City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
2888 | 29 | 2917 |
***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions
रामपुर अपनी अद्वितीय वास्तुकला के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। यहां ऐसी कई चीजें
मौजूद हैं, जो इसकी भव्य और उत्कृष्ट वास्तुकला के अद्भुत उदाहरणों को पेश करती
हैं।इसी भव्य और अद्भुत वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण रामपुर की मोती मस्जिद भी
है।जैसा कि आप जानते ही हैं, कि रामपुर में जामा मस्जिद भी है तथा खास बात यह है
कि रामपुर की मोती मस्जिद जामा मस्जिद के ही समान है। दोनों मस्जिदें आपस में इतनी
मिलती-जुलती हैं, कि मोती मस्जिद को जामा मस्जिद का दर्पण कहना गलत नहीं होगा।
मोती मस्जिद को मोती मस्जिद मुख्य रूप से इसलिए कहा जाता है, क्यों कि यह सफेद
संगमरमर से बनी है, तथा बिल्कुल मोती की तरह दिखाई देती है।
रामपुर की मोती मस्जिद का निर्माण नवाब फैज़ुल्लाह खान ने वर्ष 1711 में कराया
था। तोपखाना रोड स्थित मोती मस्जिद के निर्माण को नवाब हामिद अली खां ने पूरा
करवाया था। मोती मस्जिद के मुख्य गेट पर उत्कृष्ट नक्काशी की गई है, तथा इसकी
सुंदरता देखते ही बनती है। इस मस्जिद की वास्तुकला पर मुगलिया वास्तुकला का प्रभाव
स्पष्ट रूप से देखने को मिलता है।मोती मस्जिद में कुल चार लंबी मीनारें तथा तीन गुम्बद
मौजूद हैं। मस्जिद के मुख्य द्वार के निकट एक हौज बनाया गया है, जहां लोग वुजू कर
सकते हैं।जामा मस्जिद की तरह ही हौज में नवाब हामिद अली खां ने विदेशी रंग-बिरंगी
मछलियां डलवाईथीं, जो इसकी शोभा को और भी निखारती हैं। हौज में तैरती रंगीन
मछलियां लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचती हैं।
वर्ष 1912 में नवाब हामिद अली खां ने जामा मस्जिद का जीर्णोद्धार कराया, तथा इस कार्य
को मोती मस्जिद को देखकर ही पूरा किया गया। मोती मस्जिद को देखकर ही अंदाजा
लगाया जा सकता है कि किस सोच के साथ इसका निर्माण कराया गया था। इतिहासकार
शाहिद महमूद खां बताते हैं कि नवाब जुल्फिकार अली खां के दौर में मोती मस्जिद सुन्नी
वक्फ बोर्ड में शामिल थी। तब शाहिद महमूद खां वक्फ सेक्रेट्री हुआ करते थे। शाहिद महमूद
खां के वक्फ सेक्रेट्री पद छोड़ने के बाद मोती मस्जिद भी वक्फ बोर्ड से हट गई।
रामपुर की मोती मस्जिद की एक खास बात यह भी है कि ऐसी ही एक मस्जिद दिल्ली में
लाल किले में भी है, जिसे मोती मस्जिद के नाम से ही जाना जाता है।मोती मस्जिद,
दिल्ली में लाल किले के कॉम्प्लेक्स (Complex) के अंदर एक सफेद संगमरमर की मस्जिद
है। यह हम्माम के पश्चिम में और दीवान-ए-खास के करीब स्थित है, तथा इसे मुगल
बादशाह औरंगजेब ने 1659-1660 के बीच बनवाया था।
इस मस्जिद के इतिहास की बात
करें तो इस मस्जिद को औरंगजेब ने अपनी दूसरी पत्नी नवाब बाई के लिए बनाया
था।मस्जिद का उपयोग जनाना की महिलाओं द्वारा भी किया गया था।जनाना वास्तव में
घर या संपत्ति का वह हिस्सा है,जिसमें परिवार की महिलाएं रहती हैं।मस्जिद का निर्माण
160,000 रुपये की लागत से किया गया था, तथा इसके निर्माण में करीब 1 साल का
समय लगा। इसके प्रार्थना कक्ष में तीन मेहराब हैं, और यह दो गलियारों में विभाजित है।यह
तीन बल्बनुमा गुम्बदों से बना हुआ है, जो मूल रूप से गिल्डेड कॉपर(Gilded copper) से
कवर किए गए थे।1857 के भारतीय विद्रोह के बाद गिल्डेड कॉपर संभवत: कहीं खो गए।
मस्जिद की बाहरी दीवारें किले की बाहरी दीवारों से मिलती-जुलती हैं, जबकि भीतरी दीवारें
थोड़ी अलग दिखाई देती हैं।पूर्व दिशा में मौजूद द्वार पर तांबे की सुंदर प्लेंटे लगी हुई
हैं।मस्जिद को बाहर से सफेद रंग में प्लास्टर किया गया है। इसके अंदर सफेद संगमरमर
का प्रांगण और एक प्रार्थना कक्ष है, जो प्रांगण से कुछ ऊपर उठा हुआ है।आंगन, जिसकी
माप 40 x 35 फीट है,के बीच में एक छोटा, चौकोर फव्वारा बनाया गया है।
इस मस्जिद की
वास्तुकला देखने के लिए पर्यटक दूर-दूर से लाल किले में प्रवेश करते हैं।यह एक बहुत ही
खूबसूरत मस्जिद है, लेकिन सामने और दोनों तरफ ऊंची दीवारों से घिरे होने के कारण
इसकी सुंदरता व्यापक रूप से नहीं दिखाई देती है।आजकल, यहां की मोती मस्जिद को
ज्यादातर बंद रखा जाता है।ऐसा भी माना जाता है कि इस मस्जिद का निर्माण औरंगजेब
ने अपने दो बड़े भाइयों दारा शिकोह और मुराद पर की गई क्रूरता का पश्चाताप करने के
लिए किया था। मोती मस्जिद नाम की एक और छोटी मस्जिद औरंगजेब के बेटे, मुगल
सम्राट बहादुर शाह प्रथम द्वारा निजी प्रार्थना के लिए बनाई गई थी।
संदर्भ:
https://bit.ly/3ReYurC
https://bit.ly/3LAVIvg
https://bit.ly/3R7T2qm
चित्र संदर्भ
1. जामा मस्जिद और मोती मस्जिद को दर्शाता एक चित्रण (youtube, wikimedia)
2. रामपुर की मोती मस्जिद को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
3. दिल्ली की मोती मस्जिद को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. दिल्ली की मोती मस्जिद के भीतर का एक चित्रण (wikimedia)
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.