआईवी/एड्स को शामिल करना भी महत्वपूर्ण है।

संदर्भ

https://bit.ly/3VmACFa
https://bit.ly/3ijne65
https://bit.ly/3OOTHgP
https://bit.ly/3VA2OnG

चित्र संदर्भ
1. एचआईवी के प्रारंभिक संक्रमण को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. 2012 में चेन्नई में एड्स जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए भारत के दौरे पर रेड रिबन एक्सप्रेस का दौरा करने वाले लोग, विशेष रूप से महिलाओ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. उप-सहारा अफ्रीका, एचआईवी से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र है, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. पहली बार पश्चिमी विषुवतीय अफ्रीका में चिंपैंजी और गोरिल्ला में आनुवंशिक रूप से एचआईवी के समान एक लेंटीवायरस (Lentivirus) पाया गया, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. एड्स क्लिनिक, मैक्लोड गंज, हिमाचल प्रदेश, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. बहिरदार एड्स संसाधन केंद्र को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
7. विश्व एड्स दिवस - रेड रिबन को दर्शाता एक चित्रण (flickr)



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