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प्राचीन भारतीय भित्तिचित्र का सबसे बड़ा संग्रह प्रदर्शित करती है अजंता की गुफाएं

लखनऊ

 03-07-2022 10:59 AM
वास्तुकला 1 वाह्य भवन
अजंता की गुफाएं प्राचीन काल की भव्य संरचनाओं में से एक है।इन गुफाओं का निर्माण 200 ईसा पूर्व से 600 ईस्वी तक उपयुक्त रूप से हुआ, किंतु उसके बाद इसे भुला दिया गया।1819 में एक ब्रिटिश अधिकारी, जॉन स्मिथ (John Smith) जब बाघों का शिकार करने गए, तब उन्हें यह गुफा मिली। दीवारों पर अभी भी उनका नाम और वह तारीख मौजूद है, जिसे पेंसिल से लिखा गया है।इनमें से उनतीस गुफाओं की खुदाई की गई है, हालांकि उनमें से सभी को बड़े पैमाने पर नहीं सजाया गया है। कुछ गुफाएं भव्य मूर्तियों और चित्रों से भरी हुई हैं, जिन्हें प्राचीन भारत की उत्कृष्टकृतियाँ माना जाता है।गुफाओं के अधिकांश भाग पर भित्तिचित्र मौजूद हैं, जो भगवान बुद्ध के जीवन की कहानियाँ बताते हैं, जबकि अन्य भित्तिचित्र उन प्राचीन लोगों के जीवन के बारे में बताते हैं,जिन्होंने गुफाओं को उकेरा।अजंता की गुफाओं में विभिन्न बौद्ध परंपराओं के प्राचीन मठ और पूजा-कक्ष शामिल हैं,जिन्हें 75 मीटर (246 फीट) चट्टान की दीवार में उकेरा गया।गुफाएं उन पेंटिंग को भी प्रस्तुत करती हैं,जो बुद्ध के पिछले जन्मों और पुनर्जन्मों का चित्रण, आर्यासुर के जातकमाला से सचित्र कथाएं, और चट्टानों को काटकर बनाई गई बौद्ध देवताओं की मूर्तियों से सम्बंधित हैं।अभिलेखों से पता चलता है कि इन गुफाओं ने भिक्षुओं के लिए मानसून आश्रय के रूप में कार्य किया,साथ ही प्राचीन भारत में व्यापारियों और तीर्थयात्रियों के लिए एक विश्राम स्थल भी बना।ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार भारतीय इतिहास में चमकीले रंग और भित्ति चित्र प्रचुर मात्रा में थे, लेकिन अजंता की 16, 17, 1 और 2 गुफाएं जीवित प्राचीन भारतीय दीवार-पेंटिंग का सबसे बड़ा संग्रह है।


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