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भारत, चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा
जलकृषि देश है। भारत में नीली क्रांति ने मात्स्यिकी और जलकृषि क्षेत्र के महत्व को प्रदर्शित
किया है। इस क्षेत्र को एक उभरते हुए क्षेत्र के रूप में माना जाता है और निकट भविष्य में
भारतीय अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है। लेकिन इस सपने के
आड़े आ रहा है चीन (China), तो चलिए जानते कैसे और भारत इससे बचने के लिए क्या
रणनीति तैयार कर रहा है।
अवैध, असूचित और अनियमित (Illegal, unreported, and unregulated-IUU) मछली
पकड़ना दुनिया भर में एक गंभीर मुद्दा है। यह अवैध कारोबार वैश्विक व्यापार के 20% तक
का प्रतिनिधित्व करता है, और वैश्विक अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान का अनुमान प्रति वर्ष
$ 10-23.5 बिलियन अमरीकी डालर है। इंडो पैसिफिक (Indo-Pacific) क्षेत्र में चीन किस कदर
अवैध फिशिंग को बढ़ावा देता है, इसका नमूना 2021 के IUU फिशिंग इंडेक्स से मिलता है।
एक्सप्रेस के मुताबिक, 152 तटीय देशों की इस लिस्ट में चीन नियम तोड़ने के मामले में सबसे
ऊपर है। चीन को इंडो पैसिफिक रीजन (Region) में होने वाली 95% अवैध फिशिंग के लिए
जिम्मेदार माना जाता है। बीजिंग अक्सर आर्थिक क्षेत्रों का उल्लंघन करता है, जिससे न केवल
आर्थिक नुकसान होता है बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान होता है।
अत्यधिक दोहन और अवैध
मछली पकड़ने से दुनिया के समुद्री संसाधनों और आजीविका को नुकसान हो रहा है। चीनी
जहाज दुनिया में हर जगह पाए जा सकते हैं चीन अपनी घरेलू जरूरतें पूरी करने के लिए वह
अपने इलाके में इतनी मछलियां पकड़ चुका है कि वहां उनकी कमी हो गई है। इसलिए अब वह
दूर-दूर तक अपनी नाव भेजकर फिशिंग कराता है।
इंटरनेशनल फोरम फॉर राइट एंड सिक्योरिटी (आईएफएफआरएएस) (International Forum For
Right And Security (IFFRAS)) की रिपोर्ट के अनुसार, चीन मछली पकड़ने के लिए प्रशांत,
दक्षिण अमेरिका (South America) और पश्चिमी अफ्रीका (West Africa) में फैल गया है और
दूरस्थ क्षेत्रीय जल का अतिक्रमण कर रहा है, जिसने अर्जेंटीना (Argentina) और मैक्सिको
(Mexico) जैसे मित्र देशों में भी संकट पैदा हो रहा है। फिलीपींस (Philippines) और इंडोनेशिया
(Indonesia) जैसे छोटे राष्ट्र नियमित रूप से चीन के सीमा उल्लंघनों से परेशान है। पश्चिमी
अफ्रीकी राष्ट्र सिएरा लियोन (African Nation Sierra Leone) के मछुआरों ने चीन पर
अत्यधिक मछली पकड़ने का आरोप लगाया है।एक ग्लोबल थिंकटैंक (global affairs think-
tank) ओडीआई (ODI) के अनुसार, चीन के पास मछली पकड़ने के लिए दुनिया में सबसे बड़ा
जहाजी बेड़ा है। दूर पानी में मछली पकड़ने (distant-water fishing (DWF)) के लिए उसके
पास 17,000 से ज्यादा जहाज हैं। ये जहाज इतने सक्षम हैं कि एक ही बार में भारी मात्रा में
मछलियां पकड़ सकते हैं। एक्सप्रेस की रिपोर्ट बताती है कि चीन इनका इस्तेमाल कमजोर देशों
के मछली पकड़ने वाले जहाजों को धमकाने और अपना रणनीतिक प्रभाव दिखाने के लिए भी
करता है।
चीन की इसी बड़े पैमाने पर की जाने वाली अवैध फिशिंग के खिलाफ अब क्वाड (Quad) के
देश उठ खड़े हुए हैं। जब 24 मई 2022 को टोक्यो (Tokyo) में क्वाड नेताओं की बैठक के बाद
संयुक्त वक्तव्य में मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला परिलक्षित हुई थी। कहा जा रहा है की हिंद
महासागर से दक्षिणी प्रशांत सागर तक चीन की अवैध फिशिंग पर रोक लगाने के लिए सैटेलाइट
तकनीक का इस्तेमाल करके एक ट्रैकिंग सिस्टम बनाया जाएगा। द इंडियन एक्सप्रेस के
अनुसार, भारतीय नौसेना का सूचना संलयन केंद्र-हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Navy’s
Information Fusion Centre-Indian Ocean Region-IFC-IOR) अवैध मछली पकड़ने के
खिलाफ पहल में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
IFC-IOR की स्थापना 2018 में समुद्री सुरक्षा के मुद्दों पर क्षेत्रीय सहयोग के लिए की गई थी,
जिसमें "समुद्री आतंकवाद", अवैध अनियमित और गैर-रिपोर्टेड(unreported) मछली पकड़ना,
समुद्री डकैती, और मानव तस्करी शामिल हैं।भारत, अमेरिका के नेतृत्व वाले इंडो-पैसिफिक
इकोनॉमिक फोरम (Indo-Pacific Economic Forum-IPEF) में शामिल होने के लिए पूरी तरह
तैयार है, जो एक आर्थिक व्यवस्था है, जिसका उद्देश्य इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे का
मुकाबला करना है। फोरम में जापान (Japan), दक्षिण कोरिया (South Korea),
ऑस्ट्रेलिया(Australia), न्यूजीलैंड (New Zealand), मलेशिया (Malaysia), सिंगापुर
(Singapore), इंडोनेशिया (Indonesia), थाईलैंड (Thailand), वियतनाम (Vietnam) और
फिलीपींस (Philippines) भी सदस्य होंगे।
साथ ही साथ हाल के वर्षों में, समुद्री खाद्य उद्योग ने खुद को आईयूयू मछली पकड़ने का
मुकाबला करने के लिए प्रतिबद्ध किया है और महासागर का प्रबंधक बन गया है। उदाहरण के
लिए, फरवरी 2021 में, 150 से अधिक खुदरा विक्रेताओं और समुद्री खाद्य कंपनियों के एक
वैश्विक गठबंधन ने एक संयुक्त बयान जारी किया जिसमें सामूहिक रूप से IUU मछली पकड़ने
को संबोधित करने के महत्व को मान्यता दी गई। लेकिन ये अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं की पूरी
तरह से निगरानी करने के लिए तैयार नहीं हैं। इसलिए नए डेटा और तकनीकी (data and
tech) क्षमताएं समुद्र में गतिविधियों की निगरानी के लिए नए तरीके खोल रही हैं। उदाहरण के
लिए, एआई-संचालित इलेक्ट्रॉनिक निगरानी प्रणाली (AI-powered electronic monitoring
systems) कवरेज (coverage) बढ़ाने के लिए पर्यवेक्षक कार्यक्रमों को सुदृढ़ कर सकती है।
मशीन लर्निंग (machine learning ) के माध्यम से विश्लेषण किए गए सैटेलाइट-आधारित डेटा
(Satellite-based data analyzed) दिखा सकते हैं कि कब एक जहाज के पारगमन, मछली
पकड़ने, या यहां तक कि किसी अन्य जहाज से मिलने की संभावना है। अंत में, डेटाबेस ने
जहाजों के इतिहास के विस्तृत निरीक्षण को सक्षम किया है, जिसमें नामों में परिवर्तन और
उनके स्वामित्व शामिल हैं। इन सभी आंकड़ों को मिलाकर पोत की पहचान और गतिविधि की
एक व्यापक तस्वीर प्रदान करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे समुद्री भोजन
कंपनियां अपने आपूर्तिकर्ताओं की निगरानी कर रही हैं और आईयूयू मछली पकड़ने के जोखिमों
की पहचान कर रही हैं। इस जानकारी के साथ, समुद्री खाद्य उद्योग आईयूयू मछली पकड़ने को
खत्म करने के लिए पहचाने गए जोखिमों पर कार्य कर सकता है।
लेकिन कहा जा रहा है कि अवैध मछली पकड़ने पर अंकुश लगाने के लिए क्वाड के प्रावधान के
लागू नहीं होने की संभावना है। परन्तु सूचना के प्रवाह के लिए स्थापित मंच निश्चित रूप से
रणनीतिक कार्य कर सकते हैं। जिस दिन क्वाड की बैठक हुई, उस दिन चीन और रूस
(Russia) ने जापान (Japan) और दक्षिण कोरिया (South Korea) के निकटवर्ती क्षेत्रों में
हवाई सैन्य अभ्यास किया। रणनीतिक रूप से, चीन की चिंता अंतरराष्ट्रीय प्रणाली के कई क्षेत्रों
में अपने प्रतिस्पर्धियों को लेकर है।
चौंकाने वाली बात यह है कि क्वाड समूह जिस पहल को लॉन्च करने वाले हैं, उसके तहत चीन
की अवैध तरह से मछली पकड़ने की गतिविधियों को ट्रैक किया जाएगा।ऐसे में यह जानना
अहम है कि आखिर क्यों क्वाड सीधे तौर पर समुद्र में चीन की जासूसी गतिविधियों पर बात न
कर के उसकी मछली पकड़ने की गतिविधियों पर अपनी निगरानी क्षमता को केंद्रित करेगा।
सूचना-साझाकरण क्षेत्र को समुद्री डोमेन जागरूकता के लिए इंडो-पैसिफिक (Indo-Pacific
Partnership for Maritime Domain Awareness (IPMDA)) पार्टनरशिप का नाम दिया गया
है। यह मानवीय और प्राकृतिक आपदाओं का जवाब देने और अवैध मछली पकड़ने से निपटने के
लिए बनाया गया है।
लेकिन अवैध मछली पकड़ने से निपटने के लिए कोई ठोस कदम नहीं
उठाया गया है। साथ ही साथ संयुक्त राष्ट्र की सतत विकास लक्ष्यों की सूची में अत्यधिक
मछली पकड़ने का मुकाबला करना,अन्य लक्ष्यों का हिस्सा है। पश्चिम से आने वाली रिपोर्टों से
संकेत मिलता है कि चीन अत्यधिक मछली पकड़ने की गतिविधियों में अग्रणी है। लेकिन
ओवरफिशिंग (overfishing) को साबित करना मुश्किल है, और तो और अवैध मछली पकड़ने से
जुड़ी गतिविधियों की अधिकता का सबसे अधिक जटिल हिस्सा समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र
सम्मेलन(United Nations Conventions of the Law of the Sea (UNCLOS)) है, यह
एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है जो विश्व के सागरों और महासागरों पर देशों के अधिकार एवं
ज़िम्मेदारियों का निर्धारण करता है, जिसमें विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic
Zones-EEZ) नियंत्रण के लिए राष्ट्रों को भूगोल आधारित अधिकार प्रदान करते हैं। तो सवाल
यह उठता है कि कैसे संयुक्त राष्ट्र की सहमति के अलावा किसी अंतरराष्ट्रीय समझौते को लागू
करने के लिए क्वाड मंजूरी दे सकता है, इसकी परिकल्पना करना मुश्किल है।
इसके अलावा,
अमेरिका ने UNCLOS की पुष्टि नहीं की है, लेकिन वो यह सुनिश्चित करता है कि वह
UNCLOS को प्रथागत अंतरराष्ट्रीय कानून के संहिताकरण के रूप में मान्यता देता है। जिनेवा
(Geneva) स्थित एक निजी संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार, अवैध रूप से मछली पकड़ने में
दो देश चीन और रूस सबसे ऊपर हैं। दक्षिण कोरिया और जापान भी सूची में शीर्ष पर हैं।
उल्लंघनकर्ताओं की सूची में यूएस(US)भी काफी ऊपर है। इसलिए यह देखना दिलचस्प होगा कि
क्वाड अवैध मछली पकड़ने का मुकाबला करने में कैसे प्रगति करेगा।
दूसरी सफलाता भारत को विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization's (WTO)) से
मिली, जब जिनेवा में विश्व व्यापार संगठन के 12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में 9 साल के बाद
ऐसा मौका आया है, जब सभी सदस्य देश किसी एक प्रस्ताव पर सहमत हुए है।
डब्ल्यूटीओ की
बैठक में सरकार ने इस बार विकासशील और कम विकासशील देशों का नेतृत्व किया था और
डब्ल्यूटीओ के सभी 164 देशों को अपने प्रस्ताव पर एकराय करने में कामयाब हो गयी।
विश्व व्यापार संगठन के 164 सदस्यों के मंत्रियों ने निम्न निर्णयों को अपनाया है।
1. समुद्रों पर अनियंत्रित और अवैध मछली पकड़ने को रोकने की भारत की मांग को स्वीकार
किया।
2. वैक्सीन इक्विटी (Vaccine equity): बैठक के दौरान COVID-19 प्रतिक्रिया और महामारी
की तैयारियों के संबंध में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। भारत विकासशील देशों को वैक्सीन
निर्माण में मदद करेगा जिनके पास तकनीक नहीं है।
3. ट्रिप्स छूट (TRIPS waiver): अन्य देशों को टीके बनाने में मदद करने के लिए ट्रिप्स छूट
पर निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया।
4. ई-कॉमर्स स्थगन (E-commerce moratorium):भारत ने इस मुद्दे को दृढ़ता से रखा और
कहा कि समझौते को स्थगित करने से काम नहीं चलेगा। इस पर स्पष्टता होनी चाहिए। भारत
भी बाजारों तक मुफ्त पहुंच चाहता है।
5. खाद्य सुरक्षा (Food security): भारत ने कभी भी विश्व खाद्य कार्यक्रम के तहत सहायता
देने से इनकार नहीं किया है, भारत का सुझाव था कि सहायता करने वाले देश अपने भोजन की
आवश्यकता का जायजा ले सकते हैं।
अंत में भारत अवैध मछली पकड़ने पर नियमन लाने में सफल रहा। अवैध, अनियमित, गैर-
रिपोर्टेड मछली पकड़ने को नियंत्रित करने की भारत की मांगों को भी स्वीकार कर लिया गया।
यह देश के लिए एक बड़ी सफलता है, क्योंकि ऐसे कई देश हैं जो गहरे समुद्र में मछली पकड़ने
में संलग्न हैं। इस प्रकार दुनिया की मछली प्रजातियों का शोषण और उन्हें खतरे में डाल रहा है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3yks08S
https://bit.ly/3A6P8ZK
https://bit.ly/39QFC2t
https://bit.ly/3OKhqxy
चित्र संदर्भ
1. कोस्ट गार्ड और क्वाड झंडों को दर्शाता एक चित्रण (Picryl)
2. जापानी मत्स्य पालन गश्ती नाव और चीनी अवैध मछली पकड़ने की नाव को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता के मानचित्र को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत के नौसेना पोत 2020 में मालाबार अभ्यास को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. मछली पकडते लोगों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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