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मलेशिया (Malaysia) में चीनी (Chinese) और मलेशियाई लोगों के बाद सबसे बड़ा संजातीय समूह
मलेशियाई भारतीय लोगों का है। भले ही देश की 220 लाख आबादी का लगभग 8% हिस्सा भारतीयों
द्वारा बनाया गया है, लेकिन मलेशियाई भारतीयों के पास राष्ट्रीय धन का 2% से भी कम हिस्सा होता
है। भारतीयों (विशेष रूप से दक्षिण भारतीय) का मलेशिया में बड़े पैमाने पर आगमन 20 वीं शताब्दी की
शुरूआत में हुआ, जब औपनिवेशिक सार्वजनिक सेवाओं और निजी बागानों में श्रम शक्ति की
आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ब्रिटिश सरकार द्वारा उन्हें मलेशिया लाया गया। जहां, तमिल लोगों
का एक बड़ा हिस्सा बागानों में कार्यर तथा, वहीं श्रीलंकाई (Sri Lankan) तमिल और मलयाली,प्रबंधन
और लिपिक पदों पर कार्यरत थे।
उत्तर भारत के क्षेत्र से मलेशिया गये लोगों की बात करें तो, उनमें से,
पंजाबी लोग पुलिस बल में जबकि गुजराती और सिंधी व्यवसाय (ज्यादातर वस्त्र सम्बंधी व्यवसाय) में
शामिल हुए। स्वतंत्रता और मई 1969 के नस्लीय दंगों के बाद दक्षिण भारतीय लोगों का यहां से बड़े
पैमाने पर पलायन हुआ, लेकिन तब भी तमिल या दक्षिण भारतीय लोगों ने मलेशिया में कुल भारतीय
आबादी का लगभग 80% हिस्सा बनाया।
पूरे विश्व में मलेशिया ऐसा पांचवां देश है, जहां भारतीय मूल के सबसे अधिक लोग रहते हैं। 1984 में
हुई जनगणना के अनुसार, मलेशिया के चिकित्सीय पेशेवर कार्यबल में मलेशियाई भारतीयों का लगभग
38% हिस्सा शामिल था। 1970 में, मलेशियाई भारतीयों की प्रति व्यक्ति आय मलय समुदाय से 76%
अधिक थी। हालांकि, मलेशियाई भारतीयों की एक बड़ी संख्या देश के सबसे गरीब लोगों में से एक
है।मलेशिया की भारतीय आबादी अपने वर्ग स्तरीकरण के लिए जानी जाती है, जिसमें बड़े कुलीन और
निम्न आय वर्ग के लोग शामिल हैं।दूसरे शब्दों में, यहां भारतीयों की आर्थिक स्थिति स्तरीकृत है और
उनके बीच धन का वितरण असमान है। मलेशिया में अंग्रेजी भाषा के शिक्षकों की एक बड़ी संख्या
मलेशियाई भारतीयों द्वारा बनायी गयी है। यहां भारतीय परिवारों में परंपरागत रूप से कानून और
चिकित्सा पसंदीदा करियर विकल्प रहे हैं, हालांकि,भारतीय मलेशियाई युवा अब इंजीनियरिंग, वित्त और
उद्यमिता जैसे अन्य क्षेत्रों में भी अपना रूझान दिखा रहे हैं।
भारतीय व्यापारी 14 वीं शताब्दी की शुरुआत में मलाया (Malaya) आए थे। व्यापार के माध्यम से,
उन्होंने स्थानीय लोगों को इस्लाम का परिचय दिया। उन्होंने विभिन्न शाही परिवारों में विवाह भी किया,
जिसके परिणामस्वरूप उनका प्रभाव वहां अत्यधिक बढ़ने लगा।तेजी से हो रहे आर्थिक विकास के कारण
19 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में भारतीय प्रवासियों की एक बड़ी संख्या मलाया पहुंची।मलाया में भारतीयों
का सबसे बड़ा वार्षिक आगमन 1911-30 की अवधि के दौरान हुआ, जब प्रत्येक वर्ष 90,000 से अधिक
व्यक्ति मलाया आए। उन्हें अंग्रेजों द्वारा रबड़ के बागानों में काम करने के लिए भर्ती किया गया। इनमें
से अधिकतर लोगों को गिरमिटिया मजदूरों के रूप में भर्ती किया गया था। प्रथम विश्व युद्ध के बाद
कई पेशेवरों, डॉक्टरों और शिक्षकों को भारत से मलाया लाया गया। मलेशिया में लगभग हर प्रकार के
भारतीय लोग मौजूद हैं, जैसे तमिल, गुजराती, मलयाली, पंजाबी, सिंधी, पठान, श्रीलंकाई तमिल, सिंघली
आदि।ये लोग भारत के विभिन्न हिस्सों से यहां पहुंचे तथा विभिन्न धर्मों का अनुसरण करने लगे।लेकिन
फिर भी,ज्यादातर मलेशियाई भारतीय तमिल हैं। मलेशिया में भारतीयों की संख्या और शक्ति मलेशियाई
और चीनी लोगों की तुलना में बहुत कम है, लेकिन यहां के राजनीतिक क्षेत्र में उनकी अच्छी पकड़ है।
चूंकि, अधिकांश मलेशियाई भारतीयों को बागानों में मजदूरों के रूप में काम करने के लिए लाया गया था,
इसलिए उनमें से ज्यादातर भारतीय,प्रमुख बागान राज्यों जैसे, सेलांगोर (Selangor), नेग्री सेम्बिलान
(Negri Sembilan), जोहोर (Johor) में निवास करते हैं। इसके अलावा वे केदाह (Kedah), पेराक
(Perak), पिनांग (Penang) और पहांग (Pahang) राज्यों में भी रहते हैं।अपनी मातृभाषा में पढ़ने,
लिखने और बोलने में सक्षम होने के अलावा लगभग हर मलेशियाई भारतीय, मलय भाषा बोलने और
लिखने में सक्षम है। इसके अलावा यहां के अधिकांश भारतीय,चीनी भाषा को भी बोलना और पढ़ना
जानते हैं। भारतीय मलेशियाई अलग-अलग धर्मों से सम्बंधित हैं,हालांकि, उनमें से ज्यादातर हिंदू हैं।
इसके अलावा सिख, बौद्ध, मुस्लिम और ईसाई धर्म से सम्बंधित भारतीय भी यहां निवास करते हैं।
मलेशिया में रहने वाले भारतीयों पर तमिल फिल्मों का प्रभाव भी स्पष्ट रूप से देखने को मिलता है।
चूंकि, मलेशिया में कोई अच्छा तथा वृद्धि करता फिल्म उद्योग नहीं है, इसलिए यहां के तमिल
दर्शक, तमिल फिल्मों को देखना पसंद करते हैं।मलेशिया में अब तमिल फिल्मों के निर्माण की भी
शुरूआत होने लगी है। चेन्नई में निर्मित फिल्मों से कड़ी प्रतिस्पर्धा के बावजूद भी मलेशियाई फिल्म
उद्योग ने 2009 से बड़े बजट की तमिल फिल्में बनानी शुरू की हैं। मलेशिया की पहली तमिल फिल्म
रथा पाई (Ratha Paei) नाम से जानी जाती है, जिसे चेन्नई के गोल्डन स्टूडियो (Golden Studio) में
शूट किया गया था।मलेशिया में तमिल फिल्मों का निर्माण मुख्य रूप से कुआला लम्पुर (Kuala
Lumpur), पिनांग, और जोहोर बाहरू (Bahru) में केंद्रित है। हालांकि, यहां कम फिल्में बनायी जाती हैं,
लेकिन यह उद्योग अब धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3tJwpNi
https://bit.ly/3vZJmnq
https://bit.ly/33GeYSW
https://bit.ly/3wa4iIJ
https://bit.ly/3y5uk1D
चित्र संदर्भ
1. मलेशियाई भारतीय कांग्रेस (एमआईसी) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. भारत और मलेशिया के स्थानों को दर्शाने वाले मानचित्र, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. मलेशिया के बटू गुफाओं में एक हिंदू मंदिर में लक्ष्मी, गणेश और सरस्वती को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. मलेशिया की पहली तमिल फिल्म रथा पाई (Ratha Paei) नाम से जानी जाती है, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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